गुरुवार, 20 अगस्त 2015

स्वरूप और चरित्र


   जब मैं अपने अन्य परिवारजनों के साथ अपने परिवार के लोगों की पुरानी तसवीरें देखती हूँ तो हम अकसर उनकी उन शारीरिक विशेषताओं को लेकर हलक-फुलका मज़ाक करते हैं, जो अब हम में दिखाई देती हैं। सामान्यतः हमारा ध्यान शरीर के विकारों या भद्देपन पर अधिक जाता है, जैसे कि छोटी टाँगें, टेढ़े-मेढ़े दाँत, अव्यवस्थित बाल इत्यादि। हम में से प्रत्येक जन अपने शरीर की कोई ना कोई कुरुपता अपने पूर्वजों में ढ़ूँढ़ ही लेता है और उसके लिए उन्हें ज़िम्मेदार बताता है। लेकिन हमने केवल शरीर के स्वरूप को ही अपने पूर्वजों से नहीं पाया है, हमने उनके स्वभाव को भी किसी ना किसी सीमा तक उन से प्राप्त किया है, बुरे या अरुचिकर स्वभाव को भी, लेकिन हम उन स्वभाव सम्बंधी बातों पर उतना ध्यान नहीं देते हैं जितना शारीरिक स्वरूप पर देते हैं।

   जैसा मैंने ध्यान किया है, लोग शरीर के विकारों और भद्देपन को छुपाने या सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं - व्यायाम करना, वज़न घटाना, श्रंगार करना, बालों को रंगना आदि। लेकिन ऐसे ही प्रयास वे अपने चरित्र के विकारों को सुधारने के लिए करने की बजाए, उन विकारों को तर्क संगत ठहराने के लिए पूर्वजों से मिले अनुवांषिक बुरे व्यवहार को ज़िम्मेदार बताने तक ही रह जाते हैं। शायद इसलिए क्योंकि शारीरिक स्वरूप को बदलना चरित्र बदलने से अधिक सरल है। लेकिन ज़रा विचार कीजिए, यदि हम अपने चरित्र को सुधारने के लिए मेहनत करें तो हम सब के लिए कितना भला होगा।

   परमेश्वर की सन्तान होने के नाते हम मसीही विश्वासी अपनी आनुवांशिक रचना से बंधे नहीं हैं। हम परमेश्वर के सामने अपनी खामियों को मान कर उन्हें उसके हाथों में सौंप सकते हैं और उससे यह आग्रह कर सकते हैं कि वह हमें सुधारे; हमें बनाते समय जो कुछ उसने हमारे लिए सोचा और ठहराया था उन सब बातों को अपनी इच्छा और योजना के अनुसार हम में पूरा करे, जिससे हम संसार के समक्ष उसके प्रेम की अभिव्यक्ति के अनुपम उदाहरण बन सकें।

   परमेश्वर चाहता है कि हम उसके पुत्र और सारे जगत के उद्धाकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप में हो जाएं, और वह हमें अंश अंश करके उसके स्वरूप में बदलता भी जा रहा है (2 कुरिन्थियों 3:18)। उसे अपना यह कार्य करने की खुली छुट दें, वह आपका स्वरूप और चरित्र दोनों ही निखार देगा। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


परमेश्वर का आत्मा हमें परमेश्वर के पुत्र के स्वरूप और चरित्र में ढालता जाता है।

और जैसे हम ने उसका रूप जो मिट्टी का था धारण किया वैसे ही उस स्‍वर्गीय का रूप भी धारण करेंगे। - 1 कुरिन्थियों 15:49

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 3:1-3, 17-18
2 Corinthians 3:1 क्या हम फिर अपनी बड़ाई करने लगे? या हमें कितनों कि नाईं सिफारिश की पत्रियां तुम्हारे पास लानी या तुम से लेनी हैं? 
2 Corinthians 3:2 हमारी पत्री तुम ही हो, जो हमारे हृदयों पर लिखी हुई है, और उसे सब मनुष्य पहिचानते और पढ़ते है। 
2 Corinthians 3:3 यह प्रगट है, कि तुम मसीह की पत्री हो, जिस को हम ने सेवकों की नाईं लिखा; और जो सियाही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से पत्थर की पटियों पर नहीं, परन्तु हृदय की मांस रूपी पटियों पर लिखी है। 
2 Corinthians 3:17 प्रभु तो आत्मा है: और जहां कहीं प्रभु का आत्मा है वहां स्‍वतंत्रता है। 
2 Corinthians 3:18 परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 105-106
  • 1 कुरिन्थियों 3