शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

कलीसिया में अपरिपक्वता के दुष्प्रभाव (13)

   

भ्रामक शिक्षाओं के स्वरूप - पवित्र आत्मा के विषय गलत शिक्षाएं (5) - अन्य-भाषाएं - पवित्र आत्मा प्राप्त करने का प्रमाण?

हम पिछले लेखों से देखते आ रहे हैं कि बालकों के समान अपरिपक्व मसीही विश्वासियों की एक पहचान यह भी है कि वे बहुत सरलता से भ्रामक शिक्षाओं द्वारा बहकाए तथा गलत बातों में भटकाए जाते हैं। इन भ्रामक शिक्षाओं को शैतान और उस के दूत झूठे प्रेरितों और प्रभु के लोगों का भेस धारण कर के प्रस्तुत करते हैं। ये लोग, और उनकी शिक्षाएं, दोनों ही बहुत आकर्षक, रोचक, और ज्ञानवान, यहाँ तक कि भक्तिपूर्ण और श्रद्धापूर्ण भी प्रतीत हो सकती हैं, किन्तु साथ ही उनमें अवश्य ही बाइबल की बातों के अतिरिक्त भी बातें डली हुई होती हैं। इन गलत या भ्रामक शिक्षाओं के मुख्य स्वरूपों के बारे में, जिन्हें शैतान और उसके लोग प्रभु यीशु के झूठे प्रेरित, धर्म के सेवक, और ज्योतिर्मय स्‍वर्गदूतों का रूप धारण कर के बताते और सिखाते हैं, परमेश्वर पवित्र आत्मा ने प्रेरित पौलुस के द्वारा 2 कुरिन्थियों 11:4 में लिखवाया है कि, “यदि कोई तुम्हारे पास आकर, किसी दूसरे यीशु को प्रचार करे, जिस का प्रचार हम ने नहीं किया: या कोई और आत्मा तुम्हें मिले; जो पहिले न मिला था; या और कोई सुसमाचार जिसे तुम ने पहिले न माना था, तो तुम्हारा सहना ठीक होता। अर्थात, इन भ्रामक शिक्षाओं के, गलत उपदेशों के, मुख्यतः तीन विषय, होते हैं - प्रभु यीशु मसीह, पवित्र आत्मा, और सुसमाचार। साथ ही इस पद में सच्चाई को पहचानने और शैतान के झूठ से बचने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण बात भी दी गई है। इस पद में यह भी लिखा है कि इन तीनों विषयों के बारे में शैतान की युक्तियों के जो यथार्थ और सत्य हैं, वे सब वचन में पहले से ही बता दिए गए हैं। इसलिए वचन से देखने, जाँचने, शिक्षाओं को परखने के द्वारा सही और गलत की पहचान करना कठिन नहीं है।

पिछले लेखों में हमने इन गलत शिक्षा देने वाले लोगों के द्वारा प्रभु यीशु से संबंधित सिखाई जाने वाली गलत शिक्षाओं को देखने के बाद, परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित सामान्यतः बताई और सिखाई जाने वाली गलत शिक्षाओं की वास्तविकता को वचन की बातों से देखना आरंभ किया है। हम देख चुके हैं कि प्रत्येक सच्चे मसीही विश्वासी के नया जन्म या उद्धार पाते ही, तुरंत उसके उद्धार पाने के पल से ही परमेश्वर पवित्र आत्मा अपनी संपूर्णता में आकर उसके अंदर निवास करने लगता है, और उसी में बना रहता है, उसे कभी छोड़ कर नहीं जाता है; और इसी को पवित्र आत्मा से भरना या पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाना भी कहते हैं। वचन स्पष्ट है कि पवित्र आत्मा से भरना या उससे बपतिस्मा पाना कोई दूसरा या अतिरिक्त अनुभव नहीं है, वरन उद्धार के साथ ही सच्चे मसीही विश्वासी में पवित्र आत्मा का आकर निवास करना ही है। इन गलत शिक्षकों की एक और बहुत प्रचलित और बल पूर्वक कही जाने वाले बात हैअन्य-भाषाओंमें बोलना, और उन लोगों के द्वाराअन्य-भाषाओंको अलौकिक भाषाएं बताना। इसके बारे में पिछले लेख में हम देख चुके हैं कि यह भी एक ऐसी गलत शिक्षा है जिसका वचन से कोई समर्थन या आधार नहीं है। प्रेरितों 2 अध्याय में जो अन्य भाषाएं बोली गईं, वे पृथ्वी ही की भाषाएं और उनकी बोलियाँ थीं; कोई अलौकिक भाषा नहीं। हमने यह भी देखा था कि वचन में इस शिक्षा का भी कोई आधार या समर्थन नहीं है किअन्य-भाषाएंप्रार्थना की भाषाएं हैं। 

एक अन्य संबंधित गलत शिक्षा उन लोगों के द्वारा बल-पूर्वक यह सिखाना है कि अन्य-भाषाएं बोलना ही पवित्र आत्मा प्राप्त करने का प्रमाण है। आज हम इसी के विषय परमेश्वर के वचन बाइबल से देखेंगे। यदि आप 1 कुरिन्थियों 12:4-11 को देखेंगे, जो पवित्र आत्मा द्वारा वचन की सेवकाई के लिए दिए जाने वाले आत्मिक वरदानों के बारे में है, तो उसके 10 पद से यह स्पष्ट हो जाएगा कि अन्य-भाषा में बोलना, अन्य आत्मिक वरदानों के समान ही पवित्र आत्मा द्वारा दिया गया एक आत्मिक वरदान है। साथ ही इसी खंड में पद 8 से 10 में हर आत्मिक वरदान के लिए, बारंबारकिसी कोभी लिखा गया है; जो यह दिखाता है कि हर किसी को एक ही समान आत्मिक वरदान नहीं दिए गए, किसी को एक, किसी अन्य को कोई और, और इसी प्रकार भिन्न लोगों को भिन्न आत्मिक वरदान, उनकी सेवकाई के अनुसार, पवित्र आत्मा की इच्छा के अनुसार (पद 11) दिए गए हैं। बाइबल का यह खंड स्पष्ट है कि हर किसी को अन्य-भाषा में बात करने का वरदान नहीं दिया गया है। साथ ही यहाँ पर अन्य भाषाओं के विषय ऐसी कोई बात या कोई संकेत तक भी नहीं है जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जाए कि अन्य-भाषा में बोलना पवित्र आत्मा प्राप्त करने का प्रमाण है। व्यक्ति में पवित्र आत्मा की उपस्थिति का प्रमाण तो उसका बदला हुआ जीवन, उसका पवित्र आत्मा के चलाए चलना और शारीरिक लालसाओं और अभिलाषाओं से दूर हो जाना, उसके जीवन में दिखने वाले आत्मा के फल हैं (गलातियों 5:22-26) 

 परमेश्वर पवित्र आत्मा के बारे में गलत शिक्षाएं फैलाने वाले ये लोग अपने इस दावे कोप्रमाणितकरने के लिए एक बहुत बड़ा झूठ बोलते हैं। वे दावे के साथ कहते हैं कि वचन में जब भी किसी ने पवित्र आत्मा प्राप्त किया है, उससे परिपूर्ण हुआ है, तो उसने अवश्य ही अन्य-भाषाएं भी बोली हैं; इसलिए यह मानने योग्य बात और प्रमाण है कि अन्य-भाषा बोलना ही पवित्र आत्मा प्राप्त करने का प्रमाण है। इस संदर्भ में शायद ही कभी किसी ने बेरिया के विश्वासियों के समान (प्रेरितों 17:11) इस बात की सच्चाई को जाँचने और उनके दावे की पुष्टि करने का प्रयास किया होगा - न तो उनके अपने साथियों और अनुयायियों ने, और न ही उन्होंने जिन्हें ये बड़ी हिम्मत के साथ यह बात कहते हैं।

जब हम वचन से उनके इस दावे को परखते हैं तो पाते हैं कि उनका यह तर्क भी कि वचन में जब भी पवित्र आत्मा प्राप्त करना आया है, साथ ही अन्य-भाषाएं बोलना भी आया है, इसी प्रकार से निराधार है। नए नियम में पवित्र आत्मा के किसी पर आने का सबसे पहला उल्लेख प्रभु यीशु की माता मरियम के लिए है (लूका 1:35), दूसरा उल्लेख यूहन्ना बपतिस्मा देने वाली की माता इलीशिबा का है (लूका 1:41), और तीसरा यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के पिता ज़कर्याह का है (लूका 1:67); किन्तु इन तीनों आरंभिक घटनाओं में कहीं कोई उल्लेख नहीं है कि इन में से किसी ने कभी कोईअन्य भाषाबोली - न तो उस समय जब वे पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हुए, और न ही उसके बाद किसी अन्य अवसर पर। 

इसी प्रकार से बिना अन्य भाषा बोले पवित्र आत्मा से भरने के लिए प्रेरितों के कार्य में अन्य स्थानों पर भी आया है:

  • प्रेरितों 4:8 में पतरस के लिए
  • प्रेरितों 4:31 में शिष्यों के लिए 
  • प्रेरितों 6:5 में स्तिफनुस के लिए
  • प्रेरितों 8:17 में सामरियों के विश्वास में आने और पवित्र आत्मा पाने के लिए
  • प्रेरितों 9:17 में पौलुस के लिए

पुराने नियम में पवित्र आत्मा प्राप्त करने पर साथ ही अन्य भाषा में बोलने का भी कोई उदाहरण नहीं है:

  • बेजलील निर्गमन 31:3 
  • ओतनिएल न्यायियों 3:10 
  • गिदोन न्यायियों 6:34   
  • यिपताह न्यायियों 11:29 
  • शिमशोन न्यायियों 13:25, 14:6, 14:19, 15:14 
  • शाऊल 1 शमूएल 10:6; 10:10; 11:6; 19:23 
  • दाऊद 1 शमूएल 16:13 
  • शाऊल के दूत 1 शमूएल 19:20 
  • आमासाई 1 इतिहास 12:18  
  • अज़रियाह 2 इतिहास 15:1  
  • जहाज़ीएल  2 इतिहास 20:14 
  • ज़कर्याह 2 इतिहास 24:20
  • दानिय्येल दानिय्येल 4:8, 9, 18; 5:11, 14 
  • मीका मीका 3:8 

परमेश्वर के वचन के ये सभी हवाले उनके इस दावे के बिलकुल झूठ और वचन का दुरुपयोग होने, लोगों को बहकाने और भरमाने का कार्य होने को दिखा देते हैं। 

यदि आप एक मसीही विश्वासी हैं, तो आपके लिए यह जानना और समझना अति-आवश्यक है कि आप परमेश्वर पवित्र आत्मा से संबंधित इन गलत शिक्षाओं में न पड़ जाएं; न खुद भरमाए जाएं, और न ही आपके द्वारा कोई और भरमाया जाए। लोगों द्वारा कही जाने वाले ही नहीं, वरन वचन में लिखी हुई बातों पर भी ध्यान दें, और लोगों की बातों को वचन की बातों से मिला कर जाँचें और परखें। यदि आप इन गलत शिक्षाओं में पड़ चुके हैं, तो अभी वचन के अध्ययन और बात को जाँच-परख कर, सही शिक्षा को, उसी के पालन को अपना लें।

यदि आपने प्रभु की शिष्यता को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अपने अनन्त जीवन और स्वर्गीय आशीषों को सुनिश्चित करने के लिए अभी प्रभु यीशु के पक्ष में अपना निर्णय कर लीजिए। जहाँ प्रभु की आज्ञाकारिता है, उसके वचन की बातों का आदर और पालन है, वहाँ प्रभु की आशीष और सुरक्षा भी है। प्रभु यीशु से अपने पापों के लिए क्षमा माँगकर, स्वेच्छा से तथा सच्चे मन से अपने आप को उसकी अधीनता में समर्पित कर दीजिए - उद्धार और स्वर्गीय जीवन का यही एकमात्र मार्ग है। आपको स्वेच्छा और सच्चे मन से प्रभु यीशु मसीह से केवल एक छोटी प्रार्थना करनी है, और साथ ही अपना जीवन उसे पूर्णतः समर्पित करना है। आप यह प्रार्थना और समर्पण कुछ इस प्रकार से भी कर सकते हैं, “प्रभु यीशु मैं आपका धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे पापों की क्षमा और समाधान के लिए उन पापों को अपने ऊपर लिया, उनके कारण मेरे स्थान पर क्रूस की मृत्यु सही, गाड़े गए, और मेरे उद्धार के लिए आप तीसरे दिन जी भी उठे, और आज जीवित प्रभु परमेश्वर हैं। कृपया मेरे पापों को क्षमा करें, मुझे अपनी शरण में लें, और मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपना जीवन आप के हाथों में समर्पित करता हूँ।सच्चे और समर्पित मन से की गई आपकी एक प्रार्थना आपके वर्तमान तथा भविष्य को, इस लोक के और परलोक के जीवन को, अनन्तकाल के लिए स्वर्गीय एवं आशीषित बना देगी।

 

एक साल में बाइबल पढ़ें:

  • गिनती 9-11         
  • मरकुस 5:1-20