सोमवार, 19 दिसंबर 2016

क्रिसमस


   चार्ल्स डिकिन्स का उपन्यास A Christmas Carol सर्वप्रथम 19 दिसंबर 1843 को प्रकाशित हुआ, और तब से लेकर आज तक उसकी माँग बनी रही है, तथा वह प्रकाशन में रहा है। यह उपन्यास एबेनेज़र स्क्रूज नामक एक धनी परन्तु रूखे और कंजूस व्यक्ति की कहानी है जो कहता था, "प्रत्येक ’मेरी क्रिसमस’ कहने वाले मूर्ख को उसकी ही पुडिंग में पका देना चाहिए!" लेकिन एक क्रिसमस की शाम, स्क्रूज एक उदार और प्रसन्नचित व्यक्ति बन जाता है। डिकिन्स के इस उपन्यास ने संसार के सभी लोगों के अन्दर व्याप्त शांति की लालसा को बड़े ही हास्यस्पद और गहरी अन्तःदृष्टि के साथ व्यक्त किया है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल का एक प्रमुख पात्र, प्रेरित पौलुस, जब युवा था और शाऊल नाम से जाना जाता था, तब वह प्रभु यीशु और उनके अनुयायियों का कट्टर बैरी था; बाइबल बताती है कि, "शाऊल कलीसिया को उजाड़ रहा था; और घर घर घुसकर पुरूषों और स्‍त्रियों को घसीट घसीट कर बन्‍दीगृह में डालता था" (प्रेरितों 8:3)। लेकिन एक दिन उसका साक्षात्कार पुनरुत्थान हुए प्रभु यीशु मसीह से हो गया, जिससे उसके जीवन की दिशा तथा दशा दोनों ही पूर्णतया परिवर्तित हो गए (प्रेरितों 9:1-16)।

   मसीही विश्वास में उसके पुत्र समान तिमुथियुस को लिखी अपनी पत्री में पौलुस प्रभु यीशु से हुए अपने जीवन परिवर्तित कर देने वाले साक्षात्कार के संबंध में लिखता है: "मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे। और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ" (1 तिमुथियुस 1:13-14)।

   प्रभु यीशु मसीह ने इस संसार में जन्म इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए लिया, उन्होंने अपना बलिदान इसीलिए दिया जिससे कि हम मनुष्य, उनमें लाए गए साधारण विश्वास के द्वारा, सेंत-मेंत ही अपने पापी स्वभाव और प्रवृत्ति से परिवर्तित होकर उनसे अपने पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त कर सकें, उनकी समानता में आ सकें, परमेश्वर की संतान होने का अधिकार प्राप्त कर सकें।

   मसीही विश्वास किसी धर्म परिवर्तन का नहीं वरन मनुष्य के पापी मन के परिवर्तन का नाम है; और क्रिसमस का बस यही तात्पर्य है। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब हम प्रभु यीशु को अपना हृदय परिवर्तित करने देते हैं, 
जीवन में परिवर्तन स्वतः ही आ जाता है।

परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। - यूहन्ना 1:12-13

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:12-17
1 Timothy 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया। 
1 Timothy 1:13 मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे। 
1 Timothy 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ। 
1 Timothy 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं। 
1 Timothy 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं। 
1 Timothy 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • योना 1-4
  • प्रकाशितवाक्य 10