शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

प्रशिक्षण स्थल


   अंतरिक्ष यात्रियों में से अनेक अपने बचपन में स्काउट हुआ करते थे। स्काउटिंग प्रशिक्षण युवकों को अनुशासित जीवन जीना सिखाता है जो आगे चलकर उन्हें उनके लक्ष्य प्राप्त करने में बहुत सहायक होता है, चाहे वह लक्ष्य अंतरिक्ष यात्रा ही क्यों ना हो। युवक स्काऊट्स की एक सभा के दौरान उन्हें २० जुलाई १९६९ को एक वरिष्ठ ईगल स्काउट से मिले एक संदेश ने रोमांचित कर दिया; वह ईगल स्काऊट थे नील आर्मस्ट्रॉन्ग जिन्होंने बाह्य अंतरिक्ष से, उस सभा के दौरान, उन्हें अपना अभिवादन भेजा।

   स्काउट प्रशिक्षण शिविर के समान एक मसीही घर को भी आत्मिक अनुशासन सिखाने और उसमें बढ़ते रहने का प्रशिक्षण देना का स्थान होना चाहिए। परमेश्वर का वचन बाइबल अभिभावकों से कहती है कि वे बच्चों के सही विकास के लिए अपने बच्चों को घरों में एक सकारात्मक वातावरण प्रदान करें और बच्चों को "...प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो" (इफिसीयों ६:४)। अर्थात बच्चों की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक आवश्यक्ताओं की पूर्ति सही रीति से होने पाए; उनके विकास के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाए और प्रत्येक बच्चे कि आवश्यकतानुसार उचित शब्दों तथा व्यवहार द्वारा उसका सही मार्गदर्शन किया जाए जिससे वह समुचित विकास के साथ एक अच्छा और ईमानदार नागरिक तथा मसीह का विश्वासी बनने पाए।

   यह हम मसीही विश्वासियों की ज़िम्मेवारी है कि हम अपने घरों को प्रेम तथा अनुशासन का ऐसा प्रशिक्षण स्थल बनाएं जो हमारे बच्चों को समाज में सकारात्मक योगदान देने वाले, समाज की उन्नति एवं परमेश्वर की महिमा के कारण बनें। - डेनिस फिशर


जो आज आप बच्चों के हृदय में डालेंगे हैं वही कल उनके चरित्र को निर्धारित करेगा।

हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो। - इफिसीयों ६:४

बाइबल पाठ: इफिसीयों ६:१-४
Ephesians6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है।
Ephesians6:2 अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)।
Ephesians6:3 कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।
Ephesians6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था ४-५ 
  • मत्ती २४:२९-५१