गुरुवार, 12 नवंबर 2015

असफलता तथा शर्मिंदगी


   मार्ग के किनारे पुलिस की गाड़ी की जलती-बुझती बत्तियों ने मेरा ध्यान वहाँ खड़ी एक अन्य गाड़ी की ओर खेंचा, उसे यातायात नियम के उल्लंघन के लिए रोका गया था। मुझे पुलिस कार से उतरकर, हाथ में चालान काटने की पुस्तिका लिए उस गाड़ी की ओर बढ़ता हुआ पुलिस अधिकारी दिखाई दिया, और गाड़ी के अन्दर बैठी चालिका भी जो अपने चेहरे को अपने हाथों से ढाँपे हुए थी जिससे आते-जाते लोग उसको पहचान ना सकें। उसकी प्रतिक्रीया दिखा रही थी कि वह अपने गलत चुनाव और उसके दुषपरिणाम को लेकर कैसी शर्मिंदा थी।

   प्रभु यीशु के सामने जब भीड़ एक दोषी स्त्री को लाई, और उसके व्यभिचार को प्रकट किया तो भीड़ की मनसा केवल उस स्त्री को शर्मिंदा मात्र ही करने की नहीं थी; वे देखना चाहते थे कि प्रभु की क्या प्रतिक्रीया होगी। वे उस स्त्री को दोषी और दंड पाने के योग्य देखना चाहते थे, लेकिन प्रभु यीशु ने उस पर दया दिखाई; वह, केवल जिसे पाप का दोष और उसका दण्ड देने का अधिकार है, उस स्त्री के विफल चरित्र के प्रति करुणामय और क्षमाशील था। जब उस स्त्री पर दोषारोपण करने वाले चले गए, तब "यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना" (यूहन्ना 8:11)।

   प्रभु यीशु की यह करुणा हमें उसके क्षमा करने वाले अनुग्रह की याद दिलाती है, और उस स्त्री को दिया गया उसका निर्देश दिखाता है कि प्रभु चाहता है कि हम इस अनुग्रह के आनन्द में सदा बने रहें; और यह दोनों बातें मिलकर ठोकर खाकर पाप में गिरने वालों के प्रति प्रभु यीशु के नज़रिए को दिखाती हैं कि वह पापियों को भी नाश नहीं वरन पाप से परिवर्तित जीवन, पाप और उसके दोष तथा दुषपरिणामों से रहित आनन्दमय जीवन देना चाहता है।

   हम अपने सबसे बुरी नैतिक असफलता तथा शरमिंदगी की हालात में भी पूरे भरोसे के साथ उसे पुकार सकते हैं, उसकी ओर निःसंकोच हाथ बढ़ा सकते हैं क्योंकि उस की करुणा वास्तव में अद्भुत है, उसकी दया और क्षमा असीम हैं, वह किसी को भी अपने से दूर रखना नहीं चाहता। - बिल क्राउडर


हर परीक्षा का सामना करने के लिए आवश्यक अनुग्रह और सामर्थ हमें केवल प्रभु यीशु से ही प्राप्त हो सकती है।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:1-11
John 8:1 परन्तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया। 
John 8:2 और भोर को फिर मन्दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्हें उपदेश देने लगा। 
John 8:3 तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उसको बीच में खड़ी कर के यीशु से कहा। 
John 8:4 हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है। 
John 8:5 व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है? 
John 8:6 उन्होंने उसको परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा। 
John 8:7 जब वे उस से पूछते रहे, तो उसने सीधे हो कर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे। 
John 8:8 और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा। 
John 8:9 परन्तु वे यह सुनकर बड़ों से ले कर छोटों तक एक एक कर के निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई। 
John 8:10 यीशु ने सीधे हो कर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी। 
John 8:11 उसने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 51-52
  • इब्रानियों 9