रविवार, 6 सितंबर 2020

सामर्थ्य


         शरीर की माँसपेशियों को विकसित कर के उनके प्रदर्शन की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने वाले लोग अपने आप को एक कठोर प्रशिक्षण से लेकर जाते हैं। उनके प्रशिक्षण के आरंभिक महीने शरीर की माँसपेशियों को आकार और बल में बढ़ाने में निकलते हैं। जब प्रतिस्पर्धा का समय निकट आता है, तो उनका प्रशिक्षण और तैयारी शरीर की चर्बी को कम से कम कर देने होती है, जिससे माँसपेशियाँ स्पष्ट दिखाई दें। और स्पर्धा से ठीक पहले के कुछ दिनों में वे शरीर की आवश्यकता से कम पानी पीते हैं जिससे उनकी माँसपेशियाँ बिलकुल स्पष्ट दिखाई दें। इस कारण प्रतिस्पर्धा के दिन, चाहे वे कितने ही बलवान क्यों न दिखाई दें, वास्तविकता में वे लोग अपनी सबसे दुर्बल स्थिति में होते हैं।

         परमेश्वर के वचन बाइबल में 2 इतिहास 20 अध्याय में हम इसके बिलकुल विपरीत स्थिति के बारे में पढ़ते हैं – परमेश्वर की सामर्थ्य प्राप्त करने के लिए अपनी दुर्बल स्थिति को स्वीकार करना। लोगों ने राजा यहोशापात से कहा, “एक विशाल सेना तेरे विरुद्ध युद्ध करने के लिए आ रही है”, और यह जानकार उसने सारे यहूदा में उपवास की घोषणा की (पद 3), अपने आप को और यहूदा के सभी लोगों को भोजन सामग्री और उन्हें बल देने वाले पोषण से वंचित कर दिया, और फिर परमेश्वर से सहायता के लिए निवेदन किया।

         परमेश्वर से आश्वासन और मार्गदर्शन प्राप्त करने के बाद जब राजा ने सेना को एकत्रित किया, तो युद्ध भूमि में सेना को भेजते समय गाने वालों को सेना के आगे-आगे परमेश्वर की स्तुति के भजन गाते हुए चलने के लिए नियुक्त किया (पद 21)। जब उन्होंने परमेश्वर का स्तुतिगान करना आरंभ किया, जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए” (पद 22)।

         यहोशापात का यह निर्णय परमेश्वर में उसके गहरे और दृढ़ विश्वास को दिखाता है। उसने जानते-बूझते हुए न तो अपनी न ही अपनी सेना के मानवीय सामर्थ्य और कौशल पर निर्भर होने को चुना। यह हमारे लिए एक सजीव उदाहरण है कि जब हम अपनी परीक्षाओं का सामना अपनी बुद्धि, अपनी योग्यता, अपनी क्षमता आदि के आधार पर करने के स्थान पर परमेश्वर की सामर्थ्य से करते हैं, तो परमेश्वर एक अद्भुत विजय दिलाता है। - कर्स्टन होल्मबर्ग

 

परमेश्वर की सामर्थ्य को अनुभव करने के लिए हमें अपनी दुर्बलता को स्वीकार करना अनिवार्य है।


परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 20:1-3, 14-22

2 इतिहास 20:1 इसके बाद मोआबियों और अम्मोनियों ने और उनके साथ कई मूनियों ने युद्ध करने के लिये यहोशापात पर चढ़ाई की।

2 इतिहास 20:2 तब लोगों ने आकर यहोशापात को बता दिया, कि ताल के पार से एदोम देश की ओर से एक बड़ी भीड़ तुझ पर चढ़ाई कर रही है; और देख, वह हसासोन्तामार तक जो एनगदी भी कहलाता है, पहुंच गई है।

2 इतिहास 20:3 तब यहोशापात डर गया और यहोवा की खोज में लग गया, और पूरे यहूदा में उपवास का प्रचार करवाया।

2 इतिहास 20:14 तब आसाप के वंश में से यहजीएल नाम एक लेवीय जो जकर्याह का पुत्र और बनायाह का पोता और मत्तन्याह के पुत्र यीएल का परपोता था, उस में मण्डली के बीच यहोवा का आत्मा समाया।

2 इतिहास 20:15 और वह कहने लगा, हे सब यहूदियों, हे यरूशलेम के रहनेवालों, हे राजा यहोशापात, तुम सब ध्यान दो; यहोवा तुम से यों कहता है, तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है।

2 इतिहास 20:16 कल उनका सामना करने को जाना। देखो वे सीस की चढ़ाई पर चढ़े आते हैं और यरूएल नाम जंगल के सामने नाले के सिरे पर तुम्हें मिलेंगे।

2 इतिहास 20:17 इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा; हे यहूदा, और हे यरूशलेम, ठहरे रहना, और खड़े रह कर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो; कल उनका सामना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा।

2 इतिहास 20:18 तब यहोशापात भूमि की ओर मुंह कर के झुका और सब यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों ने यहोवा के सामने गिर के यहोवा को दण्डवत किया।

2 इतिहास 20:19 और कहातियों और कोरहियों में से कुछ लेवीय खड़े हो कर इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की स्तुति अत्यन्त ऊंचे स्वर से करने लगे।

2 इतिहास 20:20 बिहान को वे सबेरे उठ कर तकोआ के जंगल की ओर निकल गए; और चलते समय यहोशापात ने खड़े हो कर कहा, हे यहूदियों, हे यरूशलेम के निवासियों, मेरी सुनो, अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।

2 इतिहास 20:21 तब उसने प्रजा के साथ सम्मति कर के कितनों को ठहराया, जो कि पवित्रता से शोभायमान हो कर हथियार-बन्दों के आगे आगे चलते हुए यहोवा के गीत गाएं, और यह कहते हुए उसकी स्तुति करें, कि यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।

2 इतिहास 20:22 जिस समय वे गाकर स्तुति करने लगे, उसी समय यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए।

 

एक साल में बाइबल: 

  • भजन 148-150
  • 1 कुरिन्थियों 15:29-58