बुधवार, 25 जनवरी 2017

शान्त स्थान


   कुछ वर्ष पहले इडाहो प्रांत के एकांत में बसे एक पशु फार्म पर रहने वाले हमारे एक मित्र के लिए, मेरे पुत्र ब्रायन तथा मैंने, कुछ सामान उस तक पहुँचाने का बीड़ा लिया। उस क्षेत्र में कोई सड़कें नहीं हैं, कम से कम ऐसी तो कोई नहीं जिन पर मेरा ट्रक जा सके। इसलिए हमारा मित्र सड़क के अन्तिम स्थान पर दो खच्चरों से खींची जाने वली अपनी बघ्घी लेकर आया। उस बघ्घी में सामान डाल कर, वहाँ से हम बातचीत करते हुए फार्म तक गए, और हमें ज्ञात हुआ कि हमारा वह मित्र उस स्थान पर सारे वर्ष रहता है।

   उस स्थान पर सड़कें ही नहीं वरन ना तो बिजली थी और ना ही टेलिफोन, और सर्दियाँ बहुत लंबी तथा भीषण होती थीं, संपर्क का केवल एक ही साधन था - उनका सेटेलाईट रेडियो। मैंने उस से पूछा कि वह इस एकांत को सहन कैसे कर लेता है? उसने कहा, सच बात तो यह है कि मुझे यह शान्त स्थान और वातावरण बहुत पसन्द है।

   व्यस्तता से भरे हमारे दिनों में हमें भी कभी-कभी शान्त वातावरण की आवश्यकता होती है। हमारे आस-पास बहुत शोर रहता है, बहुत से लोग, बहुत सी बातें हमारे ध्यान अपनी ओर खींचती हैं; ऐसे में जैसा प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा था, "...तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो..." (मरकुस 6:31) हमें भी शान्ति के स्थान की आवश्यकता होती है। क्या हमारे पास ऐसा कोई स्थान है?

   हम मसीही विश्वासियों को, हम चाहे जहाँ भी हों, जैसे भी हों, ऐसा एक शान्त स्थान सदा उपलब्ध रहता है - परमेश्वर की निकटता। जब हम अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकालकर परमेश्वर के प्रेम और दया पर मनन करते हैं, अपने मन की बात उसे बताने के द्वारा, अपने बोझों को उस पर डालने के द्वारा अपने आप को हलका करते हैं, तो हम पाएंगे कि परमेश्वर की उपस्थिति से भरे उस समय, उस स्थान में ही हमें वह शान्त स्थान मिल जाता है, जिसे संसार की बातों ने हमारी नज़रों से ओझल कर दिया था। - डेविड रोपर


परमेश्वर के साथ शान्त होकर समय बिताना विश्रांति लाता है।

तू ने मेरे मन में उस से कहीं अधिक आनन्द भर दिया है, जो उन को अन्न और दाखमधु की बढ़ती से होता था। मैं शान्ति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा; क्योंकि, हे यहोवा, केवल तू ही मुझ को एकान्त में निश्चिन्त रहने देता है। - भजन 4:7-8

बाइबल पाठ: मरकुस 6:7-13, 30-32
Mark 6:7 और वह बारहों को अपने पास बुलाकर उन्हें दो दो कर के भेजने लगा; और उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया। 
Mark 6:8 और उसने उन्हें आज्ञा दी, कि मार्ग के लिये लाठी छोड़ और कुछ न लो; न तो रोटी, न झोली, न पटुके में पैसे। 
Mark 6:9 परन्तु जूतियां पहिनो और दो दो कुरते न पहिनो। 
Mark 6:10 और उसने उन से कहा; जहां कहीं तुम किसी घर में उतरो तो जब तक वहां से विदा न हो, तब तक उसी में ठहरे रहो। 
Mark 6:11 जिस स्थान के लोग तुम्हें ग्रहण न करें, और तुम्हारी न सुनें, वहां से चलते ही अपने तलवों की धूल झाड़ डालो, कि उन पर गवाही हो। 
Mark 6:12 और उन्होंने जा कर प्रचार किया, कि मन फिराओ। 
Mark 6:13 और बहुतेरे दुष्टात्माओं को निकाला, और बहुत बीमारों पर तेल मलकर उन्हें चंगा किया।
Mark 6:30 प्रेरितों ने यीशु के पास इकट्ठे हो कर, जो कुछ उन्होंने किया, और सिखाया था, सब उसको बता दिया। 
Mark 6:31 उसने उन से कहा; तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो; क्योंकि बहुत लोग आते जाते थे, और उन्हें खाने का अवसर भी नहीं मिलता था। 
Mark 6:32 इसलिये वे नाव पर चढ़कर, सुनसान जगह में अलग चले गए।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 12-13
  • मत्ती 16