सोमवार, 20 जून 2011

निरंतर बढ़ते रहो

एक सुहाने दिन मैंने और मेरे ३ मित्रों ने पास की नदी के किनारे किनारे ५ मील के पैदल सफर का निर्णय लिया। हमारे सफर के अन्त स्थल पर हमारे अन्य मित्रों को हमारी बाट जोहनी थी और हमें उन से जा कर मिलना था। हम ने बड़े उत्साह और सामर्थ से अपना सफर आरंभ किया, फिर कुछ देर के बाद नदी के मोड़ों के साथ पगडंडी भी टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ होने लगी और हमारा सफर कुछ जटिल हो गया। जब हम और आगे बढ़ए तो कहीं हमें तट से ऊपर चढ़ना पड़ा तो कहीं हमें नदी किनारे की फिसलन, कीचड़ और खर-पतवार से होकर बहुत संभल संभल कर निकलना पड़ा। हमारे शरीर थकने लगे थे और अब हमें निश्चित भी नहीं हो पा रहा था कि हमें और कितना आगे जाना है तथा आगे का मार्ग कैसा होगा। लेकिन बस इस एक खयाल ने हमें आगे बढ़ने के लिए तत्पर किया कि यात्रा के अन्तिम स्थान पर हमारे मित्र हमारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, और हम आगे बढ़ते ही रहे।

यात्रा के अनत में जब हम बैठ कर सुस्ता रहे थे तो इस यात्रा और हमारी मसीही जीवन की यात्रा में हमें कई समानान्तर दीख पड़े और हम मित्रों ने बैठे बैठे इनकी चर्चा आपस में करी। साधारणत्या हम अपना मसीही जीवन का सफर अपने उद्धार के अनुभव के साथ बड़े उत्साह से करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, बहुत कुछ करना चाहते हैं। कुछ देर के बाद जीवन के उतार चढ़ाव, समस्याएं और प्रलोभन हमारे मसीही विश्वास के रास्तों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देते हैं। अपने विश्वास में उतम स्तर बनाए रखने कि बजाए साधारण स्तर से ही संतुष्ट होने के दलदल, सांसारिक उपलब्धियों को पाने के झाड़-झंकाड़ और घमंड की फिसलन भी हमारे आगे बढ़ने में बाधाएं बनते हैं। कभी कभी हमें समझ में नहीं आता कि हमारे आगे क्या आने वाला है, परिस्थितियों की अनिश्चितता हमें निराशा की ओर धकेलेती है। लेकिन फिर भी हम एक बात दृढ़ता और पूरे विश्वास से जानते हैं कि हमारे सफर के अन्त में परमेश्वर के साथ महिमामयी अनन्तता और हमारा उद्धारकर्ता प्रभु हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और यह तथ्य हमें धीरज के साथ अपनी यह यात्रा पूरी करने को प्रेरित करते हैं।

हम सभी को निराशा और थकान का सामना करना पड़ता है; कितनी ही बार हमें लगता है कि कितना अच्छा हो यदि हम जहाँ हैं बस वहीं पड़े रहें, अब और कुछ करने की आवश्यक्ता नहीं है। जब प्रलोभन आते हैं तो वह समय होता है आत्मा की सामर्थ की एक लंबी साँस भर लेने का और दृढ़ निश्च्य के साथ निरंतर कदम आगे बढ़ाने का, स्मरण करके कि अन्त में एक महिमामयी और अति उत्तम प्रतिफल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। - डेव एग्नर


जब निराश होकर छोड़ देने का प्रलोभन आए तब स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाना।

इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। - इब्रानियों १२:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:३२-३९

Heb 10:32 परन्‍तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Heb 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Heb 10:34 क्‍योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्‍द से लुटने दी, यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Heb 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्‍योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Heb 10:36 क्‍योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्‍छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Heb 10:37 क्‍योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Heb 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Heb 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर १, २
  • प्रेरितों ५:१-२१