सोमवार, 26 दिसंबर 2016

निवास स्थान


   हमारे पड़ौस में यह चर्चा का विषय हो गया था; एक प्रसिद्ध व्यवसायिक फुटबॉल खिलाड़ी हमारे पड़ौस में रहने के लिए आया था, उसका घर हमारे घर से बस दो घर छोड़कर था। हम ने उसे टेलिविज़न पर देखा था और खेल के मैदान पर उसके कौशल के बारे में पढ़ा था; परन्तु हमने कभी यह सोचा भी नहीं था कि वह हमारे पड़ौस में आकर रहने लगेगा। आरंभ में हमारी आशा थी कि अपने पड़ौस में हम उसका स्वागत करेंगे, और हम उसके साथ अच्छे मित्र हो जाएंगे। परन्तु उसकी दिनचर्या इतनी व्यस्त थी कि हम में से कोई भी उसे व्यक्तिगत रीति से जान भी नहीं पाया।

 अब ज़रा इस पर विचार कीजिए: प्रभु यीशु - इस सृष्टि के प्रभु और सृष्टिकर्ता - ने चुना कि वह हमारे मध्य निवास करेगा! वह स्वर्ग छोड़कर इस पृथ्वी पर आ गया। जैसा परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना द्वारा लिखा गया, "और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहन्ना 1:14)। प्रभु यीशु ने चुना कि प्रत्येक उस जन के साथ, जो उसमें लाए गए विश्वास के साथ उसके निकट आएगा, वह एक बहुत निकट का संबंध बनाएगा। और इससे भी बढ़कर, हम में से प्रत्येक के लिए, जिन्होंने पापों से मुक्ति देने वाले उसके प्रेम को स्वीकार कर लिया है, प्रभु यीशु का पवित्र आत्मा उनके हृदयों में अपना निवास स्थान बना लेता है जिससे कि हमें सांत्वना, परामर्श, मार्गदर्शन एवं शिक्षा दे सके और प्रत्येक बुराई के विषय सचेत तथा कायल कर सके।

   जब आप चरनी में जन्में उस शिशु यीशु के बारे में विचार करें, तो इस बात पर भी विचार करें कि यह कितना विशेष है कि ना केवल वह हमारे "पड़ौस" में आया है, वरन यह कि वह इसलिए आया कि हमारे साथ निकट संबंध बना सके, हमें आशीषित कर सके, हमारे हृदयों के अन्दर अपना निवास स्थान पा सके। - जो स्टोवैल


परमेश्वर का निवास स्थान बन जाने के उपहार का लाभ अवश्य ही उठाएं।

द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा। चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। - यूहन्ना 10:9-10

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-14
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

एक साल में बाइबल: 
  • हाग्गै 1-2
  • प्रकाशितवाक्य 17