बुधवार, 21 सितंबर 2011

आदर्श एवं यथार्थ

   पत्रकार सिडनी हैरिस ने व्यर्थ आदर्शवाद के नकारात्मक परिणामों के बारे में एक अन्य लेखक के उदाहरण द्वारा समझाया। जब हैरिस ने पहले-पहल उस लेखक की रचनाओं को पढ़ा तो उन्हें वह बहुत आकर्षक लगा, हैरिस ने कहा कि "उस लेखक के विचार ऐसे थे मानो जैसे बदबूदार कमरे में खुशबू का झोंका आया हो। मानवता, पारिवारिक संबंधों, सामाजिक संबंधों, बच्चों, जानवरों और फुल-पौधों - सभी पर उनके विचार बहुत उत्तम और आदर्शपूर्ण थे।" लेकिन दुख की बात यह थी कि यह आदर्शवादिता उस लेखक के व्यक्तिगत जीवन के व्यवहार में ज़रा भी नहीं थी। अपने घर में वह व्यक्ति अपनी पत्नि के प्रति क्रूर और अपने बच्चों के लिए आतंक था। उसका आदर्शवाद का प्रचार केवल दूसरों के लिए था, इसलिए व्यर्थ था।

   अपने पहाड़ी उपदेश में प्रभु यीशु ने सिखाया कि कैसे आदर्शों को यथार्थ के साथ व्यावाहरिक जीवन में लागू करना चाहिए। उन्होंने समझाया कि कैसे हम व्यावाहरिक जीवन के प्रति सही रवैया रखें जिससे जीवन जैसा है और जैसा होना चाहिए, इन दोनो बातों में कोई विरोधाभास नहीं हो। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम अपने आदर्शों को लेकर इतने अव्यावाहरिक तथा कट्टर भी न हो जाएं कि अपने आस-पास के लोगों से अनुचित और असंभव उम्मीदें रखने लगें।

   प्रभु यीशु ने अपने जीवन के उदाहरण द्वारा सिखाया कि आदर्श और यथार्थ में संतुलन बना कर रखें - जो सिद्ध अथवा योग्य नहीं भी हों उनके साथ भी सदा धैर्य, प्रेम तथा सहिषुणता का व्यवहार करें। उन्होंने सिखाया कि हमें सत्य के साथ तो बने रहना है, किंतु दया और करुणा का साथ भी नहीं छोड़ना है।

   यदि हम प्रभु यीशु के उदाहरण का अनुसरण करेंगे तो हम सर्वोच्च आदर्शों को भी थामे रहेंगे तथा संसार के यथार्थ से भी मुँह नहीं छुपाएंगे; अपितु प्रभु यीशु के समान हमारे हृदय सदा प्रेम से भरे और हम प्रेम से व्यवहार करने वाले होंगे। - मार्ट डी हॉन


एक धर्मी हृदय में करुणा के लिए बहुत स्थान रहता है।
 
धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी। - मत्ती ५:७
 
बाइबल पाठ: मत्ती ५:१-१२
    Mat 5:1  वह इस भीड़ को देख कर, पहाड़ पर चढ़ गया; और जब बैठ गया तो उसके चेले उसके पास आए।
    Mat 5:2  और वह अपना मुंह खोल कर उन्‍हें यह उपदेश देने लगा,
    Mat 5:3  धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:4  धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्‍योंकि वे शांति पाएंगे।
    Mat 5:5  धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्‍योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
    Mat 5:6  धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त किए जाएंगे।
    Mat 5:7  धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्‍योंकि उन पर दया की जाएगी।
    Mat 5:8  धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे।
    Mat 5:9  धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।
    Mat 5:10 धन्य हैं वे, जो धर्म के कारण सताए जाते हैं, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्य उन्‍हीं का है।
    Mat 5:11 धन्य हो तुम, जब मनुष्य मेरे कारण झूठ बोल बोलकर तुम्हारे विरोध में सब प्रकार की बुरी बात कहें।
    Mat 5:12 आनन्‍दित और मगन होना क्‍योंकि तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में बड़ा फल है; इसलिये कि उन्‍होंने उन भविष्यद्वक्ताओं को जो तुम से पहिले थे इसी रीति से सताया था।
 
एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक ७-९ 
  • २ कुरिन्थियों १३