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शुक्रवार, 14 जून 2013

नियम

   सभी अभिभावक यह भलि-भांति जानते हैं कि घर के नियम घरवालों की भलाई के लिए होते हैं; उनका पालन घर में शांति बनाए रखता है और आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है। वे यह भी जानते हैं कि नियम भिन्न प्रकार के होते हैं; कुछ बच्चों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं, कुछ व्यसकों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं और कुछ ऐसे जो घर के सभी लोगों पर समान रूप से लागू होते हैं। लेकिन अन्ततः सभी नियम घर की उन्नति और मर्यादा को बनाए रखने के लिए होते हैं। हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता ने भी हमारे लिए कुछ नियम बनाकर दिए हैं। इसलिए नहीं कि वह हमें बन्धनों में बांध कर रखना चाहता है, वरन इसलिए कि हम आपस में प्रेम, सहृदयता और परस्पर आदर के साथ रह सकें और एक दूसरे की उन्नति में सहायक हो सकें। परमेश्वर हमें भलि-भांति जानता है और यह भी कि मानव समाज सर्वोत्तम रीति से किस प्रकार कार्य कर सकता है; उसके ये नियम इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

   परमेश्वर के सभी नियमों का संक्षिप्त किंतु संपूर्ण संकलन है परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई "दस आज्ञाएं"। जब मैंने इन दस आज्ञाओं को इस दृष्टिकोण से देखना आरंभ किया कि ये परमेश्वर द्वारा मेरी भलाई के लिए दी गई आज्ञाएं हैं, तो मैं इनकी व्यावाहरिकता और उपयोगिता को एक नवीन रीति से समझने पाया। मैंने पाया कि ये दस आज्ञाएं मनुष्य के परमेश्वर के साथ संबंध तथा मनुष्य के परस्पर एवं सामाजिक संबंधों और दायित्वों को बड़े स्पष्ट रूप में बताते हैं। हमारे जीवन की ऐसी कोई बात नहीं है जो इन दस आज्ञाओं की सीमाओं से बाहर हो। हमारे जीवन का हर पहलु इनके द्वारा निर्धारित होता है और इनका पालन हमारे अपने उत्थान के लिए सहायक एवं सामाजिक उत्थान में हमें उपयोगी बनाता है।

   ये आज्ञाऐं हमें परमेश्वर के प्रति सही दृष्टिकोण रखने तथा उसे अपने जीवनों में उचित स्थान एवं वास्तविक आदर देना सिखाती हैं। इनसे हमें कार्य तथा विश्राम का सही सामंजस्य बनाए रखने की शिक्षा मिलती है और ये हमें अपने परिवार तथा अपने समाज के प्रति सही व्यवहार रखना सिखाती हैं। ये आज्ञाऐं मनुष्य की मनोवृति को जानते और पहचानते हुए, मनुष्य को हर एक बुराई से बच कर चलने का मार्ग दिखाती हैं। इन आज्ञाओं को मानने से इन्कार करना प्रत्येक का अपना निर्णय है, लेकिन इनका पालन हर रीति से जीवन को आशीशित और समृद्ध बनाता है। ये आज्ञाऐं पृथ्वी पर जीवन को अर्थपूर्ण और सुचारु बनाती हैं और हमें एक शांतिप्रीय और स्वस्थ समाज बनने के लिए प्रेरित करती हैं जो परमेश्वर की आधीनता में परमेश्वर की महिमा के लिए कार्य करता है।


भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए! तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी। - भजन 119:5-6

और परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं। - 1 यूहन्ना 5:3

बाइबल पाठ: - निर्गमन 20:1-17
Exodus 20:1 तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
(1) Exodus 20:2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exodus 20:3 तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना।
(2) Exodus 20:4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exodus 20:5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exodus 20:6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
(3) Exodus 20:7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
(4) Exodus 20:8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exodus 20:9 छ: दिन तो तू परिश्रम कर के अपना सब काम काज करना;
Exodus 20:10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exodus 20:11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।
(5) Exodus 20:12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
(6) Exodus 20:13 तू खून न करना।
(7) Exodus 20:14 तू व्यभिचार न करना।
(8) Exodus 20:15 तू चोरी न करना।
(9) Exodus 20:16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
(10) Exodus 20:17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 9-10 
  • प्रेरितों 1


गुरुवार, 13 जून 2013

स्थिर और लचीले

   उत्तरी ध्रुव से लगे हुए अमेरिका के सबसे उत्तरी प्रांत अलास्का में तेल के भण्डार हैं जहाँ से तेल निकाल कर 800 मील लंबी ट्रांस-अलास्का पाईप लाईन द्वारा अमेरिका तक लाया जाता है। यह पाईप लाईन एक भूकंप बहुल क्षेत्र से होकर निकलती है और अपने आप में इंजिनयरी तथा निर्माण तकनीक की एक मिसाल है। इसके निर्माण के समय इंजीनियरों को यह निश्चित करना था कि किसी भूकंप के कारण यह क्षतिग्रस्त ना हो। इंजीनियरों ने भूकंप से पाईप लाईन की सुरक्षा के लिए उसे टेफलॉन स्लाईडर्स पर टिकाया, जो धरती के कांपने पर आपस में एक दूसरे पर फिसल सकते थे। सन 2002 में एक बड़े भूकंप के आने पर इस पाईप लाईन की इस सुरक्षा विधि की पहली बड़ी परख हुई। इंजीनियरों को यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यद्यपि पाईप लाईन के नीचे की धरती 18 फीट एक साईड को खसक गई लेकिन पाईप लाईन को कोई क्षति नहीं हुई - सारा खसकना उन टेफलॉन स्लाईडर्स के एक दूसरे पर थोड़ा-थोड़ा खसकने के द्वारा सहन कर लिया गया और पाईप लाईन बच गई। इस सारे बचाव की कुंजी थी टेफलॉन स्लाईडर्स का धरती पर स्थिर बने रहना और परस्पर एक लचीलापन रखना।

   परमेश्वर से एक मसीही विश्वासी के जीवन की आत्मिक सामर्थ पाते रहने की पाईप लाईन भी परमेश्वर पर उसके स्थिर विश्वास पर टिकी हुई है। लेकिन यदि हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध में एक लचीलापन नहीं रखेंगे, वरन परमेश्वर को किसी परिस्थिति में कैसे और क्या कार्य करना चाहिए इस बात में अपनी अपेक्षाओं को लेकर अड़ियल और कठोर रहेंगे तो फिर हमारा परेशानियों में पड़ना अवश्यंभावी हो जाएगा। जब हम किसी संकट में पड़ें तो हमारा ध्यान परमेश्वर की बजाए उन विषम परिस्थितियों पर केंद्रित हो सकता है, लेकिन ऐसे में भी हमारी प्रार्थना होनी चाहिए, "हे परमेश्वर मैं नहीं समझ पा रहा हूँ कि यह दुखदायी परिस्थिति आपने मेरे जीवन में क्यों आने दी। लेकिन हर बात में अन्ततः मेरी भलाई करने और मुझे सुरक्षित रखने के आपके अटल वायदे पर पूर्ण और स्थिर विश्वास रखता हूँ। मेरे जीवन में आपका प्रयोजन पूरा होने तक मुझे और मेरे विश्वास को दृढ़ बनाए रखें और किसी भी क्षति से बचाए रखें।" परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने अपने ऐसे ही विश्वास को बड़ी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है: "हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा" (भजन 57:1)।

   यदि कभी हमारे नीचे की धरती हमारे लिए कांपने लगे तो आवश्यक है कि हम परमेश्वर के प्रेम और हर समय हमारी देखभाल तथा भलाई करने के उसके वायदे के प्रति अपने विश्वास में दृढ़ और स्थिर तथा परिस्थिति के समाधान के लिए उससे अपनी अपेक्षाओं में लचीले रहें। ऐसा रवैया रखने से, उससे जुड़ी हमारी आत्मिक जीवन की पाईप लाईन कभी क्षतिग्रस्त नहीं होगी और उसकी आशीशें तथा सामर्थ अविरल हमारे जीवन में प्रवाहित होते रहेंगे। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमारे अनुरोध अस्वीकार कर सकता है, या उनके मानने में विलंब कर सकता है लेकिन हर बात में सदा ही हमारा भला करने से पीछे कभी नहीं हट सकता।

हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा। - भजन 57:1

बाइबल पाठ: भजन 57
Psalms 57:1 हे परमेश्वर, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तेरा शरणागत हूं; और जब तक ये आपत्तियां निकल न जाएं, तब तक मैं तेरे पंखों के तले शरण लिये रहूंगा।
Psalms 57:2 मैं परम प्रधान परमेश्वर को पुकारूंगा, ईश्वर को जो मेरे लिये सब कुछ सिद्ध करता है।
Psalms 57:3 ईश्वर स्वर्ग से भेज कर मुझे बचा लेगा, जब मेरा निगलने वाला निन्दा कर रहा हो। परमेश्वर अपनी करूणा और सच्चाई प्रगट करेगा।
Psalms 57:4 मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है।
Psalms 57:5 हे परमेश्वर तू स्वर्ग के ऊपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!
Psalms 57:6 उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है; मेरा प्राण ढला जाता है। उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा, परन्तु आप ही उस में गिर पड़े।
Psalms 57:7 हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है; मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।
Psalms 57:8 हे मेरी आत्मा जाग जा! हे सारंगी और वीणा जाग जाओ। मैं भी पौ फटते ही जाग उठूंगा।
Psalms 57:9 हे प्रभु, मैं देश के लोगों के बीच तेरा धन्यवाद करूंगा; मैं राज्य राज्य के लोगों के बीच में तेरा भजन गाऊंगा।
Psalms 57:10 क्योंकि तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचती है।
Psalms 57:11 हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 6-8 
  • यूहन्ना 21


बुधवार, 12 जून 2013

संबंध

   मैं अपने घर की बाल्कनी से देख रहा था, सामने की 20 मंज़िला इमारत गिराई जा रही थी। उस इमारत को गिराने का कार्य पूर्ण करने में मुश्किल से एक सप्ताह ही लगा होगा। गिराने के बाद वहाँ नई इमारत का निर्माण आरंभ हो गया। पुनःनिर्माण का यह कार्य दिन-रात लगातार चल रहा है। महीनों बीत चुके हैं किन्तु यह पुनःनिर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है। ध्वस्त करना कितना सरल है और बनाना कितनी मेहनत और लगन का कार्य है।

   जो इमारतों के बनाने और गिराने के लिए सत्य है वही परस्पर संबंधों के लिए भी उतना ही सत्य है - स्थिर और विश्वासयोग्य संबंध बनाना सरल नहीं है किन्तु संबंध टूटने में अधिक समय नहीं लगता। परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों की मण्डली को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने उस मण्डली की दो महिलाओं से आग्रह किया "मैं यूओदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें। और हे सच्चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्योंकि उन्होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं" (फिलिप्पियों 4:2, 3)। ये दो महिलाओं परमेश्वर के कार्य में परिश्रमी थीं, परन्तु इनकी परस्पर अनबन सारी मण्डली को प्रभावित कर रही थी और यदि यह मनमुटाव दूर नहीं होता तो उस मण्डली की सारी गवाही पर बुरा प्रभाव आता। इस मतभेद को सुलझाने और संबंधों के पुनःनिर्माण के लिए पौलुस ने अपने एक "सच्चे सहकर्मी" की सहायता माँगी।

   यह एक दुखदायी सत्य है कि मसीही विश्वासियों में भी परस्पर अनबन और झगड़े पाए जाते हैं, जबकि परमेश्वर का वचन हमें समझाता है कि "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों 12:18)। यदि हमारे आपसी मतभेद सुल्झाए नहीं गए तो बड़ी मेहनत और लगन से बनाई गई हमारी मसीही गवाही शीघ्र ही ध्वस्त हो जाएगी। टूटे संबंधों के पुनःनिर्माण में समय और मेहनत तो लगते हैं लेकिन यह करना अनिवार्य है। किसी विश्वासयोग्य साथी की सहायता से ऐसा किया जा सकता है और पुनःनिर्मित इमारत के समान, पुनःस्थापित यह संबंध पहले से अधिक अच्छे और स्थिर भी हो सकते हैं।

   हम यह ठान लें कि अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा कभी किसी को गिराएंगे नहीं वरन हमारी हर बात दुसरों को बनाने और बढ़ाने ही के लिए होगी। - सी० पी० हीया


एक से भले दो मसीही विश्वासी हैं - तब जब वे आपस में एक हों।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। - फिलिप्पियों 2:3 

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-21
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 3-5 
  • यूहन्ना 20


मंगलवार, 11 जून 2013

राजसी विवाह

   विवाह सदा ही सजावट, वस्त्र और खाने-पीने आदि में मनमाने खर्चे करने के अवसर रहे हैं। वर्तमान समय के विवाह नवयुवतीयों के लिए "एक दिन की राजकुमारी" बनने के अवसर हो गए हैं जब वे अपनी कल्पनाओं को साकार करने के प्रयास करती हैं; आखिर वे उस विवाह की सबसे विशिष्ट व्यक्ति हैं। एक महंगा और खूबसूरत विवाह का वस्त्र - जो शायद फिर कभी ना पहना जाए, बड़ी मेहनत और अनूठे ढंग से सजाए गए केश, फूलों के गुल्दस्ते, रंगीन वस्त्रों में साथ देती सहेलियाँ, आमंत्रित मित्र और परिवारजन, जिनसे किसी अवसर पर ही मिलना संभव हो पाता है, अनुपम सजावट से सुसज्जित विवाह एवं भोज स्थल और ढेर सारा भिन्न भिन्न प्रकार का भोजन - सब मिलकर एक परिकथा का सा वातावरण बना देते हैं। अपनी बेटी के इन सपनों को साकार करने के लिए कई अभिभावक वर्षों पहले से ही धन संचय करना आरंभ कर देते हैं जिससे मौका आने पर कोई कमी ना रह जाए।

   अगर विवाह शाही घरानों में हो रहा हो तो फिर तो इन सारी बातों के आयोजन और आयोजित कार्यक्रमों का स्तर हम "साधारण" लोगों की कल्पना तथा समझ के बाहर हो जाता है। सन 1981 में राजकुमार चार्ल्स तथा राजकुमारी डायना के विवाह कार्यक्रमों ने इसका एक नमूना संसार के सामने रखा जिसे टेलिविज़न तथा अन्य संचार माध्यमों ने सारे संसार में प्रसारित किया तथा लाखों-करोड़ों लोगों ने देखा, सुना और जाना; वास्तव में राजसी विवाह के स्तर कुछ अलग ही होते हैं।

   एक और राजसी विवाह, जिसकी अभी तैयारी चल रही है, होने को है; और वह विवाह संसार के अब तक के हर विवाह - शाही या सामान्य से बिलकुल भिन्न और अनुपम होगा। इस विवाह में सबसे महत्वपूर्ण और विशिष्ट व्यक्ति संसार के अन्य विवाहों के समान दुल्हन नहीं वरन दूल्हा होगा। यह विवाह होगा मसीह यीशु और उसकी मण्डली अर्थात हम मसीही विश्वासियों का जो एक दुल्हन के समान सदा काल के लिए अपने दूल्हे के साथ एक हो जाएंगे। इसकी कल्पना भी हमारे मस्तिष्क की संभावनाओं से परे है, परन्तु प्रेरित युहन्ना, जिसे इस विवाह का दर्शन दिखाया गया लिखता है कि दुल्हन ने अपने आप को इस विवाह के लिए तैयार किया है और उस दुल्हन के विवाह के वस्त्र उसके धार्मिकता के कार्य हैं (प्रकाशितवाक्य 19:7, 8)।

   यद्यपि संसार के विवाह संबंध का काल तो अधिक से अधिक जीवन-अवधि तक ही सीमित होता है, लेकिन फिर भी हर दुल्हन उसके लिए बहुत तैयारी करती है कि उसके विवाह में कोई कमी ना रहे; तो फिर विचार कीजिए कि उस अलौकिक विवाह के लिए जो अनन्त काल के लिए होगा, दुल्हन अर्थात हम मसीही विश्वासियों को अपनी तैयारी कैसी रखनी चाहिए? क्या आज आप अपने आप को तैयार कर रहे हैं? क्या आपके विवाह वस्त्र अर्थात आपके धार्मिकता के कार्य इस अवसर के लिए अनूकूल एवं तैयार हैं? - जूली एकैरमैन लिंक


भले कार्य हमें मसीही विश्वासी नहीं बनाते; लेकिन मसीही विश्वासी होना हमें भले कार्यों को करने की ज़िम्मेदारी देता है।

आओ, हम आनन्‍दित और मगन हों, और उस की स्‍तुति करें; क्योंकि मेम्ने का ब्याह आ पहुंचा: और उस की पत्‍नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है। - प्रकाशितवाक्य 19:7 

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 19:-10
Revelation 19:1 इस के बाद मैं ने स्वर्ग में मानो बड़ी भीड़ को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि हल्लिलूय्याह! उद्धार, और महिमा, और सामर्थ हमारे परमेश्वर ही की है।
Revelation 19:2 क्योंकि उसके निर्णय सच्चे और ठीक हैं, इसलिये कि उसने उस बड़ी वेश्या का जो अपने व्यभिचार से पृथ्वी को भ्रष्‍ट करती थी, न्याय किया, और उस से अपने दासों के लोहू का पलटा लिया है।
Revelation 19:3 फिर दूसरी बार उन्होंने हल्लिलूय्याह! कहा: और उसके जलने का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा।
Revelation 19:4 और चौबीसों प्राचीनों और चारों प्राणियों ने गिर कर परमेश्वर को दण्‍डवत किया; जो सिंहासन पर बैठा था, और कहा, आमीन, हल्लिलूय्याह!
Revelation 19:5 और सिंहासन में से एक शब्द निकला, कि हे हमारे परमेश्वर से सब डरने वाले दासों, क्या छोटे, क्या बड़े; तुम सब उस की स्‍तुति करो।
Revelation 19:6 फिर मैं ने बड़ी भीड़ का सा, और बहुत जल का सा शब्द, और गर्जनों का सा बड़ा शब्द सुना, कि हल्लिलूय्याह! इसलिये कि प्रभु हमारा परमेश्वर, सर्वशक्तिमान राज्य करता है।
Revelation 19:7 आओ, हम आनन्‍दित और मगन हों, और उस की स्‍तुति करें; क्योंकि मेम्ने का ब्याह आ पहुंचा: और उस की पत्‍नी ने अपने आप को तैयार कर लिया है।
Revelation 19:8 और उसको शुद्ध और चमकदार महीन मलमल पहिनने का अधिकार दिया गया, क्योंकि उस महीन मलमल का अर्थ पवित्र लोगों के धर्म के काम हैं।
Revelation 19:9 और उसने मुझ से कहा; यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्ने के ब्याह के भोज में बुलाए गए हैं; फिर उसने मुझ से कहा, ये वचन परमेश्वर के सत्य वचन हैं।
Revelation 19:10 और मैं उसको दण्‍डवत करने के लिये उसके पांवों पर गिरा; उसने मुझ से कहा; देख, ऐसा मत कर, मैं तेरा और तेरे भाइयों का संगी दास हूं, जो यीशु की गवाही देने पर स्थिर हैं, परमेश्वर ही को दण्‍डवत कर; क्योंकि यीशु की गवाही भविष्यद्वाणी की आत्मा है।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 1-2 
  • यूहन्ना 19:23-42


सोमवार, 10 जून 2013

उपाधि

   आपके नाम के लगी आपकी उपाधि आपकी श्रेणी की सूचक है और निर्धारित करती है कि आपके आस-पास विद्यमान लोगों के संदर्भ में आपके प्रति कैसा व्यवहार किया जाएगा - यदि आपकी उपाधि आपको समाज के शीर्ष वर्ग में दिखाती है तो लोगों का व्यावहार भी उसके अनुरूप होगा, और यदि सामान्य वर्ग में दिखाती है तो फिर व्यवहार भी सामान्य ही होगा। परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस के नाम के साथ उपाधि जुड़ी है "प्रेरित" अर्थात "भेजा हुआ" (1 तिमुथियुस 1:1)।

   पौलुस के लिए यह उपाधि किसी गर्व का नहीं वरन एक अप्रत्याशित चमत्कार के स्मरण को बनाए रखने का कारण थी। उस ने यह पदवी अपनी किसी योग्यता अथवा परिश्रम के द्वारा कमाई नहीं थी, वरन यह पदवी उसे प्रदान करी गई थी; वह "...मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है..."। दूसरे शब्दों में, पौलुस का प्रेरित होना किसी मानवीय योजना के द्वारा नहीं वरन एक ईश्वरीय प्रबंध था।

   पौलुस अपने बारे में लिखता है कि मसीह यीशु पर विश्वास लाने और उसे अपना जीवन समर्पण करने से पहले वह उसकी "...निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था..." (1 तिमुथियुस 1:13)। मसीह यीशु के नाम और उसके अनुयायियों के प्रति अपने इसी व्यवहार के कारण वह अपने आप को संसार का सबसे बड़ा पापी भी मानता था (1 तिमुथियुस 1:15, 16)। लेकिन साथ ही उसने यह भी पहचाना कि यह सब करने के बावजूद, परमेश्वर के अनुग्रह ही से वह अब प्रभु यीशु का प्रेरित था और उस "सनातन राजा" के लिए कार्य करने को उपयुक्त ठहराया गया और नियुक्त किया गया था (1 तिमुथियुस 1:16, 17)।

   जैसे यह पौलुस के लिए अप्रत्याशित और विस्मयकारी था, वैसे ही आज भी सभी मसीही विश्वासियों के लिए भी उनका परमेश्वर के द्वारा अनुग्रह से पापों से बचाया जाना और परमेश्वर के कार्य के लिए उपयोग किया जाना भी है। पौलुस के समान ही उस राजाओं के राजा प्रभु यीशु ने, हमारे मसीही विश्वास में आने से पहले की हमारी दशा और व्यवहार के बावजूद, हमें भी संसार में अपने सन्देश के साथ भेजा है (मत्ती 28:18-20, प्रेरितों 1:8)। उसने हमें अपने राज्दूत नियुक्त किया है (2 कुरिन्थियों 5:20) कि हम उसके राज्य के सुसमाचार को समस्त संसार में फैलाएं।

   पौलुस के समान ही हम भी नम्रता के साथ यह पहचान लें और मान लें कि यह पदवी और सम्मान हमारी किसी योग्यता या सामर्थ से हमने नहीं कमाया है वरन परमेश्वर के अनुग्रह से हमें प्रदान किया गया है। संसार के उद्धारकर्ता और सृष्टि के परमेश्वर का प्रतिनिधि होना और प्रतिदिन उसके सनातन सत्य वचन, मसीह यीशु में सारे संसार के सभी लोगों को सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को दूसरों तक पहुँचाना केवल हमारा कर्तव्य ही नहीं वरन हमारे लिए सौभाग्य भी है। - सी. पी. हिया


परमेश्वर ने संसार के साथ बाँटने को एक सन्देश आपको सौंपा है; आपकी ज़िम्मेदारी उसे अपने पास रखना नहीं, उसे बाँटते ही रहना है।

पौलुस की ओर से जो यीशु मसीह का दास है, और प्रेरित होने के लिये बुलाया गया, और परमेश्वर के उस सुसमाचार के लिये अलग किया गया है। - रोमियों 1:1 

बाइबल पाठ: 1 तिमुथियुस 1:1, 12-17
1 Timothy 1:1 पौलुस की ओर से जो हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर, और हमारी आशा-स्थान मसीह यीशु की आज्ञा से मसीह यीशु का प्रेरित है, तिमुथियुस के नाम जो विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र है।
1 Timothy 1:12 और मैं, अपने प्रभु मसीह यीशु का, जिसने मुझे सामर्थ दी है, धन्यवाद करता हूं; कि उसने मुझे विश्वास योग्य समझकर अपनी सेवा के लिये ठहराया।
1 Timothy 1:13 मैं तो पहिले निन्‍दा करने वाला, और सताने वाला, और अन्‍धेर करने वाला था; तौभी मुझ पर दया हुई, क्योंकि मैं ने अविश्वास की दशा में बिन समझे बूझे, ये काम किए थे।
1 Timothy 1:14 और हमारे प्रभु का अनुग्रह उस विश्वास और प्रेम के साथ जो मसीह यीशु में है, बहुतायत से हुआ।
1 Timothy 1:15 यह बात सच और हर प्रकार से मानने के योग्य है, कि मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया, जिन में सब से बड़ा मैं हूं।
1 Timothy 1:16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
1 Timothy 1:17 अब सनातन राजा अर्थात अविनाशी अनदेखे अद्वैत परमेश्वर का आदर और महिमा युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 34-36 
  • यूहन्ना 19:1-22


रविवार, 9 जून 2013

विचार

   मैं और मेरी पत्नि कार से एक यात्रा पर जा रहे थे, और एक स्थान पर दोपहर का भोजन करने के लिए रुके। भोजन के उपरान्त जब हमने बाहर निकल कर देखा तो पाया कि हमारी कार का एक शीशा टूटा हुआ है। उस एक झलक में ही मैंने पहचान लिया कि हम अपनी कार में सामने लगे दिशा निर्देशक यन्त्र को हटा कर छिपाना भूल गए थे और चोर ने उसे उठा लिया। मैंने पिछली सीट पर झाँक कर देखा तो मेरा लैपटौप तथा पासपोर्ट और चैकबुक भी नहीं थे।

   बाद में उस शाम, बहुत से फोन करने और बढ़ती चिन्ताओं में कई घन्टे बिताने के बाद एक सुखद अचरज की बात सामने आई। जब मैंने अपना सूटकेस खोला और कपड़े बाहर निकालने लगा, तो मेरे सामने मेरा वह सब सामान - मेरा लैपटौप तथा पासपोर्ट और चैकबुक पड़े थे, जिनके लिए मैं सोच रहा था कि वे उस दिशा निर्देशक यन्त्र के साथ चुरा लिए गई हैं। एकाएक मैं अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर सका; और तब मुझे स्मर्ण आया कि इस बार मैंने अपना यह सब सामान, आदत के अनुसार पिछली सीट पर नहीं रखा था वरन कपड़ों के साथ सूटकेस में रख दिया था और सूटकेस कार की डिग्गी में बन्द करके रख दिया था। कार के टूटे शीशे और चोरी की हड़बड़ाहट में मेरे विचार मुझे किसी अन्य ही दिशा में ले गए जब कि मेरा सामान मेरे ही पास सुरक्षित पड़ा था।

   कभी-कभी मौके की हड़बड़ाहट में हमारा दिमाग़ और हमारे विचार हमें सही आंकलन नहीं करने देते और हमें लगता है कि हम बहुत नुकसान में पड़ गए हैं जबकि ऐसा होता नहीं है। ऐसा ही दाऊद के साथ भी हुआ, और वह यह समझ बैठा कि परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है। बाद में जब उसे वास्तविकता का एहसास हुआ तो वह समझ पाया कि उसका भय और आशंका निराधार हैं और परमेश्वर पर उसका विश्वास सही है, और तब वह हानि की संभावना उसके लिए परमेश्वर की स्तुति के एक गीत को रचने की प्रेर्णा बन गई (भजन 13:5-6)।

   दाऊद के इस आनन्द ने हमारे लिए भी एक उदाहरण रखा है - यदि हमारा जीवन परमेश्वर में सुरक्षित है (कुलुस्सियों 3:3) तो हमसे कोई भी कभी भी वह नहीं छीन सकता जो हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण और बहुमूल्य है। - मार्ट डी हॉन


अपने मन को अपने मस्तिष्क के विचारों पर नहीं वरन अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम पर आधारित रखें।

हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा? - भजन 13:1 

बाइबल पाठ: भजन 13; कुलुस्सियों 3:1-4
Psalms 13:1 हे परमेश्वर तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? तू कब तक अपना मुखड़ा मुझ से छिपाए रहेगा?
Psalms 13:2 मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियां करता रहूं, और दिन भर अपने हृदय में दुखित रहा करूं, कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा?
Psalms 13:3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, मेरी आंखों में ज्योति आने दे, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी;
Psalms 13:4 ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, कि मैं उस पर प्रबल हो गया; और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूं तो मेरे शत्रु मगन हों।
Psalms 13:5 परन्तु मैं ने तो तेरी करूणा पर भरोसा रखा है; मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा।
Psalms 13:6 मैं परमेश्वर के नाम का भजन गाऊंगा, क्योंकि उसने मेरी भलाई की है।

Colossians 3:1 सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है।
Colossians 3:2 पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ।
Colossians 3:3 क्योंकि तुम तो मर गए, और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है।
Colossians 3:4 जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 32-33 
  • यूहन्ना 18:19-40


शनिवार, 8 जून 2013

उद्देश्य


   मेरी पत्नि मार्टी बहुत अच्छा भोजन बनाती है। व्यस्त दिनचर्या के बाद शाम को आराम से बैठकर उसके बनाए भोजन का स्वाद तथा आनन्द लेना बहुत भला लगता है। कभी-कभी शाम के भोजन के बाद वह कुछ अन्य छोटे-मोटे कार्य करने में व्यस्त हो जाती है, और मेरे लिए दो ही विकल्प रह जाते हैं - बैठकर टेलिविज़न देखूँ, या फिर रसोई की साफ-सफाई करूँ। जब मैं अपने भले व्यवहार को प्रदर्शित करने की मनोदशा में होता हूँ, तो मैं अपनी आस्तीनें चढ़ा कर रसोई में जुट जाता हूँ और सब गन्दे बर्तनों की सफाई कर देता हूँ। यह सब करते हुए मेरा उद्देश्य रहता है कि इस सब को देखकर जब मार्टी कृतज्ञता के कुछ शब्द कहे, जैसे "अरे वाह जो, क्या बात है! वैसे तुम्हें यह करने की आवश्यकता नहीं थी" तो मैं तुरंत प्रत्युत्तर में उससे कह सकूँ, "मैंने तो यह सब बस तुम्हारे प्रति अपने प्रेम को जताने के लिए किया था"।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु ने इफसुस की मण्डली को इसलिए डाँटा क्योंकि उन्होंने प्रभु यीशु के प्रति "अपना पहला सा प्रेम" छोड़ दिया था (प्रकाशितवाक्य 2:4)। उस मण्डली के लोग बहुत कुछ कर तो रहे थे, लेकिन उनके वे भले कार्य प्रभु यीशु के प्रति प्रेम के कारण नहीं थे। यद्यपि प्रभु यीशु ने उनके धीरज और विश्वास में बने रहने की प्रशंसा करी, लेकिन मसीह यीशु के दृष्टिकोण से उनका यह सब परिश्रम व्यर्थ था क्योंकि इन भले कार्यों को करने में उनका उद्देश्य सही नहीं था।

   मसीही विश्वास में भला व्यवहार मसीह की उपासना के समान है। अपने विश्वास की परीक्षाओं का सामना करना, क्षमाशील होना, दूसरों की सेवा करना, एक दूसरे से प्रेम रखना आदि सभी बातें प्रभु से कोई शाबाशी पाने, पीठ थपथाए जाने या मण्डली में प्रशंसा पाने और नाम कमाने के उद्देश्य से नहीं वरन प्रगट रूप में अपने मसीही विश्वास को जी कर दिखाने और मसीह यीशु के प्रति अपने प्रेम को प्रगट करने के अवसर होने चाहिएं।

   ज़रा सोच कर देखिए, मसीह यीशु के प्रति अपने प्रेम को प्रगट करने के लिए आपने कोई "भला" कार्य आखिरी बार कब किया था? - जो स्टोवैल


व्यावाहरिक प्रेम ही वस्तविक प्रेम है।

पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है। - प्रकाशितवाक्य 2:4 

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 2:1-7
Revelation 2:1 इफिसुस की कलीसिया के दूत को यह लिख, कि, जो सातों तारे अपने दाहिने हाथ में लिये हुए है, और सोने की सातों दीवटों के बीच में फिरता है, वह यह कहता है कि
Revelation 2:2 मैं तेरे काम, और परिश्रम, और तेरा धीरज जानता हूं; और यह भी, कि तू बुरे लोगों को तो देख नहीं सकता; और जो अपने आप को प्रेरित कहते हैं, और हैं नहीं, उन्हें तू ने परख कर झूठा पाया।
Revelation 2:3 और तू धीरज धरता है, और मेरे नाम के लिये दु:ख उठाते उठाते थका नहीं।
Revelation 2:4 पर मुझे तेरे विरुद्ध यह कहना है कि तू ने अपना पहिला सा प्रेम छोड़ दिया है।
Revelation 2:5 सो चेत कर, कि तू कहां से गिरा है, और मन फिरा और पहिले के समान काम कर; और यदि तू मन न फिराएगा, तो मैं तेरे पास आकर तेरी दीवट को उस स्थान से हटा दूंगा।
Revelation 2:6 पर हां तुझ में यह बात तो है, कि तू नीकुलइयों के कामों से घृणा करता है, जिन से मैं भी घृणा करता हूं।
Revelation 2:7 जिस के कान हों, वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्वर के स्‍वर्गलोक में है, फल खाने को दूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 30-31 
  • यूहन्ना 18:1-18