शुक्रवार, 27 जुलाई 2018

संघर्ष



      कंधे पर हुए ऑपरेशन के कुछ सप्ताह बाद जब मैं घर से बाहर निकला, तो मैंने अपने आप को असुरक्षित अनुभव किया। मुझे अपनी बाँह को स्लिंग में टांग कर रखने की आदत हो गई थी, परन्तु मेरा ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर, और मुझे व्यायाम करवाने वाले फिजियोथेरेपिस्ट, दोनों ही का कहना था कि अब मुझे स्लिंग को छोड़ देना चाहिए। तभी मेरी नज़रों के सामने यह वाक्य आया, “इस चरण पर आकर, स्लिंग को पहनने के लिए मना किया जाता; उसे केवल किसी ऐसी स्थिति में ही पहनना चाहिए जहाँ का माहौल अनियंत्रित या हानिकारक हो सकता हो।” 

      बस, मुझे स्लिंग पहनने का बहाना मिल गया! मुझे उस उत्साहित मित्र का भय था जो मुझे आलिंगन में लेकर भींच लेगा, उस व्यक्ति का भी भय था जो कहीं अनजाने में ही मुझे से टकरा सकता था। मैं अपने उस स्लिंग की आड़ में, चोट लगने के अपने भय को छुपा रहा था।

      अपने आप को किसी प्रकार से चोटिल होने की स्थिति में असुरक्षित छोड़ना भयावह हो सकता है। हम चाहते हैं कि लोग हम से जो और जैसे हम हैं, वैसे ही प्रेम करें, हमें स्वीकार करें; परन्तु हमें भय रहता है कि यदि लोगों को हमारे बारे में गहराई से पता चलेगा तो वे हमें अस्वीकार करेंगे, या हमें किसी प्रकार से दुःख पहुँचा सकेंगे। क्या होगा यदि उन्हें पता चलेगा कि हम उतने चतुर, या दयालु, या भले, आदि नहीं हैं जितना वे हमें समझते हैं?

      परन्तु परमेश्वर के परिवार के सदस्य होने के कारण, हमारा यह दायित्व है कि हम एक दूसरे को विश्वास में बढ़ने में सहायता करें। हमें निर्देश हैं कि “इस कारण एक दूसरे को शान्‍ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो...” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11), और “सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो” (इफिसियों 4:2)।

      जब हम अन्य विश्वासियों के साथ ईमानदार और खुले रहेंगे, तो हम हमारे जीवनों में हुए परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में उन्हें बता सकेंगे, और यह भी हो सकता है कि हमें पता चले कि उन्हें भी हमारे ही समान संघर्ष करने पड़ रहे हैं, प्रलोभनों और परमेश्वर के आज्ञाकारी बने रहने के लिए। और इस अनुग्रह तथा संघर्ष के जीवन में हम एक-दूसरे को संभालने वाले, प्रोत्साहित करने वाले बन जाएँ। - सिंडी हैस कैस्पर


अपने संघर्षों के विषय ईमानदारी, हमें दूसरों की सहायता करने में सहायक होती है।

हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। - गलतियों 6:1

बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 1-6
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो।
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो।
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है।
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा।
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 43-45
  • प्रेरितों 27:27-44