मंगलवार, 19 जनवरी 2016

मृत्यु और जीवन


   हमारे शहर में, एक ही दिन में, अलग अलग स्थानों पर, दो लोगों की हत्या हुई। पहला एक पुलिस अधिकारी था जो एक परिवार की सहायता करते समय मार गिराया गया। दूसरा एक बेघर व्यक्ति था जिसे प्रातः अपने मित्रों के साथ शराब पीते हुए गोली मार दी गई।

   सारा शहर उस पुलिस अधिकारी के लिए शोकित रहा; वह जवान और बहुत अच्छा व्यक्ति था जो दूसरों की परवाह किया करता था और उसके पड़ौसी तथा उसके साथी पुलिस वाले उसे बहुत चाहते थे। दूसरे के लिए कुछ अन्य बेघर लोग ही शोकित हुए।

   लेकिन मेरा मानना है कि प्रभु परमेश्वर दोनों की मृत्यु से शोकित हुआ।

   जब प्रभु यीशु ने मरियम, मार्था और मित्रों को लाज़रस की मृत्यु पर रोते देखा, "...तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है?" (यूहन्ना 11:33), यद्यपि यीशु जानते थे कि शीघ्र ही वे लाज़रस को पुनः जीवित करने वाले हैं, परन्तु फिर भी वे उस शोक संतप्त परिवार के साथ रोए (यूहन्ना 11:35)। परमेश्वर के वचन बाइबल के कुछ विद्वानों का मानना है कि प्रभु यीशु के रोने के पीछे ना केवल उस परिवार से उनका लगाव था, वरन मृत्यु और उससे लोगों के जीवनों और मनों में होने वाली पीड़ा और शोक भी इसका कारण थे।

   हानि जीवन का अंग है; परन्तु क्योंकि प्रभु यीशु "पुनरुत्थान और जीवन" (यूहन्ना 11:25) हैं, इसलिए उन पर विश्वास लाने और रखने वाले एक दिन सारे शोक और मृत्यु के दुख से निकलकर अनन्त आनन्द के जीवन में प्रवेश करेंगे। परन्तु जब तक वह समय ना आए, प्रभु हमारे दुःखों में दुःखी होता है, और हम मसीही विश्वासियों से कहता है कि, "आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ" (रोमियों 12:15)। 


करुणा दूसरों की पीड़ा को दूर करने में सहायता करती है।

यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। - यूहन्ना 11:25 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:30-37
John 11:30 (यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था, परन्तु उसी स्थान में था जहां मारथा ने उस से भेंट की थी।) 
John 11:31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे, और उसे शान्‍ति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठके बाहर गई है और यह समझकर कि वह कब्र पर रोने को जाती है, उसके पीछे हो लिये। 
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। 
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? 
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। 
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे। 
John 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। 
John 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिसने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 46-48
  • मत्ती 13:1-30