रविवार, 1 फ़रवरी 2015

मन और उत्साह



   मुझे खेल प्रतियोगिताएं देखना बहुत अच्छा लगता है। खिलाड़ियों द्वारा उत्साह के साथ खेल मैदान पर जी-जान लगाते देखना मुझे पसन्द है; यह उत्साह उनके खेल के प्रति प्रेम को दिखाता है। इसके विपरीत, जब खेल प्रतियोग्यताओं का समय पूरा हो रहा होता है और कोई खेल टीम हार कर प्रतियोगिता में कोई भी पुरुस्कृत स्थान पाने के अवसर खो चुकी होती है, तो उसके खिलाड़ियों द्वारा शेष बची हुई प्रतियोगिताओं में बिना किसी उत्साह के केवल दिखाने भर के लिए भाग लेना, मेरे जैसे खेल प्रेमी दर्शकों को बड़ा निराशाजनक लगता है।

   हमारे व्यक्तिगत जीवनों में भी किसी कार्य को अच्छे से करने के लिए उत्साह भावना का बड़ा महत्व है और उत्साह का होना परमेश्वर के प्रति हमारे कार्यों और सेवकाई में भी महत्वपूर्ण है। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि हमारे दैनिक कार्यों के प्रति हमारा रवैया परमेश्वर के प्रति हमारे रवैये का सूचक भी है। इफिसियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने लिखा: "और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो। और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो" (इफिसीयों 6:6-7)।

   मेरे लिए पौलुस द्वारा कही इस बात का मुख्य बिंदु है "मन से"। मेरा ऐसा प्रेमी परमेश्वर पिता है जिसने अपने पूरे मन से मुझ से इतना प्रेम किया कि मेरे साथ मेल-मिलाप कर पाने के लिए उस ने अपने पुत्र प्रभु यीशु को बलिदान होने संसार में भेज दिया। जिस परमेश्वर ने मेरे लिए अपना सर्वोत्तम बलिदान होने के लिए दे दिया, उसके लिए मैं अपने सर्वोत्तम से कम कुछ कैसे कर सकता हूँ? जिस परमेश्वर पिता ने हमारे लिए सब कुछ कर के दे दिया, उसके लिए पूरे मन और उत्साह के साथ अपना सर्वोत्तम करने की भावना और लालसा उसके प्रति हमारे प्रेम का सूचक है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर का प्रेम हमें उत्साहित करता है कि हम परमेश्वर के लिए जीवन व्यतीत करें।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। - कुलुस्सियों 3:23

बाइबल पाठ: इफिसीयों 6:5-9
Ephesians 6:5 हे दासों, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। 
Ephesians 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो। 
Ephesians 6:7 और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो। 
Ephesians 6:8 क्योंकि तुम जानते हो, कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो, चाहे स्‍वतंत्र; प्रभु से वैसा ही पाएगा। 
Ephesians 6:9 और हे स्‍वामियों, तुम भी धमकियां छोड़कर उन के साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्‍वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 27-28
  • मत्ती 21:1-22