बुधवार, 12 दिसंबर 2018

धन



      अपने जीविका अर्जित करने के आरंभिक वर्षों में, मैं एक ऐसा कार्य कर रहा था जिसे मैं पेशे से अधिक मिशन सेवकाई समझता था, और मुझे एक दूसरी कंपनी ने एक ऐसे पद की पेशकश की जहाँ मुझे वेतन में खासी बढ़ोतरी मिलने पाएगी। उस पद को स्वीकार करके वहाँ से जाने के द्वारा मेरे परिवार को अवश्य ही आर्थिक लाभ तो होता। परन्तु एक समस्या थी, मैं किसी भी नई नौकरी की तलाश में नहीं था क्योंकि मुझे अपना तत्कालीन कार्य बहुत पसन्द था, और वह एक बुलाहट में विक्सित होता जा रहा था। परन्तु नई नौकरी में मिलने वाला धन मेरे लिए एक प्रबल प्रलोभन था।

      मैंने अपने पिता से, जो तब सत्तर वर्ष के थे, इस विषय में बात की, और उन्हें सारी परिस्थिति समझाई। यद्यपि कभी मेरे पिता का मस्तिष्क तीक्षण हुआ करता था, परन्तु अब वर्षों के दबाव और पक्षाघात के कारण वह दुर्बल हो गया था। फिर भी, उनका उत्तर स्पष्ट और सटीक था: “पैसे के बारे में सोचना भी मत। यह सोचो कि तुम वहाँ करोगे क्या?”

      पल भर में मैनें निर्णय ले लिया। जिस नौकरी से मैं प्रेम करता था उसे बदलने का मेरा एकमात्र कारण पैसा ही होता! मैंने इस मार्गदर्शन के लिए अपने पिता का धन्यवाद किया।

      प्रभु यीशु ने अपने पहाड़ी उपदेश का महत्वपूर्ण भाग पैसे और उससे हमारे लगाव पर केंद्रित किया। प्रभु ने हमें सिखाया कि हम धन एकत्रित करने पर नहीं परन्तु अपनी “रोज़ की रोटी” के लिए प्रार्थना करें (मत्ती 6:11)। उन्होंने सचेत किया कि पृथ्वी पर धन एकत्रित न करें, और पक्षियों तथा फूलों का उदाहरण दिया कि परमेश्वर अपनी सृष्टि की बड़े लगाव से देखभाल करता है (पद 19-31)। प्रभु यीशु ने कहा, “इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी” (पद 33)।

      अवश्य, धन महत्वपूर्ण है; परन्तु हमारे निर्णय लेने की प्रक्रिया का नियंत्रण धन के आधार पर नहीं होना चाहिए। कठिन समय और बड़े निर्णय हमारे विश्वास में बढ़ने के लिए नए अवसर होते हैं। हमारा स्वर्गीय पिता हमारी चिन्ता करता है। - टिम गुस्ताफ्सन


कभी भी प्रलोभन को अवसर समझने की गलती न करें।

अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा। - मत्ती 6:19-21

बाइबल पाठ: मत्ती 6:24-34
Matthew 6:24 कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, या एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्‍ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
Matthew 6:28 और वस्‍त्र के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिए।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।


एक साल में बाइबल: 
  • होशे 9-11
  • प्रकाशितवाक्य 3