शनिवार, 3 दिसंबर 2011

विजेता

   एक ट्रेन रेलवे स्टेशन के प्लैटफॉर्म पर आ कर रुकी और उसमें से उस शहर की फुटबाल टीम के खिलाड़ी उतरे, जो एक प्रतियोगिता में भाग लेकर लौटे थे। संचार साधन तब विकसित नहीं हुए थे और इस कारण प्रतियोगिता का नतीजा अभी लोगों को मालूम नहीं हो पाया था। स्टेशन पर खड़ी भीड़ में से जगह बनाते हुए एक लड़का उन खिलाड़ियों के पास आया और उन में से एक से प्रतियोगिता का नतीजा पूछा। जैसे ही उसने नतीजा सुना, वह खुशी के मारे उछलता हुआ सारे प्लैटफॉर्म पर ऊपर से नीचे दौड़ने लगा, साथ साथ चिल्लाता जा रहा था, ’हम जीत गए! हम जीत गए!’ वह लड़का आनन्दित था क्योंकि उसने अपनी पहचान उन खिलाड़ियों के साथ जोड़ दी थी और उसके लिए उनकी जीत उस की अपनी जीत थी।

   हर एक मसीही विश्वासी के जीवन में भी विजय ना कि पराजय जीवन का सार होनी चाहिए। परमेश्वर प्रत्येक मसीही विश्वासी को प्रभु यीशु मसीह में देखता है जिसे उसने मृतकों में से जिलाया और "उस को मरे हुओं में से जिलाकर स्‍वर्गीय स्थानों में अपनी दाहिनी ओर, सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर, जो न केवल इस लोक में, पर आने वाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया" (इफिसीयों १:२०, २१)। प्रभु यीशु ने सारे संसार के सभी पापों का दण्ड अपनी मृत्यु के द्वारा भोगा, और मृत्यु पर जयवन्त हो कर पाप पर जयवन्त हुआ। अब जो विश्वास द्वारा उसकी इस विजय को अपनाते हैं, वे भी विजयी हैं, क्योंकि "क्‍योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं" (१ युहन्ना ४:१७); और "परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्‍सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान का सुगन्‍ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है (२ कुरिन्थियों २:१४)"।

   क्योंकि प्रभु यीशु मसीह पाप और मृत्यु पर जयवन्त है, इसलिए जो उसमें हैं वे भी पाप और मृत्यु पर जयवन्त हैं। अपनी पहचान मसीह की पहचान के साथ जोड़ने से हम उसकी विजयी में संभागी और उसके आनन्द में आनन्दित हो सकते हैं। - पौल वैन गोर्डर

स्वर्ग और पृथ्वी के प्रत्येक अधिकार पर जयवन्त मसीह के आधीन हो कर हम भी संसार के किसी भी जयवन्त से भी बढ़ कर हो सकते हैं।

परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो मसीह में सदा हम को जय के उत्‍सव में लिये फिरता है, और अपने ज्ञान का सुगन्‍ध हमारे द्वारा हर जगह फैलाता है। - २ कुरिन्थियों २:१४

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:१-१८
2Co 4:1  इसलिये जब हम पर ऐसी दया हुई, कि हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते।
2Co 4:2  परन्‍तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्‍तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं।
2Co 4:3  परन्‍तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है।
2Co 4:4  और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके।
2Co 4:5  क्‍योंकि हम अपने को नहीं, परन्‍तु मसीह यीशु को प्रचार करते हैं, कि वह प्रभु है; और उसके विषय में यह कहते हैं, कि हम यीशु के कारण तुम्हारे सेवक हैं।
2Co 4:6  इसलिये कि परमेश्वर ही है, जिस ने कहा, कि अन्‍धकार में से ज्योति चमके; और वही हमारे हृदयों में चमका, कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो।
2Co 4:7  परन्‍तु हमारे पास यह धन मिट्ठी के बरतनों में रखा है, कि यह असीम सामर्थ हमारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर ही की ओर से ठहरे।
2Co 4:8  हम चारों ओर से क्‍लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरूपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते।
2Co 4:9  सताए तो जाते हैं, पर त्यागे नहीं जाते; गिराए तो जाते हैं, पर नाश नहीं होते।
2Co 4:10  हम यीशु की मृत्यु को अपनी देह में हर समय लिये फिरते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारी देह में प्रगट हो।
2Co 4:11  क्‍योंकि हम जीते जी सर्वदा यीशु के कारण मृत्यु के हाथ में सौंपे जाते हैं कि यीशु का जीवन भी हमारे मरणहार शरीर में प्रगट हो।
2Co 4:12  सो मृत्यु तो हम पर प्रभाव डालती है और जीवन तुम पर।
2Co 4:13  और इसलिये कि हम में वही विश्वास की आत्मा है, (जिस के विषय मे लिखा है, कि मैं ने विश्वास किया, इसलिये मैं बोला) सो हम भी विश्वास करते हैं, इसी लिये बोलते हैं।
2Co 4:14  क्‍योंकि हम जानते हैं, जिस ने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जान कर जिलाएगा, और तुम्हारे साथ अपने साम्हने उपस्थित करेगा।
2Co 4:15  क्‍योंकि सब वस्‍तुएं तुम्हारे लिये हैं, ताकि अनुग्रह बहुतों के द्वारा अधिक होकर परमेश्वर की महिमा के लिये धन्यवाद भी बढ़ाए।
2Co 4:16  इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
2Co 4:17  क्‍योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्‍त जीवन महिमा उत्‍पन्न करता जाता है।
2Co 4:18  और हम तो देखी हुई वस्‍तुओं को नहीं परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुओं को देखते रहते हैं, क्‍योंकि देखी हुई वस्‍तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्‍तु अनदेखी वस्‍तुएं सदा बनी रहती हैं।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल ४५-४६ 
  • १ युहन्ना २