शनिवार, 13 जुलाई 2013

उपयोगी

   अपना 60वाँ जन्म दिन मनाने पर जीवन के प्रति मेरा दृष्टिकोण बहुत बदल गया, क्योंकि मैं सोचा करता था कि 60 वर्ष के लोग वास्तव में बहुत बुढ़े हो जाते हैं। अब मैं विचार करने और गिनने लगा कि मेरे जीवन में और कितने उपयोगी वर्ष बचे हैं, और मैंने अपने अन्दाज़े से 10 वर्ष और निर्धारित कर लिए। मैं इसी सीमा को ध्यान में रखे हुए कार्य करता रहा, जब तक कि मुझे ध्यान नहीं आया कि मेरा एक सहयोगी है जो अब 85 वर्ष का है और अपनी कार्य क्षमता के कारण अभी भी बहुत उपयोगी बना हुआ है। इसलिए मैं उसके पास गया और उससे पूछा कि उसके अनुभव के आधार पर 60 वर्ष की आयु के बाद जीवन कैसा होता है? उसने मुझे बताया कि पिछले 25 वर्षों में प्रभु ने उसे अद्भुत रीति से उपयोग किया है और सेवकाई के बहुत से अवसर दिए हैं; आयु बढ़ने से प्रभु के लिए उसकी उपयोगिता बिलकुल भी कम नहीं हुई है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस अपने लिए एक स्थान पर "बूढ़ा" शब्द प्रयोग करता है, जो मेरी विचारधारा के अनुरूप प्रतीत होता है: "तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं। मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं (फिलेमौन 1:9-10)। इस पत्री में पौलुस अपने मित्र फिलेमौन से आग्रह कर रहा था कि वह अपने भगोड़े दास ओनिसिमस को वापस स्वीकार कर ले, क्योंकि ओनिसेमस भी अब प्रभु यीशु का अनुयायी और पौलुस का सहयोगी हो गया था। बाइबल विशेषज्ञों का मानना है कि जब पौलुस ने यह पत्री लिखी थी तब संभवतः उसकी आयु 40-50 वर्ष के आस-पास की होगी; आज के मापदण्डों के हिसाब से वह एक प्रौढ़ नागरिक तो कतई नहीं माना जाता - लेकिन उन दिनों जीवन काल छोटे ही होते थे। अपनी उम्र का अंदाज़ा करते हुए भी पौलुस आगे भी कई वर्षों तक प्रभु की सेवा करता रहा और प्रभु यीशु के लिए उपयोगी बना रहा।

   हो सकता है कि हम शारीरिक परिस्थितियों या अन्य किसी गतिरोध का सामना कर रहे हों, लेकिन ये बातें हमें हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के लिए हमें उपयोगी होने से कभी रोक नहीं सकतीं; उन परिस्थितियों में भी हम से जो भी जैसा भी बन पड़ता है हम प्रभु के लिए करते रहें। संसार तो हमें एक आयु के बाद अपनी सेवा से हटा देता है - हमें ’सेवा-निवृत’ कर देता है, हमारे लिए आमदनी के द्वार बन्द कर देता है; लेकिन हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता हमें अपने लिए सदा उपयोगी बनाए रखता है और हमारे लिए उससे मिलने वाली आशीषों के द्वार कभी बन्द नहीं होते। इस पृथ्वी के जीवन से विदा लेकर हमारे उसके पास पहुँचने तक उसके लिए हमारी उपयोगिता और हमारे लिए उससे मिलने वाले आशीषें एकत्रित करने के अवसर सदा बने ही रहते हैं। - डेनिस फिशर


यदि आप राज़ी हैं तो परमेश्वर किसी भी उम्र में आपको अपने लिए उपयोगी बना सकता है।

तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं। मैं अपने बच्‍चे उनेसिमुस के लिये जो मुझ से मेरी कैद में जन्मा है तुझ से बिनती करता हूं। - फिलेमौन 1:9-10

बाइबल पाठ: फिलेमौन 1:1-9
Philemon 1:1 पौलुस की ओर से जो मसीह यीशु का कैदी है, और भाई तिमुथियुस की ओर से हमारे प्रिय सहकर्मी फिलेमोन।
Philemon 1:2 और बहिन अफिफया, और हमारे साथी योद्धा अरखिप्‍पुस और फिलेमोन के घर की कलीसिया के नाम।
Philemon 1:3 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे।
Philemon 1:4 मैं तेरे उस प्रेम और विश्वास की चर्चा सुन कर, जो सब पवित्र लोगों के साथ और प्रभु यीशु पर है।
Philemon 1:5 सदा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं; और अपनी प्रार्थनाओं में भी तुझे स्मरण करता हूं।
Philemon 1:6 कि तेरा विश्वास में सहभागी होना तुम्हारी सारी भलाई की पहिचान में मसीह के लिये प्रभावशाली हो।
Philemon 1:7 क्योंकि हे भाई, मुझे तेरे प्रेम से बहुत आनन्द और शान्‍ति मिली, इसलिये, कि तेरे द्वारा पवित्र लोगों के मन हरे भरे हो गए हैं।
Philemon 1:8 इसलिये यद्यपि मुझे मसीह में बड़ा हियाव तो है, कि जो बात ठीक है, उस की आज्ञा तुझे दूं।
Philemon 1:9 तौभी मुझ बूढ़े पौलुस को जो अब मसीह यीशु के लिये कैदी हूं, यह और भी भला जान पड़ा कि प्रेम से बिनती करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 7-9 
  • प्रेरितों 18