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मंगलवार, 28 सितंबर 2010

जल्दबाज़ी के निर्णय

मुझे एक ई-मेल मिला जो बाइबल के बहुत से पदों का संकलन था। यह ऐसे समय हुआ जब हमारे चर्च में कुछ बातों को लेकर चर्च की कार्यकारी समिति के सदस्यों में आपसी मतभेद चल रहे थे और ई-मेल भेजने वाली एक ऐसी स्त्री थी जिसे मैं ठीक से जानती भी नहीं थी। स्वाभाविक था कि मैं यह मान बैठी कि वह ई-मेल और उसमें उद्वत पद मुझे निशाना बनाकर भेजे गए थे। मैं इस बात से अति क्रुद्ध हुई कि कोई ऐसा व्यक्ति जो मतभेदों के संबंध में सारी बातों को ठीक से जानता भी नहीं है, परमेश्वर के वचन का सहारा लेकर मुझ पर प्रहार कर रहा है।

इससे पहले कि मैं पलटवार करती, मेरे पति जे ने मुझसे कहा कि किसी बुरे निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले मुझे उस ई-मेल भेजने वाले को एक अवसर देना चाहिये और सन्देह का निवारण करने का प्रयत्न करना चाहिये। मेरे लिये तो बात साफ थी और मैं इसमें किसी सन्देह या गलती होने की मैं कोई कलपना भी नहीं कर सकती थी, फिर भी अपने पति के आग्रह पर मैं ने ई-मेल भेजने वाले को मौका देने की बात मान ली और उससे इस विषय पर बात करने के उद्देश्य से उसे फोन किया।

मेरा फोन मिलने पर वह बहुत धन्यवादी हुई और मुझे ई-मेल का कारण समझाया - उसके कम्पयूटर में एक वायरस आ गया था जो कम्पयूटर द्वारा उसके ई-मेल संपर्क के लोगों को उसके बाइबल अध्ययन के हिस्सों को इधर उधर भेज रहा था। मुझे जल्दबाज़ी के अपने निष्कर्ष पर ग्लानि हुई तथा मैंने परमेश्वर का धन्यवाद किया कि अपने पति की सहायता से मैं जहां समस्या थी ही नहीं वहां एक बड़ी समस्या खड़ी करने से बच गई। एक स्वाभाविक लगने वाले किंतु गलत निष्कर्ष पर पहुंचने के कारण मैं व्यर्थ के झगड़े में फंसने वाली थी। वार्तालाप द्वारा बात स्पष्ट करने से यह बेवजह का झगड़ा टल गया।

इस्त्राएल के इतिहास में भी एक ऐसी घटना का वर्णन है। वे अपने ही कु्छ गोत्रों के साथ युद्ध करने को तैयार हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि उन गोत्रों द्वारा बनायी गई परमेश्वर की वेदी, परमेश्वर के विरुध्द विद्रोह का चिन्ह है, जबकि उन लोगों ने वह वेदी यह स्थापित करने को बनाई थी कि भविष्य में यदि कोई उन पर इस्त्राएल के मुल समाज से अलग बताता तो उस वेदी के द्वारा वे उसे प्रमाणित करते कि वे भी उसी परमेश्वर के उपासक हैं जिसका शेष इस्त्राएल है (यहोशु २२:९-३४)। युद्ध पर जाने से पहले जब इस्त्राएल के कुछ अगुवों ने उनके पास जाकर बात करी और कारण पुछा तो बात स्पष्ट हो गई और युद्ध का कोई औचित्य ही नहीं रहा।

किसी भी गलत निष्कर्ष और उसके दुषपरिणमों से बचने के लिये अनिवार्य है कि हम अपने तथ्यों को जांच लें, उन्हें सुनिश्चित कर लें, तब ही कोई कदम उठाएं। - जूली एकैरमैन लिंक

शर्मनाक स्थिति में औंधे मुँह गिरने से बचने के लिये किसी गलत निर्णय पर मत कूदिये।

अपने मन में उतावली से क्रोधित न हो, क्योंकि क्रोध मूर्खों ही के ह्रृदय में रहता है। - सभोपदेशक ७:९


बाइबल पाठ: यहोशु २२:१०-३४

और जब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहां देखने के योग्य एक बड़ी वेदी बनाई।
और इसका समाचार इस्राएलियों के सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने कनान देश के साम्हने यरदन की तराई में, अर्थात उसके उस पार जो इस्राएलियों का है, एक वेदी बनाई है।
जब इस्राएलियों ने यह सुना, तब इस्राएलियों की सारी मण्डली उन से लड़ने के लिये चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई।।
तब इस्राएलियों ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को,
और उसके संग दस प्रधानों को, अर्थात इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजों के घरानों के एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारों में अपने अपने पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरूष थे।
वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास जाकर कहने लगे,
यहोवा की सारी मण्डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया? आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरूद्ध आज बलवा किया है?
सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिये कुछ कम था, यद्दपि यहोवा की मण्डली को भारी दण्ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्या वह तुम्हारी दृष्टि में एक छोटी बात है,
कि आज तुम यहोवा को त्याग कर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्डली पर क्रोधित होगा।
परन्तु यदि तुम्हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहां यहोवा का निवास रहता है, हम लोगों के बीच में अपनी अपनी निज भूमि कर लो, परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा की वेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से।
देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, तब क्या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राण दण्ड अकेले उसी को न मिला।।
तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूषों को यह उत्तर दिया,
कि यहोवा जो ईश्वरों का परमेश्वर है, ईश्वरों का परमेश्वर यहोवा इसको जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिर के वा उसका विश्वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़,
यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिये बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिये कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले;
परन्तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से क्या काम?
क्योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्हारे बीच में यरदन को हद ठहरा दिया है, इसलिये यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कह कर तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी।
इसीलिये हम ने कहा, आओ, हम अपने लिथे एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं,
परन्तु इसलिये कि हमारे और तुम्हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्हारे वंश के बीच में साक्षी का काम दे; इसलिये कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ा कर यहोवा के सम्मुख उसकी उपासना करें और भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं।
इसलिये हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्य में हम से वा हमारे वंश से यों कहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं बनाया परन्तु इसलिये बनाया था कि हमारे और तुम्हारे बीच में साक्षी का काम दे।
यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिर कर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपने परमेश्वर यहोवा की उस वेदी को छोड़ कर जो उसके निवास के साम्हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिये दूसरी वेदी बनाएं।।
रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों की इन बातों को सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए।
और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शेइयों से कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगों ने इस्राएलियों को यहोवा के हाथ से बचाया है।
तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानों समेत रूबेनियों और गादियों के पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियों के पास लौट गया: और यह वृतान्त उनको कह सुनाया।
तब इस्राएली प्रसन्न हुए और परमेश्वर को धन्य कहा, और रूबेनियों और गादियों से लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिये चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की।
और रूबेनियों और गादियों ने यह कह कर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्य में इस बात का साक्षी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्वर है: उस वेदी का नाम एद रखा।।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ५, ६
  • इफिसियों १

सोमवार, 27 सितंबर 2010

खुला मार्ग

उस दिन की चर्च सभा हृदय स्पर्षी थी। हमारे पास्टर ने प्रभु यीशु मसीह द्वारा हमारे पापों को अपने उपर लेकर हमारे स्थान पर दण्ड और मृत्यु सहने के विष्य में संदेश दिया। फिर उन्होंने पूछा कि क्या अभी भी कोई ऐसा है जो अपने पापों का अंगीकार करने के बाद भी अपने आप को दोषी महसूस कर रहा है और परमेश्वर की क्षमा का आनन्द नहीं उठा पा रहा? उन्होंने कहा जो ऐसा अनुभव कर रहे हों वे अपने उस पाप को काग़ज़ पर लिखें और चर्च में सामने रखे हुए लकड़ी के क्रूस पर ठोंक दें। बहुत से लोग सामने आए और काफी देर तक कीलें ठोंकने की आवाज़ आती रही। ऐसा करने से पापों की क्षमा नहीं मिलती, यह केवल स्मरण दिलाने का साधन मात्र था कि प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ कर हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया है।

यह बात कुलुस्से की मण्डली को पौलुस ने सिखाई। वहां के लोग झुठे शिक्षकों द्वारा प्रभावित हो रहे थे; ये शिक्षक प्रभु यीशु को उनके पापों की क्षमा के लिये पूर्णत्या पर्याप्त न होने की शिक्षा दे रहे थे। पौलुस ने समझाया कि कैसे प्रभु यीशु ने समस्त संसार के समस्त लोगों के समस्त पापों का पूरा दाम क्रूस पर चढ़ कर चुकाया और उन के उद्धार के विरोध में खड़ी हर बात को क्रूस पर ठोंक कर उसे उद्धार में अवरोध बनने से दूर कर दिया - "और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है" (कुलुस्सियों २:१४)।

यदि हम अपने पापों का अंगीकार परमेश्वर से करें और उस से शुद्धी की प्रार्थना करें तो वह हमारे लिये यह करेगा "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ यूहन्ना १:९)। हमें अपने पापों के दोष में पड़े रहने की आवश्यक्ता नहीं है। हमारे पाप क्रूस पर ठोंक कर हटा दिये गए हैं। प्रभु यीशु ने अपनी क्षमा द्वारा मुक्ति के मार्ग को संसार के लिये खोल दिया है, जो कोई विश्वास से आयेगा वह पायेगा। - ऐनी सेटास।


पाप का बोझ परमेश्वर के लोग ढोएं, यह कभी परमेश्वर की मनसा नहीं रही।

और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतना रहित दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया। - कुलिस्सियों २:१३


बाइबल पाठ: कुलुस्सियों २:८-१८

चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्‍व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न करे ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।
क्‍योंकि उस में ईश्वरत्‍व की सारी परिपूर्णता सदेह वास करती है।
और तुम उसी में भरपूर हो गए हो जो सारी प्रधानता और अधिकार का शिरोमणि है।
उसी में तुम्हारा ऐसा खतना हुआ है, जो हाथ से नहीं होता, अर्थात मसीह का खतना, जिस से शारीरिक देह उतार दी जाती है।
और उसी के साथ बपतिस्मे में गाड़े गए, और उसी में परमेश्वर की शक्ति पर विश्वास कर के, जिस ने उस को मरे हुओं में से जिलाया, उसके साथ जी भी उठे।
और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतनारिहत दशा में मुर्दा थे, उस के साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया।
और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला, और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है।
और उस ने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उन का खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जय-कार की ध्वनि सुनाई।
इसलिये खाने पीने या पर्ब्‍ब या नए चान्‍द, या सब्‍तों के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे।
क्‍योंकि ये सब आने वाली बातों की छाया हैं, पर मूल वस्‍तुएं मसीह की हैं।
कोई मनुष्य दीनता और स्‍वर्गदूतों की पूजा कर के तुम्हें दौड़ के प्रतिफल से वंचित न करे। ऐसा मनुष्य देखी हुई बातों में लगा रहता है और अपनी शारीरिक समझ पर व्यर्थ फूलता है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह ३, ४
  • गलतियों ६

रविवार, 26 सितंबर 2010

प्रेम की सहिषुण्ता

लगभग ४० वर्ष पूर्व की बात है, मेरा ध्यान अपने एक मित्र की ओर गया। वह मित्र किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति बहुत लगाव दिखा रहा था जो मेरी दृष्टि में प्रेम के ज़रा भी योग्य नहीं था। मुझे लगा कि मेरे मित्र को किसी जाल में फंसाया जा रहा है और वह अन्त में इस धोखे के कारण दुखी और निराश होगा।

मैं ने अपने मित्र से इस बात को लेकर अपनी चिन्ता व्यक्त करी। उसका उत्तर मुझे आज भी नहीं भूला, उसने कहा "जब मैं अपने प्रभु के सामने अपने जीवन का हिसाब देने के लिये खड़ा होऊंगा, तब मैं चाहता हूँ कि वह मेरे लिये कहे कि ’इसने बहुतों से प्रेम किया’ न कि यह कि ’इसने बहुत थोड़ों से प्रेम किया’।"

पौलुस आग्रह के साथ कहता है कि प्रेम "सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है" (१ कुरिन्थियों १३:७)। प्रेम लोगों में छिपी अन्तःशक्ति को देखता है, और उन पर विश्वास रखता है। प्रेम जानता है कि परमेश्वर सबसे अयोग्य और अप्रीय व्यक्ति को भी अनुग्रह और सौन्दर्य की महान कृति में बदल सकता है; इस कारण प्रेम किसी को तुच्छ नहीं जानता। यदि प्रेम गलती भी करता है तो वह गलती विश्वास और आशा रखने की होती है।

परमेश्वर का वचन हमें जान बूझ कर मूर्ख बनने के लिये नहीं कहता, वह सिखाता है कि " देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की नाईं भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं सो सांपों की नाई बुद्धिमान और कबूतरों की नाई भोले बनो" (मती १०:१६)। यदि मूर्ख, निकम्मे और गैरज़िम्मेदार लोगों के प्रति कठोर भी होना पड़े तो वह कठोरता प्रतिशोध और निर्दयता सहित नहीं वरन प्रेम सहित होनी चाहिये।

प्रेम रखने में यदि हमें धोखा भी खाना पड़े तो वह हमारे लिये कोई बड़ी हानि का कारण नहीं ठहरेगा ( मत्ती ५:३८-४८)। बेहतर है कि हम प्रेम सहित विश्वास रखने में धोखा खायें और हमारे दिल टूट जाएं, बजाए इसके कि हम बेदिल और निष्प्रेम रहें। अंग्रेज़ी कवि एल्फ्रेड टैनिसन ने कहा "प्रेम नहीं करने से कहीं बेहतर है कि प्रेम करते हुए हार जाएं" और मैं इससे पूर्णतया सहमत हूँ।

प्रभु यीशु ने जो प्रेम हमसे किया, उस प्रेम को प्रदर्शित करने में हमें ध्यान रखना चाहिये कि हम आवश्यक्ता से अधिक सतर्कता, सन्देह और सुरक्षा रखने वाले न बने क्योंकि "जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्‍योंकि परमेश्वर प्रेम है" और "...परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है, और परमेश्वर उस में बना रहता है" ( १ यूहन्ना ४:८, १६)। - डेविड रोपर


प्रेम यह नहीं देखता कि कौन क्या है, वरन यह कि वह "प्रेम" द्वारा क्या बनाया जा सकता है।

वह[प्रेम] सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। - १ कुरिन्थियों १३:७


बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १३

यदि मैं मनुष्यों, और सवर्गदूतों की बोलियां बोलूं, और प्रेम न रखूं, तो मैं ठनठनाता हुआ पीतल, और झंझनाती हुई झंझ हूं।
और यदि मैं भविष्यद्वाणी कर सकूं, और सब भेदों और सब प्रकार के ज्ञान को समझूं, और मुझे यहां तक पूरा विश्वास हो, कि मैं पहाड़ों को हटा दूं, परन्‍तु प्रेम न रखूं, तो मैं कुछ भी नहीं।
और यदि मैं अपनी सम्पूर्ण संपत्ति कंगालों को खिला दूं, या अपनी देह जलाने के लिये दे दूं, और प्रेम न रखूं, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं।
प्रेम धीरजवन्‍त है, और कृपाल है, प्रेम डाह नहीं करता, प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।
कुकर्म से आनन्‍दित नहीं होता, परन्‍तु सत्य से आनन्‍दित होता है।
वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है।
प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्‍त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी, ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।
क्‍योंकि हमारा ज्ञान अधूरा है, और हमारी भविष्यद्वाणी अधूरी।
परन्‍तु जब सवर्सिद्ध आएगा, तो अधूरा मिट जाएगा।
जब मैं बालक था, तो मैं बालकों की नाईं बोलता था, बालकों का सा मन था बालकों की सी समझ थी, परन्‍तु सियाना हो गया, तो बालकों की बातें छोड़ दीं।
अब हमें दर्पण में धुंधला सा दिखाई देता है, परन्‍तु उस समय आमने साम्हने देखेंगे, इस समय मेरा ज्ञान अधूरा है परन्‍तु उस समय ऐसी पूरी रीति से पहिचानूंगा, जैसा मैं पहिचाना गया हूं।
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम ये तीनों स्थाई हैं, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।

एक साल में बाइबल:
  • यशायाह १, २
  • गलतियों ५

शनिवार, 25 सितंबर 2010

नए जीवन की पीड़ाएं

प्राचीन युनानी दार्शनिक सुकरात की माँ एक दाई थी, इसलिये सुकरात यह देखते हुए बड़ा हुआ कि उसकी माँ संसार में नया जीवन लाने में स्त्रियों की सहायता करती है। उसके इन अनुभवों का प्रभाव बाद में उसके शिक्षा देने के तरीकों पर भी पड़ा। सुकरात ने कहा "मेरी दाई कि कला उनकी जैसी ही है, फर्क सिर्फ इतना है कि मेरे मरीज़ पुरुष होते हैं स्त्रीयां नहीं, और मेरा सरोकार शरीर से नहीं वरन आत्मा से है जो नया जीवन देने को कराह रही है।"

अपने शिष्यों को सिखाने के लिये अपना ज्ञान प्रदान करने की बजाए, सुकरात का तरीका कुछ कष्ट दायक था। वह उनसे टटोलने वाले प्रश्न पूछता था जिनके उत्तर खोजने और फिर निषकर्श निकालने के लिये उन्हें मेहनत करनी पड़ती थी। शिष्यों को ज्ञान अर्जित करने के लिये विचार और चिंतन करना सिखाना, सुकरात के लिये जच्चा की पीड़ा के समान था जो संसार में कुछ नया लाने के लिये स्वयं दर्द सहती है।

पौलुस ने भी, विश्वासियों को विश्वास में शिक्षित करने के लिये, कुछ ऐसे ही भावनाओं को व्यक्त किया, उसने लिखा " हे मेरे बालकों, जब तक तुम में मसीह का रूप न बन जाए, तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्‍चा की सी पीड़ाएं सहता हूं" (गलतियों ४:१९)। पौलुस की इच्छा थी कि प्रत्येक विश्वासी, आत्मिक रूप से परिपक्व होकर मसीह यीशु की समानता में बन जाये - "जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं" (इफिसियों ४:१३)।

मसीह यीशु की समानता में होना जीवन भर का प्रयत्न और कार्य है। इस के लिये हमें, अपने तथा दूसरों के प्रति धैर्य रखना होता है। मसीह की समानता के इस मार्ग में आगे बढ़ते हुए हम में से प्रत्येक को चुनौतियों, कठिनाइयों और निराशाओं का सामना करना पड़ेगा। परन्तु यदि विपरीत परिस्थितियों में भी हम अपना विश्वास प्रभु यीशु पर बनाए रखेंगे तो वह आत्मिक परिपक्वता प्राप्त करने में हमारी सहायता करेगा (२ पतरस १:३-८) और हमें इस योग्य करेगा कि हमारे द्वारा संसार में नए जन्म और जीवन के मार्ग खुल जाएं (मरकुस १६:१५-२०)। - डेनिस फिशर


मन परिवर्तन एक क्षण का चमात्कार है, परिपक्वता आने में सारा जीवन लग जाता है।

हे मेरे बालकों, जब तक तुम में मसीह का रूप न बन जाए, तब तक मैं तुम्हारे लिये फिर जच्‍चा की सी पीड़ाएं सहता हूं। - गलतियों ४:१९


बाइबल पाठ:

२ पतरस १:३-८
क्‍योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिस ने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है।
जिन के द्वारा उस ने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ।
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सदगुण, और सदगुण पर समझ।
और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति।
और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ।
क्‍योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचान में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी।

मरकुस १६:१५-२०

और उस[यीशु] ने उन[चेलों] से कहा, तुम सारे जगत में जा कर सारी सृष्‍टि के लोगों को सुसमाचार प्रचार करो।
जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्‍तु जो विश्वास ने करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा।
और विश्वास करने वालों में ये चिन्‍ह होंगे कि वे मेरे नाम से दुष्‍टात्माओं को निकालेंगे।
नई नई भाषा बोलेंगे, सांपों को उठा लेंगे, और यदि वे नाशक वस्‍तु भी पी जांए तौभी उन की कुछ हानि न होगी, वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जाएंगे।
निदान प्रभु यीशु उन से बातें करने के बाद स्‍वर्ग पर उठा लिया गया, और परमेश्वर की दाहिनी ओर बैठ गया।
और उन्‍होंने निकल कर हर जगह प्रचार किया, और प्रभु उन के साथ काम करता रहा, और उन चिन्‍हों के द्वारा जो साथ साथ होते थे वचन को, दृढ़ करता रहा। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्ठगीत ६-८
  • गलतियों ४

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

संतोष

एक बुज़ुर्ग औरत की फोटो ने मेरे मन को जकड़ लिया और मुझे सोचने पर बाध्य कर दिया। मुस्कुराती हुई वह बुज़ुर्ग औरत कूड़े के एक ढेर पर बैठी थी और वहां से उठाया कुछ भोजन खा रही थी। उस औरत को प्रसन्न करने के लिये कितनी ज़रा सी और कैसी तुच्छ चीज़ भी काफी थी!

अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और महंगाई की चर्चाएं बहुत आम बात हो गई है। बहुत से लोग अपने जीविका कमाने के बारे में चिंतित रहते हैं। क्या इन परिस्थितियों में यह संभव है कि हम मत्ती ६:२५ में अपने प्रभु यीशु द्वारा दी गई शिक्षा "मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे" पर ध्यान दें और विश्वास रखें?

हमारा प्रभु यह नहीं कह रहा था कि हमें कोई काम करने की आवश्यक्ता नहीं है, या हमें कुछ खाने की आवश्यक्ता नहीं है, या हम ने कैसे कपड़े पहने हैं इस के लिये सोचने की आवश्यक्ता नहीं है। वह जीवन में इन बातों के महत्व और आवश्यक्ता को भली भांति जानता था। वह जो सिखा रहा था वह था जीवन में इन बातों के प्रति सही दृष्टिकोण रखना। वह चेतावनी दे रहा था कि ये बातें हमारे लिये कभी इतनी बड़ी न बन जाएं कि इन की प्राप्ति के पीछे हम धन संपत्ति के ग़ुलाम बन जाएं और यीशु पर अपने विश्वास को छोड़ बैठें। उसने कहा "कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते" और "इसलिये पहिले तुम उस [परमेश्वर] के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी"(मत्ती ६:२४, ३३)।

पहले परमेश्वर के धर्म और राज्य की खोज करने का तातपर्य है कि हम इस बात को पहिचाने कि हम चाहे जितनी भी मेहनत अपने और अपने परिवार की समृद्धि के लिये कर लें, अन्ततः परमेश्वर ही है जो हमारी आवश्यक्ताओं को पूरा करता है; और क्योंकि हम स्वर्गीय परमेश्वर पिता की सन्तान हैं, तो हमारी आवश्यक्ताओं की चिंता करना उसका कार्य है और वह समय अनुसार हमें हमारी आवश्यक्ता कि हर वस्तु उपलब्ध कराता रहेगा। - सी. पी. हिया


यदि धन के ग़ुलाम बनने से बचना है तो उसे परमेश्वर द्वारा उपलब्ध कराया संसाधन बना कर प्रयोग करें।

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते। - मत्ती ६:२४


बाइबल पाठ: मत्ती ६:२४-३४

कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; तुम परमेश्वर और धन दोनो की सेवा नहीं कर सकते।
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्‍ता न करना कि हम क्‍या खाएंगे और क्‍या पीएंगे और न अपने शरीर के लिये कि क्‍या पहिनेंगे? क्‍या प्राण भोजन से, और शरीर वस्‍त्र से बढ़कर नहीं?
आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं, तौभी तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता उन को खिलाता है। क्‍या तुम उन से अधिक मूल्य नहीं रखते?
तुम में कौन है, जो चिन्‍ता करके अपनी अवस्था में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है?
और वस्‍त्र के लिये क्‍यों चिन्‍ता करते हो? जंगली सोसनों पर ध्यान करो, कि वै कैसे बढ़ते हैं, वे न तो परिश्रम करते हैं, न कातते हैं।
तौभी मैं तुम से कहता हूं, कि सुलैमान भी, अपने सारे वैभव में उन में से किसी के समान वस्‍त्र पहिने हुए न था।
इसलिये जब परमेश्वर मैदान की घास को, जो आज है, और कल भाड़ में झोंकी जाएगी, ऐसा वस्‍त्र पहिनाता है, तो हे अल्पविश्वासियों, तुम को वह क्‍योंकर न पहिनाएगा?
इसलिये तुम चिन्‍ता करके यह न कहना, कि हम क्‍या खाएंगे, या क्‍या पीएंगे, या क्‍या पहिनेंगे?
क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिएं।
इसलिये पहले तुम उस के राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।
सो कल के लिये चिन्‍ता न करो, क्‍योकि कल का दिन अपनी चिन्‍ता आप कर लेगा, आज के लिये आज ही का दुख बहुत है।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्टगीत ४, ५
  • गलतियों ३

गुरुवार, 23 सितंबर 2010

साधारण विश्वास की प्रार्थना

सन २००८ में Day of Discovery का फिल्म बनाने वाला दल एक विशेष अभियान पर चीन गया। उनका उद्देश्य था चीन में काम कर चुके प्रसिद्ध मिशनरी एरिक लिडल के मिशनरी जीवन पर फिल्म बनाना। एरिक लिडल १९२४ के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भी था और उसके जीवन पर Chariots of Fire नामक फिल्म बन चुकी थी। वह दल एरिक की तीन बेटियों और उनकी बुज़ुर्ग रिशतेदार लूइज़ी को भी अपने साथ ले गया, जिससे वे उन स्थानों को देख सकें जहां एरिक ने काम किया था और एरिक की दो बड़ी बेटियां रहीं थीं।

जब वे चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे तो एक स्थान पर उन्हें अपना सामान उठा कर काफी लंबी दूरी पैद्ल चलना पड़ा, चलते चलते लूइज़ी की सांस फूल गई और उसे सांस लेने में मुशकिल होने लगी। उस द्ल की एक सद्स्या जूली लूइज़ी के पास उसके साथ बैठ गई और उस के घुटनों पर हाथ रख कर बड़े स्वाभाविक रूप से छोटी से प्रार्थना करी - "प्रीय प्रभु यीशु, आंटी लूइज़ी को सांस लेने में सहायता करें" और तुरंत ही लुइज़ी की सांस ठीक चलने लगी।

बाद में एरिक की एक बेटी हीदर ने बताया कि जूली की प्रार्थना और इस घटना ने उसके विश्वास में नई जान फूंकी। जूली के साधारण विश्वास के कार्य ने हीदर को यीशु के साथ उसके लगातार बने रहने वाले रिशते को स्मरण दिलाया - यह वह सच्चाई थी जिसे हीदर उस समय अपने जीवन में भुला चुकी थी।

कभी कभी हमें ऐसे अनुभवों की आवश्यक्ता होती है जो हमें परमेश्वर की लगातार हमारे साथ बनी रहने वाली उपस्थिति हमें स्मरण दिला सकें। जब आपके जीवन में कठिनाईयां और परीक्षाएं आयें, आपको लगे कि परमेश्वर आपसे दूर कहीं है, तो जूली की साधारण विश्वास की प्रार्थना को याद कीजिए - संसार के सृष्टीकर्ता परमेश्वर से हमारी दूरी केवल एक प्रार्थना भर की है, और साधारण विश्वास से करी गई प्रार्थना उसके साथ हमारे संबंध को कार्यान्वित कर देती है (यूहन्ना १४:१३, १४)। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर अपने लोगों की सच्ची प्रार्थनाओं में आनन्दित होता है।

जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो। यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा। - यूहन्ना १४:१३, १४


बाइबल पाठ: यूहन्ना १४: १२-१४

मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूं वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े काम करेगा, क्‍योंकि मैं पिता के पास जाता हूं।
और जो कुछ तुम मेरे नाम से मांगोगे, वही मैं करूंगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।
यदि तुम मुझ से मेरे नाम से कुछ मांगोगे, तो मैं उसे करूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • श्रेष्ठगीत १-३
  • गलतियों २

बुधवार, 22 सितंबर 2010

अनन्त स्तुतिगान

मैं प्रत्येक ग्रीष्मकाल में हमारे शहर में खुले स्थानों पर आयोजित निशुल्क संगीत समूहगानों का आनन्द लेता हूँ। ऐसे ही एक समूहगान से पहले उस संगीत मंडली के सद्स्यों ने अपना अपना परिचय दिया और बताया कि एक साथ अभ्यास करना और संगीत प्रस्तुत करना उन्हें कितना अच्छा लगता है।

एक साथ जमा हो कर संगीत का आनन्द लेना सदीयों से लोगों को आकर्षित करता रहा है। मसीह यीशु के अनुयायी होने के कारण, चाहे हम छोटे गुट में हों या संगीत मंडली में अथवा किसी बड़े संगीत समूह में, परमेश्वर का स्तुतिगान करना हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है; और एक दिन हम ऐसे समूह में साथ गाएंगे जो आज हमारी कलपना और समझ से परे है।

अन्त के समय पर होने वाली घटनाओं का प्रेरित यूहन्ना ने दर्शन पाया। यूहन्ना लिखता है उस स्तुतिगान के बारे में जो बहुत थोड़ों से आरंभ होता है और बढ़ कर अनगिनित समूह हो जाता है। परमेश्वर के मेम्ने के सम्मान में, जिसने अपने लोहू से हर जाति, कुल एवं राष्ट्र से लोगों का उद्धार किया, यह समूहगान परमेश्वर के सिंहासन के निकट से आरंभ होता है और फिर इसमें हज़ारों हज़ार स्वर्गदूत और अन्ततः समस्त सृष्टि का हर प्राणी सम्मिलित हो जाता है - "फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे" (प्रकाशितवाक्य ५:१३)।

क्या खूब समूह है! क्या खूब स्तुति का समूहगान है! क्या खूब यह सौभाग्य कि हम अभी से इसमें भाग लेने का अभ्यास कर सकते हैं! - डेविड मैक्कैसलैंड


जो अब मसीह को जानते हैं वे सदा उसकी स्तुति गाते रहेंगे।

फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे। - प्रकाशितवाक्य ५:१३


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ५:८-१४

और जब उस ने पुस्‍तक ले ली, तो वे चारों प्राणी और चौबीसों प्राचीन उस मेम्ने के साम्हने गिर पड़े और हर एक के हाथ में वीणा और धूप से भरे हुए सोने के कटोरे थे, ये तो पवित्र लोगों की प्रार्थनाएं हैं।
और वे यह नया गीत गाने लगे, कि तू इस पुस्‍तक के लेने, और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है क्‍योंकि तू ने वध होकर अपने लोहू से हर एक कुल, और भाषा, और लोग, और जाति में से परमेश्वर के लिये लोगों को मोल लिया है।
और उन्‍हें हमारे परमेश्वर के लिये एक राज्य और याजक बनाया और वे पृथ्वी पर राज्य करते हैं।
और जब मै ने देखा, तो उस सिंहासन और उन प्राणियों और उन प्राचीनों की चारों ओर बहुत से स्‍वर्गदूतों का शब्‍द सुना, जिन की गिनती लाखों और करोड़ों की थी।
और वे ऊंचे शब्‍द से कहते थे, कि वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ, और धन, और ज्ञान, और शक्ति, और आदर, और महिमा, और धन्यवाद के योग्य है।
फिर मैं ने स्‍वर्ग में, और पृथ्वी पर, और पृथ्वी के नीचे, और समुद्र की सब सृजी हुई वस्‍तुओं को, और सब कुछ को जो उन में हैं, यह कहते सुना, कि जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे।
और चारों प्राणियों ने आमीन कहा, और प्राचीनों ने गिर कर दण्‍डवत किया।

एक साल में बाइबल:
  • सभोपदेशक १०-१२
  • गलतियों १