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सोमवार, 20 अगस्त 2012

परिपक्व


   एक दिन एक दुकान पर जन्मदिन की बधाई सन्देश के कार्ड देखते समय मुझे एक कार्ड दिखाई दिया जिसपर लिखा था, "बचपन सब के लिए एक ही बार आता है किंतु कुछ लोगों के लिए बचपना सारी उम्र बना रहता है।" इस कार्ड का सन्देश मुझे बड़ा रोचक लगा; बचपन की बातों में बने रहने और कभी बड़े ना होने में कुछ आकर्षक लगता है। लेकिन हम सभी जानते हैं कि सदा अपरिपक्व रहना भी ठीक नहीं है, और उम्र के साथ यदि परिपक्वता ना हो तो यह चिंता का विषय बन जाता है।

   मसीही विश्वासियों को भी अपने विश्वास में परिपक्व होना अनिवार्य है। पापों के पश्चाताप और क्षमा तथा नए जन्म के बाद जब हम प्रभु यीशु के अनुयायी बनते हैं तो अत्मिक बचपने से परिपक्वता और प्रौढ़ होना भी हम में दिखना चाहिए। परमेश्वर का वचन हम विश्वासियों को चुनौती देता है कि प्रभु की समानता में बढ़ने और परिपक्व होने में प्रयत्नशील रहें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में समस्याओं से भरी कुरिन्थुस की मण्डली को प्रेरित पौलुस ने लिखा कि उनकी समस्याओं की जड़ उनकी आत्मिक अपरिपक्वता में है: "हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं" (१ कुरिन्थियों ३:१)।

   हम कैसे आत्मिक बचपन से मसीही परिपक्वता में आ सकते हैं? प्रेरित पतरस ने लिखा, "पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ" (२ पतरस ३:१८)। यह बढ़ना परमेश्वर के वचन पर मनन करने और प्रार्थना करने में समय बिताने के द्वारा होता है (भजन ११९:९७-१०४; प्रेरितों १:१४)।

   समस्याओं से भरी कुरिन्थुस की उस अपरिपक्व मण्डली के समान, क्या हमारे जीवनों की समस्याओं का कारण हमारी आत्मिक अपरिपक्वता तो नहीं? कहीं यह हमारे अपरिपक्वता से परिपक्वता की ओर बढ़ने का समय तो नहीं? - बिल क्राउडर


जब विश्वास को सींचा जाता है तो आत्मिक वृद्धि होती है।

हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं। - १ कुरिन्थियों ३:१

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:१-१७
1Co 3:1  हे भाइयों, मैं तुम से इस रीति से बातें न कर सका, जैसे आत्मिक लोगों से; परन्‍तु जैसे शारीरिक लोगों से, और उन से जो मसीह में बालक हैं। 
1Co 3:2  में ने तुम्हें दूध पिलाया, अन्न न खिलाया; क्‍योंकि तुम उस को न खा सकते थे; वरन अब तक भी नहीं खा सकते हो। 
1Co 3:3  क्‍योंकि अब तक शारीरिक हो, इसलिये, कि जब तुम में डाह और झगड़ा है, तो क्‍या तुम शारीरिक नहीं और मनुष्य की रीति पर नहीं चलते? 
1Co 3:4  इसलिये कि जब एक कहता है, कि मैं पौलुस का हूं, और दूसरा कि मैं अपुल्लोस का हूं, तो क्‍या तुम मनुष्य नहीं? 
1Co 3:5  अपुल्लोस क्‍या है? और पौलुस क्‍या? केवल सेवक, जिन के द्वारा तुम ने विश्वास किया, जैसा हर एक को प्रभु ने दिया। 
1Co 3:6  मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्‍तु परमेश्वर ने बढ़ाया। 
1Co 3:7  इसलिये न तो लगाने वाला कुछ है, और न सींचने वाला, परन्‍तु परमेश्वर जो बढ़ाने वाला है। 
1Co 3:8  लगाने वाला और सींचने वाला दानों एक हैं; परन्‍तु हर एक व्यक्ति अपने ही परिश्रम के अनुसार अपनी ही मजदूरी पाएगा। 
1Co 3:9  क्‍योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो। 
1Co 3:10  परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार, जो मुझे दिया गया, मैं ने बुद्धिमान राजमिस्त्री की नाईं नेव डाली, और दूसरा उस पर रद्दा रखता है; परन्‍तु हर एक मनुष्य चौकस रहे, कि वह उस पर कैसा रद्दा रखता है। 
1Co 3:11  क्‍योंकि उस नेव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता। 
1Co 3:12  और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्‍दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है। 
1Co 3:13  तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा, क्‍योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है? 
1Co 3:14   जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा। 
1Co 3:15  और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्‍तु जलते जलते।
1Co 3:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? 
1Co 3:17  यदि कोई परमेश्वर के मन्‍दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्‍योंकि परमेश्वर का मन्‍दिर पवित्र है, और वह तुम हो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०५-१०६ 
  • १ कुरिन्थियों ३


रविवार, 19 अगस्त 2012

प्रेर्णा स्त्रोत


   पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में मोज़ार्ट का नाम उनकी संगीत की अद्भुत प्रतिभा के लिए विख्यात है। अपनी एक संगीत रचना के लिए उन्हें प्रेर्णा एक पक्षी के चहचहाने से मिली। उनके पास एक पाला हुआ पक्षी था, जिसके चहचहाने की धुन से वे इतना प्रभावित हुए कि उस चहचहाने की आवाज़ में जो धुन उन्हें सुनाई दी, उसपर आधारित करके उन्होंने एक संगीत खण्ड की रचना कर डाली।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि भजनकार भी पक्षियों और प्रकृति से प्रभावित हुए, और उनके गुणों से प्रेर्णा पाकर परमेश्वर की आराधना के भजन लिखे। भजन १०४ का लेखक परमेश्वर की स्तुति करता है संसार के जीवित प्राणियों के लिए और उसके द्वारा उनकी देखभाल के लिए। आकाश में उड़ते और पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर गाते पक्षी तथा प्रकृति ने भजनकार के मन को परमेश्वर की आराधना से भर दिया। पूरा भजन १०४ सृष्टि में विदित परमेश्वर के कार्यों पर लिखा गया है और उसकी आराधना के लिए प्रेरित करता है।

   सृष्टि में जो अद्भुत बातें हम देखते हैं, वे हमें सृष्टिकर्ता के अद्भुत व्यक्तित्व और सामर्थ को स्मरण कराती हैं। यह विष्य-वस्तु परमेश्वर के वचन में बार बार दोहराई गई है। भजन १९ के लेखक ने लिखा "आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है" (भजन १९:१)। सृष्टि से सृष्टिकर्ता की आराधना की प्रेर्णा केवल दिखाई देने वाली वस्तुओं से ही नहीं मिलती, सृष्टि में फैले संगीत से भी उसकी आराधना की प्रेर्णा मिलती है। अपने प्रतिदिन के कार्यों में हम अपने आस-पास परमेश्वर द्वारा विभिन्न जीव-जन्तुओं और प्रकृति में डाले गए संगीत को सुन सकते हैं, जो फिर हमारे लिए सृष्टिकर्ता की आराधना करने की प्रेर्णा का स्त्रोत बन जाता है। - डेनिस फिशर


समस्त सृष्टि एक महान संगीत मण्डली है जिसका संचालक परमेश्वर है।

उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। - भजन १०४:१२

बाइबल पाठ: भजन १०४:१-१३
Psa 104:1  हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह! हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू अत्यन्त महान है! तू वैभव और ऐश्वर्य का वस्त्र पहिने हुए है, 
Psa 104:2  जो उजियाले को चादर की नाई ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है, 
Psa 104:3  जो अपनी अटारियों की कड़ियां जल में धरता है, और मेघों को अपना रथ बनाता है, और पवन के पंखों पर चलता है, 
Psa 104:4  जो पवनों को अपने दूत, और धधकती आग को अपने टहलुए बनाता है।
Psa 104:5  तू ने पृथ्वी को उसकी नीव पर स्थिर किया है, ताकि वह कभी न डगमगाए। 
Psa 104:6  तू ने उसको गहिरे सागर से ढांप दिया है जैसे वस्त्र से; जल पहाड़ों के ऊपर ठहर गया। 
Psa 104:7  तेरी घुड़की से वह भाग गया; तेरे गरजने का शब्द सुनते ही, वह उतावली करके बह गया। 
Psa 104:8  वह पहाड़ों पर चढ़ गया, और तराईयों के मार्ग से उस स्थान में उतर गया जिसे तू ने उसके लिये तैयार किया था। 
Psa 104:9  तू ने एक सिवाना ठहराया जिसको वह नहीं लांघ सकता है, और न फिर कर स्थल को ढांप सकता है।
Psa 104:10  तू नालों में सोतों को बहाता है; वे पहाड़ों के बीच से बहते हैं, 
Psa 104:11  उन से मैदान के सब जीव- जन्तु जल पीते हैं; जंगली गदहे भी अपनी प्यास बुझा लेते हैं। 
Psa 104:12  उनके पास आकाश के पक्षी बसेरा करते, और डालियों के बीच में से बोलते हैं। 
Psa 104:13  तू अपनी अटारियों में से पहाड़ों को सींचता है तेरे कामों के फल से पृथ्वी तृप्त रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १०३-१०४ 
  • १ कुरिन्थियों २

शनिवार, 18 अगस्त 2012

लीक और नित्यक्रम


   ग्रीष्म ऋतु मेरी सबसे चहेती ऋतु है क्योंकि इस ऋतु में मैं फुरसत के साथ कार्य कर सकती हूँ। मुझे पहले से निर्धारित नित्यक्रम का सिलसिला तोड़कर आराम से काम करने में कोई परेशानी नहीं होती। यह वह समय भी होता है जब मैं कुछ नए कार्य कर सकती हूँ, कुछ नई जगह देख और घूम सकती हूँ और मन्द गति से नज़ारों और बातों का आनन्द लेते हुए अपनी आत्मा और जीवन के प्रति उत्साह को पुनः ताज़ा कर सकती हूँ।

   किंतु यह समय खतरनाक भी हो सकता है, जिसमें पहले से बनी हुई कुछ अच्छी आदतें टूट सकती हैं। कुछ आदतें अच्छी होती हैं, वे हमारी कार्यकुशलता बढ़ाती हैं, और तय करतीं हैं कि आवश्यक कार्य समय पर किए जाएं। आखिरकर कुछ बातों के लिए निर्धारित लीक के अनुसार कार्य होने आवश्यक हैं नहीं तो संसार बहुत अव्यवस्थित हो जाएगा। यह सृष्टि एक निर्धारित लीक के अनुसार कार्य करने के लिए बनाई गई है और इस सृष्टि का भाग होने के कारण हमें भी कुछ बातों में निर्धारित लीक के अनुसार कार्य करना होता है, जैसे हमें समय पर सोना और भोजन लेना आवश्यक है।

   कभी कभी हम नित्यक्रम को लीक बना लेने के बारे में वैध चेतावनियाँ सुनते हैं, परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि कुछ बातों के लिए निर्धारित समय होना भला है। दाऊद ने लिखा कि उसके लिए परमेश्वर की उपासना करने और उससे मार्गदर्शन पाने के लिए प्रातः का समय ही सही समय है (भजन ५:३; १४३:८)। बाइबल के एक और नायक दानिय्येल ने दिन में तीन बार प्रार्थना करना ठान रखा था और मृत्यु दण्ड का भय भी उसे इस नित्यक्रम से डिगा नहीं सका (दानिय्येल ६:१०)।

   जब हम अवकाश के समय में हों तो हमें परमेश्वर के साथ समय बिताने में लापरवाह नहीं हो जाना चाहिए। यह एक ऐसा नित्यक्रम है जिसकी लीक से हटना ठीक नहीं है। आत्मिक भोजन को नियमित रूप से ग्रहण करते रहना प्रत्येक ऋतु में एक समान ही आवश्यक रहता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह ४०:३१

अपनी करूणा की बात मुझे शीघ्र सुना, क्योंकि मैं ने तुझी पर भरोसा रखा है। जिस मार्ग से मुझे चलना है, वह मुझ को बता दे, क्योंकि मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं। - भजन १४३:८

बाइबल पाठ: दानिय्येल ६:१-१०
Dan 6:1  दारा को यह अच्छा लगा कि अपने राज्य के ऊपर एक सौ बीस ऐसे अधिपति ठहराए, जो पूरे राज्य में अधिकार रखें। 
Dan 6:2  और उनके ऊपर उस ने तीन अध्यक्ष, जिन में से दानिय्येल एक था, इसलिये ठहराए, कि वे उन अधिपतियों से लेखा लिया करें, और इस रीति राजा की कुछ हानि न होने पाए। 
Dan 6:3  जब यह देखा गया कि दानिय्येल में उत्तम आत्मा रहती है, तब उसको उन अध्यक्षों और अधिपतियों से अधिक प्रतिष्ठा मिली; वरन राजा यह भी सोचता था कि उसको सारे राज्य के ऊपर ठहराए। 
Dan 6:4  तब अध्यक्ष और अधिपति राजकार्य के विषय में दानिय्येल के विरूद्ध दोष ढूंढ़ने लगे; परन्तु वह विश्वासयोग्य था, और उसके काम में कोई भूल वा दोष न निकला, और वे ऐसा कोई अपराध वा दोष न पा सके। 
Dan 6:5  तब वे लोग कहने लगे, हम उस दानिय्येल के परमेश्वर की व्यवस्था को छोड़ और किसी विषय में उसके विरूद्ध कोई दोष न पा सकेंगे।
Dan 6:6  तब वे अध्यक्ष और अधिपति राजा के पास उतावली से आए, और उस से कहा, हे राजा दारा, तू युगयुग जीवित रहे। 
Dan 6:7  राज्य के सारे अध्यक्षों ने, और हाकिमों, अधिपतियों, न्यायियों, और गवर्नरों ने भी आपास में सम्मति की है, कि राजा ऐसी आज्ञा दे और ऐसी कड़ी आज्ञा निकाले, कि तीस दिन तक जो कोई, हे राजा, तुझे छोड़ किसी और मनुष्य वा देवता से बिनती करे, वह सिंहों की मान्द में डाल दिया जाए। 
Dan 6:8  इसलिये अब हे राजा, ऐसी आज्ञा दे, और इस पत्र पर हस्ताक्षर कर, जिस से यह बात मादियों और फारसियों की अटल व्यवस्था के अनुसार अदल-बदल न हो सके। 
Dan 6:9  तब दारा राजा ने उस आज्ञापत्र पर हस्ताक्षर कर दिया।
Dan 6:10  जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन १००-१०२ 
  • १ कुरिन्थियों १

शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

सच्ची समृद्धि


   कुछ वर्ष पहले सिटीकोर्प नामक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की बैंक संस्था ने धन और जीवन से संबंधित विज्ञापनों की एक श्रंखला चलाई। उनके विज्ञापनों में जो लिखा था उसके उदाहरण हैं: "धन एक से दूसरा हाथ बदलता रहता है - ध्यान रखिए, यह कहीं आपको ही ना बदल दे"; "यदि लोग कहने लगें कि आप पैसे से बने हैं, तो आपको अपने व्यक्तित्व पर ध्यान देने और उसे सुधारने की आवश्यकता है।" ऐसे विज्ञापन धन और समृद्धि के बारे में समाज को सोचने पर बाध्य करते हैं और एक नया दृष्टिकोण देते हैं।

   धन और सांसारिक समृद्धि को लेकर परमेश्वर का भी एक दृष्टिकोण है। उसके दृष्टिकोण से, सांसारिक संपदा में आप भरपूरी से हो सकते हैं किंतु आत्मिक रीति से बिलकुल कंगाल। या, आप सांसारिक रीति से कंगाल किंतु परमेश्वर के मापदण्डों पर अति संपन्न हो सकते हैं।

   चरित्र और व्यक्तित्व को बिगाड़ सकने की धन की इस सामर्थ से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई धनी युवक की घटना स्मरण हो आती है: एक धनी और ’धार्मिक’ प्रवृति का किंतु जीवन से असंतुष्ट नवयुवक प्रभु यीशु के पास आया कि जान सके उसे अनन्त जीवन पाने के लिए लिए क्या करना चाहिए। उसकी बात सुनने और उससे बातचीत के बाद प्रभु यीशु ने उस से कहा कि उसे अपना सारा धन निर्धनों में दान करके प्रभु के पीछे हो लेना चाहिए। लेकिन यह उस धनी व्यक्ति को स्वीकार्य नहीं था और वह निराश होकर मुँह लटकाए हुए चला गया। इसपर, "यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!" (मरकुस १०:२३)

   ऐसा नहीं है कि परमेश्वर और प्रभु यीशु धन-दौलत के विरोधी हैं; किंतु वे धन को मनुष्य के जीवन में परमेश्वर से अधिक महत्वपूर्ण स्थान देने के विरुद्ध हैं। हम मेहनत करके धन कमा सकते हैं, किंतु यदि यह धन कमाने की लालसा हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य बन जाती है और परमेश्वर का स्थान हमारे जीवनों में महत्वहीन हो जाता है तो बात चिंताजनक है क्योंकि तब हम सांसारिक समृद्धि किंतु आत्मिक कंगाली में आ जाते हैं। बेहतर हो कि आत्मिक समृद्धि किंतु सांसारिक कंगाली में रहें जिससे हमारा अनन्त काल कंगाली का ना हो।

   सच्ची समृद्धि पानी है तो प्रभु यीशु को जीवन में प्रथम स्थान दीजिए, तब सांसारिक और आत्मिक दोनो संपन्नता आपके साथ रहेंगीं। - जो स्टोवैल


सावधान, धन या धन की लालसा कहीं आपको परमेश्वर के मार्ग से भटका न दे।

यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! - मरकुस १०:२३

बाइबल पाठ: मरकुस १०:१७-३०
Mar 10:17  और जब वह निकल कर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्‍त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्‍या करूं?
Mar 10:18  यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्‍यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर। 
Mar 10:19  तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। 
Mar 10:20  उस ने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं। 
Mar 10:21  यीशु ने उस पर दृष्‍टि कर के उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्‍वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले। 
Mar 10:22  इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्‍योंकि वह बहुत धनी था। 
Mar 10:23  यीशु ने चारों ओर देख कर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mar 10:24  चेले उस की बातों से अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बालको, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिये परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है! 
Mar 10:25  परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊँट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!
Mar 10:26  वे बहुत ही चकित होकर आपस में कहने लगे तो फिर किस का उद्धार हो सकता है? 
Mar 10:27 यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्‍तु परमेश्वर से हो सकता है; क्‍योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है। 
Mar 10:28  पतरस उस से कहने लगा, कि देख, हम तो सब कुछ छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं। 
Mar 10:29  यीशु ने कहा, मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या लड़के-बालों या खेतों को छोड़ दिया हो। 
Mar 10:30 और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहिनों और माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर, उपद्रव के साथ और परलोक में अनन्‍त जीवन।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९७-९९
  •  रोमियों १६

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

प्रेम से पहचान


   "आपको उन्हें अप्रसन्न करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। स्वभाव ही से वे बहुत क्षमाशील, विचारशील और समझ-बूझ वाले होते हैं। वे कभी हताश नहीं होते और भिन्न लोगों के भिन्न दृष्टिकोण होने की संभावनाओं को समझते हैं। वे क्रोध करने में धीमे, क्षमा करने में तत्पर और उतावली में निर्णय करने से बचने वाले होते हैं और सदा ही प्रेम के साथ व्यवहार करते हैं।"

   काश यह बातें सभी मनुष्यों, विशेषतः मसीही विश्वासियों के संबंध में कही गई होतीं और उनके लिए सदा सत्य होतीं! ये बातें सत्य तो हैं, किंतु कुत्ते की एक प्रजाति गोल्डन रिट्रीवर के लिए! 

   बहुत से मसीही विश्वासियों और कुछ गोल्डन रिट्रीवरों के साथ संपर्क में आने के बाद मैं यह कह सकती हूँ कि कई विश्वासी बहुत छोटी छोटी बातों पर बड़ी आसानी से अप्रसन्न हो जाते हैं - "चर्च का समूहगान संचालक एक विशेष लड़की को ही सदा एकल गाने का अवसर देता है, मुझे कभी नहीं"; "आज जब चर्च के बाद पास्टर सबसे हाथ मिला रहा था तो हाथ मिलाते समय उसने मेरी ओर देखा भी नहीं"; "मैं यहां बहुत कुछ करता हूँ, लोगों को मेरे योगदान को पहचानना चाहिए और मेरी सराहना करनी चाहिए" आदि कई बातें हैं जो आम तौर से चर्च में भी जलन, मनमुटाव और मतभेदों का कारण बन जाती हैं।

   क्रोध, घमंड, विरोध, बैर - हां मसीही विश्वासियों में भी ऐसी समस्याएं होती हैं और उनका निवारण भी आवश्यक है; किंतु क्या दूसरे ही को अपने आप को ठीक करना होता है हमें स्वयं नहीं? ज़रा विचार कीजिए कि यदि दूसरों से बदलने की आशा रखने की बजाए हम स्वयं अपने आप में बदलाव लाएं - यदि हम स्वयं लोगों के साथ वही व्यवहार करें जिसकी आशा हम उन से अपने प्रति रखते हैं (मत्ती ७:१२), यदि हम दूसरों को दोषी ठहराने और उनके दोषों का बखान करने की बजाए उन्हें क्षमा करने वाले बन जाएं (लूका ६:३७), और यदि हम थोड़ी नम्रता दिखाने वाले (फिलिप्पियों २:३) हो जाएं तो कैसा रहेगा? तब हमारा समाज और संबंध कैसे हो जाएंगे? तब हमारे अपने जीवन और हम्से होकर दूसरों के जीवन में कैसा प्रभाव होगा?

   कैसा हो यदि संसार के सामने हमारी पहचान उस प्रेम से हो जो हम एक दूसरे से रखते हैं और हमारे प्रेम से जाने कि हम प्रभु यीशु के अनुयायी हैं (यूहन्ना १३:३५)? क्या आज यह हमारे बारे में कहा जा सकता है? क्या हमारी पहचान हमारे प्रेम से है? - सिंडी हैस कैस्पर


सबसे अच्छी गवाही प्रेम की गवाही है।

यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो। - युहन्ना १३:३५

बाइबल पाठ: युहन्ना १३:३३-३५; १ युहन्ना २:१-११
Joh 13:33  हे बालको, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं: फिर तुम मुझे ढूंढोगे, और जैसा मैं ने यहूदियों से कहा, कि जहां मैं जाता हूं, वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूं। 
Joh 13:34  मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। 
Joh 13:35  यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।
1Jn 2:1  हे मेरे बालको, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धामिर्क यीशु मसीह। 
1Jn 2:2 और वही हमारे पापों का प्रायश्‍चित्त है: और केवल हमारे ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों का भी। 
1Jn 2:3  यदि हम उस की आज्ञाओं को मानेंगे, तो उस से हम जान लेंगे कि हम उसे जान गए हैं। 
1Jn 2:4  जो कोई यह कहता है, कि मैं उसे जान गया हूं, और उस की आज्ञाओं को नहीं मानता, वह झूठा है, और उस में सत्य नहीं। 
1Jn 2:5  पर जो कोई उसके वचन पर चले, उस में सचमुच परमेश्वर का प्रेम सिद्ध हुआ है: हमें इसी से मालूम होता है, कि हम उस में हैं। 
1Jn 2:6  सो कोई यह कहता है, कि मैं उस में बना रहता हूं, उसे चाहिए कि आप भी वैसा ही चले जैसा वह चलता था। 
1Jn 2:7  हे प्रियों, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं लिखता, पर वही पुरानी आज्ञा जो आरम्भ से तुम्हें मिली है; यह पुरानी आज्ञा वह वचन है, जिसे तुम ने सुना है। 
1Jn 2:8 फिर मैं तुम्हें नई आज्ञा लिखता हूं, और यह तो उस में और तुम में सच्‍ची ठहरती है, कयोंकि अन्‍धकार मिटता जाता है और सत्य की ज्योति अभी चमकने लगी है। 
1Jn 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं, और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्‍धकार ही में है। 
1Jn 2:10  जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1Jn 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्‍धकार में है, और अन्‍धकार में चलता है, और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्‍योंकि अन्‍धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९४-९६ 
  • रोमियों १५:१४-३


बुधवार, 15 अगस्त 2012

सबसे सामर्थी


   ब्राज़ील और आर्जेंटीना की सीमा पर स्थित इगाज़ू जलप्रपात एक बहुत ही अद्भुत और मनोहर जलप्रपात समूह है। यह प्रपात समूह इगाज़ू नदी पर २.७ कि०मी० की दूरी में स्थित २७५ जलप्रपातों से मिलकर बना है। इस प्रपात समूह के ब्राज़ील वाले किनारे की एक दीवार पर परमेश्वर के वचन बाइबल से लिए गए भजन ९३:४ के शब्द खोद कर लिखे गए हैं : "महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है" और उनके नीचे लिखा है "परमेश्वर हमारी सब समस्याओं से अधिक सामर्थी है।"

   भजन ९३ का लेखक, जिसने राजाओं के समय में यह भजन लिखा था, जानता था कि परमेश्वर ही सब राजाओं के ऊपर राजाधिराज है। उसने लिखा, "यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है" (पद १-२)। चाहे बाढ़ का जल या पानी की लहरें कितनी भी ऊँची क्यों ना हों परमेश्वर उन सबसे ऊपर है।

   जलप्रपात का गर्जन वास्तव में प्रभावशाली होता है; किंतु जल में अनियंत्रित बहते हुए गिरने को किसी प्रपात की ओर जाना प्रभावशाली नहीं अति भयावह होता है। हो सकता है कि यही आज आपकी स्थिति भी हो। हो सकता है कि आर्थिक परिस्थितियां, शारिरिक असमर्थता, रोग और दुर्बलता, तथा पारिवार या संबंधों से जुड़ी समस्याएं आज आपको परेशान कर रही हों और आपको लग रहा हो कि आप अनियंत्रित बहते जा रहे हैं और किसी भी समय किसी विनाश में गिर सकते हैं। ऐसे में प्रत्येक मसीही विश्वासी के पास सहायता के लिए एक आसरा है - उसका उद्धारकर्ता प्रभु यीशु, जो "...कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है" (इफीसियों३:२०), क्योंकि वह हर समस्या से ऊपर है, सबसे सामर्थी है। - सी. पी. हीया


परमेश्वर की असीम सामर्थ को कभी अपनी सीमित संभावनाओं के आधार पर ना आंकें।

यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। - भजन ९३:१

बाइबल पाठ: भजन ९३
Psa 93:1  यहोवा राजा है; उस ने माहात्म्य का पहिरावा पहिना है; यहोवा पहिरावा पहिने हुए, और सामर्थ्य का फेंटा बान्धे है। इस कारण जगत स्थिर है, वह नहीं टलने का। 
Psa 93:2  हे यहोवा, तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है।
Psa 93:3  हे यहोवा, महानदों का कोलाहल हो रहा है, महानदों का बड़ा शब्द हो रहा है, महानद गरजते हैं। 
Psa 93:4  महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातरंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है।
Psa 93:5  तेरी चितौनियां अति विश्वासयोग्य हैं; हे यहोवा तेरे भवन को युग युग पवित्रता ही शोभा देती है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ९१-९३ 
  • रोमियों १५:१-१३

मंगलवार, 14 अगस्त 2012

रहस्यमय परमेश्वर


   मैं और मेरी पत्नि एक दूसरे की कई बातों को बिलकुल समझ नहीं पाते हैं, लेकिन इससे हमारे संबंधों में कोई समस्या नहीं होती। जैसे कि, वह यह समझ नहीं पाती कि मैं कैसे घंटों बैठकर बेसबॉल की दो टीमों का मैच देखता रह सकता हूँ, जबकि मैं जानता हूँ कि उन दोनों में से कोई भी टीम प्रतियोगिता में आगे बढ़ने लायक नहीं है और ना ही बढ़ेगी; और मैं उसके बाज़ार जाने और खरीद्दारी करने के शौक को कदापि नहीं समझ पाता हूँ। लेकिन इन बातों के कारण हमारे आपसी प्रेम और ताल-मेल में कोई कमी नहीं होती।

   किसी से बेहद प्रेम करने के लिए आवश्यक नहीं है कि हम उसे पूरी तरह से समझें। यह बात को समझ लेना हमारे लिए एक लाभकारी बात होगी, क्योंकि हम परमेश्वर की सभी बातों को कभी पूर्णतः समझ नहीं सकते, यद्यपि हम उससे प्रेम करते हैं और वह हम से।

   अपनी सीमित बुद्धि और स्वार्थी दृष्टिकोण से हमें यह समझना कठिन होता है कि परमेश्वर ने जो किया वह क्यों किया या क्यों होने दिया। अपनी इन सीमाओं का बोध होते हुए भी कई लोग परमेश्वर की ओर से मुँह फेर लेते हैं क्योंकि वे किसी दुख या त्रासदी से आहत होते हैं और उस के लिए परमेश्वर को दोषी ठहराते हैं। वे समझते हैं कि किसी भी परिस्थिति के लिए उनकी सीमित बुद्धि और समझ परमेश्वर की असीमित बुद्धि, भविष्य ज्ञान और समझ से बेहतर है और जैसा वे लोग चाहते या सोचते हैं परमेश्वर को भी वैसा ही करना चाहिए।

   ज़रा विचार कीजिए, यदि हम परमेश्वर को पूर्णतः समझ पाते, यदि वह हमारे लिए एक महिमित मनुष्य से अधिक और कुछ ना होता, जिसका ज्ञान और समझ एक चतुर मनुष्य के ज्ञान और समझ से अधिक नहीं है तो उसका गौरव, पराक्रम और उसका भय मानना कहां रहता? परमेश्वर को इतना महान मानने के पीछे एक कारण यह भी है कि हम उसे और उसके ज्ञान को समझ नहीं पाते हैं और उसे अपने ज्ञान और बुद्धि की सीमाओं में नहीं बांध पाते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस के विश्वासियों से पूछा, "क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए?" (१ कुरिन्थियों २:१६)। उत्तर स्पष्ट है कि परमेश्वर के मन को किसी ने नहीं जाना है। किंतु यह परमेश्वर की हमारे प्रति भलाई और प्रेम में कोई अंतर नहीं लाता है और ना ही यह हमारे उस में किए गए विश्वास में कोई कमी लाने का कारण होना चाहिए क्योंकि वह जो करता है हमारे भले ही के लिए करता है : "और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्‍पन्न करती है; अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं" (रोमियों ८:२८)। 

   चाहे परमेश्वर की विधियां और कार्य हमारे लिए रहस्यमय ही रहें, लेकिन प्रभु यीशु में होकर प्रगट हुआ हमारे प्रति उसका प्रेम और हमारे प्रति उस की विश्वासयोग्यता अटल और अनन्त काल की हैं। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर को पूरी तरह से समझ पाना हमारे लिए असंभव हो परन्तु उस की आराधना करना हमारे लिए अनिवार्य है।

प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। - यशायाह ४६:९

बाइबल पाठ: यशायाह ४६:८-११
Isa 46:8  हे अपराधियों, इस बात को स्मरण करो और ध्यान दो, इस पर फिर मन लगाओ। 
Isa 46:9  प्राचीनकाल की बातें स्मरण करो जो आरम्भ ही से हैं; क्योंकि ईश्वर मैं ही हूं, दूसरा कोई नहीं, मैं ही परमेश्वर हूं और मेरे तुल्य कोई भी नहीं है। 
Isa 46:10  मै तो अन्त की बात आदि से और प्राचीनकाल से उस बात को बताता आया हूं जो अब तक नहीं हुई। मैं कहता हूं, मेरी युक्ति स्थिर रहेगी और मैं अपनी इच्छा को पूरी करूंगा। 
Isa 46:11  मैं पूर्व से एक उकाब पक्षी को अर्थात दूर देश से अपनी युक्ति के पूरा करने वाले पुरूष को बुलाता हूं। मैं ही ने यह बात कही है और उसे पूरी भी करूंगा; मैं ने यह विचार बान्धा है और उसे सफल भी करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन ८९-९० 
  • रोमियों १४