बुधवार, 7 जुलाई 2021

बड़ा

 

          दक्षिणी अफ्रीका के एक वन संरक्षक ने एक अद्भुत दृश्य का वर्णन किया: दो बड़े बिज्जू छः शेरों के एक दल का सामना कर रहे थे। यद्यपि वे शेर उन दोनों से संख्या और आकार में बहुत बड़े थे लेकिन फिर भी उन दोनों ने हार नहीं मानी, जबकि उन पर आक्रमण करने वाले शेरों को लगा था कि वे सरलता से उनके शिकार बन जाएँगे। लेकिन उनकी इस लड़ाई के वीडियो के अन्त में उन बिज्जुओं को इठलाते हुए जाते देखा जा सकता है।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद और गोलियत की घटना इस से भी अधिक अचंभित करने वाली है। युवा और अप्रशिक्षित दाऊद ने विशालकाय पलिश्ती शूरवीर सैनिक गोलियत का सामना किया और उसे पराजित भी कर दिया। गोलियत आकार और बल में इस युवक दाऊद से कहीं अधिक बलवान था और उसके पास बड़े घातक हथियार, कवच और भाला थे (1 शमूएल 17:5-6)। जबकि दाऊद जो एक चरवाहा था, उसके पास केवल एक गोफन था, जिसके साथ वह युद्धभूमि में अपने भाइयों के लिए रोटी और पनीर लेकर आया था (पद 17-18)।

          गोलियत इस्राएल के सैनिकों को उससे लड़ने की चुनौती देता था, किन्तु कोई उससे लड़ने के लिए तैयार नहीं होता था। राजा शाऊल और सभी इस्राएली उससे भयभीत थे (पद 11)। इसलिए उन सभी को लगे झटके की कलपना करें, जब दाऊद ने गोलियत की चुनौती को स्वीकार कर के उससे युद्ध करने का निर्णय लिया। उसे यह करने का साहस कहाँ से आया, जबकि इस्राएली सेना के प्रशिक्षित सैनिकों में यह साहस नहीं था?

          इस्राएल के सैनिकों को जहाँ पर विशालकाय गोलियत दिखाए पड़ रहा था, वहाँ पर दाऊद को उससे भी कहीं बड़ा परमेश्वर अपने साथ खड़ा दिखाई दे रहा था; “... आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा” (पद 46)। जबकि अन्य सभी को लगता था कि कहानी का अन्त गोलियत के हाथों में है; दाऊद को विश्वास था कि परमेश्वर जो उससे कहीं अधिक बड़ा है, वही हर बात को अपने अधिकार में रखता है। और अपने इसी विश्वास के सहारे, दाऊद ने अपने गोफन से एक ही पत्थर के प्रहार से गोलियत को धाराशाई कर दिया, और उसकी ही तलवार से उसका सिर काट दिया।

          अनेकों बार हमें भी अपनी परिस्थितियाँ और परेशानियाँ गोलियत के समान विशाल और अपरिहार्य प्रतीत होती हैं। किन्तु हमारा प्रभु परमेश्वर उन सभी से बड़ा है और वही हर बात पर अधिकार रखता है, उसे नियंत्रित करता है। वही हमारे जीवनों की कहानी को निर्देशित करता है। - विन्न कोलियर

 

प्रभु मुझे अपनी दृष्टि परिस्थितियों से ऊपर कर के आप की ओर देखते रहना सिखाएं।


क्योंकि मैं अपने धनुष पर भरोसा न रखूंगा, और न अपनी तलवार के बल से बचूंगा। परन्तु तू ही ने हम को द्रोहियों से बचाया है, और हमारे बैरियों को निराश और लज्जित किया है। - भजन 44:6-7

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 17:41-50

1 शमूएल 17:41 और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिये था वह उसके आगे आगे चला।

1 शमूएल 17:42 जब पलिश्ती ने दृष्टि कर के दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना; क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती थी, और वह सुन्दर था।

1 शमूएल 17:43 तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी ले कर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम ले कर दाऊद को कोसने लगा।

1 शमूएल 17:44 फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वन-पशुओं को दे दूंगा।

1 शमूएल 17:45 दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है।

1 शमूएल 17:46 आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा; तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है।

1 शमूएल 17:47 और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार या भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।

1 शमूएल 17:48 जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का सामना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का सामना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा।

1 शमूएल 17:49 फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डालकर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रखकर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा।

1 शमूएल 17:50 यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल हो कर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।

 

एक साल में बाइबल: 

  • अय्यूब 34-35
  • प्रेरितों 15:1-21