शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

प्रार्थना

 

          उस युवा सैनिक के चारों ओर धमाके हो रहे थे, तोप के गोले गिर और फट रहे थे, और वह बड़ी लगन से परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा था, ‘हे परमेश्वर यदि तू मुझे इस सब से सुरक्षित निकाल देगा, तो मैं निश्चय ही उस बाइबल कॉलेज में जाऊँगा, जहाँ माँ चाहती है कि मैं जाऊँ। परमेश्वर ने उसकी यह लगन से की गई, मुद्दे पर केन्द्रित प्रार्थना सुनी, उसका उत्तर दिया, और मेरे पिता दूसरे विश्व-युद्ध से सुरक्षित घर लौट कर आ सके। उन्होंने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार मूडी बाइबल इंस्टिट्यूट में दाखिला लिया, और अपना जीवन मसीही सेवकाई के लिए समर्पित कर दिया।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में एक अन्य योद्धा ने एक भिन्न प्रकार के संघर्ष का सामना किया, जिससे वह भी परमेश्वर के और भी निकट आने पाया; किन्तु उसकी समस्याएँ युद्ध में जाने से नहीं, वरन वहाँ न जाने के कारण उत्पन्न हुईं। राजा दाऊद के सैनिक युद्ध लड़ रहे थे, और वह अपने महल में विश्राम कर रहा था। इसी दौरान वह व्यभिचार, और फिर हत्या के पाप में गिर गया (देखिए 2 शमूएल 11 अध्याय)। भजन 39 में, दाऊद अपने उस भयानक पाप से बाहर निकाले जाकर पुनःस्थापित किए जाने की दुखद प्रक्रिया का ब्यौरा लिखता है। उसने लिखा,मैं मौन धारण कर गूंगा बन गया, और भलाई की ओर से भी चुप्पी साधे रहा; और मेरी पीड़ा बढ़ गई, मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी; तब मैं अपनी जीभ से बोल उठा” (पद 2, 3)।

          दाऊद की टूटी हुई आत्मा ने उसे विचार करने के लिए बाध्य किया; उसने कहा,हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालूम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं” (पद 4)। उसके जीवन के फिर से सही ओर केन्द्रित किए जाने के समय वह निराश नहीं हुआ “और अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूं? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है” (पद 7); उसके पास परमेश्वर की ओर देखते रहने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं था। दाऊद की प्रार्थना भी सूनी गई; वह भी अपने इस युद्ध से सुरक्षित निकल आया और फिर से परमेश्वर की सेवकाई में लग गया।

          महत्व इस बात का नहीं है कि हमारे प्रार्थना के जीवन को क्या प्रोत्साहित करता है; वरन इस का है कि हमारी प्रार्थना का उद्देश्य क्या है। परमेश्वर ही हमारी आशा का स्त्रोत है। वह चाहता है कि हम प्रार्थना में उसके साथ अपने मन की बात को खुल कर बाँटें, और उसके उत्तर के अनुसार कार्य करें। - टिम गुस्ताफसन

 

सच्चे परमेश्वर के सम्मुख प्रार्थना की भूमि, सर्वोत्तम भूमि है।


मैं यहोवा की बाट जोहता हूं, मैं जी से उसकी बाट जोहता हूं, और मेरी आशा उसके वचन पर है; - भजन 130:5

बाइबल पाठ: भजन 39:1-7

भजन संहिता 39:1 मैं ने कहा, मैं अपनी चाल चलन में चौकसी करूंगा, ताकि मेरी जीभ से पाप न हो; जब तक दुष्ट मेरे सामने है, तब तक मैं लगाम लगाए अपना मुंह बन्द किए रहूंगा।

भजन संहिता 39:2 मैं मौन धारण कर गूंगा बन गया, और भलाई की ओर से भी चुप्पी साधे रहा; और मेरी पीड़ा बढ़ गई,

भजन संहिता 39:3 मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर जल रहा था। सोचते सोचते आग भड़क उठी; तब मैं अपनी जीभ से बोल उठा;

भजन संहिता 39:4 हे यहोवा ऐसा कर कि मेरा अन्त मुझे मालूम हो जाए, और यह भी कि मेरी आयु के दिन कितने हैं; जिस से मैं जान लूं कि कैसा अनित्य हूं!

भजन संहिता 39:5 देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं।

भजन संहिता 39:6 सचमुच मनुष्य छाया सा चलता फिरता है; सचमुच वे व्यर्थ घबराते हैं; वह धन का संचय तो करता है परन्तु नहीं जानता कि उसे कौन लेगा!

भजन संहिता 39:7 और अब हे प्रभु, मैं किस बात की बाट जोहूं? मेरी आशा तो तेरी ओर लगी है।

 

एक साल में बाइबल: 

  • लैव्यव्यवस्था 14
  • मत्ती 26:51-75