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गुरुवार, 6 मई 2010

सही समय पर

कुछ लोगों के लिये किसी भी जगह समय पर पहुंचना एक कठिन चुनौती होती है। कभी कभी हम चाहे कितनी भी जल्दी निकलें, देर करने के लिये कोई न कोई परिस्थिती उत्पन्न हो ही जाती है।

लेकिन एक खुशख़बरी है: परमेश्वर हमेशा ठीक समय पर रहता है। प्रभु यीशु के आगमन के विष्य में बताते हुए, पौलुस कहता है, "जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा" (गलतियों४:४)। जिस वायदा किये हुए उद्धारकर्ता की लंबे समय से प्रतीक्षा करी जा रही थी, वह बिल्कुल ठीक समय पर आया।

यीशु का रोमी साम्राज्य के शांति के समय पर आना बिल्कुल ठीक समय था। वह समय था जब देश एक सार्वजनिक भाषा - व्यापार से जुड़े हुए थे। विश्वव्यापी व्यापार को सहज बनाने के लिये रास्तों और साधनों का जाल फैला हुआ था। यह सब सुनिश्चित करता था कि सुसमाचार शीघ्रता से फैले; किसी देश की कोई बन्द सीमाएं या किसी देश में जाने की अनुमति लेने की आवश्यक्ता नहीं थी। सब बातें और परिस्थितियां मिलकर, हमारे पापों के लिये उस उद्धारकर्ता के क्रूस पर चढ़ाए जाने की भविश्यद्वाणी (यशायाह ५३) के पूरा होने के सुसमाचार को निर्बाध्य होकर फैलाने में सहायक हुए। परमेश्वर के सिद्ध समय का एक अदभुत उदहरण!

यह सब हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर जानता है कि हमारे लिये कौन सा समय सर्वोत्तम है। यदि आप किसी प्रार्थना के उत्तर की या किसी दी गई प्रतिज्ञा के पूरी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो हताश होकर उम्मीद मत छोड़िये। यदि आप सोचते हैं कि परमेश्वर आपको भूल गया है, तो पुनः विचार कीजिये। जब समय आप के लिये सर्वथा उपयुक्त होगा, वह तब आ जाएगा; और कार्य करने के उसके अदभुत समय को देखकर आप दंग रह जाएंगे। - जो स्टोवेल


परमेश्वर का समय सदा सिद्ध होता है।


बाइबल पाठ: गलतियों ४:१-७


जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा - गलतियों ४:४


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा २१, २२
  • लूका २३:२६-५६

बुधवार, 5 मई 2010

स्थिर शांत आवाज़

जब होरेब पर्वत पर परमेश्वर ने एलियाह से बात करी, तो वह आंधी, भूकंप अथवा अग्नि में होकर कर सकता था। किंतु उसने ऐसा नहीं किया। एलियाह से परमेश्वर ने एक स्थिर शांत आवाज़ में बातें करीं, जब वह जेज़बेल से जान बचाने को छुप रह था, क्योंकि उसने उसे मार डालने की धमकी दी थी। परमेश्वर ने उससे पूछा, "एलियाह, तू यहां क्या कर रहा है?" (१ राजा १९:१२, १३)

एलियाह के उत्तर ने वही बात उजागर करी जो परमेश्वर पहले से जानता था - उसकी घोर निराशा और भय। एलियाह के उत्तर का सार था (देखिये पद १४), "प्रभु, जब औरों ने तुझे छोड़ दिया तब भी मैं अकेला ही तेरे लिये बहुत उत्साहित रहकर तेरे लिये कार्य करता रहा। मुझे ऐसे तेरे लिये अकेले खड़े रहने से क्या मिला?"

क्या वास्तव में एलियाह अकेला ही परमेश्वर के लिये खड़ा रहने वाला था? नहीं; परमेश्वर ने ७००० इस्त्राएलियों को बचा रखा था जिन्होंने बल देवता के आगे घुटने नहीं टेके थे (पद १८)।

अपनी निराशाओं में घिरकर हम भी यह सोच सकते हैं कि केवल हम ही हैं जो परमेश्वर के लिये काम कर रहे हैं; या ऐसा किसी बड़ी उपलब्धी के तुरन्त बाद भी हो सकता है, जैसा एलियाह के लिये हुआ। भजन ४६:१० हमें स्मरण दिलाता है कि "शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" जितना जल्दी हम हम उस पर और उसकी सामर्थ पर केंद्र्ति होंगे, उतनी ही शीघ्र हम अपने भय और निराशाओं से मुक्ति पाएंगे।

दोनो ही बातें, हमारी विफलताओं के पीटे जाते कर्कश झांझ या हमारी उपलब्धियों की फुंकी जाती तुरहियां, हमारे जीवन में परमेश्वर के शांत और स्थिर स्वर को दबा सकती हैं। यह समय है कि हम अपने मनों को शांत कर, उसके वचन पर मनन करते हुए उसकी आवाज़ को सुने। - एल्बर्ट ली


अगर परमेश्वर की आवाज़ सुननी है तो हमें संसार की आवाज़ से कान मोड़ने होंगे।


बाइबल पाठ: १ राजा १९:११-१८


शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं! - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १९, २०
  • लूका २३:१-२५

मंगलवार, 4 मई 2010

संपर्क कर्ता

बाज़ार के विशेषज्ञ, वर्षों से यह बात जनते हैं कि किसी भी वस्तु के सर्वश्रेष्ठ विज्ञापनों में से एक है किसी मित्र द्वारा उस वस्तु की सिफारिश करना। इसीलिए बहुत सी बड़ी व्यापरिक कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं को अपने लिये नियुक्त करती हैं, जिन्हें वे अपने उत्पादों के मुफ्त नमूने दें और वे उन उत्पादों की सिफारिश अपने रिश्तेदारों और मित्रों में करें। अमेरिका की एक बड़ी कंपनी नियमित रूप से ऐसे ७२५,००० ’संपर्क कर्ताओं’ को मुफ्त कूपन और उत्पाद भेजती है, जो फिर उनका प्रचार दूसरों के मध्य करते हैं।

प्रभु यीशु का सुसमाचार किसी उत्पाद से कहीं बढ़कर है। वह एक ऐसी योजना है जिससे लोगों को परमेश्वर के साथ एक जीवित और महत्त्वपूर्ण संबंध बनाने का मार्ग मिलता है। यह सुसमाचार सबसे प्रभावकारी रूप में प्रसारित होता है इसके अनुयायियों के जीवन के उदाहरण और वचनों के द्वारा। पौलुस ने थिस्सलुनिके के मसीही विश्वासियों की सराहना करी उनके जीवन और गवाही के लिये, जो उस इलाके के लोगों के लिये एक नमूना थीं। उसने उन्हें कहा, "क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं" (१ थिस्सुलुनीकियों १:८)। क्योंकि उनके जीवन जड़-मूल से बदले गये थे, इसलिये उनके लिये सुसमाचार के लिये शांत रहना असंभव हो गया था, वे मसीह के लिये एक स्वाभविक ’संपर्क कर्ता’ बन गए थे।

लोगों के मध्य किसी उत्पाद के विज्ञापनों को पहुंचाने के बारे में प्रशिक्षण देने वाले एक प्राध्यापक का कहना है कि "लोगों के लिये यह एक स्वाभाविक व्यवहार की बात है कि जो भी चीज़ उन्हें उकसाती या उभारती है, उसकी चर्चा औरों से करें।" परमेश्वर का अनुग्रह, किसी मित्र तक परमेश्वर के सुसमाचार को ले जाने की उपयुक्त प्रेरणा है। - डेविड मैककैस्लैंड


अगर आप लोगों को बताना चाहते हैं कि मसीह उनके जीवन में क्या कर सकता है, तो उन्हें दिखाइये कि मसीह ने आप के जीवन में क्या किया है।


बाइबल पाठ: १ थिस्सुलुनीकियों १:२-१०


क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं - १ थिस्सुलुनीकियों १:८


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १६-१८
  • लूका २२:४७-७१

सोमवार, 3 मई 2010

स्मृति चिन्ह

हमारी बेटी जब स्कूल दिनों में पढ़ाने जाती है तो मेरी पत्नी हमारी नातिन एलियाना की देखभाल करती है। उसके लिये हम कई ऐसे कार्य करते थे जिनसे एलियाना को हमारे घर में स्वाभाविक लगे। जैसे, उसके कद की उंचाई पर उसके माता -पिता और उनके साथ उसकी कुछ तसवीरों को रख देते, ताकि वह उन्हें देखे और तस्वीरों को उठा कर घर में घूमें। हम चाहते थे कि वह अपने माता-पिता के बारे में अक्सर सोचे।

हमें ऐसा करने की क्या आवश्यक्ता थी? क्या यह संभव था कि वह उन्हें भूल जाती? कदापि नहीं। परन्तु उनको निरंतर स्मरण करने से उसे मन में शांति मिलती।

अब इसके बारे में सोचें। अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, यीशु ने अपनी एक यादगार चेलों के लिये दी। उसने अपने चेलों से कहा (और हमारे लिये भी), कि "मेरे स्मरण के लिये यही किया करो" (उसकी देह और लहु के प्रतीक, एक रोटी और एक प्याले में हिस्सा लेना) (लूका २२:१९)। क्या यह इसलिये किया कि हम यीशु को भूल न जाएं? कभी नहीं। हम उसे कैसे भूल सकते हैं जो हमारे पापों के लिये मरा? उसने यह यादगार इस लिये स्थापित करी जिससे उसके महान बलिदान, उसकी उपस्थिति, उसकी सामर्थ और उसकी वाचाओं की याद द्वारा उसकी शांति हममें बनी रहे।

जैसे एलियाना को वे फोटो उसके माता-पिता के प्रेम की याद दिलाते रहते थे, वैसे ही प्रभु भोज एक बहुमूल्य स्मृति चिन्ह है हममें उसकी याद बनाए रखने के लिये, जो हमारे सदा के घर में हमें ले जाने के लिये फिर आएगा। - डेव ब्रैनन


जो अपने पाप का सच्चा पछतावा करते हैं, वे बहुत कृतज्ञता के साथ मसीह के क्रूस को स्मरण रखते हैं।


बाइबल पाठ: लूका २२:७-२०


मेरे स्मरण के लिये यही किया करो - लूका २२:१९


एक साल में बाइबल: १ राजा १४, १५ लूका २२:२१-४६

रविवार, 2 मई 2010

हमारी सेवा

प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करके उद्धार पाने के तुरंत बाद हमें स्वर्ग ले जाने की बजाए पृथ्वी पर ही रहने देने के पीछे परमेश्वर का एक उद्देश्य है; वह हमें कुछ सेवाकाई देना चाहता है। परमेश्वर के एक संत - अगस्तीन ने कहा कि "मनुष्य, जब तक उसके ज़िम्मे दिये काम पूरे नहीं कर लेता, अमर है।"

हमारी मृत्यु का समय इस पृथ्वी पर किसी व्यक्ति या परिस्थिति द्वारा निर्धारित नहीं किया जाता, यह निर्णय तो स्वर्ग में होता है। जब हम वह सब पूरा कर चुकते हैं जो परमेश्वर ने हमारे लिये निर्धारित किया है, तब और केवल तब ही वह हमें अपने पास बुलाता है, उससे एक भी क्षण पहले नहीं। जैसा पौलुस ने कहा "दाऊद, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार अपने समय में सेवा करके सो गया।" (प्रेरितों १३:३६)।

परमेश्वर के द्वारा हमें बुलाए जाने से पहले अभी बहुत काम करना बाकी है। यीशु ने कहा "जिसने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही में करना आवश्यक है। वह रात आने वाली है जिसमें कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना ९:४)। वह रात आयेगी जब हम सदा के लिये अपनी आंखें इस सन्सार से मूंद लेंगे, या हमारा प्रभु हमें ले जाने के लिये आ जाएगा। हर दिन उस पल को और निकट ले आता है।

जब तक हमारे पास दिन की रौशनी है, हमें काम करना है - कुछ जीतने, प्राप्त करने, जमा कर लेने या सेवा निवृत होने के लिये नहीं, परन्तु मसीह के प्रेम से लोगों को छू लेने के द्वारा अदृश्य मसीह का उन्हें दर्शन कराने के लिये। तब हम निश्चिंत हो सकते हैं कि "हमारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है" (१ कुरिन्थियों १५:५८)। - डेविड रोपर



परमेश्वर की दृष्टि में सच्ची महानता दूसरों की सेवा करने में है।


बाइबल पाठ: भजन ११२


धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा। - भजन ११२:६


एक साल में बाइबल: राजा १२, १३ लूका २२:-२०

शनिवार, 1 मई 2010

नैतिक मार्गदर्षक

एक प्रसिद्ध सन्स्थान - मैसाचूस्टस इंस्टिट्यूट ऑफ टैकनौलजी में काम करने वाले अर्थशास्त्र के प्राध्यापक डैन आरली ने मानवीय व्यवहार पर कुछ परिक्षण किये। उसने उन परिक्षणों में भाग लेने वालों को अलग अलग समूहों में बांट दिया। एक परिक्षण में, भाग लेने वाले समूह के लोगों को एक परीक्षा लेनी थी जिसमें प्रत्येक सही उत्तर देने के लिये उन्हें कुछ पैसे मिलने थे। आरली ने परीक्षा को कुछ इस तरह आयोजित किया कि भाग लेने वालों को लगे कि बेईमानी करके परीक्षा पास करना आसान है। परीक्षार्थी यह नहीं जानते थे कि आरली उनके ज्ञान की नहीं वरन नैतिकता की जांच कर रहा है।

परिक्षा के पूर्व आरली ने एक समूह के लोगों से कहा कि बाइबल में दी गई परमेश्वर की ’दस आज्ञाओं’ में से जितनी भी उन्हें याद हों वे लिख दें, उसके बाद परीक्षा में भाग लें। आरली को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि ’दस आज्ञाएं’ लिखने वाले समूह में से किसी ने भी परीक्षा में बेईमानी नहीं की, लेकिन बाकी समूहों में से हर एक समूह में कुछ लोग ऐसे अवश्य थे जिन्होंने बेईमानी की। परीक्षा से पूर्व, एक नैतिक स्तर को याद करने ने ही उस समूह के लोगों में यह फर्क उत्पन्न किया।

सदियों पहले भजनकार ने एक नैतिक स्तर को जीवन में रखने के महत्त्व को समझा और उस स्तर का पलन करने के लिये परमेश्वरीय सामर्थ की सहायता की प्रार्थना करी। उसने परमेश्वर से कहा, "मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे....मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा" (भजन ११९:१३३-१३५)।

आरली का बेईमानी का परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि हमें नैतिक मार्ग दर्शन की आवश्यक्ता है। परमेश्वर ने अपना वचन हमारे पैरों के लिये लिये दीपक और मार्ग के लिये उजियाले के रूप में दिया है (पद १०५) ताकि हम जीवन की परीक्षाओं के समय, सही और नैतिक विकल्प का चुनाव कर सकें। - डैनिस फिशर


कुतुबनुमा (compass) के समान बाइबल हमें सदा सही राह दिखाती है।


बाइबल पाठ: भजन ११९:१२९ - १३६


मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे। - भजन ११९:१३३


एक साल में बाइबल: १ राजा १०, ११ लूका २१:१०-३८

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ुंगा

अच्छा संगीत सुनने की मेरी सबसे प्रथम यादें उस समय की हैं जब समूहगान के अभ्यास के लिये कुछ पुरुष मेरे घर पर आते थे और मेरे पिता के साथ अभ्यास करते थे। मैं सबसे अधिक ध्यान अपने पिता पर रखता था जिन्हें समूहगान में सबसे ऊंचे सुर पर गाना होता था। उस समूह के एक मन्पसन्द भजन का शीर्षक था "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ।" उस छोटी उम्र में भी मैंने न केवल उस भजन संगीत को चाहा वरन उस गीत के सन्देश को भी समझा।

अपने स्वर्गरोहण से ठीक पहले यीशु द्वारा अपने चेलों से कहे गए वायदे, "मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ" को, उस भजन की पंक्ति "खिली धूप हो या गहरी छांव, तू जहां जाएगा मैं तेरे साथ रहूंगा" ने मेरे लिये और भी बहुमूल्य बना दिया।

परमेश्वर की सदैव साथ रहने वाली उपस्थिति का पहला उल्लेख व्यवस्थाविवरण ३१:६-८ में मिलता है जहां मूसा ने अपने उत्तराधिकारी यहोशु को परमेश्वर के लोगों को वाचा के देश में ले जाने के निर्देश दिये। फिर यहोशु ने भी वही वचन परमेश्वर से सुने, "जैसे मैं मूसा के संग था वैसे ही तेरे संग भी रहूंगा। मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा।" (यहोशु १:५)।

नये नियम में यही प्रतिज्ञा फिर से दी गई जब इब्रानियों को लिखी पत्री में लेखक कहता है, "उसने स्वयं ही कहा है, ’मैं न तुझे कभी छोड़ूंगा न त्यागुंगा’" (इब्रानियों १३:५)।

आप आज जहां भी हों, आप अकेले नहीं हैं। अगर आपने अपने अनन्त उद्धार के लिये यीशु पर भरोसा रखा है तो आप यह निश्चय जान रखिये कि वह आपको कभी नहीं छोड़ेगा। - क्लेयर हैस


पहले यह निश्चय कर लें कि आप प्रभु के साथ हैं, फिर यह निश्चय जान लें कि वह सदैव आपके साथ बना रहेगा।


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ३१:१-८


मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे साथ हूँ। - मत्ती २८:२०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा ८, ९
  • लूका २१:१-१९