रविवार, 15 अप्रैल 2012

बदलाव के पात्र

   धर्मशास्त्र और धर्म संबंधी ४ वर्ष के प्रशिक्षण के बाद जब मैंने अपनी प्रथम सेवकाई में प्रवेश किया, तो मेरे पास परिवर्तन लाने की एक लंबी सूची थी। एक नया पास्टर होने के नाते, मेरा विचार था कि मेरी सेवकाई के स्थान में परिवर्तन लाने के लिए मुझे वहां लाया गया है, किंतु परमेश्वर ने उस स्थान और वहां के लोगों के द्वारा मुझे ही बदल दिया।

   उस स्थान की चर्च समीति के सदस्य मेरे सहायता में तत्पर तो थे किंतु प्रत्येक प्राशासनिक महत्व की बात में वे बड़ी सूक्ष्मता से मेरे द्वारा सावधानी बरत जाने को निश्चित करते थे। उन्होंने कभी मेरे पाँव ज़मीन से हटने नहीं दिए; उन्होंने सुनिश्चित किया कि मैं दूसरों के साथ मिल कर और दूसरों के विचारों का ध्यान रखते हुए ही प्रत्येक निर्णय लूँ और प्रत्येक कार्य करूँ जिससे अन्ततः सारे चर्च की मण्डली की बढ़ोतरी हो और किसी को मनमुटाव का अवसर ना रहे।

   हम अकसर सोचते हैं कि परमेश्वर ने हमें अपने आस-पास के स्थान पर वहां बदलाव लाने के लिए रखा है, परन्तु वास्तविकता यह होती है कि परमेश्वर हमें छाँट-तराश के हमें बदलना और निखारना चाहता है। जो कोई परमेश्वर की इस योजना के आधीन होकर अपने आप को उसके हाथों में छोड़ देता है, वह "...वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा" (२ तिमुथियुस २:२१)। अपनी इस योजना के अन्तर्गत परमेश्वर कुछ बड़े ही अनपेक्षित व्यक्तियों, अनपेक्षित स्थानों और अनपेक्षित अनुभवों को हमें जीवन के कुछ कठिन पाठ सिखाने के लिए उपयोग करता है। और फिर, जब हमें प्रतीत होता है कि हम सीख चुके हैं, तो जीवन का एक और नया पाठ हमारे सामने आ जाता है।

   अभी कुछ समय पहले ही मैंने अपनी सेवकाई में एक नया कार्य आरंभ किया है। अब इतने वर्षों के कार्य के बाद तो मुझे एक बुज़ुर्ग और अनुभवी कार्यकर्ता होना चाहिए था, किंतु मैं पाता हूँ कि मैं अभी भी सीख ही रहा हूँ, परमेश्वर अभी भी मुझ में बदलाव ला रहा है, मैं अभी भी बेहतर किया जा रहा हूँ। मैं अचंभित हूँ कि परमेश्वर अपने श्रेष्ठ उद्देश्यों के लिए मुझे अभी भी निखार रहा है, मेरे लिए कुछ और नई योजनाएं बना रहा है, मुझे कुछ नए तरीकों से कार्य करना सिखा रहा है।

   यदि आप भी बदलाव के पात्र बनना चाहते हैं तो बदलाव के सच्चे कर्ता के हाथों में अपने आप को छोड़ दें, उसका प्रतिरोध ना करें। हर बदलाव में परमेश्वर का उद्देश्य केवल आपकी भलाई और आप में होकर उसकी महिमा का होना ही है। - जो स्टोवैल


जब हम स्वयं बदले जाएंगे, हम बदलाव के पात्र तब ही बन सकेंगे।
 
यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा। - २ तिमुथियुस २:२१
 
बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१९-२६
2Ti 2:19  तौभी परमेश्वर की पक्की नेव बनी रहती है, और उस पर यह छाप लगी है, कि प्रभु अपनों को पहिचानता है, और जो कोई प्रभु का नाम लेता है, वह अधर्म से बचा रहे।
2Ti 2:20 बड़े घर में न केवल सोने-चान्‍दी ही के, पर काठ और मिट्टी के बरतन भी होते हैं; कोई कोई आदर, और कोई कोई अनादर के लिये।
2Ti 2:21 यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्‍वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।
2Ti 2:22  जवानी की अभिलाषाओं से भाग, और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।
2Ti 2:23 पर मूर्खता, और अविद्या के विवादों से अलग रह; क्‍योंकि तू जानता है, कि उन से झगड़े होते हैं।
2Ti 2:24 और प्रभु के दास को झगड़ालू होना न चाहिए, पर सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण, और सहनशील हो।
2Ti 2:25 और विरोधियों को नम्रता से समझाए, क्‍या जाने परमेश्वर उन्‍हें मन फिराव का मन दे, कि वे भी सत्य को पहिचानें।
2Ti 2:26 और इस के द्वारा उस की इच्‍छा पूरी करने के लिये सचेत होकर शैतान के फंदे से छूट जाए।
 
एक साल में बाइबल: 
  • १ शमूएल २७-२९ 
  • लूका १३:१-२२