शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

मित्र


   सिसरो रोमी साम्राज्य का एक महानतम दार्शनिक था। वह एक कुशल वक्ता, अधिवक्ता, राजनैतिज्ञ, भाषा ज्ञानी और लेखक था। आज भी उसके व्यावाहारिक ज्ञान और स्पष्ट कथनों के लिए उसे स्मरण किया जाता है। उदाहरणस्वरूप उसने मित्रता के विषय में कहा: "मित्र हमारे आनन्द को दोगुना कर देते हैं और शोक को विभाजित करके उसे घटा देते है"। उसने जीवन यात्रा में मित्रता के दोहरे लाभ को पहचाना था।

   उसके लगभग एक सहस्त्र वर्ष पूर्व राजा सुलेमान ने भी मित्रता के विषय में लिखा था। सुलेमान द्वारा लिखी परमेश्वर के वचन बाइबल की सभोपदेशक नामक पुस्तक में लिखा है: "एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो" (सभोपदेशक 4:9-10)। निश्चय ही बिना किसी मित्र के हमारी जीवन यात्रा एकाकी और कठिन होती है।

   रोमी सिसरो और यहूदी राजा सुलेमान, दोनों ने बिलकुल सही कहा है, मित्र बहुत आवश्यक हैं। अच्छे मित्र नेक सलाहकार, बोझ बाँटने वाले और मन की बात समझने वाले सहायक होते हैं। प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से पहले अपने चेलों से कहा, "...मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं" (यूहन्ना 15:15)। प्रभु यीशु एक ऐसा मित्र है जो सदा साथ रहता है, सदा सहायक होता है और सदा विश्वासयोग्य रहता है। क्या आपने प्रभु यीशु को अपना मित्र बना लिया है? - डेनिस फिशर


जीवन की बगिया में मित्र सुगन्धित फूलों के समान होते हैं।

मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है। - नीतिवचन 17:17

बाइबल पाठ: सभोपदेशक 4:9-12;  यूहन्ना 15:12-16
Ecclesiastes 4:9 एक से दो अच्छे हैं, क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। 
Ecclesiastes 4:10 क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा; परन्तु हाय उस पर जो अकेला हो कर गिरे और उसका कोई उठाने वाला न हो। 
Ecclesiastes 4:11 फिर यदि दो जन एक संग सोए तो वे गर्म रहेंगे, परन्तु कोई अकेला क्योंकर गर्म हो सकता है? 
Ecclesiastes 4:12 यदि कोई अकेले पर प्रबल हो तो हो, परन्तु दो उसका साम्हना कर सकेंगे। जो डोरी तीन तागे से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती।

John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 31-33