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रविवार, 5 दिसंबर 2010

उपहार या उपस्थिति

प्रसिद्ध बाइबल शिक्षक ओस्वॉलड चेमबर्स ने लिखा "हमें परमेश्वर संबंधी प्रतिज्ञाओं की नहीं, स्वयं परमेश्वर की आवश्यक्ता है।"

क्रिसमस की इस ऋतु में अकसर लोग कहते हैं " परमेश्वर की उपस्थिति उपहारों से अधिक ज़रूरी है।" लेकिन जितना समय और मेहनत वे उपहारों की खरीददारी में लगाते हैं उससे कुछ और ही दिखाई देता है।

संसार के कुछ भागों में लोग ६ दिसंबर को ही उपहारों का आदान-प्रदान कर लेते हैं जिससे आगे का महीना प्रभु यीशु के जन्म और संसार को दिये गए परमेश्वर के इस अद्भुत और सिद्ध उपहार पर ध्यान केंद्रित रख सकें।

जब हम कहते हैं कि हम लोगों से उपहारों की बजाए परमेश्वर की उपस्थिति चाहते हैं, तो हो सकता है कि हम सत्य कह रहे हों। परन्तु कितने हैं जो पूरी ईमानदारी के साथ कह सकते हैं कि हम परमेश्वर से उसके उपहारों की बजाए उसकी उपस्थिति चाहते हैं?

सच तो यह है कि अकसर हम परमेश्वर से उसकी उपस्थिति की बजाए उसके उपहार ज़्यादा पसन्द करते हैं। हमें परमेश्वर से अच्छा स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, ज्ञान, अच्छी या बेहतर नौकरी, रहने का अच्छा या बेहतर स्थान आदि सब चाहिये। हो सकता है कि परमेश्वर यह सब हमें देना भी चाहता हो, लेकिन यह सब हमें उससे अलग नहीं मिल सकता। प्रभु यीशु ने कहा "...क्‍योंकि अन्यजाति इन सब वस्‍तुओं की खोज में रहते हैं, और तुम्हारा स्‍वर्गीय पिता जानता है, कि तुम्हें ये सब वस्‍तुएं चाहिए। इसलिये पहिले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्‍तुएं तुम्हें मिल जाएंगी।" (मत्ती ६:३२, ३३)

दाउद ने इससे भी आगे बढ़कर सच्चे आनन्द के भेद को समझा और कहा " तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा। तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है।" (भजन १६:११) सांसारिक उपहार हमें कुछ समय के लिये संतुष्टि दे सकते हैं और खुश कर सकते हैं, पर सच्चे और अनन्त आनन्द की भरपूरी तो परमेश्वर के साथ बने रहने वाले सही संबंध द्वारा उसकी उपस्थिति में ही मिल सकती है।

कैसा रहे यदि इस क्रिसमस आप उपहारों के नहीं वरन अपने जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति के लालायित हों? - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारे साथ परमेश्वर की उपस्थिति हमारे लिये उसका सबसे उत्तम उपहार है।

तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा। तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है। - भजन १६:११


बाइबल पाठ: १ युहन्ना २:२४-२९

जो कुछ तुम ने आरम्भ से सुना है वही तुम में बना रहे: जो तुम ने आरम्भ से सुना है, यदि वह तुम में बना रहे, तो तुम भी पुत्र में, और पिता में बने रहोगे।
और जिस की उस ने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्‍त जीवन है।
मैं ने ये बातें तुम्हें उस के विषय में लिखी हैं, जो तुम्हें भरमाते हैं।
और तुम्हारा वह अभिषेक, जो उस की ओर से किया गया, तुम में बना रहता है, और तुम्हें इस का प्रयोजन नही, कि कोई तुम्हें सिखाए, वरन जैसे वह अभिषेक जो उस की ओर से किया गया तुम्हें सब बातें सिखाता है, और यह सच्‍चा है, और झूठा नहीं: और जैसा उस ने तुम्हें सिखाया है वैसे ही तुम उस में बने रहते हो।
निदान, हे बालको, उस में बने रहो; कि जब वह प्रगट हो, तो हमें हियाव हो, और हम उसके आने पर उसके साम्हने लज्ज़ित न हों।
यदि तुम जानते हो, कि वह धामिर्क है, तो यह भी जानते हो, कि जो कोई धर्म का काम करता है, वह उस से जन्मा है।

एक साल में बाइबल:
  • दानियेल १, २
  • १ युहन्ना ४

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

जीवन की इच्छाएं तथा सच्चे आनन्द का स्त्रोत

क्या जो आप चाहते हैं आपको वह ज़िंदगी से मिल रहा है? या आपको लगता है कि अर्थव्यवस्था, सरकार, आपकी परिस्थितियां या कोई अन्य बात आपसे आपका आनन्द और आपकी प्रतिभा का प्रतिफल चुरा रहे हैं?

हाल ही में एक सर्वेक्षण करने वाली एजेंसी ने १००० लोगों से पूछा कि वे जीवन सबसे अधिक किस की इच्छा रखते हैं? सर्वेक्षण के नतीजों में से एक अद्भुत नतीजा था कि बाइबल पर विश्वास करने वाले मसीही विश्वासियों में से ९० प्रतिशत ये सब चाहते थे:
  • परमेश्वर के साथ और निकट संबंध,
  • जीवन का स्पष्ट उद्देश्य,
  • जीवन में अधिकाई से ईमानदारी, और
  • अपने विश्वास के प्रति दृढ़ समर्पण।
ध्यान कीजिए कि ये सभी इच्छाएं ऐसी हैं जिन्हें पूरा करने के लिये किसी को भी किसी अन्य सांसारिक सहायता की आवश्यक्ता नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति स्वयं ही इनके लिये प्रयास कर सकता है। कोई सरकारी कार्यक्रम इन्हें उपलब्ध नहीं करा सकता और ना ही कठिन आर्थिक परिस्थितियां इन्हें छीन सकती हैं। यदि हम परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में अधिकार रखने दें और पवित्रआत्मा की सहायता से अपने भीतरी मनुष्यत्व में बलवन्त होते जाएं (इफिसियों ३:१६) तो जीवन की इनये इच्छाएं की पूर्ति भी होती है और सच्चा आनन्द भी हासिल होता है।

यह सच है कि इस जटिल संसार में हम सबसे अलग होकर नहीं रह सकते और हमें कई बातों में लोगों की सहायता की आवश्यक्ता होती है। साथ ही अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिये दूसरों का सहारा लेने का प्रलोभन सदा बना रहता है - कोई आकर हमारी इच्छाओं को उपलब्ध करा दे; परन्तु सच्चे आनन्द का स्त्रोत कोई बाहरी सांसारिक सहायता कभी नहीं बन सकती। यह वह आनन्द है जो हमारे अन्दर से ही आता है और इसके लिये एक स्थिर और शांत मन की अवश्यक्ता होती है।

किंतु " मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है, उसका भेद कौन समझ सकता है?" (यर्मियाह १७:९) तथा "ऐसी तो कोई वस्‍तु नहीं जो मनुष्य को बाहर से समाकर अशुद्ध करे परन्‍तु जो वस्‍तुएं मनुष्य के भीतर से निकलती हैं, वे ही उसे अशुद्ध करती हैं। जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्‍योंकि भीतर से अर्थात मनुष्य के मन से, बुरी बुरी चिन्‍ता, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, लोभ, दुष्‍टता, छल, लुचपन, कुदृष्‍टि, निन्‍दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं।" (मरकुस ७:१५, २०-२३) इसीलिये दाउद ने प्रार्थना करी " हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। ...टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है, हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता।" (भजन ५१:१०, १७)

प्रभु यीशु मसीह इसी असाध्य मन को बदल कर पाप की कड़ुवाहट के स्थान पर आनन्द की भरपूरी देने आया " ...मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्‍द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्‍द पूरा हो जाए।" (यूहन्ना १०:१०, १५:११)

प्रभु यीशु से करी गई एक सच्चे पश्चाताप की प्रार्थना आपके जीवन को सच्चे आनन्द से भर देगी। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु में संसार के प्रत्येक दुखी और निराश व्यक्ति के लिये आशा है।

कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ। - इफिसियों ३:१६


बाइबल पाठ: इफिसियों ३:१४-२१

मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
जिस से स्‍वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे ह्रृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर
सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ४७, ४८
  • १ युहन्ना ३

शुक्रवार, 3 दिसंबर 2010

परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन

अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत के वेलिंगटन शहर में यीशु के जन्म की एक झांकी में से शिशु यीशु की कीमती मूर्ति चुरा ली गई। दुबारा ऐसा न हो यह सुनिश्चित करने के लिये अधिकारियों ने उसकी जगह रखी गई नई मूर्ती में एक ऐसा उपकरण (GPS) छिपा दिया जो अपने रखे जाने के स्थान का पता देता रहता था। जब अगले वर्ष क्रिसमस के उपलक्षय पर उस झांकी से फिर से वह मूर्ती चुराई गई तो GPS के सहारे पुलिस को चोर के ठिकाने का पता मिल गया और वे वहां तक पहुंच सके।

ऐसे समय हमारे जीवन में भी आ सकते हैं जब परेशानियों और मुशकिलों के कारण हमें लगे कि जैसे किसी ने यीशु को हम से चुरा लिया है। यदि ऐसा हो तो हम यीशु को कैसे ढूंढें? आत्मिक GPS उपकरण की तरह रोमियों की पत्री का आठवां अध्याय हमें परमेश्वर के अटूट प्रेम और सदा बनी रहने वाली उपस्थिति के विषय में हमारा मार्गदर्शन करता है। इस अध्याय में हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर का पवित्रआत्मा हमारे लिये विनती कर के हमारी कमज़ोरियों में हमारी सहायता करता है "इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है। और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है; क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है। "(पद २६, २७)।

हमें न केवल यह आश्वासन है कि परमेश्वर हमारी ओर है (पद ३१), "सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?" वरन उससे भी अधिक यह कि "जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?" (पद ३२)।

फिर हमें स्मरण दिलाया गया है कि हमें परमेश्वर के प्रेम से कोई अलग नहीं कर सकता है "क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।" (पद ३८, ३९)

यदि मसीह से दूरी अनुभव कर रहे हैं और मन में शंकाएं हैं तो रोमियों ८ को पढ़िये, प्रभु यीशु की सदा बनी रहनी निकटता और परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन आपको हो जाएगा। - डेविड मैककैसलैंड


प्रभु यीशु पर केंद्रित रहिये, परिस्थितियां आप ही सही परिपेक्ष्य में आ जाएंगीं।

जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा? - रोमियों८:३२


बाइबल पाठ: रोमियों ८:२६-३९

इसी रीति से आत्मा भी हमारी र्दुबलता में सहायता करता है, क्‍योंकि हम नहीं जानते, कि प्रार्थना किस रीति से करना चाहिए परन्‍तु आत्मा आप ही ऐसी आहें भर भरकर जो बयान से बाहर है, हमारे लिये बिनती करता है।
और मनों का जांचने वाला जानता है, कि आत्मा की मनसा क्‍या है; क्‍योंकि वह पवित्र लोगों के लिये परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार बिनती करता है।
और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिल कर भलाई ही को उत्‍पन्न करती हैं अर्थात उन्‍हीं के लिये जो उस की इच्‍छा के अनुसार बुलाए हुए हैं।
क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे।
फिर जिन्‍हें उस ने पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है।
सो हम इन बातों के विषय में क्‍या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?
जिस ने अपने निज पुत्र को भी न रख छोड़ा, परन्‍तु उसे हम सब के लिये दे दिया: वह उसके साथ हमें और सब कुछ क्‍योंकर न देगा?
परमेश्वर के चुने हुओं पर दोष कौन लगाएगा? परमेश्वर वह है जो उनको धर्मी ठहरानेवाला है।
फिर कौन है जो दण्‍ड की आज्ञा देगा? मसीह वह है जो मर गया वरन मुर्दों में से जी भी उठा, और परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिये निवेदन भी करता है।
कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्‍या क्‍लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं, हम वध होने वाली भेंडों की नाई गिने गए हैं।
परन्‍तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्‍त से भी बढ़कर हैं।
क्‍योंकि मैं निश्‍चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्‍वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई,
न गहिराई और न कोई और सृष्‍टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ४५, ४६
  • १ युहन्ना २

गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

उसकी सफलता की कोई संभावना नहीं

जोश हैमिल्टन २००४ में बेसबॉल का अच्छा खिलाड़ी था जिससे बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वह प्रतिबंधित ड्रग्स के सेवन में पकड़ा गया और खेल से निलंबित कर दिया गया। फिर एक रात उसने ऐसा स्वप्न दिखा जिसने उसके जीवन को बदल दिया। उसने देखा कि उसके हाथ में लाठी है और वह शैतान से लड़ रहा है। जितनी बार वह शैतान को लाठी से मारता, शैतान गिर जाता, लेकिन तुरंत फिर उठ कर खड़ा हो जाता। शैतान को मारते मारते वह थक कर निढ़ाल हो गया लेकिन शैतान वैसे ही खड़ा रहा।

इस दुःस्वप्न के बाद जोश ने निर्णय किया कि वह कोई गलत काम नहीं करेगा। उसका दुःस्वप्न फिर लौट कर आया किंतु एक महत्त्वपूर्ण फर्क के साथ, अब भी उसके मारने पर शैतान गिरकर फिर उठ जाता था, लेकिन अब जोश अकेला नहीं था, प्रभु यीशु भी उसके साथ खड़े थे। अब शैतान को मारने से जोश थक नहीं रहा था, उसमें नई सामर्थ और स्फूर्ति थी। अब उसे निश्चय था कि प्रभु यीशु की सहायता से शैतान की सफलता की कोई संभावना नहीं थी।

बाइबल बताती है कि मसीही विश्वासी के विरोध में शैतान की सफलता की कोई संभावना नहीं है क्योंकि जो आत्मा विश्वासी में है वह शैतान से सामर्थी है - " हे बालको, तुम परमेश्वर के हो, और तुम ने उस पर जय पाई है क्‍योंकि जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। " (१ युहन्ना ४:४)

प्रभु यीशु मसीह संसार में इसलिये आया कि अपने जीवन, कार्यों और क्रूस पर दिये गए बलिदान द्वारा शैतान के कार्यों को नाश कर सके "जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्‍योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।" (१ युहन्ना ३:८)

क्रूस पर प्रभु यीशु ने शैतान को निरस्त्र करके उस पर जय पाई "और उस ने तुम्हें भी, जो अपने अपराधों, और अपने शरीर की खतनारिहत दशा में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया, और हमारे सब अपराधों को क्षमा किया। और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में या मिटा डाला और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर साम्हने से हटा दिया है। और उस ने प्रधानताओं और अधिकारों को अपने ऊपर से उतार कर उन का खुल्लमखुल्ला तमाशा बनाया और क्रूस के कारण उन पर जय-जय-कार की घ्‍वनि सुनाई।" (कुलुस्सियों २:१३-१५)

यद्यपि शैतान क्रूस के कारण हारा हुआ है, फिर भी संसार में क्रीयाशील रहता है और लोगों को बहकाता भरमाता रहता है। लेकिन उसकी आखिरी हार भी निश्चित है "और उन का भरमाने वाला शैतान आग और गन्‍धक की उस झील में, जिस में वह पशु और झूठा भविष्यद्वक्ता भी होगा, डाल दिया जाएगा, और वे रात दिन युगानुयुग पीड़ा में तड़पते रहेंगे।" (प्रकाशितवाक्य २०:१०) ऐसा होने तक हमें परमेश्वर के सारे हथियार बांध कर (इफिसियों ६:१०-१८), प्रभु यीशु के लहू और वचन के सहारे उसके विरुद्ध दृढ़ खड़े रहना है, क्योंकि उसकी सफलता की कोई संभावना नहीं है " फिर मैं ने स्‍वर्ग पर से यह बड़ा शब्‍द आते हुए सुना, कि अब हमारे परमेश्वर का उद्धार, और सामर्थ, और राज्य, और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है, क्‍योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगाने वाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया। और वे मेम्ने के लोहू के कारण, और अपनी गवाही के वचन के कारण, उस पर जयवन्‍त हुए, और उन्‍होंने अपने प्राणों को प्रिय न जाना, यहां तक कि मृत्यु भी सह ली। (प्रकाशितवाक्य १२:१०, ११) - मार्विन विलियम्स


यदि आप मसीह में हैं तो आपके लिए शैतान एक हारा हुआ शत्रु है।

...जो तुम में है, वह उस से जो संसार में है, बड़ा है। - १ युहन्ना ४:४


बाइबल पाठ: इफिसियों ६:१०-१८

निदान, प्रभु में और उस की शक्ति में बलवन्‍त बनो।
परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रह सको।
क्‍योंकि हमारा यह मल्लयुद्ध, लोहू और मांस से नहीं, परन्‍तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अन्‍धकार के हाकिमों से, और उस दुष्‍टता की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।
इसलिये परमेश्वर के सारे हथियार बान्‍ध लो, कि तुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा कर के स्थिर रह सको।
सो सत्य से अपनी कमर कस कर, और धार्मिकता की झिलम पहिन कर।
और पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन कर,
और उन सब के साथ विश्वास की ढाल ले कर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्‍ट के सब जलते हुए तीरों को बुझा सको।
और उद्धार का टोप, और आत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, ले लो।
और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, और बिनती करते रहो, और इसी लिये जागते रहो, कि सब पवित्र लोगों के लिये लगातार बिनती किया करो।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ४२-४४
  • १ युहन्ना १

बुधवार, 1 दिसंबर 2010

सर्वोतम उपहार

किसी को देने के लिये एक उत्तम उपहार ढूंढ रहे हैं, परन्तु नहीं मिल रहा? मेरे एक मित्र ने कुछ उत्तम उपहार मुझे सुझाए थे, जो मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ:

*सुनने की भेंट - दूसरे की बात को बिना बीच में रोके टोके पूरा होने देने, और बिना प्रत्युत्तर को तैयार करे, केवल मन लगा कर सुनना।

*स्नेह की भेंट - प्रीय जनों के प्रति अपने स्नेह को प्रकट करना, उसके लिये उपयुक्त के लिये आलिंगन, पीठ थपथपाना या अन्य कोई संकेत देना।

*हंसी की भेंट - प्रीय जनों के साथ चुटकुले, हास्यपूर्ण कहानियां एवं घटनाएं बांटना, और उन्हें एहसास दिलाना कि आप उनके साथ प्रसन्न रहना और अपनी खुशी बांटना चाहते हैं।

*प्रशंसा की भेंट - उनके प्रति अपनी भावनाओं और सम्मान को प्रकट करना, प्रेम और आदर व्यक्त करते चन्द लाईनों के एक संक्षिपत पत्र की भेंट।

*उभारने की भेंट - किसी से मन से, मुस्कुरा कर, कहना कि "आप आज बहुत अच्छे लग रहे हैं", या "आप मेरे लिये बहुत मायने रखते हैं" या ऐसा कोई उपयुक्त भाव व्यक्त करना।

किंतु मेरे लिए जीवन की सर्वोत्तम भेंट क्या है? अनन्त जीवन का वह उपहार जो मुझे परमेश्वर से प्रभु यीशु में होकर मिला "क्‍योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्‍तु परमेश्वर का बरदान हमारे प्रभु यीशु मसीह में अनन्‍त जीवन है।" (रोमियों ६:२३)

यही वह सर्वोतम भेंट है जो मैं सबके साथ बांटना चाहता हूँ - प्रभु यीशु में अनन्त जीवन की भेंट:
"परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।" (यूहना १:१२)

"क्‍योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्‍तु अनन्‍त जीवन पाए।" (यूहना ३:१६)

"परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो।" (२ कुरिन्थियों ९:१५)

क्या आपने परमेश्वर की यह भेंट स्वीकार कर ली है? - सिंडी हैस कैस्पर


संसार की सबसे अद्भुत भेंट, संसार के लिए एक गैशाला की चरनी में होकर आई।

परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो। - २ कुरिन्थियों ९:१५


बाइबल पाठ: यूहन्ना १:१०-१३

वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्‍पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।
वह अपने घर में आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।
परन्‍तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्‍हें परमेश्वर के सन्‍तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्‍हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्‍छा से, न मनुष्य की इच्‍छा से, परन्‍तु परमेश्वर से उत्‍पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ४०-४१
  • २ पतरस ३

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

एक ही रास्ता

हम जमैका में अपना काम समाप्त कर चुके थे और अब हम अमेरिका में अपने घर वापस जाना चाहते थे। हमने इसके लिये हवाई जहाज़ के टिकिट भी समय रहते ले लिये थे, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि टिकिट बेचने वाली विमान सेवा कंपनी हमें अपने वायदे के अनुसार लेकर भी जाएगी। परन्तु जब जाने का समय आया तो विमान सेवा कंपनी में कुछ समस्याओं के कारण वह कंपनी अपना वायदा पूरा करने में असमर्थ निकली, और हमें बार बार यही घोषणा सुनने को मिल रही थी कि "आपकी उड़ान रद्द हो गई है"। हमारे टिकिट पर चाहे जो लिखा हो, वास्तविकता यह थी कि हम उस विमान सेवा कंपनी द्वारा जमैका से अमेरिका जा पाने में असमर्थ थे। अन्य विकल्प के लिये हमें एक दिन की और प्रतीक्षा करनी पड़ी, तब ही हम अपने घर के लिये रवाना हो सके।

इस स्थिति को संसार से कूच करके स्वर्ग जाने पर लागू कीजिए। कल्पना कीजिए कि जब आप स्वर्ग के द्वार पर पहुंचें तो मालूम पड़े कि आपका प्रवेश संभव नहीं है, क्योंकि आप इसके लिये अयोग्य हैं। संसार में आपने जिन बातों या कार्यों पर भरोसा करके स्वर्ग में प्रवेश के मंसूबे बनाए थे, उनमें से कोई आपके लिये यह द्वार नहीं खोल सकती, उनके सब वायदे गलत साबित हुए और अब आप परमेश्वर के साथ अनन्त काल तक नहीं रह पाएंगे। जमैका से अमेरिका जाने का तो विकल्प मिल गया था, परन्तु एक बार पृथ्वी से कूच करा तो फिर किसी विकल्प की कोई संभावना नहीं है, जो भी संभावना है, वह अभी और इस पृथ्वी पर ही है। अपने "स्वर्गवासी" होने के विकल्पों को भली भांति जांच लीजिये।

प्रेरित पतरस ने, अपनी धार्मिकता के घमंड में मगरूर यहूदी धर्म के अगुवों को, जिन्होंने प्रभु यीशु मसीह का तिरिस्कार करके उसे क्रूस पर ठुकवा दिया था, प्रभु यीशु मसीह के विषय में कहा: "और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें।" (प्रेरितों ४:१२) प्रभु यीशु मसीह ने स्वयं कहा है "मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।" (यूहन्ना १४:६) स्वर्ग जाने का एक ही रास्ता है - प्रभु यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर संसार के पापों के लिये चुकाई गई कीमत पर विश्वास करके पापों से पश्चताप और उसे समर्पण।

अन्य कोई मार्ग नहीं है, व्यर्थ आश्वासनों पर भरोसा न करें। प्रभु यीशु - केवल वो ही एक रास्ता है। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु ने क्रूस पर मेरा स्थान ले लिया, और मुझे स्वर्ग में स्थान दे दिया।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्‍योंकि स्‍वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों ४:१२


बाइबल पाठ: यूहन्ना १४:१-६

तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो।
मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं।
और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपके यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।
और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो।
थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू हां जाता है तो मार्ग कैसे जानें?
यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं, बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३७-३९
  • २ पतरस २

सोमवार, 29 नवंबर 2010

गलतिया की मण्डली

मैं खुले ग्रामीण इलाकों से होकर जा रहा था जब मुझे एक चर्च दिखाई दिया जिसके नाम ने मुझे अचंभित किया, उसक नाम था "गलतिया की मण्डली"। मुझे निश्चय था कि कोई भी किसी चर्च को यह नाम नहीं देगा जब तक कि इसका कोई विकल्प ही न हो क्योंकि गलतिया की मण्डली का उदहरण कोई अनुसरण योग्य उदाहरण नहीं था।

बाइबल में गलतिया की मण्डली को लिखी गई पौलुस की पत्री से पता लगता है कि यह पत्री पौलुस की सबसे आवेश भरी पत्री थी। उसे उन्हें परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार को छोड़कर अपनी वैधानिकता, स्वेच्छा और कर्मों पर आधारित होने के लिये डांटना पड़ा था। पौलुस ने लिखा: "क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे?" (गलतियों ३:३)

जैसे हम परमेश्वर के साथ अपना संबंध किन्ही कर्मों से कमा नहीं सकते, वैसे ही हम अपनी शारीरिक सामर्थ से आत्मिक जीवन में उन्नति भी नहीं कर सकते। पौलुस तब गलतिया की मण्डली को, और आज हमको यह समझाता है कि मसीह के साथ हमारा चलना, हमारा मसीही जीवन, परमेश्वर के आत्मा की सामर्थ से परमेश्वर पर निर्भर होने के द्वारा ही संभव हो सकता है।

यदि हम सोचते हैं कि हम अपने प्रयत्नों और कर्मों द्वारा मसीह की समानता में आ सकते हैं तो हम गलतिया की मण्डली के समान हैं - निर्बुद्धि! - बिल क्राउडर


परमेश्वर का पवित्र आत्मा ही परमेश्वर की सामर्थ का स्त्रोत है।

क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे? - गलतियों ३:३


बाइबल पाठ: गलतियों ३:१-१२

हे निर्बुद्धि गलतियों, किस ने तुम्हें मोह लिया? तुम्हारी तो मानों आंखों के साम्हने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया!
मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूं, कि तुम ने आत्मा को, क्‍या व्यवस्था के कामों से, या विश्वास के समाचार से पाया?
क्‍या तुम ऐसे निर्बुद्धि हो, कि आत्मा की रीति पर आरम्भ कर के अब शरीर की रीति पर अन्‍त करोगे?
क्‍या तुम ने इतना दुख यों ही उठाया? परन्‍तु कदाचित व्यर्थ नहीं।
सो जो तुम्हें आत्मा दान करता और तुम में सामर्थ के काम करता है, वह क्‍या व्यवस्था के कामों से या विश्वास के सुसमाचार से ऐसा करता है?
इब्राहीम ने तो परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिये धामिर्कता गिनी गई।
तो यह जान लो, कि जो विश्वास करने वाले हैं, वे ही इब्राहीम की सन्‍तान हैं।
और पवित्रशास्‍त्र ने पहिले ही से यह जान कर, कि परमेश्वर अन्यजातियों को विश्वास से धर्मी ठहराएगा, पहिले ही से इब्राहीम को यह सुसमाचार सुना दिया, कि तुझ में सब जातियां आशीष पाएंगी।
तो जो विश्वास करने वाले हैं, वे विश्वासी इब्राहीम के साथ आशीष पाते हैं।
सो जितने लोग व्यवस्था के कामों पर भरोसा रखते हैं, वे सब श्राप के आधीन हैं, क्‍योंकि लिखा है, कि जो कोई व्यवस्था की पुस्‍तक में लिखी हुई सब बातों के करने में स्थिर नहीं रहता, वह श्रापित है।
पर यह बात प्रगट है, कि व्यवस्था के द्वारा परमेश्वर के यहां कोई धर्मी नहीं ठहरता क्‍योंकि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा।
पर व्यवस्था का विश्वास से कुछ सम्बन्‍ध नहीं, पर जो उन को मानेगा, वह उन के कारण जीवित रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यहेजेकेल ३५-३६
  • २ पतरस १