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सोमवार, 22 फ़रवरी 2016

प्रोत्साहन


   जमाइका के यूसेन बोल्ट और योहन ब्लेक ने, लंडन में आयोजित 2012 के ओलंपिक खेलों में ऐतिहासिक कीर्तीमान स्थापित किया; वे दोनों ही 100 और 200 मीटर की दोनों दौड़ों में, क्रमशः प्रथम और द्वितीय आए। दौड़ के मैदान पर उनकी परस्पर स्पर्धा के बावजूद बोल्ट ने प्रशिक्षण सहयोगी होने के लिए ब्लेक की प्रशंसा करते हुए कहा: "बीते वर्षों में योहन ने मुझे एक बेहतर खिलाड़ी बनाया है। वह लगातार मुझे और बेहतर करने के लिए उकसाता रहा, मेरे पीछे पड़ा रहा।" यह स्पष्ट था कि वे दोनों दौड़ की उस स्पर्धा द्वारा एक दूसरे को और बेहतर बनाने में लगे रहते थे।

   मसीह यीशु के विश्वासी और अनुयायी होने के नाते यह हमारी ज़िम्मेदारी और हमें प्रदान किया गया आदर है कि हम एक दूसरे को मसीही विश्वास में प्रोत्साहित करती रहें। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों को लिखी पत्री में लिखा है: "और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें" (इब्रानियों 10:24)।

   चर्च अर्थात, मसीही विश्वासियों की मण्डली, कोई सामाजिक संस्था या समय व्यतीत करने के लिए प्रति सप्ताह मिलने-जुलने का स्थान नहीं है। चर्च वह स्थान है जहाँ हम, जो प्रभु यीशु के द्वारा पापों की क्षमा प्राप्त करके परमेश्वर के निकट लाए गए हैं, मसीह यीशु के स्वरूप में ढलने और बढ़ने में एक दूसरे की सहायता करते हैं। चर्च में हमारे एक साथ एकत्रित होने का उद्देश्य ही एक दूसरे को मसीही विश्वास में उभारना और प्रोत्साहित करना है।

   कोई भी मसीही विश्वासी अकेला रहकर कार्य नहीं कर सकता है; जैसा हमारा प्रभु हमसे चाहता है, वैसा जीवन जीने के लिए हमें मसीही विश्वासियों की संगति चाहिए। जब आप अन्य मसीही विश्वासियों से मिलें, तो यह जानने का प्रयास करें कि ऐसा कौन है जिसके निकट आकर आप उसे अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा अपने प्रभु मसीह यीशु की समानता में और अधिक आने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। - सी. पी. हिया


पाप से दुःखी संसार के लिए एक स्वस्थ्य मसीही मण्डली सर्वोत्तम साक्षी है।

और वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में और रोटी तोड़ने में और प्रार्थना करने में लौलीन रहे। - प्रेरितों 2:42

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:19-25
Hebrews 10:19 सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। 
Hebrews 10:20 जो उसने परदे अर्थात अपने शरीर में से हो कर, हमारे लिये अभिषेक किया है, 
Hebrews 10:21 और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है। 
Hebrews 10:22 तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव ले कर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं। 
Hebrews 10:23 और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है। 
Hebrews 10:24 और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। 
Hebrews 10:25 और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20


रविवार, 21 फ़रवरी 2016

बताएं


   मुझे राष्ट्रीय स्तर पर वितृत किए गए एक समाचार लेख को देख कर अचरज हुआ; उस लेख में किशोरों के एक समूह की प्रशंसा करी गई थी जो कॉलेराडो में स्थित बर्फ के ढालों पर स्कींग करने आए लोगों के साथ प्रति इतवार चर्च सभाएं करते थे। इस लेख ने, जिसमें पत्रकार ने उन किशोरों के बारे में लिखा था जो स्कींग करना और साथ ही लोगों को यह बताना कि प्रभु यीशु ने उनके जीवन कैसे बदले पसन्द करते थे, बहुत से लोगों को आकर्षित किया। इन किशोरों का साथ एक युवा मसीही विश्वासियों की संस्था दे रही थी, जो उन्हें परमेश्वर के प्रेम को दूसरों तक पहुँचाने और प्रगट करने में सहायता करती थी।

   दूसरों को कार्य करने के लिए प्रशिक्षित करने से अधिक सरल होता है स्वयं उस कार्य को करना, परन्तु फिर भी प्रभु यीशु ने अपने आप को अपने चेलों के जीवन में निवेश किया, क्योंकि उन चेलों ही के द्वारा उनका सन्देश संसार में जाना था। जब लोग प्रभु से चँगाई पाने के लिए उसे घेरे हुए थे, वह एक पहाड़ पर चढ़ गया और "तब उसने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें" (मरकुस 3:14)।

   कॉलेराडो के उन किशोरों में से एक किशोरी ने मसीही शिष्यता के अपने प्रशिक्षण के बारे में बताया: "मैं कभी परिवार या मित्रों के साथ कोई संबंध बना कर नहीं रख सकी; मैं सदा ही उनसे दूरी बनाए रखती थी। लेकिन इस कार्यक्रम ने ना केवल मुझे परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करवाया, वरन मुझे उस प्रेम को दूसरों तक पहुँचाना भी सिखाया।

   प्रभु यीशु के प्रेम का व्यक्तिगत अनुभव करने और उसके अनुयायियों के साथ रहने से हम वह साहस और सामर्थ पाते हैं जिससे हम वह सब कह और कर सकते हैं जो हमारे प्रभु को आदर देता है; क्योंकि प्रभु यीशु के प्रेम और उद्देश्य के बारे में बताना ही मसीही जीवन का ध्येय है। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीही गवाही देना करे जाने के लिए कार्य नहीं वरन जीए जाने के लिए जीवन है।

उस ने उन से कहा, आओ; हम और कहीं आस पास की बस्‍तियों में जाएं, कि मैं वहां भी प्रचार करूं, क्योंकि मैं इसी लिये निकला हूं। - मरकुस 1:38

बाइबल पाठ: मरकुस 3:1-15
Mark 3:1 और वह आराधनालय में फिर गया; और वहां एक मनुष्य था, जिस का हाथ सूख गया था। 
Mark 3:2 और वे उस पर दोष लगाने के लिये उस की घात में लगे हुए थे, कि देखें, वह सब्त के दिन में उसे चंगा करता है कि नहीं। 
Mark 3:3 उसने सूखे हाथ वाले मनुष्य से कहा; बीच में खड़ा हो। 
Mark 3:4 और उन से कहा; क्या सब्त के दिन भला करना उचित है या बुरा करना, प्राण को बचाना या मारना? पर वे चुप रहे। 
Mark 3:5 और उसने उन के मन की कठोरता से उदास हो कर, उन को क्रोध से चारों ओर देखा, और उस मनुष्य से कहा, अपना हाथ बढ़ा उसने बढ़ाया, और उसका हाथ अच्छा हो गया। 
Mark 3:6 तब फरीसी बाहर जा कर तुरन्त हेरोदियों के साथ उसके विरोध में सम्मति करने लगे, कि उसे किस प्रकार नाश करें। 
Mark 3:7 और यीशु अपने चेलों के साथ झील की ओर चला गया: और गलील से एक बड़ी भीड़ उसके पीछे हो ली। 
Mark 3:8 और यहूदिया, और यरूशलेम और इदूमिया से, और यरदन के पार, और सूर और सैदा के आसपास से एक बड़ी भीड़ यह सुनकर, कि वह कैसे अचम्भे के काम करता है, उसके पास आई। 
Mark 3:9 और उसने अपने चेलों से कहा, भीड़ के कारण एक छोटी नाव मेरे लिये तैयार रहे ताकि वे मुझे दबा न सकें। 
Mark 3:10 क्योंकि उसने बहुतों को चंगा किया था; इसलिये जितने लोग रोग से ग्रसित थे, उसे छूने के लिये उस पर गिरे पड़ते थे। 
Mark 3:11 और अशुद्ध आत्माएं भी, जब उसे देखती थीं, तो उसके आगे गिर पड़ती थीं, और चिल्लाकर कहती थीं कि तू परमेश्वर का पुत्र है। 
Mark 3:12 और उसने उन्हें बहुत चिताया, कि मुझे प्रगट न करना। 
Mark 3:13 फिर वह पहाड़ पर चढ़ गया, और जिन्हें वह चाहता था उन्हें अपने पास बुलाया; और वे उसके पास चले आए। 
Mark 3:14 तब उसने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें। 
Mark 3:15 और दुष्टात्माओं के निकालने का अधिकार रखें।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3


शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

ढांपे गढ़हे


   मई 2010 में मध्य अमेरिका पर अगाथा नामक तूफान का प्रहार हुआ जिससे उस क्षेत्र में बहुत मूसलाधार बारिश और भारी भूस्खलन हुआ। जब वह तूफान आगे बढ़ गया तो गूवाटेमाला शहर में नीचे की ज़मीन बैठ जाने से अचानक ही एक 200 फुट गहरा गढ़हा बन गया जिसमें आसपास की ज़मीन, बिजली के खंबे और एक तीन मंज़िली इमारत समा गए।

   ऐसे गढ़हे बहुत हानिकारक होते हैं, किंतु कभी कभी ही देखने को मिलते हैं। लेकिन सबसे आम और सबसे खतरनाक गढ़हे होते हैं मानव हृदयों में। ऐसे खतरनाक गढ़हे और उसके विनाशकारी प्रभाव का उदाहरण है परमेश्वर के वचन बाइबल का एक प्रमुख पात्र दाऊद।

   परमेश्वर की स्तुति में लिखे गए अनेक भजनों के रचियेता और परमेश्वर द्वारा इस्त्राएल का राजा होने के लिए अभिषिक्त और स्थापित दाऊद के जीवन की सतह स्थिर और समतल दिखती थी, लेकिन पाप ने उसके जीवन की आन्तरिक स्थिति कमज़ोर कर दी। दाऊद के द्वारा व्यभिचार और हत्या का पाप हुआ, जिसे उसने छुपाने का प्रयास किया, और उसे लगा कि वह अपने इस प्रयास में सफल भी हो गया है (2 शमूएल 11-12)। लेकिन परमेश्वर की नज़रों से ना तो कुछ छिपता है और ना ही कोई बचता है; परमेश्वर ने अपने नबी नातान के द्वारा दाऊद के पाप को कठोर शब्दों में उसके सामने लाकर रख दिया और उसे यह एहसास करवाया कि पाप को छुपाने और नज़रन्दाज़ करने के प्रयास के कारण उसका आत्मिक जीवन कमज़ोर हो गया है। अपने जीवन में आए पाप के इस गढ़हे को और बढ़ने तथा और नुकसान करने से रोकने के लिए दाऊद ने परमेश्वर के सामने अपने पाप को पश्चाताप के साथ स्वीकार कर लिया (भजन 32:5)। परिणामस्वरूप परमेश्वर ने दाऊद को क्षमा किया और उसे पाप क्षमा के आनन्द को प्राप्त किया (भजन 32:1)।

   आज हमारे लिए भी परमेश्वर का यह अनुग्रह उपलब्ध है। जब भी हम अपने पापों का अंगीकार कर के पश्चाताप के साथ परमेश्वर के पास आते हैं, उससे अपने पापों के लिए प्रभु यीशु के नाम से क्षमा मांगते हैं, हम परमेश्वर से पापों की पूर्ण क्षमा और पापों के गढ़हों के ढाँपे जाने के आनन्द को प्राप्त करते हैं। - मार्विन विलियम्स


जब हम सच्चे पश्चातप के साथ अपने पाप उजागर कर देते हैं, परमेश्वर अपने अनुग्रह द्वारा उन्हें ढांप देता है।

उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है। - कुलुस्सियों 1:13-14

बाइबल पाठ: भजन 32
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो। 
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गईं। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई। 
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया। 
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 
Psalms 32:7 तू मेरे छिपने का स्थान है; तू संकट से मेरी रक्षा करेगा; तू मुझे चारों ओर से छुटकारे के गीतों से घेर लेगा। 
Psalms 32:8 मैं तुझे बुद्धि दूंगा, और जिस मार्ग में तुझे चलना होगा उस में तेरी अगुवाई करूंगा; मैं तुझ पर कृपा दृष्टि रखूंगा और सम्मत्ति दिया करूंगा। 
Psalms 32:9 तुम घोड़े और खच्चर के समान न बनो जो समझ नहीं रखते, उनकी उमंग लगाम और बाग से रोकनी पड़ती है, नहीं तो वे तेरे वश में नहीं आने के। 
Psalms 32:10 दुष्ट को तो बहुत पीड़ा होगी; परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह करूणा से घिरा रहेगा। 
Psalms 32:11 हे धर्मियों यहोवा के कारण आनन्दित और मगन हो, और हे सब सीधे मन वालों आनन्द से जयजयकार करो!

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 26-27
  • मरकुस 2


शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

शांति


   अनेक लोगों द्वारा प्रथम विश्व युद्ध मानव इतिहास के सबसे घातक युद्धों में से एक माना जाता है। इस आधुनिक युग में, सारे विश्व के देशों फँसा लेने वाले इस प्रथम युद्ध में लाखों लोगों ने अपनी जान गँवाई। सन 1918 के ग्यारवें महीने, नवंबर, के ग्यारवें दिन के ग्यारवें घण्टे में युद्ध विराम किया गया और उस ऐतिहासिक पल में सारे संसार के लाखों लोग कुछ पल के लिए शांत हो गए और युद्ध की भारी कीमत - जान और माल के नुकसान तथा जीवनों में आई तकलीफ पर विचार किया। यह माना जाता था कि वह "महा-युद्ध", जैसा कि उसे उस समय कहा जाता था, "सब युद्धों का अन्त कर देने वाला युद्ध होगा"।

   लेकिन उस युद्ध के बाद भी अनेक अन्य घातक युद्ध विभिन्न स्थानों पर लड़े गए हैं और लड़े जा रहे हैं। परन्तु फिर भी स्थाई शांति की आशा बनी हुई है। परमेश्वर का वचन बाइबल एक संभव और वास्तविक शांति की आशा के बारे में बताती है जिसके बाद फिर कभी कोई युद्ध या अशांति नहीं होगी। प्रभु यीशु मसीह के पुनःआगमन के साथ बाइबल की यशायाह नबी की पुस्तक में दी गई भविष्यवाणी "वह जाति जाति का न्याय करेगा, और देश देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा; और वे अपनी तलवारें पीट कर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध फिर तलवार न चलाएगी, न लोग भविष्य में युद्ध की विद्या सीखेंगे" (यशायाह 2:4) पूरी होगी और फिर ग्यारवाँ घण्टा गुज़र जाएगा और नए आकाश और नए पृथ्वी में अनन्त शांति का नया और प्रथम घण्टा आरंभ हो जाएगा।

   जब तक वह दिन ना आए, हम जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं, हमें शांति के राजकुमार प्रभु यीशु के राजदूत बनकर इस संसार के सामने उस आने वाले शांति के राज्य का सुसमाचार सब को पहुँचाना है। - डेनिस फिशर


सच्ची और स्थाई शांति केवल मसीह यीशु में प्राप्त करी जा सकती है।

सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो। - 2 कुरिन्थियों 5:20

बाइबल पाठ: मत्ती 24:3-14
Matthew 24:3 और जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था, तो चेलों ने अलग उसके पास आकर कहा, हम से कह कि ये बातें कब होंगी और तेरे आने का, और जगत के अन्‍त का क्या चिन्ह होगा? 
Matthew 24:4 यीशु ने उन को उत्तर दिया, सावधान रहो! कोई तुम्हें न भरमाने पाए। 
Matthew 24:5 क्योंकि बहुत से ऐसे होंगे जो मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं मसीह हूं: और बहुतों को भरमाएंगे। 
Matthew 24:6 तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे; देखो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्‍त न होगा। 
Matthew 24:7 क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भुईंडोल होंगे। 
Matthew 24:8 ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी। 
Matthew 24:9 तब वे क्‍लेश दिलाने के लिये तुम्हें पकड़वाएंगे, और तुम्हें मार डालेंगे और मेरे नाम के कारण सब जातियों के लोग तुम से बैर रखेंगे। 
Matthew 24:10 तब बहुतेरे ठोकर खाएंगे, और एक दूसरे से बैर रखेंगे। 
Matthew 24:11 और बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बहुतों को भरमाएंगे। 
Matthew 24:12 और अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्‍डा हो जाएगा। 
Matthew 24:13 परन्तु जो अन्‍त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा। 
Matthew 24:14 और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्‍त आ जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 25
  • मरकुस 1:23-45


गुरुवार, 18 फ़रवरी 2016

सहायक


   कुछ लोगों के लिए ’सहायक’ कहा जाना एक निम्न दर्जे को दिखाता है और उन्हें यह शब्द पसन्द नहीं आता। प्रशिक्षित अध्यापकों की सहायता के लिए कक्षा में सहायक होते हैं; इसी प्रकार प्रशिक्षित विद्युत कर्मियों, नलसाज़ों, वकीलों आदि की सहायाता के लिए भी उनके सहायक होते हैं। चाहे वे सहायक उन प्रशिक्षित लोगों के समान प्रशिक्षण पाए हुए नहीं होते, किंतु उन सहायकों की सहायता के बिना उन प्रशिक्षित लोगों को कार्य सुचारू रीति से करना पाना बहुत कठिन हो जाता है; उन सहायकों की आवश्यकता भी प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के जितनी ही होती है।

   प्रेरित पौलुस के साथ उसकी मसीही सेवकाई में अनेक सहायक होते थे। पौलुस ने रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री के अन्त में अपने सहायकों का उल्लेख और धन्यवाद किया, उनके कार्यों और सहायता को सराहा और स्मरण किया (रोमियों 16)। पौलुस ने फीबे के लिए लिखा "...वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है" (रोमियों 16:2); और प्रिसका तथा अक्विला के लिए लिखा, "उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं" (रोमियों 16:4); मरियम के लिए लिखा, "...जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया" (रोमियों 16:6)।

   परमेश्वर का वचन बाइबल बताती है कि सहायता करना एक आत्मिक वरदान है; पौलुस ने इसे पवित्र आत्मा के वरदानों की सूची में, जो मसीही मण्डली और मसीही विश्वासियों के उत्थान के लिए दिए गए हैं, ’उपकार’ कहकर सम्मिलित किया है "और परमेश्वर ने कलीसिया में अलग अलग व्यक्ति नियुक्त किए हैं; प्रथम प्रेरित, दूसरे भविष्यद्वक्ता, तीसरे शिक्षक, फिर सामर्थ के काम करने वाले, फिर चंगा करने वाले, और उपकार करने वाले, और प्रधान, और नाना प्रकार की भाषा बोलने वाले" (1 कुरिन्थियों 12:28)। जैसे अन्य वरदान मसीही मण्डली और विश्वासियों की बढ़ोतरी के लिए अनिवार्य हैं, सहायता या उपकार करना भी उतना ही आवश्यक है।

   बाइबल ने परमेश्वर पवित्र आत्मा को भी ’सहायक कहा है। प्रभु यीशु ने अपने चेलों को समझाया कि उनके जाने के बाद परमेश्वर के ओर से उन्हें एक सहायक अर्थात पवित्र आत्मा मिलेगा जो उनका मार्गदर्शन करेगा, उन्हें सब बातें सिखाएगा (यूहन्ना 14:26)।

   यदि सहायता करना परमेश्वर के वरदानों में से एक, और सहायक होना परमेश्वर पवित्र-आत्मा की एक संज्ञा है तो फिर इसे निम्न दर्जे का समझना तो भूल ही होगा। जिस किसी सहायाता के योग्य परमेश्वर ने आपको बनाया है, जिस भी सहायता का वरदान उसने आपको दिया है, उसे बेझिझक होकर भरपूरी के साथ परमेश्वर की महिमा के लिए प्रयोग करें। - ऐनी सेटास


आप संपूर्ण का एक महत्वपूर्ण भाग हैं; आपके बिना संपूर्ण अधूरा है।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26

बाइबल पाठ: रोमियों 16:1-16
Romans 16:1 मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं।
Romans 16:2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है। 
Romans 16:3 प्रिसका और अक्विला को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार। 
Romans 16:4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। 
Romans 16:5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार। 
Romans 16:6 मरियम को जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:7 अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्कार। 
Romans 16:8 अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार। 
Romans 16:9 उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार। 
Romans 16:10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार। 
Romans 16:11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्कार। 
Romans 16:12 त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिया परसिस को जिसने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार। 
Romans 16:14 असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मास ओर पत्रुबास और हर्मेस और उन के साथ के भाइयों को नमस्कार। 
Romans 16:15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार।
Romans 16:16 आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्कार।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 23-24
  • मरकुस 1:1-22


बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

सुनें


   एक पुरानी कहावत है, "परमेश्वर ने आपको केवल एक मूँह किंतु दो कान किसी उद्देश्य से ही दिए हैं"; सुन पाना जीवन के लिए आवश्यक योग्यताओं में से एक है। परस्पर संबंधों के विषय में परामर्श देने वाले कहते हैं कि हमें एक दूसरे की बात सुननी चाहिए। आत्मिक अगुवे कहते हैं कि हमें परमेश्वर की बात सुननी चाहिए। किंतु शायद ही कोई होगा जो यह कहता है कि हमें अपनी कही बात भी सुननी चाहिए। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि हमारे अन्तरात्मा की आवाज़ सदा ही सही होती है; और ना ही मैं यह कह रहा हूँ कि हमें परमेश्वर अथवा दूसरों की सुनने की बजाए अपनी ही सुनते रहना चाहिए। लेकिन जो मैं कहना चाह रही हूँ वह यह है कि हमें अपने आप को इसलिए सुनना चाहिए जिससे हम जान सकें कि दूसरे हमें कैसा सुनते हैं।

   जब मूसा इस्त्राएलियों को मिस्त्र की गुलामी से निकाल कर ले चला, तब उन इस्त्राएलियों को किसी के द्वारा अपनी बात सुनने का परामर्श दिया जाना चाहिए था। यद्यपि परमेश्वर उन्हें अद्भुत आश्चर्यकर्मों के द्वारा मिस्त्र की गुलामी से निकाल कर लाया था, परन्तु निकल आने के कुछ ही दिनों में ही वे कुड़कुड़ाने लगे (निर्गमन 16:2)। चाहे भोजन की उनकी आवश्यकता उचित थी, परन्तु उस आवश्यकता को व्यक्त करने का उनका तरीका गलत था (पद 3)।

   जब भी हम भय, क्रोध, अज्ञानता अथवा घमण्ड में होकर बोलते हैं तो लोगों को हमारे शब्दों से अधिक हमारी भावनाएं सुनाई देती हैं, चाहे हमारी कही बात सही ही क्यों ना हो; लेकिन सुनने वाले यह नहीं जान पाते कि हमारे भाव प्रेम और चिंता के कारण हैं अथवा अनादर और तिरिस्कार के कारण, इसलिए हमें और हमारी बात के गलत समझे जाने का जोखिम बना रहता है। किंतु यदि कुछ भी बोलने से पहले हम अपनी सुन लें, अर्थात अपनी बात और भाव का आँकलन कर लें, तो हम अपने असावधानी से कहे शब्दों से किसी की हानि करने या परमेश्वर का दिल दुखाने से बचे रहेंगे। - जूली ऐकैरमैन लिंक


उतावलेपन और बिना सोचे-समझे कहे गए शब्द भलाई कम, हानि अधिक करते हैं।

बातें करने में उतावली न करना, और न अपने मन से कोई बात उतावली से परमेश्वर के साम्हने निकालना, क्योंकि परमेश्वर स्वर्ग में हैं और तू पृथ्वी पर है; इसलिये तेरे वचन थोड़े ही हों। - सभोपदेशक 5:2

बाइबल पाठ: निर्गमन 16:1-8
Exodus 16:1 फिर एलीम से कूच कर के इस्राएलियों की सारी मण्डली, मिस्र देश से निकलने के महीने के दूसरे महीने के पंद्रहवे दिन को, सीन नाम जंगल में, जो एलीम और सीनै पर्वत के बीच में है, आ पहुंची। 
Exodus 16:2 जंगल में इस्राएलियों की सारी मण्डली मूसा और हारून के विरुद्ध बकझक करने लगी। 
Exodus 16:3 और इस्राएली उन से कहने लगे, कि जब हम मिस्र देश में मांस की हांडियों के पास बैठकर मनमाना भोजन खाते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से मार डाले भी जाते तो उत्तम वही था; पर तुम हम को इस जंगल में इसलिये निकाल ले आए हो कि इस सारे समाज को भूखों मार डालो। 
Exodus 16:4 तब यहोवा ने मूसा से कहा, देखो, मैं तुम लोगों के लिये आकाश से भोजन वस्तु बरसाऊंगा; और ये लोग प्रतिदिन बाहर जा कर प्रतिदिन का भोजन इकट्ठा करेंगे, इस से मैं उनकी परीक्षा करूंगा, कि ये मेरी व्यवस्था पर चलेंगे कि नहीं। 
Exodus 16:5 और ऐसा होगा कि छठवें दिन वह भोजन और दिनों से दूना होगा, इसलिये जो कुछ वे उस दिन बटोरें उसे तैयार कर रखें। 
Exodus 16:6 तब मूसा और हारून ने सारे इस्राएलियों से कहा, सांझ को तुम जान लोगे कि जो तुम को मिस्र देश से निकाल ले आया है वह यहोवा है। 
Exodus 16:7 और भोर को तुम्हें यहोवा का तेज देख पडेगा, क्योंकि तुम जो यहोवा पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है। और हम क्या हैं, कि तुम हम पर बुड़बुड़ाते हो? 
Exodus 16:8 फिर मूसा ने कहा, यह तब होगा जब यहोवा सांझ को तुम्हें खाने के लिये मांस और भोर को रोटी मनमाने देगा; क्योंकि तुम जो उस पर बुड़बुड़ाते हो उसे वह सुनता है। और हम क्या हैं? तुम्हारा बुड़बुड़ाना हम पर नहीं यहोवा ही पर होता है।

एक साल में बाइबल: लैव्यवस्था 21-22; मत्ती 28

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2016

आदर


   चर्च के पास्टरों को आलोचना का निशाना बनाना सहज है। प्रति सप्ताह वे हमारे सामने खड़े होते हैं, हमें परमेश्वर के वचन की बातें सिखाते और समझाते हैं, हमें चुनौती देते हैं कि हम प्रभु यीशु मसीह के समान जीवन व्यतीत करें। लेकिन अनेक बार हम उनके जीवनों में आलोचना करने योग्य बातों को ढ़ूँढ़ते रहते हैं। उन सारी अच्छाईयों को नज़रन्दाज़ करके जो पास्टर में पाई जाती हैं, केवल उसकी कुछ बातों पर ध्यान केंद्रित करना, फिर उन बातों के लिए उसकी आलोचना करना और उनके बारे में अपनी व्यक्तिगत राय को लोगों में फैलाना बहुत सरल होता है।

   हमें सदा यह स्मरण रखना चाहिए कि हमारे पास्टर भी हम मनुष्यों के समान ही मनुष्य ही हैं और हमारे समान ही वे भी सिद्ध नहीं हैं। मैं यह नहीं कहता कि हमें आँखें मूँद कर उनकी कही हर बात को मान लेना चाहिए, ग्रहण कर लेना चाहिए; ना ही मैं यह कह रहा हूँ कि हमें उनकी गलतियों या कमज़ोरियों को नज़रन्दाज़ करना चाहिए; परन्तु जो मैं कह रहा हूं वह यह है कि यदि हमें उनमें कुछ कमी या त्रुटि नज़र आती है तो उसे सही रीति से, विनम्रता सहित उन तक पहुँचाना चाहिए। पास्टरों के प्रति, जो परमेश्वर का वचन सिखाने और मण्डली के अगुवे होने की सेवकाई करते हैं, परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों को लिखी पत्री के कुछ भाग हमें सही दृष्टिकोण रखने में सहायक हो सकते हैं: "अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले ले कर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं" (इब्रानियों 13:17)।

   इन वचनों के बारे में विचार कीजिए। परमेश्वर के सामने हमारे पास्टर हमें सही मार्गदर्शन देने के लिए जवाबदेह हैं; हमारा प्रयास होना चाहिए कि उनकी यह ज़िम्मेदारी आनन्दपूर्ण हो ना कि कष्टपूर्ण। इब्रानियों का यह खण्ड हमें यह भी सिखाता है कि पास्टर को तकलीफ देने से कोई लाभ नहीं होने वाला (पद 17)।

   जब हम उनका आदर करते हैं जिन्हें परमेश्वर ने हमारा अगुआ करके ठहराया है तो हम परमेश्वर का आदर करते हैं और अपने तथा मसीही मण्डली के लिए बातों को बेहतर तथा सुखदायी करते हैं। - डेव ब्रैनन


पास्टरों को, जो परमेश्वर का वचन प्रचार करते हैं, लोगों से अच्छे व्यवहार की आवश्यकता रहती है।

हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। इसलिए जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्ड पाएंगे। - रोमियों 13:1-2

बाइबल पाठ: इब्रानियों 13:17-19
Hebrews 13:17 अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले ले कर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं। 
Hebrews 13:18 हमारे लिये प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं। 
Hebrews 13:19 और इस के करने के लिये मैं तुम्हें और भी समझाता हूं, कि मैं शीघ्र तुम्हारे पास फिर आ सकूं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 19-20
  • मत्ती 27:51-66