मंगलवार, 22 मई 2012

आपूर्ति

   चील के बच्चे अभी एक सप्ताह के भी नहीं हुए थे, वे रोएंदार परों की गेंद के समान दिखाई देते थे, उनका स्वरूप अभी ठीक से बना भी नहीं था लेकिन वे भोजन के लिए आपस में लड़ने लगे थे। अभी उनमें इतनी ताकत भी नहीं थी कि अपने सिर कुछ सैकिंड के लिए ही संभाल कर सीधे रख सकें, लेकिन वे एक दूसरे पर अपनी छोटी सी चोंच से प्रहार करने से नहीं रुक रहे थे। अभी उनकी आंखें खुली भी नहीं थीं और वे एक दुसरे को देख भी नहीं सकते थे, लेकिन अपने स्वार्थ के आगे एक को दूसरे की उपस्थिति स्वीकार नहीं थी। जब भी उनके माता-पिता उनके लिए भोजन लाते, तो तुरंत ही वे एक दुसरे को दबा कर उस भोजन को अकेले ही हड़प करने के प्रयासों में लग जाते थे। यदि भोजन की उपलब्धता में कोई कमी होती, या माता-पिता एक को दे रहे और दूसरे को नज़रंदाज़ कर रहे होते तो उनका व्यवहार समझा जा सकता था; किंतु ऐसा बिलकुल नहीं था। माता-पिता दोनो के लिए बहुतायत से भोजन ला कर दोनों को खिला रहे थे, उनकी ओर से कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन उन चूज़ों में इस बात का कोई एहसास नहीं था। उनकी हर क्रीया केवल अपने स्वार्थ से ही वशीभूत और निर्देषित थी।

   चील के उन लालची और स्वार्थी चूज़ों को देख कर मुझे लोगों में विद्यमान ऐसी ही स्वार्थी भावना और मूर्खता स्मरण हो आई, जो अपने लिए हर वह वस्तु पाने की लालसा रखते हैं जो किसी और के लिए है (याकूब ४:१-५)। हमारे आपसी विवाद और झगड़ों का एक बहुत बड़ा कारण है हमारा लालच और आपसी द्वेष। जो परमेश्वर ने किसी दूसरे के लिए रखी है, हम वही वस्तु पाना चाहते हैं, फिर चाहे वह हमारे परिवार, संबंधी, मित्र या पड़ौसी के पास हो या उसके लिए हो। हम यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ भला रखा है, और वह हमें देता है। हमें किसी दूसरे की वस्तु का लालच करने या उसके कारण दूसरे से द्वेष रखने की आवश्यक्ता नहीं है। जो हमारा है, वह परमेश्वर हमें अवश्य ही देगा, कुछ पाने के लिए किसी दूसरे का हक छीनने या उसका नुकसान करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है।

   हमारे परमेश्वर पिता के पास हम सब के लिए बहुतायत से है, और हमारा भला भी केवल उस से ही होगा जो परमेश्वर ने हमारे किए निर्धारित किया है; बाकी सब हमारे लिए व्यर्थ है। व्यर्थ कड़ुवाहट में पड़ने की बजाए अपने लिए परमेश्वर की आपूर्ति पर विश्वास रखिए और उसी में आनन्दित रहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आवश्यक्ताएं कितनी भी हों, वे कभी भी परमेश्वर की आपूर्ति की क्षमता से अधिक नहीं हो सकतीं।


...क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है। - भजन ५०:१२

बाइबल पाठ: याकूब ४:१-१०
Jas 4:1  तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्‍या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2  तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, और कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकते; तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिए नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3  तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिए कि बुरी इच्‍छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4  हे व्यभिचारिणयों, क्‍या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है? सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5  क्‍या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्‍त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्‍या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6   वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
Jas 4:7  इसलिए परमेश्वर के आधीन हो जाओ, और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
Jas 4:8  परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
Jas 4:9 दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ; तुम्हारी हंसी शोक से और तुम्हारा आनन्‍द उदासी से बदल जाए।
Jas 4:10  प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १६-१८ 
  • यूहन्ना ७:२८-५३

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें