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बुधवार, 26 मई 2010

बुरे को भला कहना

कई वर्षों से "विज़रड ऑफ ओज़" नामक पुस्तक लोकप्रीय रही है। उसके पात्रों, जैसे डौरोथी, स्केअरक्रो, टिनमैन और कायर सिंह से लोगों ने कई नैतिक शिक्षाएं लीं हैं। मूल कथानक में जिस बड़े शत्रु पर जय पानी है वह है पश्चिम में रहने वाली दुष्ट डाईन। मूल कथानक में बुराई को और उस पर भलाई की विजय को स्पष्ट दिखाया गया है।

ब्रॉडवे की एक संगीत नाटक मंडली ने इस कहानी के नैतिक तत्व को पलट दिया है। उनकी परिवर्तित कहानी में दुष्ट डाईन को एक सहनुभूति क पात्र बनाया गया है। वह हरे रंग की खाल के साथ पैदा हुई, इसलिये अपने आप को अकेली और अलग महसूस करती है। मुख्य पात्र और उनकी भूमिकाएं तथा कहानी की घटानाएं इस तरह बदल दी गईं हैं दुष्ट डाईन एक गलतफहमी का शिकार हुए व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत की जाती है। दर्षक इस परिवर्तित नाटक से यह भ्रम लेकर आ सकते हैं कि बुरा भला है और भला बुरा।

यशायाह भविष्यद्वक्ता की सेवाकाई के दिनों में इस्त्राएल में नैतिक मूल्यों का परिवर्तन हो गया था। कुछ लोग हत्या, मूर्तिपूजा और व्यभिचार जैसे पापों को भला मानने लगे थे। प्रत्युत्तर में यशायाह ने उन्हें एक कड़ी चेतावनी दी, "हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते हैं" (यशायाह ५:२०)। हमारे इस तुलनात्मक संसार में, लोकप्रीय संस्कृति सदा बाइबल के मूल्यों को चुनौती देती रहती है। परमेश्वर के वचन को सीखना, याद करना और उसपर मनन करना यह सुनिश्चित कर सकता है कि हम भले और बुरे की पहचान कर सकें। - डेनिस फिशर


यदि हम सत्य को जानते हैं तो असत्य को पहचान सकते हैं।


बाइबल पाठ: यशायाह ५:१८-२३


हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते हैं - यशायाह ५:२०


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २८, २९
  • यूहन्ना ९:२४-४१

मंगलवार, 25 मई 2010

बिकाऊ: एक आत्मा

गोएथे के उपन्यास ’डॉकटर फॉस्टस’ में जैसे फॉस्टस अपनी आत्मा शैतान को बेचता है, हम मान सकते हैं कि यह काल्पनिक कहानीयों में ही होता है। चाहे हमें यह किस्से-कहानीयों की बात लगे, लेकिन आत्मा बेचने की कई घटनाएं हो चुकी हैं।

’वायर्ड’ पत्रिका ने यह समाचार छापा कि २९ वर्षीय विश्व्विद्यालय के एक प्रशीक्षक ने अपनी अमर आत्मा १,३२५ अमेरीकी डॉलर में बेच दी। उसका कहना है कि, "अमेरिका में आप वास्तविक अथवा आलंकारिक रूप से अपनी आत्मा बेच सकते हैं और उसके लिये पुरुस्कृत हो सकते हैं"। यह विसम्य की बात है कि खरीदने वाला, खरीदी हुई आत्मा को प्राप्त कैसे करेगा!

हम वास्तविक रूप में अपनी आत्मा बेच नहीं सकते पर उसे खोकर कुछ और प्राप्त कर सकते हैं। हमें यीशु के प्रश्न पर विचार करना चाहिये "मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?" (मत्ती १६:२६)। आज के समय का हमारा उत्तर, यीशु के ज़माने के लोगों के उत्तर से कुछ ज़्यादा भिन्न नहीं होगा: जगत, शरीर और शैतान। हमें आकर्षित करके वश में करने वाली लालसाएं, वासनओं की बेरोकटोक तृप्ति, बदले की भावना, सांसारिक सफलता और वस्तुओं की प्राप्ति आदि कई लोगों लिये अनन्त काल के स्वर्गीय जीवन की उपेक्षा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।

संसार की किसी भी चीज़ की तुलना परमेश्वर के प्रेम और क्षमा से नहीं की जा सकती। यदि संसार के सुख-विलास का प्रेम आपको मसीह यीशु में विश्वास करने से रोक रहे हैं तो एक बार फिर विचार कर लीजिए - यह सब आपके अमर आत्मा से अधिक मूल्यवान नहीं हैं। - डेविड एगनर


यीशु ही वह जल स्त्रोत है जोप प्यासी आत्मा को तृप्त कर सकता है।


बाइबल पाठ: मत्ती १६:२४-२८


मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा? - मत्ती १६:२६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना ९:१-२३

सोमवार, 24 मई 2010

मित्रों की गवाही

पुलिट्ज़र पुरुस्कार विजेता डेविड हलबेरस्ट्रोम, कोरिया युद्ध में अमेरिका की भूमिका पर लिखी अपनी महान कृति के प्रकाशन से ५ महीने पूर्व एक सड़क दुर्घटना में चल बसे। उस लेखक की मृत्यु के बाद उसके सहलेखकों और मित्रों ने स्वेच्छापूर्वक उसकी पुस्तक को लेकर सारे देश का दौरा किया। हर स्थान पर जहां वे जाते, वे हलबेरस्ट्रोम के सम्मान में उसकी की पुस्तक के कुछ अंश पढ़ते और अपने दिवंगत मित्र से संबंधित अपनी यादें बांटते।

किसी व्यक्ति की महानता और उसके व्यक्तित्व का बयान एक मित्र से बेहतर कोई नहीं कर सकता। प्रभु यीशु के मृतकों में से पुनुरुत्थान और स्वर्गारोहण के बाद उसके शिष्यों ने उस अनुपम व्यक्ति के साथ अपने अनुभवों बारे में औरों को बताना आरम्भ कर दिया - "हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ" (१ यूहन्ना १:२)। उनका उद्देश्य था कि लोग परमेश्वर पिता और उसके पुत्र यीशु को जानें (पद ३)।

कभी कभी हमें लग सकता है कि दूसरों के सामने गवाही देना और मसीह में अपने विश्वास का बयान करना एक भयावह या बोझिल कार्य है। किंतु इसे यदि एक ऐसे मित्र के बारे में बात करने के रूप में देखें, जिसकी उपस्थिति और प्रभाव ने हमारा जीवन बदल दिया है, तो इस कार्य के प्रति हमारा नज़रिया बदल सकता है।

मसीह का सुसमाचार सदा उसके मित्रों की गवाही के द्वारा ही सबसे प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया जाता है। - डेविड मैककैस्लैंड


आप यीशु से जितना अधिक प्रेम रखेंगे, उतना ही अधिक आप उसके बारे में बताएंगे।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:१-७


हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्‍त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ। - १ यूहन्ना १:२


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास २२-२४
  • यूहन्ना ८:२८-५९

रविवार, 23 मई 2010

मार्ग बनाओ

डवाईट डी. आईज़नहावर, द्वितीय विश्वयुद्ध में अपने साहसी नेतृत्व के लिये प्रसिद्ध थे। उनके युद्धकौशल से उनकी सेना ने योरप पर पुनः कब्ज़ा किया। एक वीर नायक के रूप में अमेरिका वापस लौटने के कुछ समय बाद उन्हें वहां का राष्ट्रपति चुन लिया गया।

जब वे योरप में थे तो आईज़नहावर ने वहां टेढ़े-मेढ़े रास्ते पार करने की कठिनाइयों और खतरों का अनुभव किया था। इसलिये अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये उन्होंने सड़कों का एक जाल सारे देश में फैलाने की योजना बनाई जो राष्ट्रिय़ राजमार्ग प्रणाली बनी। इसके लिये पहाड़ों में सुरंगें बनाईं गईं और तराईयों पर विशाल पुल बांधे गये।

प्राचीन कल में भी कब्ज़ा करने वाले राजा, नये इलाकों में अपनी सेना के लिये बनाये गये मार्गों से प्रवेश पाते थे। यशायाह के मन में यह रूपक था जब उसने कहा, "जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो" (यशायाह ४०:३)। तथा यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले ने लोगों को पश्चाताप के लिये पुकारा, आने वाले राजा यीशु के लिये उनके मनों में मार्ग बनाने के लिये।

आपके हृदय में यीशु के निर्बाध्य प्रवेश के लिये किस तैयारी की आवश्यक्ता है? क्या वहां कोई कड़ुवाहट की चट्टाने हैं जिन्हें क्षमा के द्वारा ढाया जाना ज़रूरी है? क्या शिकायत की खाईयां हैं जिन्हें सन्तुष्टि से भरा जाना ज़रूरी है?

हम इस आत्मिक कार्य को नज़रांदाज़ नहीं कर सकते। आईये राजा के लिये राजमार्ग तैयार करें। - जो स्टोवैल


मनफिराव राजा के साथ हमारे संबंध को ठीक करने के मार्ग को साफ कर देता है।


बाइबल पाठ: यशायाह ४०:३-५


जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो। - यशायाह ४०:३


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १९-२१
  • यूहन्ना ८:१-२७

शनिवार, 22 मई 2010

मैं तो सही हूं; आप ही गलत होंगे!

मेरी सहेली रिया, विशाल नीले सारस के पंखों के ६ फुट के फैलाव और उसके शनदार रूप से बहुत प्रभावित है। उसके घर के पास एक तालाब में स्थित एक छोटे टापु पर उस सारस को नीचे उतरने के लिये पंख फैलाये हुए आते देखना उसे बहुत अच्छा लगता है।

अब, मैं भी मानती हूं कि सारस एक अनुपम और अद्‍भुत पक्षी है, किंतु अपने घर के पिछवाड़े में मैं उसे कभी देखना नहीं चाहती। यह इसलिये क्योंकि मैं जनती हूं कि यदि वह वहां आया तो केवल बाग़ की सुन्दरता निहारने नहीं आयेगा; यह अवांछित आगन्तुक तालाब से मछलियां खाने आयेगा।

तो अब मैं सही हूं या रिया? हम सहमत क्यों नहीं हो सकते? अलग अलग व्यक्तित्व, अनुभव, या ज्ञान लोगों के दृष्टिकोण में फर्क ला सकते हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि एक व्यक्ति सही है और दूसरा गलत; फिर भी कभी कभी यदि आपसी सहमति न हो तो हम निर्दयी, कठोर और दोष लगाने वाले बन जाते हैं। मैं पाप के विष्य में बात नहीं कर रही हूं - केवल दृष्टिकोण या विचारों की भिन्नता की। किसी के विचारों, उद्देश्यों या कार्यों की आलोचाना करने या उनपर दोष लगाने से पहले हमें सतर्क रहना चाहिये, क्योंकि हम भी नहीं चाहेंगे कि हम पर दोष लगाया जाय (लूका ६:३७)।

जो हमसे भिन्न दृष्टिकोण रखते हैं क्या उनसे हम कुछ सीख सकते हैं? क्या हमें कुछ धीरज और प्रेम के व्यवहार का पालन करने की आवश्यक्ता है? मैं बहुत धन्यवादी हूं कि परमेश्वर मुझसे बहुत प्रेम रखता है और मेरे प्रति अति धैर्यवान रहता है। - सिंडी हैस कैस्पर


थोड़ा प्यार बड़ा बदलाव लाता है।


बाइबल पाठ: लूका ६:३७-४२


दोष मत लगाओ; तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा: दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे। - लूका ६:३७


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १६-१८
  • यूहन्ना ७:२८-५३

शुक्रवार, 21 मई 2010

क्या वह काफी है?

क्या यीशु काफी है? कई मसीहियों को यह प्रश्न अपने आप से पूछने की आवश्यक्ता है। उनके पास सांसारिक संपत्ति तो बहुत है, किंतु क्या वे मसीह पर निर्भर करते हैं? या वे अपनी धन-संपत्ति पर निर्भर करते हैं?

बाइबल में धनी होने की निन्दा नहीं की गई है, यदि आपकी प्राथमिकताएं सही हैं और आप दूसरों की आवश्यक्ताओं का ध्यान रखते हैं। जो बहुत धन्वान नहीं हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना है कि हमें संभालने वाला सांसारिक धन नहीं, वरन यीशु है।

पतरस प्रेरित, यरुशलेम के मन्दिर के दरवाज़े के बाहर बैठ कर भीख मांगने वाले भिखारी की घटना के द्वारा, हमें इस बात को समझने में सहायता करता है। इस मनुष्य ने पतरस से पैसे मांगे, परन्तु पतरस ने उसे उत्तर दिया, "चान्‍दी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परन्‍तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर" (प्रेरितों ३:६)।

मन्दिर के दरवाज़े पर पड़े उस मनुष्य की धारणा थी कि उसकी समस्याओं का समाधान पैसा है, किंतु पतरस ने उसे दिखाया कि समाधान यीशु है। और आज भी संसार की हर समस्या का समाधान यीशु ही है।

मैंने एक चीनी मसीहियों के गुट के बारे में पढ़ा था जो अपने देश में मसीह का सुसमाचार प्रचार करते हैं, हम उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। इन विश्वासियों का कहना है कि "हमारे पास सुसमाचार प्रचार करने के लिये कोई बड़े कार्यक्रम आयोजित करने की सामर्थ नहीं है। हमारे पास लोगों को देने के लिये केवल यीशु है।"

चीन के इन भाई बहिनों के लिये यीशु काफी है। निर्धनों के लिये भी यीशु काफी है। सोचने की बात है कि क्या वह आपके लिये काफी है? - डेव ब्रैनन


हमारी सबसे बड़ी संपत्ति मसीह में हमारा धन है।


बाइबल पाठ: प्रेरितों के काम ३:१-१०


चान्‍दी और सोना तो मेरे पास है नहीं, परन्‍तु जो मेरे पास है, वह तुझे देता हूं: यीशु मसीह नासरी के नाम से चल फिर। - प्रेरितों ३:६


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १३-१५
  • यूहन्ना ७:१-२७

गुरुवार, 20 मई 2010

आत्मिक दृष्टि लौटाना

सन्डुक रूइत एक नेपाली डॉकटर है जिसने अपने ऑपरेशन के ऑज़ारों का प्रयोग एक बहुत सरल विधि द्वारा मोतियाबिंद (cataract) का इलाज करने के लिये किया है। पिछले २३ वर्षों में वह लगभग ७०,००० लोगों की दृष्टि लौटा चुका है। बिल्कुल निर्धन मरीज़ भी जो काठमान्डु में उसके द्वारा चलाये जा रहे ’बिना लाभ के अस्पताल’ में आते हैं, वे केवल अपने आभार से इलाज की कीमत चुकाते हैं।

हमारा प्रभु यीशु मसीह भी जब पृथ्वी पर था तो उसने कई शारीरिक रूप से अंधों को आंखें दीं। किंतु उसकी ज़्यादा चिंता आत्मिक अन्धेपन के प्रति थी। जब यीशु ने एक जन्म के अन्धे को चंगा किया तो कई धार्मिक अधिकारियों ने इस बात की छान-बीन करी, किंतु यह मानने से सर्वथा इन्कार किया कि यीशु पापी नहीं है (यूहन्ना ९:१३-३४)। उनके इस रवैये पर यीशु ने कहा कि, "मैं इस जगत में न्याय के लिये आया हूं, ताकि जो नहीं देखते वे देखें, और जो देखते हैं वे अन्‍धे हो जाएं" (यूहन्ना ९:३९)।

पौलुस प्रेरित ने इस आत्मिक अंधेपन के संबंध में लिखा "परन्‍तु यदि हमारे सुसमाचार पर परदा पड़ा है, तो यह नाश होने वालों ही के लिये पड़ा है। और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुद्धि को इस संसार के ईश्वर ने अन्‍धी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके" (२ कुरिन्थियों ४:३, ४)।

भजनकार ने कहा "तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है" (भजन ११९:१३०)।

केवल परमेश्वर का वचन ही है जो हमारे मन की आंखों को खोल देगा और हमारे आत्मिक अंधेपन को चंगा करेगा। - सी. पी. हीया


अंधकार से भरे संसार को यीशु के प्रकाश की आवश्यक्ता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ९:१-११


तेरी बातों के प्रवेश से प्राकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं। - भजन ११९:१३०


एक साल में बाइबल:
  • १ इतिहास १०-१२
  • यूहन्ना ६:४५-७१