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बुधवार, 9 जनवरी 2013

सदैव जागृत


   जासूस ऐलैन पिंकरटन १९वीं शताब्धी के मध्य काल में अमेरिका में अनेक ट्रेन डकैतियों को सुलझाने और तत्कालीन राष्ट्रपति लिंकन की हत्या के षड़यंत्र को निष्फल कर देने के कारण प्रसिद्ध हो गए। उनकी जासूसी एजेन्सी अमेरिका में अपनी किस्म की पहली एजेन्सी थी और यह एजेन्सी अपने पहचान चिन्ह - एक खुली हुई आँख और उसके साथ का लिखा हुआ वाक्य ’हम कभी नहीं सोते’ के कारण और भी प्रख्यात हो गई।

   इस बात का आश्वासन होना कि आप सुरक्षित हैं और कोई आपकी रक्षा कर रहा है बहुत शांतिदायक और भला अनुभव होता है। जब घर के दरवाज़े बन्द हों और आस-पास सब शांत हो तब आप बड़े आराम से सो सकते हैं क्योंकि आप सुरक्षित अनुभव करते हैं। परन्तु अनेक लोग अपने बिस्तरों में पड़े जागते रहते हैं, किसी वर्तमान या भविष्य के भयावह विचार अथवा संभावना के कारण। कोई बाहर हो रहे किसी कोलाहल के कारण विचलित और भयभीत होता है तो कोई परिवार में किसी के उग्र अथवा हिंसक व्यवहार से। कोई उपद्रवी या बलवई बच्चों के कारण चिंतित होता है तो कोई बच्चे की बीमारी के कारण। सबको इच्छा होती है कि कोई उन्हें उनकी परिस्थिति में शांति दे, उनकी चिंता और भय का समाधान दे।

   यही वे समय हैं जब हमारा प्रेमी परमेश्वर चाहता है कि हम उसे पुकारें और उसमें शरण लें, क्योंकि वह ना कभी ऊंघता है और ना कभी सोता है (भजन १२१:४), वरन "यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं" (भजन ३४:१५)।

   संभव है कि जासूस पिंकरटन की एजेन्सी कभी ना सोने का दावा करने वाले पहली एजेन्सी हो, परन्तु वास्तव में सदैव जागृत रहने वाला और देखभाल करते तथा सुरक्षा देते रहने वाला परमेश्वर ही है। जो उस की सुरक्षा में है वही वास्तव में सुरक्षित है - इस जीवन में भी और इस जीवन के बाद भी। - सिंडी हैस कैस्पर


यदि हम स्मरण रखें कि हमारी सुरक्षा के लिए परमेश्वर सदैव जागृत है तो हम शांति से सो सकते हैं।

धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उन को सब विपत्तियों से छुड़ाता है। - भजन ३४:१७

बाइबल पाठ: भजन १२१
Ps 121:1  मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी?
Ps 121:2  मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Ps 121:3  वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा।
Ps 121:4  सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Ps 121:5  यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है।
Ps 121:6  न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Ps 121:7  यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा।
Ps 121:8  यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: उत्पत्ति २३-२४ मत्ती ७

मंगलवार, 8 जनवरी 2013

शुद्ध विवेक


   पैदल चलकर पूरे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने की उपलब्धि से मिला आनन्द फेयोना कैम्पबेल के लिए थोड़े ही समय का था। ख्याति और प्रशंसा पाने के बावजूद ऐसा कुछ था जो उसे परेशान करता रहता था और वह उस से इतनी परेशान रहने लगी कि मानसिक असन्तुलन के कगार पर आ गई। आखिर वह क्या था जो उसे इतना परेशान किए हुए था? वह था उसका अपना विवेक!

   अन्ततः फेयोना ने कुबूल किया कि पैदल चल कर सारे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने का उसका दावा सच्चा नहीं था; उसने बेईमानी की थी। अपनी इस यात्रा के दौरान उसने गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा इस बारे में दिए गए निर्देषों का उल्लंघन किया था - अपनी यात्रा में एक स्थान पर उसने कुछ दूरी पैदल नहीं वरन एक ट्रक में बैठकर तय करी थी। अपने विवेक को शांत और शुद्ध करने के लिए फेयोना को अपनी यात्रा के प्रयोजकों को अपने इस धोखे से अवगत कराना पड़ा।

   परमेश्वर ने संसार के प्रत्येक जन को एक विवेक दिया है जो गलती करने पर उसे दोषी ठहराता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस रोमियों की अपनी पत्री में लिखता है "...उन के विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है" (रोमियों २:१५)। मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए, आत्मिक कमज़ोरियों के होते हुए भी सही दिशा में चलते रहने के लिए विवेक की बातों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। हम मसीही विश्वासियों के लिए पाप का अंगीकार करके उससे पश्चाताप करना और फिर से मसीह यीशु के मार्ग पर लौट आना मसीही विश्वास के जीवन में बढ़ने का एक अभिन्न अंग होना चाहिए (१ यूहन्ना १:९; लैव्यवस्था ६:२-५)।

   प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन से विवेक को शुद्ध रखते हुए मसीही जीवन यात्रा में बढ़ने का अच्छा नमूना दिया है: "इस से मैं आप भी यतन करता हूं, कि परमेश्वर की, और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे" (प्रेरितों २४:१६)। जब भी उसका विवेक उसे दोषी ठहराता था या उससे कोई गलती होती थी तो अपनी गलतियों के अंगीकार और पश्चाताप करते रहने के द्वारा वह परमेश्वर के सामने अपनी गलतियों की सूची लंबी नहीं होने देता था; इस से उसका विवेक शुद्ध और शांत रहता था और उसका मसीही जीवन तथा परमेश्वर के लिए सेवकाई खरी और प्रभावी।

   क्या आपका विवेक किसी बात के लिए आप को कचोट रहा है? पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करें, पापों का अंगीकार और उन से पश्चाताप करें; एक शुद्ध विवेक के साथ जीवन व्यतीत करें। - डेनिस फिशर


यदि परमेश्वर का वचन आप के विवेक का मार्गदर्शक होगा, तो आपका विवेक आपको सदा सही दिशा में ही लेकर जाएगा।

क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्‍ड करते हैं, कि जगत में और विशेष कर के तुम्हारे बीच हमारा चरित्र परमेश्वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के साथ था। - २ कुरिन्थियों १:१२

बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:१-१०
1John 1:1  उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ।
1John 1:2  (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)।
1John 1:3  जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
1John 1:4  और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए।
1John 1:5  जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं।
1John 1:6  यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते।
1John 1:7  पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1John 1:8  यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
1John 1:9  यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1John 1:10  यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २०-२२ 
  • मत्ती ६:१९-३४

सोमवार, 7 जनवरी 2013

अद्भुत प्रेमी


   मैंने एक स्त्री की वेब साईट पर लिखा हुआ पढ़ा: "मैं केवल प्रेम चाहती हूँ - और यह कि प्रेम करने वाला अद्भुत होना चाहिए।" क्या हम सभी यही नहीं चाहते - कि कोई हमसे प्रेम करे, हमारी परवाह तथा देखभाल करे? और यदि वह प्रेम करने वाला अद्भुत हो तो यह सबसे उत्तम होगा।

   केवल एक ही है जो इस वर्णन पर खरा उतरता है - प्रभु यीशु। उसके बारे में संक्षिपत में ही देखिए: वह अपने पिता के पास से स्वर्गीय महिमा और आदर-सम्मान को छोडकर एक असहाय शिशु के रूप में संसार में आ गया (लूका २)। एक गरीब घर में उसका पालन-पोषण हुआ, उसने एक निष्पाप जीवन जीया और अपने आप को हमारे संति परमेश्वर पिता के सामने क्रूस पर बलिदान कर दिया (यूहन्ना १९:१७-३०)। क्रूस की वह अत्यन्त दुखदायी और निन्दनीय मृत्यु उसने हमारे पापों के कारण स्वीकार करी: "परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों ५:८); उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए और अपनी धार्मिकता हमें दे दी। मृत्यु के तीसरे दीन वह मृतकों में से जी उठा (मत्ती २८:१-८) और प्रमाणित कर दिया कि वह परमेश्वर का पुत्र और जगत का उद्धारकर्ता है।

   आज जब हम अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभु यीशु के अद्भुत प्रेम की भेंट को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा उद्धारकर्ता (यूहन्ना १:१२; रोमियों ५:९), हमारा प्रभु (यूहन्ना १३:१४), हमारा शिक्षक (मत्ती २३:८) और हमारा मित्र (यूहन्ना १५:१४) बन जाता है। "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी..." (१ यूहन्ना ३:१)।

   किसी अद्भुत प्रेमी को ढूँढ रहे हैं? प्रभु यीशु को परख कर देखिए; उसके समान प्रेम तथा अनुग्रह करने वाला और उसके व्यक्तित्व के समान कोई और नहीं है। केवल वही अद्भुत प्रेमी है। - ऐनी सेटास


सबसे बड़ा आश्चर्य - प्रभु यीशु मुझ जैसे से भी प्रेम करता है!

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना। - १ यूहन्ना ३:१

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-११
Rom 5:6  क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Rom 5:7  किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Rom 5:8  परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Rom 5:9  सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Rom 5:10  क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Rom 5:11  और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १८-१९ 
  • मत्ती ६:१-१८

रविवार, 6 जनवरी 2013

शामिल


   दक्षिणी फ्लोरिडा में स्थित नोरेना का घर एक भयानक तूफान से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। घर के बीमे से मिले पैसे के प्राप्त होने के बाद घर की मरम्मत का कार्य चालू हुआ किंतु जब वह राशि समाप्त हो गई तो मरम्मत करने वाले ठेकेदार ने भी काम अधूरा ही छोड़ दिया और ना ही घर में ठीक से बिजली की व्यवस्था होने पाई। नोरेना १५ वर्ष तक ऐसे ही कठिनाईयों में समय बिताती रही और उसके पड़ौसी भी उसके दुख से बेपरवाह रहे। फिर किसी से खबर मिलने पर नगर का महापौर उसके दुख और परिस्थितियों में शामिल हुआ, एक बिजली कार्य के ठेकेदार से संपर्क किया और नोरेना के घर की बिजली व्यवस्था ठीक करवाई। महापौर के मामले में शामिल होने के कुछ ही घंटों में नोरेना के घर में बिजली आपूर्ति ठीक हो गई।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में युहन्ना रचित सुसमाचार के चौथे अध्याय में हम प्रभु यीशु की एक सामरी स्त्री से वार्ता का वृतांत पाते हैं। यहूदी लोग सामरी लोगों को बहुत नीचा समझते थे और उनसे कोई संपर्क या वार्ता नहीं रखते थे। परन्तु प्रभु यीशु ने उस सामरी स्त्री से वार्ता करी, उसके जीवन में आत्मिक सामर्थ की आवश्यकता के लिए वह उसकी दिनचर्या में शामिल हुआ। इसके लिए प्रभु ने पहले उस से दोनो की एक समान आवश्यकता - पानी को आधार बना कर वार्ता आरंभ करी (पद ७)। फिर प्रभु ने उसके आत्मिक रुचि और कौतहुल को जगाया (पद ९-१४)। इसके बाद उसके जीवन में पाप का विषय संवेदनशील और अनुग्रहकारी रूप में उठाया (पद १६-१९) और बात को मुख्य मुद्दे से भटकने नहीं दिया (पद २१-२४)। फिर उस स्त्री के सामने उसने अपनी वास्तविकता को प्रगट किया - जगत का प्रतीक्षित मसीहा (पद २६)। परिणामस्वरूप स्वयं उस स्त्री ने, फिर उस स्त्री की गवाही से उस सामरी गांव के बहुत से लोगों ने प्रभु यीशु के उद्धारकर्ता होने पर विश्वास किया (पद ३९-४२)।

   प्रभु यीशु उस स्त्री का विश्वास इस लिए जीत पाया क्योंकि वह उसकी परिस्थिति में उसके साथ शामिल हुआ, उसके प्रति आलोचक नहीं वरन संवेदनशील और अनुग्रहकारी रहा। यही वह हम मसीही विश्वासियों से भी चाहता है - कि हम भी लोगों के जीवनों और परिस्थितियों में शामिल हों, उनके प्रति आलोचक और निंदक नहीं वरन संवेदनशील और अनुग्रहकारी हों, और उन्हें आत्मिक सामर्थ के स्त्रोत और मन कि शांति के दाता प्रभु यीशु के बारे में बताएं। - मार्विन विलियम्स


यदि मसीही विश्वास स्वीकार करने के योग्य है तो वह दूसरों के साथ बांटने के योग्य भी है।

और उसको सामरिया से हो कर जाना अवश्य था। - यूहन्ना ४:४

बाइबल पाठ: यूहन्ना ४:७-२६
John 4:7  इतने में एक सामरी स्त्री जल भरने को आई: यीशु ने उस से कहा, मुझे पानी पिला।
John 4:8  क्योंकि उसके चेले तो नगर में भोजन मोल लेने को गए थे।
John 4:9  उस सामरी स्त्री ने उस से कहा, तू यहूदी हो कर मुझ सामरी स्त्री से पानी क्यों मांगता है? (क्योंकि यहूदी सामरियों के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते)।
John 4:10  यीशु ने उत्तर दिया, यदि तू परमेश्वर के वरदान को जानती, और यह भी जानती कि वह कौन है जो तुझ से कहता है; मुझे पानी पिला तो तू उस से मांगती, और वह तुझे जीवन का जल देता।
John 4:11  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, तेरे पास जल भरने को तो कुछ है भी नहीं, और कूआं गहिरा है: तो फिर वह जीवन का जल तेरे पास कहां से आया?
John 4:12  क्या तू हमारे पिता याकूब से बड़ा है, जिसने हमें यह कूआं दिया; और आप ही अपने सन्तान, और अपने ढोरों समेत उस में से पीया?
John 4:13  यीशु ने उसको उत्तर दिया, कि जो कोई यह जल पीएगा वह फिर प्यासा होगा।
John 4:14  परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।
John 4:15  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, वह जल मुझे दे ताकि मैं प्यासी न होऊं और न जल भरने को इतनी दूर आऊं।
John 4:16  यीशु ने उस से कहा, जा, अपने पति को यहां बुला ला।
John 4:17  स्त्री ने उत्तर दिया, कि मैं बिना पति की हूं: यीशु ने उस से कहा, तू ठीक कहती है कि मैं बिना पति की हूं।
John 4:18  क्योंकि तू पांच पति कर चुकी है, और जिस के पास तू अब है वह भी तेरा पति नहीं; यह तू ने सच कहा है।
John 4:19  स्त्री ने उस से कहा, हे प्रभु, मुझे ज्ञात होता है कि तू भविष्यद्वक्ता है।
John 4:20  हमारे बाप दादों ने इसी पहाड़ पर भजन किया: और तुम कहते हो कि वह जगह जहां भजन करना चाहिए यरूशलेम में है।
John 4:21  यीशु ने उस से कहा, हे नारी, मेरी बात की प्रतीति कर कि वह समय आता है कि तुम न तो इस पहाड़ पर पिता का भजन करोगे न यरूशलेम में।
John 4:22  तुम जिसे नहीं जानते, उसका भजन करते हो; और हम जिसे जानते हैं उसका भजन करते हैं; क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है।
John 4:23  परन्तु वह समय आता है, वरन अब भी है जिस में सच्चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करने वालों को ढूंढ़ता है।
John 4:24  परमेश्वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसके भजन करने वाले आत्मा और सच्चाई से भजन करें।
John 4:25  स्त्री ने उस से कहा, मैं जानती हूं कि मसीह जो ख्रीस्‍तुस कहलाता है, आने वाला है; जब वह आएगा, तो हमें सब बातें बता देगा।
John 4:26  यीशु ने उस से कहा, मैं जो तुझ से बोल रहा हूं, वही हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १६-१७ 
  • मत्ती ५:२७-४८

शनिवार, 5 जनवरी 2013

जयवन्त


   अफ्रीका के एक देश कीनिया में वन्य प्राणीयों के लिए सुरक्षित इलाके मसाई मारा में आराम से लेटे या टहलते शेर देखने में बिलकुल अहानिकारक लग रहे थे। वे झाड़ियों में लेटे हुए थे, उनमें से कोई बड़ी निशचिंतता से नीची टहनियों से अपना मुख रगड़ रहे थे, मानो अपने बाल संवार रहे हों; कोई पास बहती एक जल-धारा से पानी पी रहा था। वे घास और झाड़ियों के उस क्षेत्र में इतमिनान से विचरण कर रहे थे, मानो उनके पास समय की कोई कमी नहीं और ना ही किसी बात कि चिंता। उनके दाँत मुझे केवल एक ही बार दिखाई दिए, जब उनमें से एक ने जम्हाई लेने के लिए अपना मुँह खोला।

   परन्तु उनका यह शाँत रूप भ्रामक है। उनके इस प्रकार निश्चिंत दिखने का कारण है कि ना तो उन्हें किसी का कोई भय है और ना ही भोजन कि कमी और ना ही किसी परभक्षी से कोई खतरा। वे सुस्त और बेपरवाह दिखते तो हैं परन्तु वास्तव में वे सबसे ताकतवर और खूँखार होते हैं। उनकी एक दहाड़ से ही बाकी सभी जानवर अपनी जान बचाने भाग निकलते हैं।

   कभी कभी लोगों को लगता है कि परमेश्वर भी सुस्ता रहा है, बेपरवाह हो गया है। क्योंकि हम उसे काम करते हुए नहीं देख सकते इसलिए हम सोचते हैं कि वह कुछ नहीं कर रहा है। हम लोगों को उसका ठट्ठा करते हुए सुनते हैं, उसके अस्तित्व को नकारते हुए देखते हैं और हम आश्चर्यपूर्वक सोचते हैं कि ऐसों से परमेश्वर अपना बचाव क्यों नहीं करता? किंतु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताती है कि "फिर यहोवा ने मुझ से यों कहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे हो कर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा" (यशायाह ३१:४)। उसे किसी से कोई भय नहीं है; उसकी एक गरजन उसके सारे निंदकों को तितर-बितर कर देगी।

   यदि आप सोचते हैं कि आपके समान ही परमेश्वर भी विचलित क्यों नहीं होता और कुछ करता क्यों नहीं, तो यह इसलिए कि वह अभी सबको अवसर देना चाहता है कि वे अपने पापों से पश्चाताप करें और उसके प्रेम और अनुग्रह को अनुभव करें, ना कि उस के न्याय के भागी हों। सृष्टि का संचालन और सृष्टि की हर बात उसके नियंत्रण में है; उसे ना किसी का भय है और ना कोई उस पर हावी हो सकता है। परमेश्वर प्रभु यीशु जयवन्त है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब समस्त सृष्टि परमेश्वर के नियंत्रण में है तो हमें संसार से भयवन्त क्यों होना?

जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है। - फिलिप्पियों २:१०-११

बाइबल पाठ: यशायाह ३१:१-५
Isa 31:1  हाय उन पर जो सहायता पाने के लिये मिस्र को जाते हैं और घोड़ों का आसरा करते हैं; जो रथों पर भरोसा रखते क्योंकि वे बहुत हैं, और सवारों पर, क्योंकि वे अति बलवान हैं, पर इस्राएल के पवित्र की ओर दृष्टि नहीं करते और न यहोवा की खोज करते हैं!
Isa 31:2  परन्तु वह भी बुद्धिमान है और दु:ख देगा, वह अपने वचन न टालेगा, परन्तु उठ कर कुकमिर्यों के घराने पर और अनर्थकारियों के सहायकों पर भी चढ़ाई करेगा।
Isa 31:3  मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करने वाले और सहायता चाहने वाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे।
Isa 31:4  फिर यहोवा ने मुझ से यों कहा, जिस प्रकार सिंह वा जवान सिंह जब अपने अहेर पर गुर्राता हो, और चरवाहे इकट्ठे हो कर उसके विरुद्ध बड़ी भीड़ लगाएं, तौभी वह उनके बोल से न घबराएगा और न उनके कोलाहल के कारण दबेगा, उसी प्रकार सेनाओं का यहोवा, सिय्योन पर्वत और यरूशलेम की पहाड़ी पर, युद्ध करने को उतरेगा।
Isa 31:5  पंख फैलाई हुई चिडिय़ों की नाईं सेनाओं का यहोवा यरूशलेम की रक्षा करेगा; वह उसकी रक्षा कर के बचाएगा, और उसको बिन छूए ही उद्धार करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १३-१५ 
  • मत्ती ५:१-२६

शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

प्रेमी


   १२वीं शताब्दी में जन्मे एक विलक्षण और दया भाव से भरे व्यक्ति, असिसी के सन्त फ्रांसिस, की जीवनी को लेखक जी. के. चेस्टरटन ने उनके हृदय की एक झलक के साथ आरंभ किया। चेस्टरटन लिखते हैं: "जैसे सन्त फ्रांसिस ने मानवता से नहीं वरन मनुष्यों से प्रेम किया, वैसे ही उन्होंने मसीहियत से नहीं मसीह यीशु से प्रेम किया...पाठकों को उनकी जीवन की कहानी अविश्वसनीय प्रतीत हो सकती है, और वे उनके जीवन का अर्थ समझना भी आरंभ नहीं कर सकते जब तक वे यह ना समझ लें कि इस महान आध्यात्मिक सन्त के लिए उसका धर्म किसी सिद्धांत का पालन करना नहीं वरन एक प्रेम संबंध निभाना था।"

   जब एक आलोचक ने प्रभु यीशु से पूछा कि व्यवस्था की सबसे बड़ी आज्ञा क्या है तो: "उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है" (मत्ती २२:३७-३८)। प्रश्नकर्ता अपने प्रश्न के द्वारा प्रभु यीशु को परखना और फंसाना चाहता था, परन्तु प्रभु यीशु ने उसे परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात समझाई - परमेश्वर से हमारा संबंध प्रेम का संबंध है और हमारे हृदय की बात है, किसी विधि-विधान को पूरा करने की नहीं।

   यदि हम परमेश्वर को अपनी आज्ञाएं मनवाने के लिए तत्पर एक कठोर व्यक्तित्व के रूप में देखते हैं और उसकी आज्ञाकारिता में रहना हमें एक बोझ या मजबूरी लगती है, तो हमने उसके प्रेम को समझा ही नहीं है और उससे हमारा संबंध उथला है, महज़ औपचारिकता है जिसे जैसे तैसे निभाते रहना हम अपना कर्तव्य मात्र समझते हैं और प्रयास करते रहते हैं। ऐसे में हमारी गिनती भी उन लोगों में है जिनके लिए प्रभु ने कहा, "पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है" (प्रकाशितवाक्य २:४)।

   परमेश्वर से हमारा संबंध प्रभु यीशु मसीह में होकर एक प्रगाढ़ प्रेम का संबंध है और प्रेम का भरपूर आनन्द पाने के लिए हमें उससे अपने सारे हृदय, प्राण और बुद्धि से प्रेम करना होगा, क्योंकि एक प्रेमी ही प्रेम के मूल्य और आनन्द को जान सकता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु को जीवन में प्रथम स्थान दीजिए और आप अन्त तक बने रहने वाला आनन्द पाएंगे।

उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। - मत्ती २२:३७

बाइबल पाठ: मत्ती २२:३४-४०
Matt 22:34  जब फरीसियों ने सुना, कि उसने सदूकियों का मुंह बन्‍द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए।
Matt 22:35  और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा।
Matt 22:36  हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?
Matt 22:37  उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।
Matt 22:38  बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।
Matt 22:39  और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
Matt 22:40  ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति १०-१२ 
  • मत्ती ४

गुरुवार, 3 जनवरी 2013

महत्व और पहचान


   टी.वी. पर दिखाया जाने वाला एक पुराना कार्यक्रम एक ऐसे स्थल पर आधारित था जहां कुछ लोग नियमित रूप से आते रहते थे। वे लोग इसलिए उस स्थल पर एकत्रित होते थे क्योंकि उन्हें वहां एक दूसरे से अपनी पहचान और स्वागत मिलता था, सब एक दुसरे को नाम से जानते थे। हम सब की चाह होती है कि हम अपने आस-पास के लोगों में स्वीकार किए जाएं, उनमें हमारी पहचान और हमारा महत्व हो।

   लेकिन कुछ लोग जीवन के उन किनारों पर रहते हैं जहां उनके लिए यह मानना कठिन होता है कि उनका कोई महत्व या पहचान है, या किसी को उनकी कोई परवाह है। बच्चों में यह बात अकसर देखी जाती है, यदि कोई बच्चा अपने हम-उम्र बच्चों से अधिक लंबा, या मोटा, या कुशल हो जाता है या अन्य बच्चों के समान कुशल नहीं होने पाता, तो बाकी बच्चे उसकी उपेक्षा करते हैं, उसका मज़ाक उड़ाते हैं और उसका उपहास करते हैं। कोई व्यसक यदि अपने आस-पास के लोगों और उनके व्यवहार से भिन्न होता है तो उसे नज़रंदाज़ किया जाता है, उसे महत्वहीन और पहचानरहित महसूस करवाया जाता है।

   लेकिन हमारे प्रभु परमेश्वर के साथ ऐसा कभी नहीं होता। हम उसके सामने और उसके स्वर्गदूतों के सामने कितने भी कम सामर्थी और कैसे भी अनाज्ञाकारी हों, उसने हमारी कीमत इतनी आंकी कि हमारे उद्धार के लिए अपने एकलौते पुत्र को भी ना रख छोड़ा, वरन उसे हमारे पापों की कीमत चुकाने के लिए बलिदान होने को दे दिया, जिससे उसके साथ फिर से हमारा संबंध स्थापित हो सके। वह कभी भी स्वर्गदूतों या अन्य महान और नामी विश्वासियों के सामने हमें किसी भी रीति से गौण महसूस नहीं होने देता, वरन उनके समान ही दर्जा देता है और स्वर्ग्दूतों को हमारी सेवा-टहल करने वाला बना दिया है (इब्रानियों १:१३-१४)। जो भी प्रभु यीशु में विश्वास और पापों की क्षमा के द्वारा परमेश्वर के पास आता है, वह परमेश्वर की संतान और स्वर्गीय वस्तुओं का वारिस हो जाता है। हम परमेश्वर के स्वरूप में सृजे गए हैं (उत्पत्ति १:२७), उसने हमारे जन्म से पहले ही हमारे लिए योजनाएं बनाईं हैं और वह हमारे जीवनों में रुचि रखता है (भजन १३९:१-१६)। उसका उद्देश्य हमें नीचा दिखाने का कभी नहीं होता, वरन वह सदा ही हमें ऊँचे पर रखना चाहता है।

   चाहे संसार में या हमारी अपनी नज़रों में हमारा महत्व और पहचान हो या ना हो, हमारे परमेश्वर पिता की नज़रों में हमारा बहुत महत्व है "और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है" (भजन १३९:१७); उसने हमें अपनी संतान होने की पहचान दी है और उसका प्रेम सदा हमारे प्रति गहराई से बना रहता है। - सिंडी हैस कैस्पर


जिस परमेश्वर ने इस सृष्टि को सृजा, वही आपसे भी प्रेम तथा आपकी परवाह करता है।

जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। - भजन १३९:१५

बाइबल पाठ: भजन १३९:१-१७
Psa 139:1  हे यहोवा, तू ने मुझे जांच कर जान लिया है।
Psa 139:2  तू मेरा उठना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है। 
Psa 139:3  मेरे चलने और लेटने की तू भली भांति छानबीन करता है, और मेरी पूरी चालचलन का भेद जानता है। 
Psa 139:4  हे यहोवा, मेरे मुंह में ऐसी कोई बात नहीं जिसे तू पूरी रीति से न जानता हो। 
Psa 139:5  तू ने मुझे आगे पीछे घेर रखा है, और अपना हाथ मुझ पर रखे रहता है। 
Psa 139:6  यह ज्ञान मेरे लिये बहुत कठिन है; यह गंभीर और मेरी समझ से बाहर है।
Psa 139:7  मैं तेरे आत्मा से भागकर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? 
Psa 139:8  यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! 
Psa 139:9  यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, 
Psa 139:10  तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। 
Psa 139:11  यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, 
Psa 139:12  तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psa 139:13  मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। 
Psa 139:14  मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। 
Psa 139:15  जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। 
Psa 139:16  तेरी आंखों ने मेरे बेड़ौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे। 
Psa 139:17  और मेरे लिये तो हे ईश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं! उनकी संख्या का जोड़ कैसा बड़ा है।

एक साल में बाइबल: 

  • विलापगीत ३-५ 
  • इब्रानियों १०:१९-३९