मंगलवार, 28 जनवरी 2014

व्यवहार


   शार्क मछलियों का अध्ययन करने वाले बताते हैं कि शार्क मछलियों द्वारा हमला किए जाने की संभावना अधिक तभी होती है जब उन मछलियों को पानी में रक्त का आभास होता है। रक्त से उनके अन्दर भोजन करने की क्रिया उत्तेजित होती है और वे झुँड के रूप में ही उस संभावित भोजन वस्तु पर, जिससे रक्त निकल रहा है, आक्रमण कर देती हैं। पानी में रक्त की उपस्थिति उनके आक्रमण के निशाने को चिन्हित कर देती है और वे वहीं अपना आक्रमण केंद्रित करती हैं।

   दुख की बात है कि चर्च में भी कभी कभी लोग ऐसे ही उन लोगों पर हमला बोल देते हैं जो किसी कारण दुखित हैं। बजाए इसके कि मसीह यीशु की मण्डली एक ऐसा स्थान हो जहाँ लोग प्रेम के साथ एक दूसरे की देखभाल करते हैं, उन्हें कठिन समयों में सहारा देते हैं, उन्हें निराशाओं से उभारने के प्रयास करते हैं, कभी कभी चर्च एक ऐसा स्थान भी बन जाता है जहाँ खूँखार हमलावर किसी अभागे पर टूट पड़ने की प्रतीक्षा में रहते हैं। इन हमलावरों को जैसे ही किसी की गलती, अस्फलता या उस में किसी खामी-खराबी की गंध मिलती है, बस वे उस बेचारे पर उसे बरबाद करने के लिए टूट पड़ते हैं।

   बजाए इसके कि ठोकर खाकर गिरे हुए व्यक्ति पर और प्रहार कर के उसे और दबाया जाए, हम मसीही विश्वासियों को ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो उन गिरे हुओं को मसीह यीशु की सान्तवना के साथ प्रोत्साहित करता है, उन्हें उठा कर फिर से खड़ा करने में सहायक होता है। इसका यह तात्पर्य नहीं है कि हमें पापमय व्यवहार की अन्देखी करनी है या किसी रीति से ऐसे व्यवहार को बढ़ावा देना है, वरन यह कि अपने प्रभु के समान ही हमें दयावन्त और सहिषुण भी होना है। प्रभु यीशु ने हमें सिखाया है कि "धन्य हैं वे, जो दयावन्‍त हैं, क्योंकि उन पर दया की जाएगी" (मत्ती 5:7)। 

   दया का अर्थ है वह प्रेमपूर्ण व्यवहार हम जिसके योग्य नहीं हैं; और हम सभी अपने पापों के कारण परमेश्वर के न्याय और अनन्तकाल के दण्ड के योग्य हैं। लेकिन परमेश्वर ने हमारे पापों का दण्ड प्रभु यीशु पर डालकर हमारे लिए पापों के पश्चाताप और प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर के निकट आने का मार्ग खोल दिया। जिस परमेश्वर ने हम पर दया करी है, वह चाहता है कि हम भी औरों पर ऐसे ही दया करें।

   इसलिए जब हम किसी को दुखी या गिरा हुआ देखें तो बजाए उस पर हमला करने वाले बनने के हम उस पर दया करने वाले बनें और सदा ध्यान रखें कि ऐसा दिन कभी भी आ सकता है जब हमें या तो अपने लिए दूसरों की दया की आवश्यकता पड़ जाएगी, या फिर प्रभु यीशु के सामने अपने जीवन और व्यवहार का हिसाब देने के लिए खड़ा होना पड़ेगा। - बिल क्राउडर


हम तब ही दूसरों के प्रति दया दिखाना बन्द कर सकते हैं जब प्रभु यीशु हमारे प्रति दया दिखाना बन्द कर दे।

जैसा तुम्हारा पिता दयावन्‍त है, वैसे ही तुम भी दयावन्‍त बनो। - लूका 6:36

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:1-11
John 8:1 परन्तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया। 
John 8:2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा। 
John 8:3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ी कर के यीशु से कहा। 
John 8:4 हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है। 
John 8:5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है? 
John 8:6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा। 
John 8:7 जब वे उस से पूछते रहे, तो उसने सीधे हो कर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे। 
John 8:8 और फिर झुक कर भूमि पर उंगली से लिखने लगा। 
John 8:9 परन्तु वे यह सुन कर बड़ों से ले कर छोटों तक एक एक कर के निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। 
John 8:10 यीशु ने सीधे हो कर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी। 
John 8:11 उसने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 1-4