गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

शान्त



      आतंक और भय की अनुभूति होने पर हमारे शरीर प्रतिक्रिया देते हैं। हमारे पेट में एक भारीपन सा होता है, हृदय के गति बहुत बढ़ जाती है, और हम लंबी साँसें लेने लगते हैं। हमारे शरीरों की प्रवृत्ति इन संकट की भावनाओं की अनदेखी नहीं होने देती है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु के शिष्यों ने एक रात को अत्याधिक भय का सामना किया। प्रभु यीशु ने पांच हज़ार की भीड़ को भोजन खिलाने का आश्चर्यकर्म किया था, और फिर उसने संध्या के समय शिष्यों को नाव द्वारा बैथसेदा की और रवाना कर दिया, जब कि वह स्वयं पीछे रुक कर प्रार्थना में समय बिता रहा था। रात्री के समय शिष्य नाव में प्रतिकूल हवा में नाव खे रहे थे, तभी प्रभु यीशु पानी पर चलते हुए उनकी ओर आए। शिष्यों को लगा कि कोई भूत उनकी ओर आ रहा है, और वे बहुत भयभीत हो गए (मरकुस 6:49-50)।

      परन्तु प्रभु यीशु ने उन्हें ढाढ़स बंधाया, उनसे कहा की भयभीत न हों, और साहस रखें। जैसे ही प्रभु यीशु उनकी नाव में आए, हवा शांत हो गयी और वे सुरक्षित किनारे पर पहुँच गए।मैं उनमें आने वाली उस शान्ति के अनुभव की कल्पना करती हूँ जो प्रभु के आने से उन्हें मिली, उस भय की भावना के पश्चात।

      जब भी हम चिंतित होकर बेचैन हो रहे होते हैं, हम प्रभु यीशु की सामर्थ्य में आश्वस्त होकर शान्त हो सकते हैं। वह चाहे हमारे भय को दूर करे, या फिर हमें उन परिस्थितियों का सामना करने की सामर्थ्य दे, किन्तु उसकी शान्ति जो “समझ से परे” है (फिलिप्पियों 4:7) हमें उपलब्ध रहती है। और जब वह हमें हमारे भय से मुक्त करता है, तो हमारी आत्मा और शरीर शान्त स्थिति में वापस लौट सकते हैं। - एमी बाउचर पाई

प्रभु परमेश्वर हमें भय से मुक्ति देता है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4: 6-7

बाइबल पाठ: मरकुस 6:45-53
Mark 6:45 तब उसने तुरन्त अपने चेलों को बरबस नाव पर चढाया, कि वे उस से पहिले उस पार बैतसैदा को चले जांए, जब तक कि वह लोगों को विदा करे।
Mark 6:46 और उन्हें विदा कर के पहाड़ पर प्रार्थना करने को गया।
Mark 6:47 और जब सांझ हुई, तो नाव झील के बीच में थी, और वह अकेला भूमि पर था।
Mark 6:48 और जब उसने देखा, कि वे खेते खेते घबरा गए हैं, क्योंकि हवा उनके विरुद्ध थी, तो रात के चौथे पहर के निकट वह झील पर चलते हुए उन के पास आया; और उन से आगे निकल जाना चाहता था।
Mark 6:49 परन्तु उन्होंने उसे झील पर चलते देखकर समझा, कि भूत है, और चिल्ला उठे, क्योंकि सब उसे देखकर घबरा गए थे।
Mark 6:50 पर उसने तुरन्त उन से बातें कीं और कहा; ढाढ़स बान्‍धो: मैं हूं; डरो मत।
Mark 6:51 तब वह उन के पास नाव पर आया, और हवा थम गई: और वे बहुत ही आश्चर्य करने लगे।
Mark 6:52 क्योंकि वे उन रोटियों के विषय में ने समझे थे परन्तु उन के मन कठोर हो गए थे।
Mark 6:53 और वे पार उतरकर गन्नेसरत में पहुंचे, और नाव घाट पर लगाई।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 17-19
  • मरकुस 6:30-56