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शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

ज़िन्दगी और प्रेम

अपने एक पसंदीदा ब्लॉग पर मैंने एल रोचक बात पढ़ी। उस ब्लॉग के लेखक जैफ के विवाह की ९वीं सालगिरह की प्रातः थी, और वह अपनी पत्नी हेयडी को एक अच्छा तोहफा देना चाहता था, किंतु उसके पास पैसे कम थे। इसलिये जैफ अपनी पत्नी के लिये उन्की मनपसन्द मिठाई - एक विशेष प्रकार की चॉक्लेट पेस्ट्री लेने के लिये भागता हुआ गया। कई मील तक भागते हुए जाने-आने से थका हुआ वह जब चॉक्लेट पेस्ट्री लेकर घर में घुसा तो पाया कि हेयडी रसोई में रखे तन्दूर से वही चॉक्लेट पेस्ट्री बना कर निकाल रही है!

जैफ ने इस घटना को ओ. हेनरी कि विख्यात लघुकथा "Gift of the Magi" के पात्रों के साथ घटी घटना के समान बताया। इस कथा का नायक अपनी पत्नी के सुन्दर बालों के लिये एक बहुमूल्य कंघी खरीदना चाहता है और उस कंघी को खरीदने के लिये वह अपनी एकमात्र मूल्यवान चीज़ - अपनी घड़ी बेच देता है। जब वह कंघी लेकर घर पहुँचता है तो पाता है कि पत्नी ने उसकी घड़ी के लिये अच्छी चेन खरीदने के लिये अपने सुन्दर बाल कटवाकर बेच दिये!

पैसे की चिंता न होना अच्छी बात है लेकिन उससे भी अच्छा है अपने प्रीय लोगों की असीम कीमत का एहसास रखना। हमें कभी कभी यह याद दिलाने की आवश्यक्ता होती है कि कोई भौतिक वस्तु पा लेना इतना आवश्यक नहीं है जितना उन लोगों का आदर करना और उन्हें प्रेम करना जिन्हें परमेश्वर ने हमारे जीवन में दिया है।

जब हम दूसरों का लाभ और उनकी पसन्द अपने स्वार्थ से पहले रखने की आदत बना लेते हैं (फिलिप्पियों २:३, ४) तो हम जान पाते हैं कि प्रेम करना, सेवा करना और बलिदान देना क्या होता है। यही तरीका है आपसी संबंधों को मसीह यीशु के नमूने पर ढालने का (इफिसियों ५:१, २)।

जीवन, प्रेम और मिठास जब दूसरों के साथ बांटी जाती है तो उसका स्वाद और भी अच्छा हो जाता है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रेम में कभी ’बहुत अधिक’ देने का भय नहीं होता।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१६-२३


...परमेश्वर के सदृश बनो। और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। - एफिसियों ५: १, २


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों के काम १६:१-२१

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

स्वर्ग का सर्वोत्तम आनन्द

स्वर्ग के सबसे बड़े आनन्दों में से एक क्या होगा?

जोनी एरिकस्न किशोर अवस्था में तैराकी के लिये गोता लगाते समय गर्दन पर घायल हो गई और ४० वर्षों से भी अधिक समय पहले उसके चारों हाथ-पैर पक्षाघात से शिथिल हो गए। हमारी सोच से सम्भवतः जोनी की सबसे बड़ी इच्छा होगी कि स्वर्ग वह स्वतंत्र चल सके, दौड़ सके और अपनी पहिये वाली कुर्सी के बन्धन से स्वतंत्र हो सके।

किंतु जोनी बताती है कि उसकी सबसे बड़ी इच्छा है कि स्वर्ग में वह "परमेश्वर को पवित्र आराधना अर्पित कर सके।" वह इसे समझाती है: "वहाँ मैं अपना ध्यान बंटने के कारण पंगु नहीं होऊँगी, छल-कपट द्वारा बाधित नहीं होऊँगी, अनमनेपन या उत्साहहीनता से रुकुंगी नहीं। मेरा मन आपके मन के साथ मिलके परमेश्वर को उमड़ती हुई आराधना अर्पित करेगा। आखिरकर हम परमेश्वर पिता और पुत्र के साथ सहभागिता कर सकेंगे। मेरे लिये यही स्वर्ग का सबसे बड़ा आनन्द होगा।"

जोनी की यह बात मेरे विभाजित मन और अकेंद्रित आत्मा के लिये गम्भीर शिक्षा है। परमेश्वर को "पवित्र आराधना" अरपित करना कैसी आशीश की बात है - ऐसी आराधना जिसमें मन इधर-उधर नहीं भटकता, कोई स्वार्थी इच्छा की माँग सम्मिलित नहीं होती और जो पृथ्वी की भाषाओं की सीमाओं से बहुत उपर उठती है।

स्वर्ग में "फिर स्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे" (प्रकाशितवाक्य २२:३)। स्वर्ग की अभिलाशा रखते हुए, काश हम अभी इस पृथ्वी पर ही परमेश्वर को महिमा देने वाली आराधना के चढ़ाने वाले बन सकें। - वेर्नन ग्राउंड्स


यीशु के साथ होना स्वर्ग का सबसे महान आनन्द होगा।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २२:१-५


परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं। - १ कुरिन्थियों २:९



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३६, ३७
  • प्रेरितों के काम १५:२२-४१

बुधवार, 7 जुलाई 2010

परमेश्वर का काम करना

जब मैं एक चर्च का पादरी था तो बहुत बार मैं एक दुस्वप्न देखता और उस के कारण परेशान रहता था। मैं देखता था कि किसी रविवार की सुबह मैं चर्च में सन्देश देने के लिये उठता हूँ और लोगों की ओर देखता हूँ तो पाता हूँ कि पूरा चर्च खाली है, वहाँ कोई भी नहीं बैठा है।

इस स्वप्न का अर्थ समझाने के लिये किसी स्वप्न विशेष्ज्ञ या दानियेल भविष्यद्वक्ता (दानियेल २:१, १९) जैसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं थी। यह स्वप्न मेरे उस विश्वास का नतीजा था कि सब कुछ मुझ पर ही निर्भर करता है। मैं इस गलतफहमी में रहता था कि यदि मैं ज़ोर देकर और सारी शक्ति से प्रचार नहीं करुंगा तो चर्च के लोग आना कम कर देंगे और धीरे धीरे चर्च बन्द हो जाएगा। मैं समझता था कि परमेश्वर के कार्य के प्रतिफल की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी।
सुसमाचारों में हम पढ़ते हैं कि कुछ लोगों ने यीशु मसीह से पूछा "परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्‍या करें?" (यूहन्ना ६:२८) - कैसी ढिटाई! केवल परमेश्वर ही परमेश्वर के कार्य कर सकता है!

यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया वह हमारे लिये भी है - "परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो" (यूहन्ना ६:२९)। इसका अर्थ है कि हमें जो कुछ भी करना है, चाहे रविवार को चर्च में सिखाना हो, किसी छोटे समूह की बाइबल शिक्षा के लिये अगुवाई करनी हो, अपने पड़ौसी को सुसमाचार सुनाना हो, या हज़ारों के सामने खड़े होकर प्रचार करना हो - जो कुछ भी करना हो, विश्वास पर आधारित होकर ही किया जाना चाहिये। परमेश्वर के कार्य करने का और कोई तरीका नहीं है।

प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा है "जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। हमारी ज़िम्मेदारी है कि परमेश्वर ने हमें जहाँ कहीं भी जिस भी कार्य के लिये नियुक्त किया है, हम वहाँ उस कार्य को पूर्ण विश्वासयोग्यता से पूरा करें और उसके प्रतिफल को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड रोपर


क्रूस पर यीशु द्वारा किया गया कार्य हमें उसके लिये उपयोगी होने और भले कार्य करने की सामर्थ देता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:२५-३३



...हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। - २ कुरिन्थियों ३:५



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४, ३५
  • प्रेरितों के काम १५:१-२१

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

ध्यान का केंद्र

अमेरिका और कैनाडा की सीमा पर एक लम्बी कतार में फंसे जोएल स्कून को अपना मन हल्का करने के लिए कुछ करना थाउसने अपने बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतल ली और कार से बाहर निकला और हवा में बुलबुले उड़ाने लगाफिर उसने कतार में फंसे अन्य ड्राईवरों को भी बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतलें पकड़ाईं और थोड़ी ही देर में वहां बुलबुले ही बुलबुले हो गएकतार तो उसी धीमी गति से बढाती रही पर लोग खुश हो गये

ब्रिटेन के एक प्रख्यात व्यक्ति - जौन ल्युब्बौक (१८३४-१९१३) ने कहा था की "हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं"एक अच्छा नज़रिया और सही रीती से केंद्रित मन जीवन को आनंदित रखने में सहयाता करते हैं, चाहे उनसे हमारी परिस्थितियां ना भी बदलें

पौलुस ने कुरिन्थियों की मंडली को उनके क्लेशों में उन्हें प्रोत्साहित किया: "हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोडे ही दिन की हैं परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं" ( कुरिन्थियों :१८)।

तो ऐसी कौन सी अनदेखी और अनंत वस्तुएं हैं जीना पर हम ध्यान लगा सकते हैं? परमेश्वर का चरित्र एक अति उत्तम स्थान है ध्यान केंद्रित करने के लिए - वह भला है (भजन २५:), न्यायी है (यशायाह ३०:१८), क्षमाशील है ( युहन्ना :) और विश्वासयोग्य है (व्यवस्थाविवरण :)।

परमेश्वर के चरित्र पर ध्यान लगाने से हमें जीवन के संघर्षों में भी शान्ति मिल सकती है। - एनी सेटास

जब मसीह आपके ध्यान का केंद्र होगा तो बाक़ी सब के प्रति दृष्टीकोण भी सही रहेगा

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:-१८

हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं - कुरिन्थियों :१८

एक साल में बाइबल:
  • अय्यूब ३२, ३३
  • प्रेरितों के काम १४

सोमवार, 5 जुलाई 2010

आशा से भरी आराधना

जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझता मेरा एक मित्र ग्रीष्म के सुन्दर दिन में आंसू बहा रहा था। एक अन्य मित्र उसके जीवन को बदल डालने वाली पिछली उदास बातों को भुला नहीं पा रही थी। एक और मित्र उस चर्च के बन्द हो जाने से दुखी था जिस में उसने बड़ी मेहनत और विश्वासयोग्यता से सेवा करी थी। मेरे चौथे मित्र की नौकरी जाती रही थी।

इन परिस्थितियों से जूझते मेरे मित्र या हममें से कोई भी अन्य जन ऐसे में आशा पाने के लिये क्या कर सकते हैं? हम किधर जाएं जब आने वाला कल हमें खुशी की कोई उम्मीद न दे?

जैसा दाऊद ने लिखा, हम ऐसे में परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं उसे "धन्य" कह सकते हैं। संकट और क्लेश के समय में भी अपने जीवन में परमेश्वर की भूमिका को मान लेने से हमारी सोच हमारे दुखों से हटकर परमेश्वर की महानता पर टिक जाती है। दाऊद परेशानियों से भली भांति परिचित था। उसने दुशमनों का सामना किया, अपने पाप के अन्जाम को भुगता और क्लेशों की चुनौतियों को झेला, लेकिन साथ ही इन सब बातों में उसने आराधना की सामर्थ को पहचाना।

इसलिये भजन १०३ में वह हमें परमेश्वर की ओर अपना ध्यान लगाने के अनेक ऐसे कारण देता है। परमेश्वर जो हमें भलाईयों से भरता है - वह हमें क्षमा करता है, चंगा करता है, प्रेम और करुणा का मुकुट हमारे सिर पर रखता है, हमारी अभिलाषाओं को तृप्त करता है, हमें फिर से उठा कर खड़ा करता है। दाऊद हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर हमें न्याय और धार्मिकता देता है और हमारे प्रति अनुग्रहकारी और प्रेम से परिपूर्ण रहता है।

दाउद से सीखिये, परमेश्वर की महानता की आरधना करने से निराश मनों में भी आशा भर जाती है। - डेव ब्रैनन


आराधना आपके भारी से भारी बोझ को भी बहुत हल्का बना देती है।


बाइबल पाठ: भजन १०३:१-१४


हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। - भजन १०३:२


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३०, ३१
  • प्रेरितों के काम १३:२६-५२

रविवार, 4 जुलाई 2010

स्वतंत्रता का उत्तरदायित्व

जो लोग उसका उचित उपयोग करना नहीं जानते उनके हाथों में स्वतंत्रता खतरनाक होती है। यही कारण है कि मुजरिमों को कैदखानों में कांटेदार तारों, लोहे की सलाखों और ऊंची दीवारों के बाड़े के अन्दर बांध कर रखा जाता है। एक छोटी सी आग सूखे जंगल को धधकती हुई भयानक भट्टी बना देती है। यदि स्वतंत्रता के नियम न हों तो उससे भारी गड़बड़ी होती है।

मसीही जीवन इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। मसीह के विश्वासी व्यवस्था के श्राप, दंड, ग्लानि और भय से मुक्त हैं। मसीही जीवन में भय, चिन्ता और दोष के स्थान पर शान्ति, क्षमा और स्वतंत्रता मिलती है। जो आत्मा की गहराईयों में स्वतंत्र है उससे अधिक स्वतंत्र और कौन होगा? लेकिन यहीं आकर हम अक्सर हार जाते हैं। हम स्वतंत्रता के सुख को स्वार्थी अभिलाशाओं की पूर्ति के लिये प्रयोग करने लगते हैं, परमेश्वर ने जो हमें एक ज़िम्मेदारी के रूप में सौंपा है हम उसे अपनी मिलकियत समझने लगते हैं। हमारी जीवन शैली स्वयं की तृप्ति की हो जाती है, विशेषतः धनी समाज में।

स्वतंत्रता का सही उपयोग है प्रेम में होकर विश्वास द्वारा एक दूसरे की सेवा करना (गलतियों ५:६, १३)। जब हम पवित्र आत्मा पर निर्भर होकर अपने गुणों और सामर्थ को परमेश्वर से प्रेम करने और दूसरों की सहायता करने में लगाते हैं, तो हमारे शरीर की विनाशकारी पृवर्तियां परमेश्वर द्वारा नियंत्रित करके रोक दी जातीं हैं (गलतियों ५:१६-२१)। इसलिये हम अपनी स्वतंत्रता को सदा सकारत्मक कार्यों मे दूसरों को बनाने के लिये करें, न कि नाशकारी कार्यों के लिये।

आग के समान, अनियंत्रित स्वतंत्रता खतरनाक है, किन्तु जब नियंत्रित होती है तो सब के लिये आशीश का कारण होती है। - डेनिस डी हॉन


स्वतंत्रता हमें वह करने का अधिकार नहीं देती जो हमें भाता है, वरन वह करने की ज़िम्मेदारी देती है जो परमेश्वर को भाता है।


बाइबल पाठ: गलतियों ५:१-६, १६-२१


हे भाइयों, तुम स्‍वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्‍तु ऐसा न हो, कि यह स्‍वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो। - गलतियों ५:१३


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २८, २९
  • प्रेरितों के काम १३:१-२५

शनिवार, 3 जुलाई 2010

अय्युब का सिद्धांत

जब मेरी पत्नी ने हमारे घर से कई मील दूर एक शिक्षा निर्देशिका की नौकरी स्वीकार करी तो इसके लिये उसे रोज़ बहुत लम्बी दूरी तय करनी होती थी। कुछ समय के लिये तो यह सहा जा सकता था लेकिन हम दोनो देख सकते थे कि इसे लम्बे समय तक कर पाना संभव नहीं होगा। इसलिये हमने निर्णय लिया कि हम एक दुसरी जगह जाकर रहेंगे जो हम दोनो के काम के स्थानों के मध्य में हो।

मकान खरीदने-बेचने वाले एजेंट को हमारा मकान जल्दी बिकने की उम्मीद नहीं थी क्योंकि कई मकान बिकने के लिये थे और खरीददार कम थे। फिर भी बहुत प्रार्थना करने और मेहन्त से घर कि सफाई करने के बाद हमने उसे बिकने के लिये दे दिया। हमें अचंभा हुआ यह देखकर कि तीन सप्ताह से भी कम समय में हमारा मकान बिक गया!

कभी कभी मुझे भौतिक आशीशें मिलने से अपने अन्दर अपराध-बोध होता है। जब संसार में इतनी ज़रूरतें हैं तो मुझे क्योंकर अपने मकान के बिकने के लिये परमेश्वर की सहायता की उम्मीद रखनी चाहिये? फिर मुझे अय्युब द्वारा अपनी पत्नी को दिया गया उत्तर स्मरण आता है, "क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें?" - अय्युब २:१०।

इस पद का प्रयोग अधिकांशतः निराशाओं और बुरी परिस्थितियों को ग्रहण करना समझाने के लिये किया जाता है। किंतु इस पद का सिद्धांत है परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ रहना, भलाई में भी और बुराई में भी। पौलुस प्रेरित ने सीख लिया था कि बहुतायत हो या कमी-घटी, हर परिस्थिति मे कैसे आनन्दित रहना है (फिलिप्पियों ४:१०-१३)। परमेश्वर हमें हानि हो या लाभ, सन्तोष सहित जीवन जीना सिखाना चाहता है।

हर परिस्थिति में हर बात के लिये परमेश्वर का धन्यवादि होना दिखाता है कि हम उसकी की सार्वभौमिकता को मानते हैं और हर बात के प्रति उसपर विश्वास रखते हैं। - डेनिस फिशर


मैं अपनी मां के पेट से नंगा निकला और वहीं नंगा लौट जाऊंगा; परमेश्वर ने दिया और परमेश्वर ही ने लिया, परमेश्वर का नाम धन्य हो। - अय्युब १:२१


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१०-१३


क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? - अय्युब २:१०


  • एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २५-२७
  • प्रेरितों के काम १२