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शनिवार, 6 मार्च 2010

तुम भुलाए नहीं गए हो

इंगलैंड के सबसे बुज़ुर्ग मनुष्य, हेनरी अलिंघम, के १११वें जन्मदिवस के अवसर पर उसे शुभकमनाएं देने के लिये, अंग्रेज़ी सेना के प्रतिशठित ’रॉयल मरीनस’ बैंड ने ’हैप्पी बर्थडे’ गीत बजाया और उसके सम्मान में पुराने हवाई जहाज़ों ने उसके सम्मुख उड़ान भरी। लोगों द्वारा उसे अपना इतना आदर किये जाने पर बड़ा विस्मय हुआ।

छः साल पूर्व तक उसने ८६ साल पूर्व खाईयों में सही गई गोलीबारी और बमबारी की उन भयंकर यादों को गुप्त रखा था जो प्रथम विश्वयुद्ध के दिनों की थीं। जब प्रथम विश्वयुद्ध के वीरों की समिती ने उसे उसके बुढ़ापे में ढूंढ निकाला, तब ही अपने देश के लिये सहे गये उन कष्टों की जानकारी लोगों को मालूम पड़ी और उनके लिये इस वृद्ध ने सम्मान पाया।

बाइबल की कई कहनियाँ इस बुज़ुर्ग हेनरी के अनुभव के समान हैं। परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि जो परमेश्वर की सेवा में युद्ध करते हैं, वे घायल होते हैं, कैदी बनते हैं और कभी मारे भी जाते हैं।

कोई छोटी प्रवर्ति का व्यक्ति, इन जीवनों को देखने के बाद, मन को सांत्वना देने के लिये, केवल इतना ही सोच पायेगा कि भले काम का प्रतिफल शायद, कभी तो मिलेगा। लेकिन इब्रानियों की पत्री का लेखक इससे भी बढ़कर एक भव्य भविष्य देखता है। वह हमें आश्वासन देता है कि विश्वास और प्रेम में किये गए हमारे हर काम के लिये परमेश्वर एक दिन हमें अवश्य सम्मानित करेगा।

क्या आप निराश हैं? क्या स्वयं को तुच्छ समझते हैं? परमेश्वर की सेवा करने के बाद भी आप अपनी उपेक्षा महसूस कर रहे हैं? यदि हाँ तो आशव्स्त हों निराशा नहीं, क्योंकि परमेश्वर उस सेवा को कभी नहीं भूलता, जो आपने उसके लिये करी अथवा उसके कारण दूसरों के लिये करी। - Mart DeHaan


हम अपनी भलाई चाहे भूल जाएं, परमेश्वर हमारी भलाई हमेशा स्मरण रखता है।


बईबल पाठ: इब्रानियों ११:२४-४०


परमेश्वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम और उस प्रेम को भूल जाये, जो तुमने उसके नाम के लिये इस रीति से दिखाया, कि पवित्र लोगों की सेवा की। - इब्रानियों ६:१०


एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण १,२
  • मरकुस १०:१-३१

शुक्रवार, 5 मार्च 2010

हृदय में मूर्तियाँ

मेरे पति और मैं जब मिशनरी होकर निकले, तब हम अपने समाज में बढ़ते भौतिकवाद के बारे में चिंतित थे। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि मैं खुद भी भौतिकवादी हो सकती हूँ। आखिरकर, क्या हम बड़े अभाव की स्थिति में रहकर एक दूसरे देश में सेवा करने के लिये नहीं निकले थे? क्या हमने एक छोटे से घर में, बिना किसी सहूलियत या सजावट की वस्तुओं के होते हुए, सेवा करने और जीवन बिताने से संकोच किया? ऐसे में भौतिकतावाद हमें कैसे छू भी सकता था?

तो भी धीरे धीरे मेरे मन में अपनी हालत पर असंतुष्टि जड़ पकड़ने लगी और उन वस्तुओं की लालसा मेरे अंदर पनपने लगी और उनके अभाव में मैं मन ही मन कुंठित होने लगी।

तब एक दिन परमेश्वर के आत्मा ने मेरी आँखें खोलीं और मुझे यह मूल बात समझाई कि भौतिकता वाद केवल एश्वर्य के साधन पाना ही नहीं, उनकी लालसा रखना भी है। अनजाने में ही, बिना समझे, मैं भी भौतिकतावादी होने की गलती करने लग गई थी। परमेश्वर ने मेरे मन में पनप रही असंतुष्टि को उसके वास्तविक रूप में मुझ पर प्रकट कर दिया - मेरे मन में बसी एक मूरत। उस दिन मैंने अपने इस हल्के से दिखने वाले लेकिन बहुत बड़े पाप से पश्चाताप किया, उस मूरत को हटाया और परमेश्वर ने फिर मेरे मन में सर्वोपरि आदर पाया। ऐसा करने के बाद मेरे मन में एक गहरी संतुष्टि आई, ऐसी संतुष्टि जो संसार की वस्तुओं की प्राप्ति पर आधारित नहीं होती, वरन परमेश्वर पर विश्वास रखने से आती है।

यहेजेकेल के ज़माने में परमेश्वर ने ऐसी छिपी मूर्तीपूजा के विरुद्ध कठोर व्यवहार किया। उसका सिंहासन हमेशा से उसके लोगों के हृदय में ही रहा है, इसलिये हमें मन से उन सब विचारों को हटाना है जो उसके साथ हमारी सहभागिता और उसमें मिलने वाले संतोष को नष्ट करते हैं। - Joanie Yoder


मूरत वह है जो परमेश्वर का स्थान छीन लेती है।


बाइबल पाठ: यहेजेकेल १४:१-८


हे मनुष्य की सन्तान, इन पुरुषों ने तो अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित की हैं। - यहेजेकेल १४:३


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ३४-३६
  • मरकुस ९:३०-५०

गुरुवार, 4 मार्च 2010

स्याही का महासमुद्र

एक भक्तिगीत ’दि लव ऑफ गौड’ शब्द चित्र के द्वारा परमेश्वर के प्रेम की अद्भुत महानता प्रकट करता है - "अगर समुद्र का सारा पानी स्याही बन जाए, सारा आकाश कागज़, भूमि की हर डंठल कलम और सारे मनुष्य लेखक हों, तो भी परमेश्वर के प्रेम का वर्णन करते करते सारी स्याही खत्म हो जायेगी, आकाश के छोर से छोर तक फैलाने पर भी काग़ज़ फैलाने के लिये जगह कम रहेगी; फिर भी उसके प्रेम का वर्णन अधूरा ही रहेगा।"

परमेश्वर के प्रेम के विष्य में पौलुस का विचार भी ऐसा ही था। उसने प्रार्थना थी कि विश्वासी दूसरे सब पवित्र लोगों के साथ मसीह के प्रेम को, जो ज्ञान से परे है जान सकें। वे उसकी चौड़ाई, लंबाई, ऊंचाई और गहराई के बारे में जान सकें, (इफिसियों ३:१८,१९)। कुछ बाइबल के विद्वान इन पदों में परमेश्वर के प्रेम की ’चौड़ाई’ का अर्थ समस्त संसार को अपने प्रेम में समेट लेने को बताते हैं (यूहन्ना ३:१६); ’लंबाई’ से वे हर युग में विद्यमान उसके अस्तित्व को मानते हैं (इफिसियों ३:२१); ’गहराई’ का अर्थ उसका गहरा ज्ञान मानते हैं (रोमियों ११:३३) और ’ऊंचाई’ का अर्थ, पाप के ऊपर विजय पाकर स्वर्ग का मार्ग खोलने की उसकी शक्ति को समझते हैं (इफिसियों ४:८)।

यद्यपि हमें इस अद्भुत प्रेम और उसके महत्त्व को पहचानने के लिये प्रयासरत रहने को कहा गया है, तो भी जैसे जैसे हम परमेश्वर के प्रेम को समझने के प्रयास में अग्रसर होते हैं, हमें एहसास होता है कि उसकी संपूर्ण विशालता हमारी बुद्धी के परे है। सारे समुद्र का पानी स्याही बनाया जाये, तो भी परमेश्वर के प्रेम का वर्णन लिख पाने को पर्याप्त नहीं होगा। - Dennis Fisher


परमेश्वर के प्रेम का वर्णन नहीं किया जा सकता, उसका अनुभव ही किया जा सकता है।


बाइबल पाठ: इफिसियों ३:१८,१९


मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है। इफिसियों ३:१९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ३१-३३
  • मरकुस ९:१-१२

बुधवार, 3 मार्च 2010

हम किस पर निर्भर हैं?

टोल्कीन की प्रसिद्ध रचना "दि लॉर्ड ओफ दि रिनग्स" तीन भागों में लिखा गया एक उपन्यास है, जिसपर एक फिल्म भी बनी है। इस रचना के दुसरे भाग में नायक फ्रोडो निराशा की परकाष्ठा पर पहुँचा और उसने अपने मित्र सैम से कहा "मैं यह नहीं कर सकता।" सैम ने उसे एक उत्साहवर्धक व्यख्यान दिया: "महान कथाओं में जैसे बताया गया है....लोग अंधेरों और खतरों में रहे...इन कहानियों के पात्रों को पीछे मुड़ने के बहुत अवसर थे, परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वे किसी सिद्धाँत पर अटल थे, इसलिये आगे बढ़ते रहे।" फ्रोडो सैम से पूछता है, "सैम, हम किस सिद्धाँत पर निर्भर रहते हैं?"

यह एक महत्त्वपूर्ण प्रशन है, जिसे हमें स्वयं से पूछना है। एक पतित और टूटते हुए संसार में रहने के कारण कभी कभी हमें लगता है कि हम अंधकार की शक्तियों से हारते जाते हैं। परन्तु जब निराशा से अभिभूत होकर ज़िम्मेदारी से पीछे हटने की स्थिति पर आते हैं, तब हमें पौलूस की सलाह पर अमल करना चाहिये: "विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़, और उस अनन्त जीवन को थाम ले (१ तिमुथियुस ६:१२)।

जीवन के संघर्षों में हम इस विश्वास पर दृढ़ रहें कि अन्त में बुराई पर भलाई की जीत होगी और हम अपने प्रभु को आमने सामने देखेंगे और उसके साथ अनन्तकाल तक राज्य करेंगे। हर संघर्ष में भी आप इस महान विजयगाथा के पात्र हो सकते हैं; यदि आपने अपने उद्धार के लिये प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास किया है तो आपकी विजय निश्चित है। - Joe Stowell


स्वर्ग की महान सफलताओं की तुलना में संसार की परीक्षाएं बहुत छोटी हैं।


बाइबल पाठ: १ तिमुथियुस ६:११-१६


विश्वास की अच्छी कुश्ती लड़ और उस अनन्त जीवन को थाम ले। - १ तिमुथियुस ६:१२


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २८-३०
  • मरकुस ८:२२-३८

मंगलवार, 2 मार्च 2010

अपनी बुलाहट का पता लगाना

मसीह का अनुसरण करने के निरंतर प्रयास में हम मसीहियों का एक संघर्ष है अपनी जीवन की बुलाहट पहचान लेना। हम इसे अपने व्यवसाय और स्थान के संदर्भ में सोचते हैं, परन्तु इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है हमारा चरित्र, जो हमारे हर कार्य पर अपनी छाप छोड़ता है। "प्रभु आप मुझे कैसा देखना चाहते हैं?"

इफिसियों को लिखी अपनी पत्री में पौलूस विनती करता है कि हम अपनी बुलाहट के योग्य जीवन बिताएं (इफसियों ४:१)। इस ’योग्य जीवन’ के लिये वह कुछ बा्तों की अनिवार्यता को बताता है - दीन, नम्र और धैर्यवान होकर प्रेम से एक दूसरे की सहना (पद २)। पौलूस ने यह पत्र जेल से लिखा था, एक बहुत कठोर स्थान, लेकिन वहाँ पर भी वह परमेश्वर से मिली अपनी बुलाहट के अनुरूप जीवन जी रहा था।

ओस्वॉल्ड चैम्बर्स ने कहा है, "अर्पण केवल हमारे जीविका के कार्य को परमेश्वर को अर्पित करना नहीं है, परन्तु दूसरे सब कार्यों को छोड़कर अपने आप को परमेश्वर को समर्पित करना है, उसकी इच्छा के अनुसार उसके निश्चित स्थान पर रहना है, चाहे वह कारोबार, वकालत, विज्ञान, कारखाना, राजनीति या भारी परिश्रम में हो। हमें परमेश्वर के राज्य के नियम और सिद्धांतों के अनुसार उस स्थान पर रहकर काम करना है।"

जब हम परमेश्वर के सामने सही लोग होते हैं, तब जहाँ वह रखे हम वहाँ रहकर उसके द्वारा दिया गया कार्य कर सकते हैं। ऐसा करके हम अपने लिये परमेश्वर की बुलाहट पता लगाते और दृढ़ करते हैं। - David McCasland


तुम्हारे कार्य से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, तु्म्हारा चरित्र है।


बाइबल पाठ: इफसियों ४:१-१६


सो मैं जो प्रभु का बन्धुआ हूँ, तुमसे विनती करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गये थे, उसके योग्य चाल चलो। - इफिसियों ४:१


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २६,२७
  • मरकुस ८:१-२१

सोमवार, 1 मार्च 2010

पोषण की आवश्यकता

हमारा पोता कैमरौन वक्त के छः हफ्ते पहले पैदा हुआ था, इसलिये वह छोटा था और उसकी जान खतरे में थी। दो हफ्तों तक उसे अस्पताल के नवजात शिशुओं के कक्ष में रखा गया और उसकी देखभाल की गई, जब तक वह घर ले जाने लायक नहीं हो गया। उसकी सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि भोजन अंदर लेने और पचाने के लिये उसके शरीर को, भोजन से मिलने वाले पोषण की शक्ति से अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती थी। यह उसके विकास में बाधा थी। ऐसा लगता था कि मानो अपने विकास में वह एक कदम आगे लेता तो दो कदम पीछे।

उसकी हालत सुधारने के लिये कोई दवा या चिकित्सा की नहीं वरन केवल उचित शक्तिदायक पोषण देने की ज़रूरत थी।

इस पतित जगत के जीवन की चुनौतियों के सामने हम मसीहियों की भावनात्मक और आत्मिक शक्ति का नाश होता जाता है। इन अवसरों पर हमें स्फूर्तिदायक पोषण की ज़रूरत है। भजन ३७ में दाऊद हमें सिखाता है कि आत्मा को पोषित रखकर ही हम मन को मज़बूत रख सकते हैं। वह भलाई करने, देश में बने रहने, परमेश्वर पर भरोसा रखने और उसकी सच्चाई में मन लगाए रखने का प्रोत्साहन देता है (पद ३)।

जब हम कमज़ोर पड़ते हैं, तब परमेश्वर की अटूट विश्वासयोग्यता का निश्चय हमें उसके नाम से आगे बढ़ने की शक्ति देती है। उसका नाम और उसकी सच्ची देख-रेख का पोषण ही हमारी सबसे बड़ी ज़रूरत है, जैसे गीतकार कहता है, "तेरी सच्चाई महान है, आज के लिये सामर्थ और कल के लिये प्रकाशमान प्रत्याशा।" - Bill Crowder


आवश्यक शक्ति पाने के लिये परमेश्वर की सच्चाई का पोषण पाओ।


बाइबल पाठ: भजन ३७:१-११


यहोवा पर भरोसा रख और भला कर; देश में बसा रह, और उसकी सच्चाई में मन लगाए रह। - भजन ३७:३


एक साल में बाइबल:
  • गिन्ती २३-२५
  • मरकुस ७:१४-३७

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

गहरी धुन

"फीवर पिच" नामक एक अंग्रेज़ी फिल्म के नायक बेन पर एक बेसबॉल खेलने वाले दल की धुन सवार थी। वह उनसे इतना प्रभावित था कि बसन्त और गर्मी के दिनों में वह उनका एक भी खेल देखना नहीं छोड़ता था।

एक बार सर्दियों के दिनों में बेन को एक जवान स्त्री लिंडसे से प्रेम हो जाता है और वह उसे अपनी ओर आकर्षित भी कर लेता है। जब बसन्त आता है तो लिंडसे को मालुम चलता है कि बेन बेसबॉल खेलों के समय एक भिन्न ही व्यक्ति हो जाता है। यदि लिंडसे उसके साथ बेसबॉल देखने नहीं जाती तो बेन के लिये भी उसके पास समय नहीं है। बेन की इस धुन के कारण लिंडसे बेन के साथ अपने संबंध तोड़ देती है।

तब एक दोस्त बेन को समझाता है और उससे पूछता है कि "तुम जिस बेसबॉल दल से इतना प्रेम करते हो, क्या वह भी तुमसे प्रेम करते हैं, क्या उन्होंने कभी तुम्हारे प्रेम का प्रत्युत्तर दिया है?" यह प्रश्न बेन को अपनी प्राथमिकताओं के बारे में सोचने और उन्हें ठीक करने को मजबुर करता है, और फिर वह अपनी प्रेमिका से अपने संबंध सही करके उसको ठीक समय दे पाता है।

हम अपने जीवन में काम, कई तरह के विनोदों और आनन्दमय कार्यों में व्यस्त रहते हैं। परन्तु हमें अपने विकल्पों को चुनते समय दो बातों पर विशेष ध्यान देना है, जो यीशु ने बतायीं - "तू अपने सारे मन से...परमेश्वर से प्रेम रख, और अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर।" (मत्ती २२:३७,३९)।

जब लगता है कि किसी विनोद या कार्य के कारण जीवन असंतुलित हो रहा है, तब हमें अपने आप से यह प्रश्न करना है, "क्या यह विनोद या यह कार्य भी मुझसे प्रेम करता है?" इसका उत्तर हमें नियंत्रण में रखेगा। परमेश्वर से और लोगों से प्रेम, ये ही वास्तव में मूल्य रखते हैं। - एन्नी सेटास


जब हम परमेश्वर के प्रेम को दूसरों के साथ बांटते हैं तब हम उसके प्रति अपना प्रेम दिखाते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती २२:३४-४०


तू अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर। - मत्ती २२:३९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २०-२२
  • मरकुस ७:१-१३