रविवार, 19 जून 2016

आचरण तथा उदाहरण


   मैं अपनी आँखों की जाँच के लिए चक्षु-चिकित्सक के यहाँ बैठा हुआ अपनी बारी आने की प्रतीक्षा कर रहा था जब वहाँ लगे एक पोस्टर पर मेरा धयान गया, जिसमें लिखा था कि बच्चे 12 वर्ष की आयु तक पहुँचते-पहुँचते जितना सीखते हैं उसका 80% आँखों के माध्यम से होता है। यह पढ़कर मैं उन सब बातों पर विचार करने लगा जो बच्चे देखते हैं और जो उन पर प्रभाव डालती हैं, जैसे कि पुस्तकें और पढ़ना, टेलिविज़न, फिल्में, घटनाएँ, आस-पास का वातावरण, लोगों का आचरण और व्यवहार - विशेषकर परिवार जनों का, आदि।

   बच्चों पर पिता का प्रभाव बहुत सशक्त होता है, इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए उन्हें चिताया, "और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो" (इफिसियों 6:4)। एक पिता के स्थाई बने रहने वाले अच्छे आचरण के सामर्थी उदाहरण पर थोड़ा विचार कीजिए जिससे बच्चे प्रभावित होते हैं, उस उदाहरण से वे सही दिशा में बढ़ते हैं, और चाहे सिद्ध ना हों किंतु प्रशंसा के पात्र बनते हैं। जब हमारे जीवन का उदाहरण परमेश्वर के चरित्र को बिगाड़ने की बजाए उसके भले चरित्र को प्रतिबिंबित करता है तो यह बच्चों के जीवन में भलाई के लिए कार्यकारी होने वाला एक सशक्त प्रभाव बन जाता है।

   यह किसी भी अभिभावक के लिए चुनौतीपूर्ण है, इसलिए कोई संयोग नहीं कि प्रेरित पौलुस ने इस संदर्भ में आगे लिखा, "निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो" (इफिसियों 6:10)। केवल परमेश्वर के मार्गदर्शन और सामर्थ से ही हम उसके प्रेम और धैर्य को दर्शा सकते हैं। हम अपने बच्चों को अपने प्रचार की अपेक्षा, अपने आचरण तथा उदाहरण द्वारा कहीं अधिक सिखाते हैं, और बचपन में डाली गई नींव पर ही आगे चलकर वे अपने जीवनों का निर्माण करते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


वे माता-पिता आदर्णीय हैं जो ना केवल हमें जीवन देते हैं, 
वरन उस जीवन को अच्छाई से जीना भी सिखाते हैं।

कोई तेरी जवानी को तुच्‍छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा। - 1 तिमुथियुस 4:12

बाइबल पाठ: इफिसियों 6:1-11
Ephesians 6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्योंकि यह उचित है। 
Ephesians 6:2 अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)। 
Ephesians 6:3 कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे। 
Ephesians 6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।
Ephesians 6:5 हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। 
Ephesians 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्छा पर चलो। 
Ephesians 6:7 और उस सेवा को मनुष्यों की नहीं, परन्तु प्रभु की जानकर सुइच्‍छा से करो।
Ephesians 6:8 क्योंकि तुम जानते हो, कि जो कोई जैसा अच्छा काम करेगा, चाहे दास हो, चाहे स्‍वतंत्र; प्रभु से वैसा ही पाएगा। 
Ephesians 6:9 और हे स्‍वामियों, तुम भी धमकियां छोड़कर उन के साथ वैसा ही व्यवहार करो, क्योंकि जानते हो, कि उन का और तुम्हारा दोनों का स्‍वामी स्वर्ग में है, और वह किसी का पक्ष नहीं करता।
Ephesians 6:10 निदान, प्रभु में और उस की शक्ति के प्रभाव में बलवन्‍त बनो। 
Ephesians 6:11 परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13
  • प्रेरितों 4:23-37