शनिवार, 16 मई 2020

अनुसरण



     हाई-स्कूल के दिनों में लंबी दौड़ के मेरे प्रशिक्षक ने एक बार मुझे सलाह दी, “सबसे आगे रहने का प्रयास मत करो। जो सबसे आगे दौड़ते रहने का प्रयास करते हैं, वे शीघ्र ही थक कर पीछे छुट जाते हैं।” इसके स्थान पर, उनका सुझाव था कि सब से तेज़ दौड़ने वाले धावकों के निकट रहने का प्रयास करूं। उन धावकों द्वारा बनाई गई गति के अनुसार दौड़ते रहने से मैं अपने मानसिक और शारीरिक शक्ति उस समय के लिए बचाए रखूँगी, जब दौड़ को समाप्त करने के लिए मुझे सब से अधिक आवश्यकता होगी।

     आगे रहना, अगुवाई करना, थका देने वाला हो सकता है; किन्तु पीछे रह कर अनुसरण करना स्वतंत्र करता है। अपने प्रशिक्षक की इस बात का पालन करने से मैंने देखा की मेरे दौड़ने में सुधार आया; परन्तु इसी बात को अपने मसीही जीवन में लागू करने में मुझे बहुत समय लगा। मेरे अपने जीवन में मैं यह सोचा करती थी कि मसीही जीवन जीने का अर्थ है बहुत प्रयास करना। मैंने अपनी ही धारणाएं बना लीं थीं कि मसीही विश्वासी को क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए और उन्हीं को पूरा करने के थका देने वाले प्रयासों में मैं मसीह यीशु में पाए जाने वाले आनंद और स्वतंत्रता (यूहन्ना 8:32, 36) को खो दे रही थी।

     परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें यह नहीं सिखाती है कि हमें अपने जीवनों को स्वयं ही निर्देशित करना होगा; और न ही प्रभु यीशु  ने कोई ‘स्वयं-का-सुधार’ अभियान आरम्भ किया था। वरन उन्होंने यही प्रतिज्ञा दी थी कि उन का अनुसरण करने से हमें वह विश्राम मिलेगा जिसके हम खोजी हैं (मट्टी 11:25-28)। उस समय के अन्य अनेकों धर्म-शिक्षकों की शिक्षाओं के विपरीत कि पवित्र शास्त्र का अध्ययन और उन शिक्षकों के द्वारा प्रचलित किए गए अनेकों नियमों का पालन कठोर अनुशासन और प्रयास से करें, प्रभु यीशु ने एक बहुत सहज और सीधी से बात अपने शिष्यों को सिखाई – उन्हें जान लेने से ही परमेश्वर को जाना जा सकता है (पद 27)। जब हम सच्चे और समर्पित मन से प्रभु यीशु के खोजी होते हैं, तो हम पाते हैं कि वह हमारे बोझ उठा लेता है, और हमें विश्राम देता है, हमारे जीवन बदल देता है (पद 28-30)।

     हमारे विनम्र और दीन अगुवे का अनुसरण करना कभी बोझिल नहीं होता है (पद 29); क्योंकि वही अनंत आशा और पापों से चंगाई का मार्ग है। उस का अनुसरण करने से ही हम उसके प्रेम में विश्राम और शैतान की युक्तिओं से स्वतंत्रता पाते हैं। - मोनिका ब्रैंड्स

मसीह यीशु का अनुसरण करने में ही वास्तविक स्वतंत्रता है।

और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा। सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे। - यूहन्ना 8:32, 36

बाइबल पाठ: मत्ती 11:25-30
मत्ती 11:25 उसी समय यीशु ने कहा, हे पिता, स्वर्ग और पृथ्वी के प्रभु; मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा रखा, और बालकों पर प्रगट किया है।
मत्ती 11:26 हां, हे पिता, क्योंकि तुझे यही अच्छा लगा।
मत्ती 11:27 मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।
मत्ती 11:28 हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।
मत्ती 11:29 मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे।
मत्ती 11:30 क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजाओं 24-25
  • यूहन्ना 5:1-24



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें