शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

प्रार्थना



      जब भी हम किसी परेशानी या कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, तब हम अपने मसीही भाई-बहनों से निवेदन करते हैं कि हमारे लिए प्रार्थनाएं करें। यह जानना कि और लोग, वे जो हमारी चिंता करते हैं, हमें परमेश्वर के सम्मुख प्रार्थनाओं में उठाए हुए हैं, बहुत सांतवना एवं प्रोत्साहन प्रदान करता है। परन्तु यदि आपके पास कोई निकट मसीही मित्र नहीं हैं, तब क्या? हो सकता है कि आप किसी ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहाँ प्रभु यीशु मसीह और उसके सुसमाचार का विरोध किया जाता है। ऐसे में आपके लिए प्रार्थना कौन करेगा?

      परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों 8 विजय का अध्याय है, और हम इसमें लिखा पाते हैं कि “इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है। और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है” (रोमियों 8:26-27)। इसलिए यह जान रखिए कि परमेश्वर का पवित्र आत्मा आपके लिए प्रार्थना करता रहता है।

      इसके अतिरिक्त, “फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है” (पद 34), जीवता प्रभु यीशु भी आपके लिए विनती निवेदन करता रहता है।

      ज़रा विचार कीजिए! पवित्र-आत्मा और प्रभु यीशु आपका नाम ले लेकर आपकी आवश्यकताओं को परमेश्वर पिता के सम्मुख रखते हैं, जो सुनकर आपके पक्ष में कार्य करता है।

      हम मसीही विश्वासियों को यह आश्वासन है कि हम चाहे कहीं भी रहते हों, या हमारी परिस्थिति कितनी भी कठिन या परेशानी से भरी क्यों न हो, हम जीवन की किसी भी समस्या का सामना अकेले नहीं करते हैं। पवित्र-आत्मा और प्रभु यीशु हमारे लिए प्रार्थना करते रहते हैं, हमारे साथ बने रहते हैं। - डेविड मैक्कैस्लैंड

                                                        
पवित्र-आत्मा और प्रभु यीशु मसीह आपके लिए सदैव प्रार्थना करते रहते हैं।

और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं। - यूहन्ना14:16-18

बाइबल पाठ: रोमियों 8:22-34
Romans 8:22 क्योंकि हम जानते हैं, कि सारी सृष्टि अब तक मिलकर कराहती और पीड़ाओं में पड़ी तड़पती है।
Romans 8:23 और केवल वही नहीं पर हम भी जिन के पास आत्मा का पहिला फल है, आप ही अपने में कराहते हैं; और लेपालक होने की, अर्थात अपनी देह के छुटकारे की बाट जोहते हैं।
Romans 8:24 आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा?
Romans 8:25 परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं।
Romans 8:26 इसी रीति से आत्मा भी हमारी दुर्बलता में सहायता करता है, क्योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए; परन्तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
Romans 8:27 और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्या है क्योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्छा के अनुसार बिनती करता है।
Romans 8:28 और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
Romans 8:29 क्योंकि जिन्हें उसने पहिले से जान लिया है उन्हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
Romans 8:30 फिर जिन्हें उसने पहिले से ठहराया, उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।
Romans 8:31 सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
Romans 8:32 जिसने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्योंकर न देगा?
Romans 8:33 परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उन को धर्मी ठहराने वाला है।
Romans 8:34 फिर कौन है जो दण्ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 5-6
  • इफिसियों 1