गुरुवार, 19 मई 2016

निराशा


   मैं और मेरी बहिन, ताईवान में अपनी छुट्टियाँ मनाने जाने की उत्सुक्ता से प्रतीक्षा कर रहे थे। हमने अपने वायुयान के टिकिट खरीद लिए थे और होटल में कमरे भी आरक्षित कर लिए थे। लेकिन उस यात्रा के दो सप्ताह पहले, घर में आई एक आपात स्थिति के कारण मेरी बहिन को घर पर ही रुक जाना पड़ा। हमें बहुत निराशा हुई कि हमारी योजना तथा कार्यक्रम बाधित हो गए थे और हम अपेक्षित नहीं कर पा रहे थे।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम प्रभु यीशु के जीवन काल की एक घटना में देखते हैं कि प्रभु यीशु अपने चेलों के साथ एक आवश्यक उद्देश्य के अन्तर्गत जा रहे थे, परन्तु उनकी यह यात्रा बाधित हुई (मरकुस 5:21-42)। अराधनालय के मुख्या, याइर की बेटी बहुत बीमार थी और वह प्रभु यीशु के पास अपनी बेटी कि चंगाई के लिए याचना करने आया था। समय कीमती था, देर नहीं करी जा सकती थी इसलिए प्रभु यीशु तुरंत अपने चेलों के साथ याइर के घर की ओर चल पड़े। एक बड़ी भीड़ उनके साथ चल रही थी, उनपर गिरी पड़ती थी। अचानक ही प्रभु यीशु रुक गए और उन्होंने प्रश्न किया, "...मेरा वस्‍त्र किस ने छूआ" (मरकुस 5:30)?

   चेले यह प्रश्न सुनकर खिन्न हुए और बोले "...तू देखता है, कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, और तू कहता है; कि किस ने मुझे छुआ" (मरकुस 5:31)? लेकिन प्रभु यीशु के लिए उद्देश्य में आई यह बाधा एक अन्य महिला को चंगा करने और अपनी सामर्थ को प्रगट करने का अवसर था। उस भीड़ में एक स्त्री भी थी जिसे 12 वर्ष से लहु बहने की बीमारी थी, और सभी प्रयास तथा इलाज करवा लेने के बावजूद उसका रोग गया नहीं था। यहूदी मान्यताओं के अनुसार इस बहते लहु के कारण वह अपवित्र थी और सामाजिक तथा धार्मिक संगति तथा कार्यों में सम्मिलित होने के अयोग्य थी (लैव्यवस्था 15:25-27)। प्रभु यीशु पर विश्वास करके इस स्त्री ने अपने मन में ठाना कि यदि वह उसका वस्त्र भर छू लेगी तो चंगी हो जाएगी, और इसीलिए उसने भीड़ में होकर चुपके से प्रभु यीशु को छू लिया और उसे अपने विश्वास के अनुसार तुरंत चंगाई मिल भी गई; किंतु प्रभु यीशु ने इस बात को तुरंत पहचान लिया और रुक कर प्रश्न किया, उस स्त्री से उसके विश्वास का अंगीकार करवाया।

   उस स्त्री को मिली यह चंगाई तथा संबंधित वार्तालाप में बीता समय याइर की बेटी के लिए भारी पड़ गया - उसका देहांत हो गया। सबको लगा कि अब कुछ नहीं हो सकता है, अब बहुत देर हो गई है। लेकिन याइर के उद्देश्य में आई उस स्त्री की चंगाई की बाधा, याइर तथा अन्य लोगों के लिए प्रभु यीशु को और बेहतर जानने का अवसर बन गई। प्रभु यीशु ने याइर को आश्वस्त किया, उसके घर जाकर उसकी बेटी को पुनः जीवित करके माता-पिता को सौंप दिया।

   सभी बाधाएं अन्ततः प्रभु यीशु की अद्वितीय सामर्थ को प्रगट करने और परमेश्वर की महिमा होने का कारण बन गईं। वह जो हमारे लिए निराशा का कारण है, यदि प्रभु परमेश्वर के हाथों में समर्पित हो, तो वही हमारे लिए आशीष और परमेश्वर की महिमा का कारण हो जाता है। - पो फैंग चिया


अपने सामने आने वाली हर बाधा में प्रभु परमेश्वर के उद्देश्यों को ढूंढ़ें।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: मरकुस 5:21-42
Mark 5:21 जब यीशु फिर नाव से पार गया, तो एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठी हो गई; और वह झील के किनारे था। 
Mark 5:22 और याईर नाम आराधनालय के सरदारों में से एक आया, और उसे देखकर, उसके पांवों पर गिरा। 
Mark 5:23 और उसने यह कहकर बहुत बिनती की, कि मेरी छोटी बेटी मरने पर है: तू आकर उस पर हाथ रख, कि वह चंगी हो कर जीवित रहे। 
Mark 5:24 तब वह उसके साथ चला; और बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली, यहां तक कि लोग उस पर गिरे पड़ते थे।
Mark 5:25 और एक स्त्री, जिस को बारह वर्ष से लोहू बहने का रोग था। 
Mark 5:26 और जिसने बहुत वैद्यों से बड़ा दुख उठाया और अपना सब माल व्यय करने पर भी कुछ लाभ न उठाया था, परन्तु और भी रोगी हो गई थी। 
Mark 5:27 यीशु की चर्चा सुनकर, भीड़ में उसके पीछे से आई, और उसके वस्‍त्र को छू लिया। 
Mark 5:28 क्योंकि वह कहती थी, यदि मैं उसके वस्‍त्र ही को छू लूंगी, तो चंगी हो जाऊंगी। 
Mark 5:29 और तुरन्त उसका लोहू बहना बन्‍द हो गया; और उसने अपनी देह में जान लिया, कि मैं उस बीमारी से अच्छी हो गई। 
Mark 5:30 यीशु ने तुरन्त अपने में जान लिया, कि मुझ में से सामर्थ निकली है, और भीड़ में पीछे फिरकर पूछा; मेरा वस्‍त्र किस ने छूआ? 
Mark 5:31 उसके चेलों ने उस से कहा; तू देखता है, कि भीड़ तुझ पर गिरी पड़ती है, और तू कहता है; कि किस ने मुझे छुआ? 
Mark 5:32 तब उसने उसे देखने के लिये जिसने यह काम किया था, चारों ओर दृष्टि की। 
Mark 5:33 तब वह स्त्री यह जानकर, कि मेरी कैसी भलाई हुई है, डरती और कांपती हुई आई, और उसके पांवों पर गिरकर, उस से सब हाल सच सच कह दिया। 
Mark 5:34 उसने उस से कहा; पुत्री तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया है: कुशल से जा, और अपनी इस बीमारी से बची रह।
Mark 5:35 वह यह कह ही रहा था, कि आराधनालय के सरदार के घर से लोगों ने आकर कहा, कि तेरी बेटी तो मर गई; अब गुरू को क्यों दुख देता है? 
Mark 5:36 जो बात वे कह रहे थे, उसको यीशु ने अनसुनी कर के, आराधनालय के सरदार से कहा; मत डर; केवल विश्वास रख। 
Mark 5:37 और उसने पतरस और याकूब और याकूब के भाई यूहन्ना को छोड़, और किसी को अपने साथ आने न दिया। 
Mark 5:38 और अराधनालय के सरदार के घर में पहुंचकर, उसने लोगों को बहुत रोते और चिल्लाते देखा। 
Mark 5:39 तब उसने भीतर जा कर उस से कहा, तुम क्यों हल्ला मचाते और रोते हो? लड़की मरी नहीं, परन्तु सो रही है। 
Mark 5:40 वे उस की हंसी करने लगे, परन्तु उसने सब को निकाल कर लड़की के माता-पिता और अपने साथियों को ले कर, भीतर जहां लड़की पड़ी थी, गया। 
Mark 5:41 और लड़की का हाथ पकड़कर उस से कहा, ‘तलीता कूमी’; जिस का अर्थ यह है कि ‘हे लड़की, मैं तुझ से कहता हूं, उठ’। 
Mark 5:42 और लड़की तुरन्त उठ कर चलने फिरने लगी; क्योंकि वह बारह वर्ष की थी। और इस पर लोग बहुत चकित हो गए।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 6:22-44