रविवार, 15 जून 2014

स्वर्गीय पिता


   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया, तो प्रार्थना आरंभ करते हुए परमेश्वर को संबोधित करने के लिए जो शब्द प्रयोग करने को कहा वे हैं "हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है" (मत्ती 6:9)। परमेश्वर के वचन बाइबल में ऐसे ही अनेक अन्य पद हैं जहाँ परमेश्वर को पिता के रुप में संबोधित किया गया है। मुझे यह बड़ी रोचक और शिक्षाप्रद बात लगती है कि परमेश्वर ने अपने बारे में हम मनुष्यों को जानकारी देने के लिए अपने आप को एक पिता के रूप में हमारे समक्ष रखा।

   परमेश्वर के पिता होने बारे में, विशेषकर व्यक्तिगत रीति से अपना पिता होने के बारे में हम क्या जानते हैं? प्रभु द्वारा सिखाई गई इस प्रार्थना से हम सीख सकते हैं कि हमारा स्वर्गीय पिता हमारे लिए सदा उपलब्ध और हमारी ओर ध्यान लगाए रखने वाला है। यहाँ हम यह भी देखते हैं कि वह हमारा ध्यान रखता है और हमारी आवश्यकताओं के लिए उचित प्रयोजन करता है; वह हमें बड़े धैर्य के साथ हमें क्षमा करता है और बुराई से बचाता है।

   पितृत्व का यह नमूना हम सांसारिक पिताओं के लिए कैसा अद्भुत उदाहरण है। यह निश्चित है कि हमारे स्वर्गीय परमेश्वर पिता के समान कोई अन्य सिद्ध पिता इस पृथ्वी पर ना है और ना हो सकता है, लेकिन हम असिद्ध मनुष्यों को अपनी पारिवारिक ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए उसने अपना नमूना निर्धारित कर के दिया है। मैं अपने अनुभव से जानता हूँ कि अपनी सेवकाई और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के आरंभिक समय में ही मुझे यह आभास हो गया था कि मेरे बच्चों को मेरे द्वारा लिखी गई पुस्तकों की संख्या से, मुझे मिलने वाली उपाधियों से या कितने स्थानों पर मुझे प्रचार के लिए निमंत्रण मिलता है आदि बातों से कोई लेना-देना नहीं है। उन के लिए महत्वपूर्ण था तो बस मेरा उनके प्रति ध्यान और उनके साथ बिताया गया समय, और वे इन्हीं के लालायित रहते थे। उनकी मुझ से यही आशा रहती थी कि मैं उनसे प्रेम दिखाऊँ, धैर्य के साथ उन्हें उनकी गलतियों के लिए क्षमा करूँ, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करूँ और उनके रहने और परवरिश के लिए एक अच्छा स्थान बनाए रखूँ। पितृत्व की ज़िम्मेदारियों की यह सूची चाहे लंबी ना भी हो, तौ भी गंभीर अवश्य है।

   उन लोगों का क्या जिन्हें यह सब करने वाले पिता नहीं मिले हों? हमारी व्यकतिगत परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी रही हों, फिर भी हम सभी इस तथ्य से प्रोत्साहित एवं आशावान रह सकते हैं कि प्रभु यीशु मसीह में होकर हमें सबसे सिद्ध और सबसे उत्तम स्वर्गीय पिता - स्वयं परमेश्वर तक पहुँच प्राप्त है।

   क्या आपने सृष्टि के परमेश्वर को व्यक्तिगत रीति से अपने पिता के रूप में जान लिया है? यदि नहीं, तो वह अभी आपके निर्णय की प्रतीक्षा में है। - जो स्टोवैल


स्वर्गीय पिता परमेश्वर की बाहें अपने बच्चों तो थामे रखने और उनकी देखरेख करते रहने से कभी नहीं थकतीं।

और अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जाने। - यूहन्ना 17:3

बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-13
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी। 
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है। 
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। 
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। 
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। 
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। 
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 64-66