गुरुवार, 8 जनवरी 2015

पापियों का स्थान


   मेरा मित्र एक व्यक्ति बॉब के साथ वार्तालाप कर रहा था और बॉब के पास मसीही विश्वासियों के बारे में कहने के लिए कुछ अच्छा नहीं था। मेरा मित्र समझ गया थ कि यदि वह इस वार्तालाप में अपने आप को "धर्मी " जताएगा तो बॉब के सामने मसीही विशवास के बारे में कोई गवाही रख पाने की संभावना लगभग समाप्त ही हो जाएगी। इसलिए उसके साथ चल रहे वार्तालाप में मेरे मित्र ने अचानक ही उस से पूछा: "अरे बॉब, क्या तुम जानते हो कि पापी कहाँ जाते हैं?"

   बॉब ने उत्तर दिया, "यह कौन सी कठिन बात है; अब तुम मुझे समझाना चाहोगे कि पापी नरक जाते हैं!"

   मेरे मित्र ने उत्तर दिया, "नहीं; मैं तो यह कहना चाह रहा हूँ कि पापी चर्च जाते हैं।"

   बॉब यह सुनकर हक्का-बक्का रह गया; उसे इस उत्तर की कतई उम्मीद नहीं थी, क्योंकि उसे यह उम्मीद नहीं थी कि कोई मसीही विश्वासी अपने आप को अपरिपूर्ण भी मान सकता है। अब मेरे मित्र के पास अवसर था कि वह बॉब के साथ इस बात को बाँट सके कि मसीही विश्वासियों को भी अपनी कमज़ोरियों, पाप की दशा और परमेश्वर द्वारा आत्मिक स्थिति में बनाए रखने और विश्वास में पुनःस्थापित होते रहने की आवश्यकता रहती है। मेरा मित्र बॉब को मानव जाति के प्रति परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में बताने पाया - सभी मनुष्यों के पापों की दशा में होने के बावजूद उनके प्रति परमेश्वर का वह अथाह प्रेम तथा कृपादृष्टि जिसके वे बिलकुल योग्य नहीं हैं (रोमियों 5:8-9; इफिसीयों 2:1-9)।

   शायद जो लोग चर्च के बाहर हैं, उनके सामने हम चर्च के अन्दर होने वाली बातों को सही रीति से नहीं रखते हैं; इसीलिए वे यह नहीं समझ पाते हैं कि अन्दर हम अपने उस मुक्तिदाता, उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर की आराधना और उपासना करने जाते हैं "जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है" (कुलुस्सियों 1:14)।

   हाँ, संसार में पापियों का स्थान चर्च है; और प्रभु यीशु में लाए गए सामान्य, साधारण तथा सच्चे विश्वास द्वारा पापों की क्षमा पाने और उनके दोष से मुक्त होने के बाद उन क्षमा प्राप्त पापियों का स्थान, इस जीवन यात्रा की समाप्ति पर सदा के लिए स्वर्ग में स्थापित हो जाता है। विचार कीजिए, क्या आज आपको सुनिश्चित है कि आपका अनन्त का स्थान कहाँ हैं? - डेव ब्रैनन


चर्च सन्तों के लिए कोई मनोरंजन का स्थान नहीं, वरन पापियों की पाप से चंगाई के लिए एक चिकित्सालय है।

परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। - इफिसीयों 2:4-6

बाइबल पाठ: रोमियों रोमियों 5:6-15
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। 
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे? 
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे? 
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं। 
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। 
Romans 5:13 क्योंकि व्यवस्था के दिए जाने तक पाप जगत में तो था, परन्तु जहां व्यवस्था नहीं, वहां पाप गिना नहीं जाता। 
Romans 5:14 तौभी आदम से ले कर मूसा तक मृत्यु ने उन लोगों पर भी राज्य किया, जिन्हों ने उस आदम के अपराध की नाईं जो उस आने वाले का चिन्ह है, पाप न किया। 
Romans 5:15 पर जैसा अपराध की दशा है, वैसी अनुग्रह के वरदान की नहीं, क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध से बहुत लोग मरे, तो परमेश्वर का अनुग्रह और उसका जो दान एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के अनुग्रह से हुआ बहुतेरे लागों पर अवश्य ही अधिकाई से हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 20-22
  • मत्ती 6:19-34