शुक्रवार, 14 मई 2010

चुने जाना

हर साल स्कूल के छात्र अपने पसंद के विश्वविद्यालयों में आगे की पढ़ाई के लिये आवेदन देते हैं और प्रतीक्षा करते हैं विश्वविद्यालय में अपने चुने जाने और दाखिला पाने की सूचना के पत्र की।

यीशु के पृथ्वी के जीवन के समय के बालकों के लिये यह भिन्न होता था। यहूदी बालक १३ वर्ष की आयु तक अपने क्षेत्र के रब्बी (धर्मगुरू) की पाठशला में जाते थे, फिर उनमें से जो सबसे अच्छे और बुद्धिमान होते थे उन्हें चुना जाता था उस रब्बी के साथ बने रहने और सीखने के लिये। ये चुने हुए छात्र अपने गुरू के साथ आते जाते थे और जैसे भी वो रहता-खाता, वे भी रहते-खाते, अपने गुरू के अनुसार अपने जीवन को ढालते थे। जो चुनाव में अयोग्य निकलते थे वे कोई व्यवसाय सीखते थे, जैसे बढ़ई, मछुआ, चरवाहा आदि।

शमौन, अन्द्रियास, याकूब, यूहन्ना वे लोग थे जो इस चुनाव में योग्य नहीं पाये गये थे। इस कारण अपने रब्बी के साथ होने के स्थान पर वे तट पर अपने पैत्रिक व्यवसाय - मछली पकड़ने में मगन थे। यह रोचक है कि यीशु ने ऐसे लोगों को ढूंढा जिन्हें वहां के रब्बी ने तिरिस्कृत कर दिया था। सबसे अच्छे और बुद्धिमान लोगों को बुलाने की बजाये, यीशु ने अपने पीछे आने का निमंत्रण साधारण मछुआरों को दिया। उन्हें कैसा सम्मान मिला, कि वे सर्वोत्तम रब्बी के चेले हुए!

यीशु इसी सम्मान का निमंत्रण आपको और मुझे भी देता है - इसलिये नहीं कि हम सबसे अच्छे या बुद्धिमान हैं, वरन इसलिये कि उसे हमारे जैसे साधारण लोग चाहियें जो उसका अनुसरण करें और अपने जीवन उसके अनुसार ढालें, तथा प्रेम से उसके लिये लोगों को बचा सकें।

इसलिये यीशु का अनुसरण करो और उसे अपने जीवन को सार्थक करने दो। - जो स्टोवैल


साधारण और ठुकाराये गये भी यीशु के योग्य होने के लिये चुने जा सकते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती ४:१८-२२


यीशु ने उन से कहा: मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुमको मनुष्यों का पकड़ने वाले बनाउंगा। - मत्ती ४:१९


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १९ - २१
  • यूहन्ना ४:१-३०

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