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बुधवार, 9 जून 2010

घमंड का जोखिम

जब हमारे बच्चे छोटे थे, तो हमारा एक प्रीय पारिवारिक खेल था RISK (जोखिम) । इस खेल का लक्ष्य संसार पर कब्ज़ा करना था। प्रत्येक खिलाड़ी अपनी सेना को, देशों और महाद्वीपों को जीतने के लिये, एक से दूसरे स्थान पर ले बढ़ाता था। इस खेल को खेलते हुए मुझे सदा एक बात दिल्चस्प लगती थी कि आरंभ में जो खिलाड़ी जीतना शुरु करता था, अन्त में वह शायद ही कभी जीत पाता था। इसका कारण स्पष्ट था - जब बाकी खिलाड़ी जीतने वाले के बढ़ते हुए घमंड को देखते थे तो स्वाभाविक प्रतिक्रीया से उसके विरुद्ध एक हो जाते थे।

जानबूझकर या अवचेतना से, घमंडी तथा ताकतवर लोगों को पसन्द न करना स्वाभाविक होता है। ऐसे लोगों के हाव-भाव ही दूसरों को उनके रास्तों में बाधाएं डालने या उनका विरोध करने को प्रोत्साहित करते हैं।

आज के बाइबल पाठ में हम पाते हैं कि परमेश्वर सात बातों से घृणा करता है, जिनमें पहली है घमंड। जब कोई दूसरों को नीचा दिखाकर अपने आप को महान जताना चाहता है, तो यह उसकी घमंडी नज़रों से प्रकट हो जाता है। अपने अहंकार में फूलकर वह बुराई की योजनाएं बनाने लगता है और लोगों में फूट बोता है। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर घमंडीयों से घृणा करता है।

घमंडी तथा ताकतवर लोग ये सोचकर चल सकते हैं कि उन्हें दूसरों की अप्रसन्नता की परवाह करने की आवश्यक्ता नहीं है, किंतु वे परमेश्वर के विरोध को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते। पतरस हमें स्मरण दिलाता है कि हम अपने पर नहीं वरन उस परमेश्वर पर भरोसा रखें जो उचित समय पर हमें बढ़ाएगा (१ पतरस ५:६)। जब हम उसपर भरोसा रखकर उसके आधीन हो जाते हैं तो हम घमंड द्वारा चरित्र बिगड़ने के ज़ोखिम से बच जाते हैं और परमेश्वर के धन्यवादी तथा नम्र सेवक हो जाते हैं। - एल्बर्ट ली


कोई भी परमेश्वर और स्वयं, दोनो को एक साथ महिमा नहीं दे सकता।


बाइबल पाठ: नीतिवचन ६:१६-१९


इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। - १ पतरस ५:६


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास ३२, ३३
  • यूहन्ना १८:१९-४०

मंगलवार, 8 जून 2010

एक जीवन की यादें

"डैडी, मेरी मदद कीजिए" - ये वे आखिरी शब्द थे जो डायेन और गैरी क्रोनिन ने सांस लेने के लिये ज़ोर लगाती अपनी बेटी के मुंह से सुने। क्रिस्टिन, १४ वर्ष की आयु में अचानक ही चल बसी। केवल दो दिन पहले उसने कहा कि वह कुछ ठीक महसूस नहीं कर रही है; गुरुवार को उसके शरीर में संक्रमण हुआ और शनिवार को वह अपने पिता से मदद की गुहार करती हुई चल बसी।

क्रिस्टिन की मृत्यु होने से पहले ही मेरा उसके पारिवारिक चर्च में बोलना निर्धारित हो चुका था। परमेश्वर के समय निर्धारण में, उसकी मृत्यु और अन्तिम संस्कार के एक दिन बाद मुझे उस मण्डली के सामने खड़े होकर सन्देश देना पड़ा।

क्रिस्टिन एक सजीव और सदा प्रफुल्लित रहने वाली किशोर थी, वह यीशु से प्रेम रखती थी और उसी के लिये जीती थी इसलिये उसकी अचानक मृत्यु हमारे सामने अनगिनित प्रश्न उठाती है। क्योंकि मैं भी कुछ वर्ष पहले अपनी किशोर बेटी की अचानक म्रुत्यु की ऐसी ही दुखःदायी परिस्थिति से निकला था, मैं उस स्तब्ध और दुखी मण्डली को संबोधित कर सका और उन्हें समझा सका। मैंने उन से कहा, सबसे पहले हमें परमेश्वर के सर्वाधिकारी होने को नहीं भूलना है; भजन १३९:१६ हमें स्मरण दिलाता है कि क्रिस्टिन का जीवन काल परमेश्वर द्वारा निर्धारित था। दूसरी बात जिसे सदा याद रखना है वह है उसका परिवार। चाहे २ महीने बीतें या ५ साल, वह परिवार उसकी मृत्यु को कभी भुला नहीं पाएगा। उन्हें सदा ऐसे मसीहीयों की आवश्यक्ता रहेगी जो उनकी सुधी रखें और उन्हें सांत्वना दें।

ऐसे कठिन समयों में हम कभी यह न भूलें कि परमेश्वर हर परिस्थिति पर अधिकार रखता है और उसकी इच्छा हमें अपने शान्तिवाहक बनाकर दूसरों तक शान्ति पहुंचाना है। - डेव ब्रैनन


निराशा की हर मरुभूमि में परमेश्वर ने सांत्वना की हरियाली प्रदान की है।


बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१६


वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - २ कुरिन्थियों १:४


एक साल में बाइबल: २ इतिहास ३०, ३१ यूहन्ना १८:१-१८

सोमवार, 7 जून 2010

वचन और संख्या

मेरे पति, जे, संख्याओं में निपुण हैं और मैं शब्दों अर्थात "वचन" में। यदि संख्याओं में मेरी कमज़ोरी कभी मेरे अहम् को ठेस पहुंचाती है तो अपने आप को बड़ा जताने के लिये मैं जे से कहती हूं कि "वचन" के लोग श्रेष्ठ होते हैं क्योंकि यीशु ने अपने आप को "वचन" कहा न कि "संख्या"।

अपने पक्ष में तर्क देने कि बजाए जे मेरी बात सुनकर बस मुस्कुरा देते हैं और मेरे बचकाने तर्कों से अधिक महत्वपूर्ण अपने काम को जारी रखते हैं। क्योंकि जे अपना बचाव नहीं करते इसलिये मुझे ही यह बचाव भी करना पड़ता है। यद्यपि मैं इस बात में सही हूं कि यीशु "वचन" है; किंतु मैं इस बात में गलत हूं कि उन्होंने अपने लिये किसी संख्या का प्रयोग नहीं किया। परमेश्वर के वचन का एक मर्मस्पर्शी भाग है प्रभु यीशु की प्रार्थना जो उन्होंने अपने बंदी बनाकर क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले करी। मृत्यु उनके सामने थी, ऐसे में उन्होंने न केवल अपने वरन अपने चेलों के लिये और हमारे लिये भी प्रार्थना करी। हमारे लिये उनकी प्रार्थना का सबसे महत्वपूर्ण भाग एक संख्या से सम्बंधित है। उन्होंने कहा: "मैं केवल इन्‍हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्‍तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा। और वह महिमा जो तू ने मुझे दी, मैं ने उन्‍हें दी है कि वे वैसे ही एक हों जैसे की हम एक हैं।" (यूहन्ना १७:२०-२२)

"वचन" के साथ जीवन जीने वाले लोग होने के कारण हमें स्मरण रखना है कि सही वचन भी संसार को निरर्थक लगेगा यदि मसीह में हम एक रहकर, एक मन और एक आवाज़ में परमेश्वर की महिमा न करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर अपनी सन्तान को एकता में रहने के लिये बुलाता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना १७:२०-२६


मैं और पिता एक हैं। - यूहन्ना १०:३०


एक साल में बाइबल: २ इतिहास २८, २९ यूहन्ना १७

रविवार, 6 जून 2010

कठिन दिन

टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाले एक सिरीयल कार्यक्रम "बैण्ड ऑफ ब्रदर्स" में योरप को नाट्ज़ी कबज़े से छुड़ाने के मुख्य प्रयास के दौरान सेना की एक टुकड़ी को वायुयानों द्वारा युद्ध के क्षेत्र के उपर से लेजा कर पैराशूट द्वारा वहां उतारा जाता है। सीरियल का मुख्य पात्र लैफटिनैंट रिचर्ड विनटर्स जब पैराशूट से उतर रहा होता है तब उनके विरुद्ध मशीन गन और तोपों की भारी गोलाबारी चल रही होती है।

विनटर्स बाद में युद्ध में अपने प्रथम दिन को याद करके कहता है, "उस रात मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि उसने मुझे उस सब से कठिन दिन में सुरक्षित रखा।....मैंने परमेश्वर से वायदा किया कि अगर मैं सुरक्षित घर लौटा तो मैं किसी शांत स्थान पर एक छोटा सा ज़मीन का टुकड़ा खरीदकर, वहां शांति से रहुंगा।" परन्तु विनटर्स यह भी जानता था कि ऐसा दिन के आने तक, उसे युद्ध में सब कुछ सहते रहना है।

बाइबल बताती है कि विश्वासी भी शैतान द्वारा परमेश्वर के विरोध में छेड़े गए युद्ध में फंसे हैं। इस कारण उन्हें "मसीह यीशु के अच्छे योद्धा के समान दुख उठाने" की चुनौती है (२ तिमुथियुस २:१०)। पौलुस के ज़माने में रोमी सम्राट के योद्धा अपने सम्राट के लिये तकलीफें उठाते थे। यीशु के अनुयायी होने के नाते, हमें भी उस ’राजाओं के राजा’ की सेवा के लिये दुख उठाने को तैयार रहना चाहिये।

स्वर्ग में हमें कोई भी कष्ट नहीं उठाना पड़ेगा, वरन हम अपने उद्धारकर्ता के साथ अनन्त शांति में रहेंगे। परन्तु अभी हमें विश्वास के साथ उसके लिये स्थिर रहना और सब कुछ निभाना है। - डेनिस फिशर


जो दुख सहने को तैयार हैं उनकी जीत अवश्यंभावी है।


बाइबल पाठ: २ तिमुथियुस २:१-४


मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाई मेरे साथ दुख उठा। - २ तिमुथियुस २:३


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २५-२७
  • यूहन्ना १६

शनिवार, 5 जून 2010

गोद लिया हुआ

प्राचीन रोमी साम्राज्य में सम्राट कभी कभी उत्तराधिकार के लिये किसी योग्य जन को गोद ले लेते थे। अगस्तुस कैसर को उसके बड़े काका जूलियस कैसर ने गोद लिया। सम्राट तिबिरयस, ट्रोज़न, हैड्रियन भी गोद लिये हुए थे। वे सब प्रतापि शासक हुए क्योंकि प्रत्येक अपने दत्तक पिता के समन जीया।

प्रत्येक मसीही विश्वासी राजाओं के राजा परमेश्वर का दत्तक पुत्र है। उसके इस उपकार के लिये हम उसके अति आभारी हैं। परन्तु परमेश्वर जिसके पास सब कुछ है, हम उसका प्रत्युप्कार नहीं कर सकते।

परमेश्वर हमसे क्या चाहता है? वह चाहता है कि हम ऐसा जीवन जियें जो उसकी सन्तान होने के अनुकूल हो। ऐसे सब कार्य और बातें जो हमारे परमेश्वर की सन्तान होने के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें जीवन से हटा देना है (कुलुसियों ३:५)। स्वार्थी और नाशकारी मार्गों के स्थान पर ऐसे कार्य करने हैं जो परमेश्वर के प्रति हमारे प्रेम और आभार को और हमारे परमेश्वर की सन्तान होने को प्रदर्शित करते हैं। पौलुस ने लिखा, "इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो" (पद १२)।

क्या आपके आसपास के लोग कह सकते हैं कि आप वास्तव में परमेश्वर की सन्तान हैं? पवित्र आत्मा से पूछें कि आपके जीवन में ऐसा क्या है जिसे आप को छोड़ना है और क्या है जिसे धारण करना है, जिससे आप वास्तव में अपने परमेश्वर के पुत्र होने के औहदे को प्रदर्शित कर सकें। - सी. पी. हीया।


जब हम परमेश्वर को अपना पिता कहकर उसकी सन्तान के समान जीवन व्यतीत करते हैं तो उसके नाम को आदर देते हैं।


बाइबल पाठ: कुलुसियों ३:१-१२


इसलिये अपने उन अंगो को मार डालो, जो पृथ्वी पर हैं, अर्थात व्यभिचार, अशुद्धता, दुष्‍कामना, बुरी लालसा और लोभ को जो मूर्ति पूजा के बराबर है। - कुलुसियों ३:५


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २३, २४
  • यूहन्ना १५

शुक्रवार, 4 जून 2010

हमारा सहायक

एक लोकप्रीय गान मण्डली "द ईगल्स" जब किसी कार्यक्रम के लिये कोई नया गीत तैयार करती है तो वे एक घेरे मे बैठकर, बिना किसी स्टेज पर प्रयोग होनेवाले उपकरण का प्रयोग किये, अपनी स्वाभाविक आवाज़ों में उसका अभ्यास करते हैं। ऐसे अभ्यास के लिये घेरे में बैठने को वे "भय का घेरा" कहते हैं क्योंकि वहां गीत गाने में होने वाली उनकी गलतियों को छिपाने का कोई तरीका नहीं होता। गलतियों के स्पष्ट रूप में सामने आने की संभावना के कारण हर सदस्य अभ्यास के समय एक भय में रहता है।

यदि मसीह ना होता तो सच्चे परमेश्वर के सन्मुख हमारी असली हालत के प्रगट होने का इससे भी भयावह अनुभव हमें होता। यदि हमारा कोई सहायक या बचाव का ज़रिया ना होता तो हमारे पास कोई आशा भी नहीं होती। लेकिन यीशु अपने प्रत्येक विश्वासी के लिये एक सहयाक होता है और परमेश्वर के सामने उसकी ओर से निवेदन और प्रार्थना करता है। १ यूहन्ना २:१ में लिखा है, "हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो। और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह।" जब हमारी विफलताएं और गलतीयां सामने आती हैं तो वह हमारा पक्ष लेता है और निवेदन करता है। हमारा यह रक्षक परमेश्वर के साथ हमारा संबंध इस तरह कराता है कि यह "भय का घेरा" अनुग्रह और सच्चाई की सहभागिता में बदल जाता है।

पवित्रता और खराई से ऐसा जीवन जीना जो हमारे स्वर्गीय पिता को आदर देता हो, हमारे जीवन के लिये चुनौती है। यदि हम इस प्रयास में कभी विफल भी हो जाते हैं तो हमें अपने परमेश्वर पिता से निन्दा या तजे जाने का भय नहीं है - हमारे पास एक सहायक है जो हमारी रक्षा करेगा। - बिल क्राउडर


जो कभी हमारे बदले मरा, अब हमारा सहायक होकर रहता है।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना २:१-११


यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह। - १ यूहन्ना २:१


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास २१, २२
  • यूहन्ना १४

गुरुवार, 3 जून 2010

हमारे समय का प्रभु

जब सन् २००६ में अंग्रेज़ी भाषा के प्रसिद्ध शब्दकोष Concise Oxford English Dictionary ने घोषणा करी कि Time (समय)अंग्रेज़ी भाषा में सर्वाधिक प्रयुक्त संज्ञा है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं लगी। हम ऐसे संसार में रहते हैं जहां लोग दिनों का सदुउपयोग करने, मिनिटों को बचाने और हर दिन में और अधिक घंटे ढ़ूंढ़ने की धुन में लगे रहते हैं। यद्यपि हम में से प्रत्येक के पास जितना चाहिये उतना समय है, फिर भी हमें लगता है कि हमारे पास समय की कमी है।

इसीलिये भजन ९० इतना बहुमूल्य खंड है। इसका अध्ययन हमारा ध्यान हमारे समयबद्ध जीवन से हटाकर समय की सीमा से बाहर हमारे अनन्त परमेश्वर की ओर ले जाता है। "इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादि काल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है" - भजन ९०:२।

मैथ्यु ब्रिजिस के एक प्रसिद्ध भजन "Crown Him With Many Crowns" की आरंभ की पंक्ति है, "कालों के प्रभु को मुकुट पहनाओ, वह समय का अधिपति है।" अर्थात वही सर्वशक्तिशाली, सर्वाधिकारी परमेश्वर है, अभिषिक्त महाराजा - ऐसा अधिकारी जिसे किसी चुनाव में भाग लेने और जीतने या किसी से कोई नियुक्ति लेने की आवश्यक्ता नहीं है।

परमेश्वर ने समय की रचना करी है और वह समय पर शासक है, उसकी सीमाओं से बाहर है। जब हम समय के आभाव के कारण कुण्टित या निराश महसूस करते हैं तो भजन ९० को पढ़ने से मन शांत होता है और स्मरण आता है कि हमारे दिन और वर्ष आनन्त परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित हैं।

जब हम परमेश्वर के आगे नम्र होकर दण्डवत करते हैं तो समय को देखने का एक नया दृष्टिकोण हमें मिलता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


समय का सच्चा मूल्य जानने के लिये अनन्तकाल के प्रति सही दृष्टिकोण रखना चाहिये।


बाइबल पाठ: भजन ९०


इससे पहले कि पहाड़ उत्पन्न हुए, वा तूने पृथ्वी और जगत की रचना की, वरन अनादि काल से अनन्तकाल तक तू ही ईश्वर है। - भजन ९०:२


एक साल में बाइबल:
  • २ इतिहास १९, २०
  • यूहन्ना १३:२१-३८