मंगलवार, 10 अक्तूबर 2017

प्रेम


   एक संध्या मेरी एक सहेली ने उसके घर की बैठक में लगने वाली तीन सजावटी पट्टियों में से एक, जिस पर ’प्रेम’ शब्द लिखा हुआ था दिखाते हुए कहा, "देखो मेरे पास ’प्रेम’ तो आ गई है; ’विश्वास’ और ’आशा’ आने वाले हैं। मैंने विचार किया, "तो प्रेम पहले आता है, और फिर उसके बाद विश्वास तथा आशा भी आ जाते हैं।"

   यह वास्तविकता है कि प्रेम ही पहले आता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रेम का उद्गम स्वयं परमेश्वर है: "क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है" (1 यूहन्ना 4:7)। परमेश्वर के सिध्द प्रेम का वर्णन 1 कुरिन्थियों 13 में किया गया है, और इसे बाइबल का ’प्रेम अध्याय’ भी कहा जाता है। यहाँ हम प्रेम का एक गुण पाते हैं, "प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा" (1 कुरिन्थियों 13:8)।

   मसीही विश्वासी के लिए विश्वास और आशा अनिवार्य, क्योंकि परमेश्वर के सम्मुख हम, "हम विश्वास से धर्मी ठहरे..." (रोमियों 5:1); और मसीह यीशु में अपनी आशा के कारण स्थिर रहते हैं, जैसा इब्रानियों की पत्री में आशा के विषय लिखा गया है कि "वह आशा हमारे प्राण के लिये ऐसा लंगर है जो स्थिर और दृढ़ है" (इब्रानियों 6:19)।

   एक दिन ऐसा भी आएगा जब हमें विश्वास और आशा की आवश्यकता नहीं रहेगी; क्योंकि हमारा विश्वास - हमारा प्रभु यीशु हमारे सामने प्रत्यक्ष होगा और सदा रहेगा, तथा हमारी प्रत्येक आशा हमारे उध्दारकर्ता प्रभु यीशु में परिपूर्ण हो जाएगी। परन्तु प्रेम शाश्वत है, क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है तथा परमेश्वर प्रेम है (1 यूहन्ना 4:8), वह सदा काल तक अटल बना रहेगा।

   इसीलिए कुरिन्थियों में लिखा है, "पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है" (1 कुरिन्थियों 13:13); प्रेम ही प्रथम और प्रेम ही अन्तिम तथा इसके बीच का सब कुछ है। - सिंडी हैस कैस्पर


हम प्रेम इसलिए करते हैं क्योंकि परमेश्वर ने पहले हम से प्रेम किया।

क्योंकि आत्मा के कारण, हम विश्वास से, आशा की हुई धामिर्कता की बाट जोहते हैं। - गलतियों 5:5

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-21
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है। 
1 John 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है। 
1 John 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है। 
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में। 
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। 
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिध्द हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। 
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिध्द प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिध्द नहीं हुआ। 
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया। 
1 John 4:20 यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिसे उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता। 
1 John 4:21 और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 34-36
  • कुलुस्सियों 2