रविवार, 10 नवंबर 2013

बढ़ना - घटना


   जब शेरी की मंगनी हुई तो उसकी अविवाहिता सहेली एमी ने शेरी के साथ आनन्द मनाया। जब शेरी के विवाह का समय आया तो एमी उसके साथ रही, उसके लिए विवाह वस्त्र तैयार करवाए, शेरी को विवाह के लिए सजा-संवार कर तैयार किया और विवाह संबंधित सभी बातों और अनुष्ठानों में आनन्द के साथ शेरी का साथ दिया। एमी के व्यवहार में शेरी के जीवन साथी पाने और अपने अकेले रह जाने को लेकर कभी कोई बदलाव नहीं आया। जब शेरी के बच्चे हुए तब भी एमी ने अपनी सहेली के साथ खुशियाँ मनाईं और उन बच्चों की देखभाल में सहायता करी।

   बाद में शेरी ने एमी से कहा, "तुम ने मुझे कठिन समयों में संभाला है, लेकिन जिस बात से मैं अपने प्रति तुम्हारे प्रेम को विशेष रीति से जानने पाई वह थी तुम्हारा मेरी हर खुशी में मेरे साथ आनन्दित होना। मुझे मिल रही खुशियों को लेकर किसी प्रकार के किसी भी द्वेष या ईर्ष्या को तुमने हमारे बीच में आने नहीं दिया, बस मेरे साथ मेरी खुशियों में आनन्दित बनी रहीं।"

   जब यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के चेलों ने आकर उसे कहा कि यीशु भी चेले बना रहा है और लोगों में उसकी ख्याति बढ़ रही है, तो उन्हें लगा कि यूहन्ना को इससे ईर्ष्या होगी (यूहन्ना 3:26)। उन्होंने उससे से कहा, "वह बपतिस्मा देता है और सब उसके पास आ रहे हैं।" लेकिन यूहन्ना प्रभु यीशु की सेवकाई और लोकप्रीयता से आनन्दित हुआ और कहा, "तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैं ने कहा, मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूं। जिस की दुलहिन है, वही दूल्हा है: परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उस की सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है" (यूहन्ना 3:28-29)।

   मसीही विश्वासी होने के नाते नम्रता का यही आचरण हमारे भी चरित्र का अभिन्न अँग होना चाहिए। जो कुछ भी हम करें वह लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए नहीं वरन अपने तथा समस्त जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह की ओर लोगों का ध्यान करने के लिए होना चाहिए। जैसा यूहन्ना ने कहा, हमारे जीवनों में भी "अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं" (यूहन्ना 3:30)। - एनी सेटास


यदि अपने जीवनों में हम मसीह को बढ़ते हुए देखना चाहते हैं तो हमें घटना होगा।

अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं। - यूहन्ना 3:30

बाइबल पाठ: यूहन्ना 3:22-36
John 3:22 इस के बाद यीशु और उसके चेले यहूदिया देश में आए; और वह वहां उन के साथ रहकर बपतिस्मा देने लगा। 
John 3:23 और यूहन्ना भी शालेम् के निकट ऐनोन में बपतिस्मा देता था। क्योंकि वहां बहुत जल था और लोग आकर बपतिस्मा लेते थे। 
John 3:24 क्योंकि यूहन्ना उस समय तक जेलखाने में नहीं डाला गया था। 
John 3:25 वहां यूहन्ना के चेलों का किसी यहूदी के साथ शुद्धि के विषय में वाद-विवाद हुआ। 
John 3:26 और उन्होंने यूहन्ना के पास आकर उस से कहा, हे रब्बी, जो व्यक्ति यरदन के पार तेरे साथ था, और जिस की तू ने गवाही दी है देख, वह बपतिस्मा देता है, और सब उसके पास आते हैं। 
John 3:27 यूहन्ना ने उत्तर दिया, जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए तब तक वह कुछ नहीं पा सकता।
John 3:28 तुम तो आप ही मेरे गवाह हो, कि मैं ने कहा, मैं मसीह नहीं, परन्तु उसके आगे भेजा गया हूं। 
John 3:29 जिस की दुलहिन है, वही दूल्हा है: परन्तु दूल्हे का मित्र जो खड़ा हुआ उस की सुनता है, दूल्हे के शब्द से बहुत हर्षित होता है; अब मेरा यह हर्ष पूरा हुआ है। 
John 3:30 अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूं।
John 3:31 जो ऊपर से आता है, वह सर्वोत्तम है, जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है; और पृथ्वी की ही बातें कहता है: जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है। 
John 3:32 जो कुछ उसने देखा, और सुना है, उसी की गवाही देता है; और कोई उस की गवाही ग्रहण नहीं करता।
John 3:33 जिसने उस की गवाही ग्रहण कर ली उसने इस बात पर छाप दे दी कि परमेश्वर सच्चा है। 
John 3:34 क्योंकि जिसे परमेश्वर ने भेजा है, वह परमेश्वर की बातें कहता है: क्योंकि वह आत्मा नाप नापकर नहीं देता। 
John 3:35 पिता पुत्र से प्रेम रखता है, और उसने सब वस्तुएं उसके हाथ में दे दी हैं। 
John 3:36 जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 48-49 
  • इब्रानियों 7