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शुक्रवार, 24 मई 2013

चिन्ता से मुक्त


   एक रेडियों साक्षात्कार में एक बास्केटबॉल के उत्कृष्ठ खिलाड़ी से निर्णायक और जटिल परिस्थितियों में उसकी खेल जिताने वाले अंक बना लेने के कौशल के बारे में प्रश्न किया गया। प्रश्नकर्ता ने उससे जानना चाहा कि इन तनावपूर्ण स्थितियों में वह अपने आप को शांत कैसे रखता है। उस खिलाड़ी का उत्तर था उस परिस्थिति को अपने लिए सरल बना लेने के द्वारा; वह अपने आप से कहता था कि बस एक यही शॉट ही तो खेलना है, केवल एक शॉट। वह ना तो अपनी टीम और ना ही अपने प्रशिक्षक की उससे लगी आशाओं के बारे में सोचता था, बस उस अवसर पर जो सामने है अपना पूरा ध्यान लगा देता था। जो सामने है, जो विद्यमान है बस उसी की ओर ध्यान लगाना उसके लिए स्थिति को सरल और तनावरहित कर देता था।

   इस प्रकार से केवल वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करके अपने लिए स्थिति को सरल करना कोई नई बात नहीं है। जीवन की जटिल और अभिभूत कर देने वाली समस्याओं पर विजयी होने के लिए प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों को यही मार्ग दिया था। उन्हों ने चेलों को सिखाया कि भविष्य की चिन्ता छोड़कर केवल वर्तमान पर ध्यान लगाएं: "इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे? सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है" (मत्ती 6:31,34)। 

   चिन्ता की दुर्बल कर देने वाली सामर्थ पर विजयी होने के लिए प्रभु यीशु की यह शिक्षा थी। चिन्ता करने से हम कुछ सकारात्मक अर्जित नहीं कर पाते हैं; बस अपनी समस्याओं में विवश होकर डूबते चले जाने की भावना को बढ़ावा ही देते हैं। चिन्ता के फन्दे से बाहर निकलना है तो परमेश्वर पर भरोसा रखें; परमेश्वर के संसाधनों और आपूर्ति की क्षमता पर विश्वास रखें और समस्या को परमेश्वर के हाथों में समर्पित करें, उससे समस्या का सामना करने की सामर्थ और समझ माँगें और फिर समस्या को पूरा का पूरा अपने सामने रखने की बजाए, उसे उसके भागों में विभाजित करके बारी बारी एक एक भाग का हल परमेश्वर द्वारा दी गई सामर्थ और समझ के द्वारा निकालते जाएं। परमेश्वर पर भरोसा रखकर और उसके दिखाए मार्ग पर कदम कदम चलकर ही आप चिन्ता से मुक्त और जयवन्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं। - बिल क्राउडर


भविष्य की चिन्ता वर्तमान के आनन्द को भी नष्ट कर देती है।

सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है। - मत्ती 6:34

बाइबल पाठ: मत्ती 6:25-34
Matthew 6:25 इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
Matthew 6:26 आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है; क्या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते।
Matthew 6:27 तुम में कौन है, जो चिन्‍ता कर के अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है
Matthew 6:28 और वस्‍त्र के लिये क्यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
Matthew 6:29 तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
Matthew 6:30 इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्योंकर न पहिनाएगा?
Matthew 6:31 इसलिये तुम चिन्‍ता कर के यह न कहना, कि हम क्या खाएंगे, या क्या पीएंगे, या क्या पहिनेंगे?
Matthew 6:32 क्योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्तुएं चाहिएं।
Matthew 6:33 इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी।
Matthew 6:34 सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 22-24 
  • यूहन्ना 8:28-59