शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

खुला मार्ग


   मैं अकसर विश्वास से संबंधित बातों के बारे में अचरज के साथ सोचता हूँ। उदाहर्ण के रूप में, मैं जब किसी हवाईअड्डे पर खड़ा होता हूँ तो अनेक विशिष्ट दिखने वाले लोगों को व्यस्तता इधर से उधर जाते देखता हूँ। वे हाथों में अपने ब्रीफकेस लिए, कुछ देर को किसी कौफी की दुकान पर रुकते हैं और फिर किसी अगले सम्मेलन अथवा व्यवसायिक मीटिंग पर अपनी हवाई यात्रा पर निकल लेते हैं। मैं सोचता हूँ, क्या ये लोग कभी परमेश्वर के बारे में सोचने पाते हैं?

   मसीही विश्वासी दो समानन्तर विश्वों में एक अजीब से विश्वास के साथ जीते हैं। एक विश्व है इस भौतिक संसार का, जहां इमारतें हैं, तरह तरह के वस्त्र हैं, व्यवसाय की व्यसतता है, और लोग एक से दूसरे स्थान पर पैसा कमाने के लिए दौड़ते रहते हैं; और धन अर्जित करते करते, बिना पूरी तरह से उस अर्जित धन का उपयोग किए ही संसार से खाली हाथ ही कूच भी कर जाते हैं। दूसरा विश्व है आत्मिक शक्तियों, स्वर्गदूतों और किसी अदृश्य स्थान में बसे स्वर्ग और नरक का। इस भौतिक विश्व को तो हम देख और अनुभव कर सकते हैं, परन्तु अपने आप को उस अदृश्य विश्व का नागरिक मानने के लिए एक असाधारण विश्वास की आवश्यकता होती है।

   क्रिसमस वह समय है जब इन दोनों विश्वों के प्रभु का इस भौतिक संसार में प्रवेश मनाया जाता है; वह आया कि इस संसार के नियमों के अन्तर्गत जीवन जी कर इस नाशमान भौतिक विश्व से उस अदृश्य अनन्त विश्व के स्वर्ग देश में मानव जाति के प्रवेश का मार्ग बना कर संसार को प्रदान करे। प्रभु यीशु के आगमन ने दोनों विश्वों के बीच का संपर्क का मार्ग बनाया और प्रभु के कार्य तथा बलिदान और मृत्यु पर विजय ने दोनों विश्वों के परस्पर असंगति के निवार्ण का मार्ग खोल कर संसार से स्वर्ग पहुँचने का मार्ग दे दिया।

   इसीलिए प्रभु यीशु के जन्म के समय स्वर्गदूतों ने परमेश्वर की स्तुति करी, क्योंकि अब मनुष्य के लिए परमेश्वर के साथ मेल हो सकने का मार्ग खुलने पर था। आज यह मार्ग संसार के प्रत्येक जन के लिए खुला और उपलब्ध है, प्रभु यीशु में साधारण विश्वास के साथ इस भौतिक संसार में रहते हुए ही उस आते विश्व के लिए अपना भविष्य सुनिश्चित कर लीजीए, क्योंकि इस संसार से कूच करने के बाद स्वर्ग के लिए फिर कोई मार्ग नहीं है।- फिलिप यैन्सी


क्रिसमस का मुख्य श्ब्द है "इम्मैनुएल" अर्थात परमेश्वर हमारे साथ।

आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो। - लूका २:१४

बाइबल पाठ: लूका २:१-१४
Luk 2:1  उन दिनों में औगूस्‍तुस कैसर की ओर से आज्ञा निकली, कि सारे जगत के लोगों के नाम लिखे जाएं। 
Luk 2:2  यह पहिली नाम लिखाई उस समय हुई, जब क्‍विरिनियुस सूरिया का हाकिम था। 
Luk 2:3   और सब लोग नाम लिखवाने के लिये अपने अपने नगर को गए। 
Luk 2:4   सो यूसुफ भी इसलिये कि वह दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया। 
Luk 2:5   कि अपनी मंगेतर मरियम के साथ जो गर्भवती थी नाम लिखवाए। 
Luk 2:6  उस के वहां रहते हुए उसके जनने के दिन पूरे हुए। 
Luk 2:7 और वह अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेट कर चरनी में रखा: क्‍योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। 
Luk 2:8 और उस देश में कितने गड़ेरि्ये थे, जो रात को मैदान में रहकर अपने झुण्‍ड का पहरा देते थे। 
Luk 2:9  और प्रभु का एक दूत उन के पास आ खड़ा हुआ; और प्रभु का तेज उन के चारों ओर चमका, और वे बहुत डर गए। 
Luk 2:10 तब स्‍वर्गदूत ने उन से कहा, मत डरो; क्‍योंकि देखो मैं तुम्हें बड़े आनन्‍द का सुसमाचार सुनाता हूं जो सब लोगों के लिये होगा। 
Luk 2:11  कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिये एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है। 
Luk 2:12  और इस का तुम्हारे लिये यह पता है, कि तुम एक बालक को कपड़े मे लिपटा हुआ और चरनी में पड़ा पाओगे। 
Luk 2:13 तब एकाएक उस स्‍वर्गदूत के सा्थ स्‍वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्‍तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया। 
Luk 2:14 कि आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है शान्‍ति हो।

एक साल में बाइबल: 
  • मीका ४-५ 
  • प्रकाशितवाक्य १२