शनिवार, 27 अगस्त 2011

ओक वृक्ष से शिक्षा

हमारे घर के पीछे कुछ सुन्दर ओक वृक्ष खड़े हैं। हर वर्ष पतझड़ की ऋतु में मैं देखता हूँ कि उन पर कुछ सूखे पत्ते इधर-उधर लगे रह जाते हैं, जबकि बाकि सभी पत्ते उन ओक तथा अन्य वृक्षों पर से झड़ चुके होते हैं। शीत ऋतु की तेज़ हवाएं और बसन्त की बारिष भी उन सूखे पत्तों को गिरा नहीं पाती। लेकिन जैसे जैसे बसन्त ऋतु बढ़ती है, दृश्य बदलने लगता है। वृक्षों की उन सूखी और बेजान प्रतीत होने वाली डालियों से नई कोंपलें फूटने लगती हैं। जैसे जैसे कोंपलें बढ़ती हैं, वे उन पुराने सूखे पत्तों को गिरा देती हैं; नए जीवन की शक्ति उन पुराने सूखे जीवन के अवशेषों को साफ कर देती है।

मसीही विश्वासी के अन्दर परमेश्वर का पवित्र आत्मा भी अपना अनुग्रह का कार्य कुछ ऐसे ही करता है। कुछ पुरानी आदतें हमारे जीवनों से चिपकी रह जाती हैं। हमारे जीवन की परीक्षाएं और क्लेष भी हमारी पुरानी पापों में पतित प्रकृति की इन आदतों को हम से दूर नहीं कर पाते। लेकिन हमारे प्रभु का आत्मा हम में नए जीवन के संचार को बनाए रखता है, और मसीह का यह जीवन हम में से बाहर प्रगट होने के मार्ग ढूंढ़ता रहता है। जैसे जैसे हम परमेश्वर के सामने अपने पापों का अंगीकार करते, प्रार्थना करते और उसके वचन का मनन करने में समय बिताते हैं, हमारी पुरानी पतित अवस्था के अवशेष, वे आदतें, हमसे दूर होने लगती हैं और प्रभु का जीवन हम में विदित होने लगता है।

जब उन पुरानी आदतों को दूर कर देने के हमारे अपने सभी प्रयास विफल हों और उन आदतों की हमारे जीवन में उपस्थिति हमारे लिए निराशा का कारण बनने लगे तो हमें ओक वृक्ष से शिक्षा लेनी चाहिए। जैसे बाहर से सूखे प्रतीत होने वाले ओक वृक्ष में जीवन का संचार बाकी रहता है और अपने समय में प्रगट होकर पुराने जीवन के अवशेषों को दूर कर देता है, वैसे ही प्रत्येक मसीही विश्वासी में प्रभु के आत्मा की उपस्थिति और नए जीवन का संचार बना रहता है, और अनुकूल परिस्थितियों में प्रगट हो कर पुरानी बातों को हटा देता है। जैसे जैसे हम परमेश्वर के आत्मा की प्रेरणा और आवाज़ की ओर अपना ध्यान लगाकर अपने जीवन में पवित्र आत्मा के फलों, जैसे प्रेम, ईमानदारी, विश्वासयोग्यता आदि को स्थान देते हैं, उसकी सामर्थ हमारे जीवनों में कार्य कर के पुरानी बातों को हटाती और नए जीवन को दिखाती जाती है। - डेनिस डी हॉन


यदि प्रभु यीशु मसीह हमारे जीवन का केंद्र बिंदु है, तो बाहरी परिधि स्वतः ही ठीक हो जाएगी।

पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे। - गलतियों ५:१६

बाइबल पाठ: गलतियों ५:१६-२६

Gal 5:16 पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।
Gal 5:17 क्‍योंकि शरीर आत्मा के विरोध में लालसा करता है, और ये एक दूसरे के विरोधी हैं; इसलिये कि जो तुम करना चाहते हो वह न करने पाओ।
Gal 5:18 और यदि तुम आत्मा के चलाए चलते हो तो व्यवस्था के आधीन न रहे।
Gal 5:19 शरीर के काम तो प्रगट हैं, अर्थात व्यभिचार, गन्‍दे काम, लुचपन।
Gal 5:20 मूर्ति पूजा, टोना, बैर, झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, विरोध, झूठ, विधर्म।
Gal 5:21 डाह, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, और इन के जैसे और और काम हैं, इन के विषय में मैं तुम को पहिले से कह देता हूं जैसा पहिले कह भी चुका हूं, कि ऐसे ऐसे काम करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस न होंगे।
Gal 5:22 पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्‍द, मेल, धीरज,
Gal 5:23 और कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।
Gal 5:24 और जो मसीह यीशु के हैं, उन्‍होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है।
Gal 5:25 यदि हम आत्मा के द्वारा जीवित हैं, तो आत्मा के अनुसार चलें भी।
Gal 5:26 हम घमण्‍डी होकर न एक दूसरे को छेड़ें, और न एक दूसरे से डाह करें।

एक साल में बाइबल:
  • भजन १२०-१२२
  • १ कुरिन्थियों ९