मंगलवार, 26 जून 2012

दोषी

   एक व्यक्ति नौकरी के लिए आवेदन पत्र भर रहा था। उस पत्र में एक प्रश्न आया "क्या आप कभी गिफ्तार हुए हैं?" उस व्यक्ति ने उत्तर भरा "नहीं"; इससे अगला प्रश्न था "किस कारण से?" यह उन लोगों के लिए था जिन्होंने गिरफ्तारी के लिए उत्तर "हाँ" में दिया हो; लेकिन इस व्यक्ति ने इस बात का ध्यान रखे बिना वहां अपना उत्तर भर दिया "क्योंकि कभी पकड़ा नहीं गया"। उसका यह उत्तर इस बात का प्रमाण था कि वह जानता था कि चाहे वह गिरफ्तार ना भी हुआ हो, तो भी वह दोषी तो है।

   यही स्थिति प्रेरित पौलुस की थी। वह जानता था कि उसने गलतियां और परमेश्वर के विरुद्ध पाप किए हैं। इसीलिए वह लिखता है "मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था..."  (१ तिमुथियुस १:१३); और फिर वह अपने आप को "सबसे बड़ा पापी" बताता है (पद १५)।

   हम में से प्रत्येक मसीही विश्वासी यह भली भांति जानता है कि एक समय हम भी अपने पापों और अपराधों के कारण परमेश्वर से दूर और परमेश्वर के बैरी थे (रोमियों ५:१०; कुलुस्सियों १:२१), लेकिन जब हमने अपने पाप मान लिए, प्रभु यीशु को समर्पण के साथ उससे उन पापों की क्षमा मांग ली तो उसने हमें क्षमा किया और सब पापों के दोष से मुक्त किया, शुद्ध किया और एक नया जीवन दिया - मानो हमारा "नया जन्म" हो गया।

   हम मसीही विश्वासियों में से वे जो बहुत वर्षों से प्रभु के इस अनुग्रह में जी रहे हैं संभवतः यह भूल बैठे हों कि प्रभु यीशु ने हमें हमारी किस दशा से छुड़ाया था। इसीलिए प्रत्येक मसीही विश्वासी को अपने जीवन की गवाही दुसरों के साथ बांटते रहना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना ना केवल हमें दीन और नम्र रखता है, वरन हमें शैतान पर विजयी भी रखता है (प्रकाशितवाक्य १२:११)। जब हम अपनी पिछली तथा वर्तमान गलतियों का स्मरण बनाए रखते हैं और उनके लिए परमेश्वर से मिले अनुग्रह और क्षमा का बयान करते रहते हैं, तो हमारे अन्दर स्वधार्मिकता या अन्य किसी घमण्ड की कोई संभावना नहीं रहती। साथ ही जिनके सामने हम अपने जीवन और जीवन में हुए प्रभु के कार्य की गवाही रखते हैं, वे भी हमें किसी भी अन्य साधारण सामन्य मनुष्य ही के समान जानने पाते हैं ना कि किसी बहुत "धर्मी और पहुंच से परे" धर्मात्मा या किसी पाखंडी के समान, और देख-समझ पाते हैं कि परमेश्वर की क्षमा और अनुग्रह कैसे किसी के जीवन को बदल देता है।

   कड़ुवा सच यही है कि हम सब परमेश्वर के दोषी हैं, बहुतायत से दोषी हैं; लेकिन साथ ही इस कड़ुवे सच का एक मधुर पहलू भी है - परमेश्वर की क्षमा और अनुग्रह प्रत्येक दोषी के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है। आवश्यक्ता है प्रभु यीशु में विश्वास की, उसे ग्रहण कर लेने और उसकी क्षमा तथा अनुग्रह को जीवन में लागू कर लेने की; "...यीशु मसीह का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है" (१ युहन्ना १:७)। - ऐनी सेटास


जो सर्वथा अयोग्य हों उनके लिए सब कुछ उपलब्ध करा देना ही अनुग्रह है।

और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ। - १ तिमुथियुस १:१४

बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस १:१२-१७
1Ti 1:12  और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिस ने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं कि उस ने मुझे विश्वासयोग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।
1Ti 1:13 मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्‍योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
1Ti 1:14  और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।
1Ti 1:15  यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।
1Ti 1:16 पर मुझपर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्‍त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1Ti 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।


एक साल में बाइबल: 

  • अय्युब ५-७ 
  • प्रेरितों ८:१-२५