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सोमवार, 12 जुलाई 2010

वह मेरी देखरेख करता है

एक रविवार की सुबह चर्च में हम सब ने मिलकर एक ऐसा गीत गाया जो अक्सर एकल गाया जाता है - "His eye is on the Sparrow" (उसकी नज़र गौरइया पर भी है)!

गीत गाते समय मेरा ध्यान अपने एक मित्र की ओर गया जो ऐसा रो रहा था कि उससे गाया नहीं जा रहा था। यह जानते हुए कि वह किन परिस्थितियों से होकर निकला है, मैं समझ गया कि उसके आंसु आनन्द के हैं, इस बात का एहसास करने से कि हमारी परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, परमेश्वर हमारे बारे में जानता है, हमारी देखरेख करता है और हम से जुड़ी हर बात पर नज़र रखता है।

यीशु ने कहा, "क्‍या पैसे मे दो गौरैये नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्‍छा के बिना उन में से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती। तुम्हारे सिर के बाल भी सब गिने हुए हैं। इसलिये, डरो नहीं तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो" (मत्ती १०:२९-३१)। प्रभु यीशु ने यह बात अपने १२ चेलों से तब कही जब वह उन्हें "इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के पास" उनको सिखाने, चंगा करने और उसकी (यीशु की) गवाही देने के लिये भेज रहा था। यीशु ने उन्हें कहा कि उसके कारण उन्हें क्लेशों से होकर निकलना पड़ेगा परन्तु उन्हें मृत्यु तक से भी डरने की आवश्यक्ता नहीं है (पद २२-२६)।

जब विपरीत और भयावह परिस्थितियां हमें आशा छोड़ने को बाध्य करती हैं तो हम इस गीत के शब्दों में आश्वासन पा सकते हैं "मैं गाता हूँ क्योंकि मैं आनन्दित हूँ, मैं गाता हूँ क्योंकि मैं आज़ाद हूँ। उसकी आंख गौरइया पर भी है, और मैं जानता हूँ कि वह मुझपर भी नज़र रखता है।"

हम सदा परमेश्वर की ध्यान पूर्वक देखरेख में रहते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


जब आप अपनी देखरेख परमेश्वेर के हाथ में दे देते हैं तो वह अपनी शांति आपके हृदय में दे देता है।


बाइबल पाठ: मत्ती १०:१६-३१



इसलिये, डरो नहीं तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो। - मत्ती १०:३१


एक साल में बाइबल:
  • भजन ४-६
  • प्रेरितों के काम १७:१६-३४

रविवार, 11 जुलाई 2010

मार्गदर्शक

१९वीं सदी के आरंभ में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थौमस जैफरसन ने लूईसीयाना इलाके को खरीद कर नवजात अमेरिका राष्ट्र में मिला लिया और उस नए देश की पूर्व से पश्चिम की सीमाओं को एक महासमुद्र से दूसरे महासमुद्र तक फैला दिया।

उस समय समस्या यह थी कि कोई नहीं जानता था कि उस विशाल भूभाग में है क्या। जो प्रथम यात्री प्रशांत महासागर की ओर जाते, उनके जाने के लिये नक्शों और स्पष्ट निर्देशों की आवश्यक्ता थी। खोजी यात्री लूइस और क्लार्क उन आरंभिक लोगों के मार्गदर्शक बने और नए मार्ग तैयार किये। अपनी यात्राओं के द्वारा उन्होंने अमेरिका के इतिहास में हुए आबादी के सबसे बड़े स्थानंतरण का मार्ग तैयार किया।

पौलुस प्रेरित का मसीही सेवकाई के प्रति समर्पण ऐसा ही था। उसने रोमियों १५:२० में लिखा "पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं।" वह चाहता था कि मसीही सेवाकाई में वह नया मार्ग तैयार करे जिसमें फिर और लोग उसका अनुसरण कर सकें। तिमिथियुस, तीतुस, मरकुस, सिलास उन बहुतेरों में से कुछ नाम हैं जो पौलुस के बनाए मार्ग पर चले।

आज यही समर्पण का जज़्बा यीशु के उन अनुयायियों में दिखता है जो उद्धारकर्ता के सुसमाचार को संसार के छोर तक लेकर जाते हैं। आज जब हम प्रार्थना करें तो परमेश्वर का अनुग्रह उसके वचन पर भी मांगें कि हम उसके दूत बनकर अपनी इस नई पीढ़ी के लिये मार्गदर्शक बन सकें। - बिल क्राउडर


परमेश्वर ने आपको एक सन्देश दिया है दुसरों के साथ बांटने के लिये; उसे अपने तक ही सीमित मत रखिये।


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों :१२-२१


पर मेरे मन की उमंग यह है, कि जहां जहां मसीह का नाम नहीं लिया गया, वहीं सुसमाचार सुनाऊं ऐसा न हो, कि दूसरे की नेव पर घर बनाऊं। - रोमियों १५:२०


एक साल में बाइबल:
  • भजन १-३
  • प्रेरितों के काम १७:१-१५

शनिवार, 10 जुलाई 2010

परमेश्वर की उत्कृष्ट कृतियां

ग्रैंड रैपिड कला संग्रहालय में ५००० से अधिक कलाकृतियां हैं, जिन्में ३५०० चित्र और फोटो, १००० रूपरेखाएं और ७०० तस्वीरें और मूर्तियां हैं। जब मैं किसी नये संग्रहालय के बारे में पढ़ता हूँ और उसे देखने जाने का विचार करता हूँ तो परमेश्वर के ’संग्रहालय’ के विष्य में सोचने से नहीं रह पाता।

परमेश्वर महान कलाकार है और उसकी सृष्टि की भवयता वर्णन से बाहर है, किंतु यह सृष्टि उसकी महानतम कलाकृति नहीं है! परमेश्वर की सबसे महान कृति है हमारे उद्धार का कार्य। जब हम अपने पाप में मरे हुए थे, उस दशा में ही उसने हमें अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह में जीवित किया (इफिसियों २:१, ५)। पौलुस ने इफिसियों के विश्वासियों को स्मरण कराया कि वे परमेश्वर की ’रचना’ हैं (पद १०) - मूल युनानी भाषा में जो शब्द ’पोयमा’ प्रयोग हुआ है उसका अर्थ होता है ’कविता’ अथवा ’क्लाकृति’। परमेश्वर का संग्रहालय कोई भौतिक भवन नहीं, वरन उसका चर्च अर्थात उसकी मण्डली है जिसका निर्माण उसे समर्पित और उद्धार पाए हुए लोगों अर्थात उसकी महानतम क्लाकृतियों से हुआ है।

पौलुस ने कहा कि परमेश्वर की रचना होने के कारण, वह हमसे कुछ उम्मीद रखता है। हमें उसके संग्रहालय में मौन सहभागिता के साथ नहीं बैठना है, वरन व्यावहरिक जीवन में संसार के समक्ष परमेश्वर के प्रेम को अपने भले कार्यों के द्वारा प्रदर्शित करना है। प्रभु यीशु ने कहा ऐसे भले काम हमारे स्वर्गीय पिता की महिमा करते हैं (मत्ती ५:१६)।

परमेश्वर ने अपने पुत्र में हमारी पुनः रचना किसी संग्रहालय में मूक कृतियां होने के लिये नहीं करी। उसने हमारा उद्धार किया ताकि हमारे भले कार्य उसके अनुग्रह और उद्धार के तेजोमय रंगों को लोगों के सामने ला सकें और पाप के अंधकार में पड़े इस संसार को उसके उद्धार तथा प्रेम की ज्योति से रौशन कर सकें। - मार्विन विलियम्स


परमेश्वर के सबसे उत्तम गवाह वे हैं जो अपने जीवन से गवाही देते हैं।


बाइबल पाठ: इफिसियों २:१-१०


क्‍योंकि हम उसकी रचना हुए हैं, और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए हैं जिन्‍हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। - इफिसियों २:१०


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ४१, ४२
  • प्रेरितों के काम १६:२२-४०

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

ज़िन्दगी और प्रेम

अपने एक पसंदीदा ब्लॉग पर मैंने एल रोचक बात पढ़ी। उस ब्लॉग के लेखक जैफ के विवाह की ९वीं सालगिरह की प्रातः थी, और वह अपनी पत्नी हेयडी को एक अच्छा तोहफा देना चाहता था, किंतु उसके पास पैसे कम थे। इसलिये जैफ अपनी पत्नी के लिये उन्की मनपसन्द मिठाई - एक विशेष प्रकार की चॉक्लेट पेस्ट्री लेने के लिये भागता हुआ गया। कई मील तक भागते हुए जाने-आने से थका हुआ वह जब चॉक्लेट पेस्ट्री लेकर घर में घुसा तो पाया कि हेयडी रसोई में रखे तन्दूर से वही चॉक्लेट पेस्ट्री बना कर निकाल रही है!

जैफ ने इस घटना को ओ. हेनरी कि विख्यात लघुकथा "Gift of the Magi" के पात्रों के साथ घटी घटना के समान बताया। इस कथा का नायक अपनी पत्नी के सुन्दर बालों के लिये एक बहुमूल्य कंघी खरीदना चाहता है और उस कंघी को खरीदने के लिये वह अपनी एकमात्र मूल्यवान चीज़ - अपनी घड़ी बेच देता है। जब वह कंघी लेकर घर पहुँचता है तो पाता है कि पत्नी ने उसकी घड़ी के लिये अच्छी चेन खरीदने के लिये अपने सुन्दर बाल कटवाकर बेच दिये!

पैसे की चिंता न होना अच्छी बात है लेकिन उससे भी अच्छा है अपने प्रीय लोगों की असीम कीमत का एहसास रखना। हमें कभी कभी यह याद दिलाने की आवश्यक्ता होती है कि कोई भौतिक वस्तु पा लेना इतना आवश्यक नहीं है जितना उन लोगों का आदर करना और उन्हें प्रेम करना जिन्हें परमेश्वर ने हमारे जीवन में दिया है।

जब हम दूसरों का लाभ और उनकी पसन्द अपने स्वार्थ से पहले रखने की आदत बना लेते हैं (फिलिप्पियों २:३, ४) तो हम जान पाते हैं कि प्रेम करना, सेवा करना और बलिदान देना क्या होता है। यही तरीका है आपसी संबंधों को मसीह यीशु के नमूने पर ढालने का (इफिसियों ५:१, २)।

जीवन, प्रेम और मिठास जब दूसरों के साथ बांटी जाती है तो उसका स्वाद और भी अच्छा हो जाता है। - सिंडी हैस कैस्पर


प्रेम में कभी ’बहुत अधिक’ देने का भय नहीं होता।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१६-२३


...परमेश्वर के सदृश बनो। और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। - एफिसियों ५: १, २


एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों के काम १६:१-२१

गुरुवार, 8 जुलाई 2010

स्वर्ग का सर्वोत्तम आनन्द

स्वर्ग के सबसे बड़े आनन्दों में से एक क्या होगा?

जोनी एरिकस्न किशोर अवस्था में तैराकी के लिये गोता लगाते समय गर्दन पर घायल हो गई और ४० वर्षों से भी अधिक समय पहले उसके चारों हाथ-पैर पक्षाघात से शिथिल हो गए। हमारी सोच से सम्भवतः जोनी की सबसे बड़ी इच्छा होगी कि स्वर्ग वह स्वतंत्र चल सके, दौड़ सके और अपनी पहिये वाली कुर्सी के बन्धन से स्वतंत्र हो सके।

किंतु जोनी बताती है कि उसकी सबसे बड़ी इच्छा है कि स्वर्ग में वह "परमेश्वर को पवित्र आराधना अर्पित कर सके।" वह इसे समझाती है: "वहाँ मैं अपना ध्यान बंटने के कारण पंगु नहीं होऊँगी, छल-कपट द्वारा बाधित नहीं होऊँगी, अनमनेपन या उत्साहहीनता से रुकुंगी नहीं। मेरा मन आपके मन के साथ मिलके परमेश्वर को उमड़ती हुई आराधना अर्पित करेगा। आखिरकर हम परमेश्वर पिता और पुत्र के साथ सहभागिता कर सकेंगे। मेरे लिये यही स्वर्ग का सबसे बड़ा आनन्द होगा।"

जोनी की यह बात मेरे विभाजित मन और अकेंद्रित आत्मा के लिये गम्भीर शिक्षा है। परमेश्वर को "पवित्र आराधना" अरपित करना कैसी आशीश की बात है - ऐसी आराधना जिसमें मन इधर-उधर नहीं भटकता, कोई स्वार्थी इच्छा की माँग सम्मिलित नहीं होती और जो पृथ्वी की भाषाओं की सीमाओं से बहुत उपर उठती है।

स्वर्ग में "फिर स्राप न होगा और परमेश्वर और मेम्ने का सिंहासन उस नगर में होगा, और उसके दास उस की सेवा करेंगे" (प्रकाशितवाक्य २२:३)। स्वर्ग की अभिलाशा रखते हुए, काश हम अभी इस पृथ्वी पर ही परमेश्वर को महिमा देने वाली आराधना के चढ़ाने वाले बन सकें। - वेर्नन ग्राउंड्स


यीशु के साथ होना स्वर्ग का सबसे महान आनन्द होगा।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य २२:१-५


परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखनेवालों के लिये तैयार की हैं। - १ कुरिन्थियों २:९



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३६, ३७
  • प्रेरितों के काम १५:२२-४१

बुधवार, 7 जुलाई 2010

परमेश्वर का काम करना

जब मैं एक चर्च का पादरी था तो बहुत बार मैं एक दुस्वप्न देखता और उस के कारण परेशान रहता था। मैं देखता था कि किसी रविवार की सुबह मैं चर्च में सन्देश देने के लिये उठता हूँ और लोगों की ओर देखता हूँ तो पाता हूँ कि पूरा चर्च खाली है, वहाँ कोई भी नहीं बैठा है।

इस स्वप्न का अर्थ समझाने के लिये किसी स्वप्न विशेष्ज्ञ या दानियेल भविष्यद्वक्ता (दानियेल २:१, १९) जैसे किसी व्यक्ति की ज़रूरत नहीं थी। यह स्वप्न मेरे उस विश्वास का नतीजा था कि सब कुछ मुझ पर ही निर्भर करता है। मैं इस गलतफहमी में रहता था कि यदि मैं ज़ोर देकर और सारी शक्ति से प्रचार नहीं करुंगा तो चर्च के लोग आना कम कर देंगे और धीरे धीरे चर्च बन्द हो जाएगा। मैं समझता था कि परमेश्वर के कार्य के प्रतिफल की ज़िम्मेदारी मुझ पर थी।
सुसमाचारों में हम पढ़ते हैं कि कुछ लोगों ने यीशु मसीह से पूछा "परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्‍या करें?" (यूहन्ना ६:२८) - कैसी ढिटाई! केवल परमेश्वर ही परमेश्वर के कार्य कर सकता है!

यीशु ने उन्हें जो उत्तर दिया वह हमारे लिये भी है - "परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उस ने भेजा है, विश्वास करो" (यूहन्ना ६:२९)। इसका अर्थ है कि हमें जो कुछ भी करना है, चाहे रविवार को चर्च में सिखाना हो, किसी छोटे समूह की बाइबल शिक्षा के लिये अगुवाई करनी हो, अपने पड़ौसी को सुसमाचार सुनाना हो, या हज़ारों के सामने खड़े होकर प्रचार करना हो - जो कुछ भी करना हो, विश्वास पर आधारित होकर ही किया जाना चाहिये। परमेश्वर के कार्य करने का और कोई तरीका नहीं है।

प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा है "जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना १५:५)। हमारी ज़िम्मेदारी है कि परमेश्वर ने हमें जहाँ कहीं भी जिस भी कार्य के लिये नियुक्त किया है, हम वहाँ उस कार्य को पूर्ण विश्वासयोग्यता से पूरा करें और उसके प्रतिफल को परमेश्वर पर छोड़ दें। - डेविड रोपर


क्रूस पर यीशु द्वारा किया गया कार्य हमें उसके लिये उपयोगी होने और भले कार्य करने की सामर्थ देता है।


बाइबल पाठ: यूहन्ना ६:२५-३३



...हमारी योग्यता परमेश्वर की ओर से है। - २ कुरिन्थियों ३:५



एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४, ३५
  • प्रेरितों के काम १५:१-२१

मंगलवार, 6 जुलाई 2010

ध्यान का केंद्र

अमेरिका और कैनाडा की सीमा पर एक लम्बी कतार में फंसे जोएल स्कून को अपना मन हल्का करने के लिए कुछ करना थाउसने अपने बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतल ली और कार से बाहर निकला और हवा में बुलबुले उड़ाने लगाफिर उसने कतार में फंसे अन्य ड्राईवरों को भी बुलबुले बनाने वाले द्रव्य की बोतलें पकड़ाईं और थोड़ी ही देर में वहां बुलबुले ही बुलबुले हो गएकतार तो उसी धीमी गति से बढाती रही पर लोग खुश हो गये

ब्रिटेन के एक प्रख्यात व्यक्ति - जौन ल्युब्बौक (१८३४-१९१३) ने कहा था की "हम वही देखते हैं जो देखना चाहते हैं"एक अच्छा नज़रिया और सही रीती से केंद्रित मन जीवन को आनंदित रखने में सहयाता करते हैं, चाहे उनसे हमारी परिस्थितियां ना भी बदलें

पौलुस ने कुरिन्थियों की मंडली को उनके क्लेशों में उन्हें प्रोत्साहित किया: "हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं, क्योंकि देखी हुई वस्तुएं थोडे ही दिन की हैं परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं" ( कुरिन्थियों :१८)।

तो ऐसी कौन सी अनदेखी और अनंत वस्तुएं हैं जीना पर हम ध्यान लगा सकते हैं? परमेश्वर का चरित्र एक अति उत्तम स्थान है ध्यान केंद्रित करने के लिए - वह भला है (भजन २५:), न्यायी है (यशायाह ३०:१८), क्षमाशील है ( युहन्ना :) और विश्वासयोग्य है (व्यवस्थाविवरण :)।

परमेश्वर के चरित्र पर ध्यान लगाने से हमें जीवन के संघर्षों में भी शान्ति मिल सकती है। - एनी सेटास

जब मसीह आपके ध्यान का केंद्र होगा तो बाक़ी सब के प्रति दृष्टीकोण भी सही रहेगा

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:-१८

हम तो देखी हुई वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते रहते हैं - कुरिन्थियों :१८

एक साल में बाइबल:
  • अय्यूब ३२, ३३
  • प्रेरितों के काम १४