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बुधवार, 25 जुलाई 2012

स्थिर निगाह

   मुझे गाड़ी चलाना सिखाने वाले प्रशीक्षक का बार कहना होता था "सामने देखते हुए चलाओ"। वह चाहते थे कि मैं स्थिर निगाह से केवल सामने की ओर देखती रहूँ, ना कि अपने पास के दृश्यों और लोगों को देखूं और गाड़ी चलाने से मेरा ध्यान बटे; क्योंकि वे चालक जो अपने आस-पास के दृश्यों की ओर निगाहें घुमाते रहते हैं, उनके द्वारा दुर्घटना हो जाने की संभावना अधिक रहती है।

   हम मसीही विश्वासियों की जीवन यात्रा में भी शैतान कई ऐसे आकर्षण लाता रहता है जिससे कि हमारा ध्यान अपने प्रभु और मार्गदर्शक से हट जाए और शैतान ही की बातों की ओर भटक जाए। यदि वह ऐसा करने में सफल हो जाएगा तो फिर वह हमें सही मार्ग से भटका कर ना केवल हमारी आत्मिक प्रगति को बाधित करने पाएगा, वरन हमारे जीवन में हानि भी लाने पाएगा। ध्यान भटकाने का यह दाँव उसने प्रभु यीशु पर भी आज़माया था!

   प्रभु यीशु की सेवकाई के आरंभ में शैतान ने प्रभु को परमेश्वर द्वारा सौंपे गए कार्यों को पूरा करने के लिए कुछ ’बेहतर’ उपाय सुझाए। शैतान ने प्रभु यीशु से कहा कि वह अपने आप को मन्दिर के कंगूरे अर्थात सबसे ऊँचे स्थान से नीचे फेंक कर भी प्रमाणित कर सकता है कि वह परमेश्वर का पुत्र है (लूका ४:९-११)। लेकिन प्रभु यीशु जानते थे कि किसी भवन से नीचे गिरने के द्वारा वे परमेश्वर के पुत्र प्रमाणित नहीं होंगे, ऐसा केवल उनके क्रूस पर बलिदान होने और मृतकों में से पुनः जी उठने के द्वारा ही संभव है, इसलिए उन्होंने शैतान को उत्तर दिया, "...यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना" (लूका ४:१२)। प्रभु यीशु की निगाहें संसार के लिए उद्धार का मार्ग तैयार करने पर स्थिर थीं; वे जानते थे कि समस्त संसार के उद्धार का यह कार्य, यदि वे क्रूस से बचकर निकले, तो संभव नहीं हो सकता था - जो शैतान करवाना चाहता था; उन्होंने अपनी निगाहें अपने लक्ष्य पर स्थिर बनाए रखीं और अपने कार्य को पूरा किया।

   आत्मिक खतरों से बचने का एक मात्र तरीका है कि अपनी निगाहें प्रभु यीशु पर स्थिर रखें (इब्रानियों १२:२), और शैतान द्वारा लाई जा रही सही मार्ग से भटकाने वाली बातों की ओर दृष्टि ना करें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमें शैतान को कभी भी अपनी नज़रों के सामने नहीं, सदैव ही पीछे रखना चाहिए।


इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। - इब्रानियों १२:१-२

बाइबल पाठ: लूका ४:१-१३
Luk 4:1  फिर यीशु पवित्र आत्मा से भरा हुआ, यरदन से लौटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा, और शैतान उस की परीक्षा करता रहा। 
Luk 4:2  उन दिनों में उस ने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। 
Luk 4:3  और शैतान ने उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए; 
Luk 4:4  यीशु ने उसे उत्तर दिया कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा। 
Luk 4:5  तब शैतान उसे ले गया और उस को पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। 
Luk 4:6 और उस से कहा, मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्‍योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं। 
Luk 4:7  इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा। 
Luk 4:8  यीशु ने उसे उत्तर दिया, लिखा है कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर। 
Luk 4:9 तब उस ने उसे यरूशलेम में ले जाकर मन्‍दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा, यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे। 
Luk 4:10 क्‍योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें। 
Luk 4:11  और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे। 
Luk 4:12  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना। 
Luk 4:13  जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३७-३९ 
  • प्रेरितों २६

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

प्रभाव का क्षेत्र

   सुप्रसिद्ध मसिही प्रचारक बिली ग्राहम की सेवकाई पर लिखी गई पुस्तक The Preacher and the Presidents उनके प्रभाव के क्षेत्र के बारे में बताती है। बिली ग्राहम की मसीही सेवकाई अमेरिका के राष्ट्रपतियों तक भी थी, हैरी ट्रूमैन से लेकर जौर्ज बुश के समय तक राष्ट्रपति निवास ’व्हाईट हाउस’  में उनका आना-जाना रहता था और उनके लिए व्हाईट हाउस के द्वार खुले ही होते थे। अपने इस असाधारण प्रभाव के बावजूद भी उन्होंने बार बार परमेश्वर के अनुग्रह ही को इस का श्रेय दिया, जिसने उन में हो कर कार्य किया, ना कि अपनी किसी व्यक्तिगत प्रतिभा को।

   प्रभु यीशु का अनुयायी प्रेरित पौलुस भी ऐसा ही एक व्यक्ति था जिसे परमेश्वर ने बड़े अधिकारियों के सामने गवाही के लिए बुलाया था। मसीह यीशु ने पौलुस के लिए कहा, "...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है" (प्रेरितों ९:१५)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में, प्रेरितों के काम में हम पढ़ते हैं कि पौलुस के प्रभाव के क्षेत्र में कई शासक, जैसे फीलिक्स, फेस्तुस, हेरोड अग्रिप्पा और संभवत: रोमी सम्राट कैसर भी थे (प्रेरितों २४-२६)। लेकिन जैसे बिली ग्राहम ने पौलुस से कई सदियों बाद कहा, पौलुस ने भी अपनी सेवाकाई के विषय में सारा श्रेय उसमें होकर कार्य करने वाले परमेश्वर के अनुग्रह ही को दिया; उसने कहा "...यह मेरी ओर से नहीं हुआ परन्‍तु परमेश्वर के अनुग्रह से जो मुझ पर था" (१ कुरिन्थियों १५:१०)।

   संभव है कि आपको शासकों और बड़े अधिकारियों के समक्ष सुसमाचार प्रचार की सेवकाई के लिए नहीं बुलाया गया हो, लेकिन परमेश्वर ने आपके जीवन में ऐसे लोगों को रखा है जिनके लिए वह चाहता है कि आप उनके साथ उद्धार और आशा का सुसमाचार बांटें। क्यों ना आप इस बात को अपनी प्रार्थना का विषय बना लें कि परमेश्वर का अनुग्रह आप में हो कर उन लोगों तक पहुँचे जिनके बीच में परमेश्वर ने आपको अपना गवाह बना कर रखा है, जो आपके प्रभाव के क्षेत्र में हैं। - डेनिस फिशर


गवाही के लिए सबसे अच्छा स्थान वही है जहां परमेश्वर ने आपको रखा है।

...यह, तो अन्यजातियों और राजाओं, और इस्‍त्राएलियों के साम्हने मेरा नाम प्रगट करने के लिये मेरा चुना हुआ पात्र है। - प्रेरितों ९:१५

बाइबल पाठ: प्रेरितों २५:१०-२३
Act 25:10  पौलुस ने कहा; मैं कैसर के न्याय आसन के साम्हने खड़ा हूं: मेरे मुकद्दमें का यहीं फैसला होना चाहिए: जैसा तू अच्‍छी तरह जानता है, यहूदियों का मैं ने कुछ अपराध नहीं किया। 
Act 25:11  यदि अपराधी हूं और मार डाले जाने योग्य कोई काम किया है, तो मरने से नहीं मुकरता; परन्‍तु जिन बातों का ये मुझ पर दोष लगाते हैं, यदि उन में से कोई बात सच न ठहरे, तो कोई मुझे उन के हाथ नहीं सौंप सकता: मैं कैसर की दोहाई देता हूं। 
Act 25:12  तब फेस्‍तुस ने मन्‍त्रियों की सभा के साथ बातें कर के उत्तर दिया, तू ने कैसर की दोहाई दी है, तू कैसर के पास जाएगा।
Act 25:13  और कुछ दिन बीतने के बाद अग्रिप्‍पा राजा और बिरनीके ने कैसरिया में आकर फेस्‍तुस से भेंट की। 
Act 25:14  और उन के बहुत दिन वहां रहने के बाद फेस्‍तुस ने पौलुस की कथा राजा को बताई, कि एक मनुष्य है, जिसे फेलिक्‍स बन्‍धुआ छोड़ गया है। 
Act 25:15  जब मैं यरूशलेम में था, तो महायाजक और यहूदियों के पुरिनयों ने उस की नालिश की और चाहा, कि उस पर दण्‍ड की आज्ञा दी जाए। 
Act 25:16  परन्‍तु मैं ने उन को उत्तर दिया, कि रोमियों की यह रीति नहीं, कि किसी मनुष्य को दण्‍ड के लिये सौंप दें, जब तक मुद्दाअलैह को अपने मुद्दइयों के आमने सामने खड़े होकर दोष के उत्तर देने का अवसर न मिले। 
Act 25:17  सो जब वे यहां इकट्ठे हुए, तो मैं ने कुछ देर न की, परन्‍तु दूसरे ही दिन न्याय आसन पर बैठकर, उस मनुष्य को लाने की आज्ञा दी। 
Act 25:18  जब उसके मुद्दई खड़े हुए, तो उन्‍होंने ऐसी बुरी बातों का दोष नहीं लगाया, जैसा मैं समझता था। 
Act 25:19  परन्‍तु अपने मत के, और यीशु नाम किसी मनुष्य के विषय में जो मर गया था, और पौलुस उस को जीवित बताता था, विवाद करते थे। 
Act 25:20  और मैं उलझन में था, कि इन बातों का पता कैसे लगाऊं इसलिये मैं ने उस से पूछा, क्‍या तू यरूशलेम जाएगा, कि वहां इन बातों का फैसला हो? 
Act 25:21  परन्‍तु जब पौलुस ने दोहाई दी, कि मेरे मुकद्दमे का फैसला महाराजाधिराज के यहां हो, तो मैं ने आज्ञा दी, कि जब तक उसे कैसर के पास न भेजूं, उस की रखवाली की जाए। 
Act 25:22  तब अग्रिप्‍पा ने फेस्‍तुस से कहा, मैं भी उस मनुष्य की सुनना चाहता हूं: उस ने कहा, तू कल सुन लेगा।
Act 25:23  सो दूसरे दिन, जब अग्रिप्‍पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आकर पलटन के सरदारों और नगर के बड़े लोगों के साथ दरबार में पहुंचे, तो फेस्‍तुस ने आज्ञा दी, कि वे पौलुस को ले आएं।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३५-३६ 
  • प्रेरितों २५

बुद्धिमानी के उत्तर


   जब धार्मिक अगुवे व्यभिचार में पकड़ी गई उस स्त्री को लेकर प्रभु यीशु के पास आए और उससे पुछने लगे कि उस स्त्री के साथ क्या किया जाना चाहिए, तो प्रभु यीशु ने उन्हें तुरन्त उत्तर नहीं दिया; वरन वे नीचे झुककर भूमि पर कुछ लिखने लगे (यूहन्ना ८:६-११)। उन्होंने क्या लिखा यह तो हम नहीं जानते, परन्तु जब भीड़ उनसे पूछती ही रही तो एक छोटे वाक्य में प्रभु यीशु ने अपना उत्तर दे दिया: "...तुममें जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे" (यूहन्ना ८:७)। इस छोटे से वाक्य के थोड़े से शब्द उन धार्मिक अगुवों को उनके अपने पाप दिखाने के लिए काफी थे, और वे सब एक एक करके वहां से चले गए। प्रभु यीशु के ये शब्द आज भी संसार भर में गूंज रहे हैं और लोगों को दूसरों पर दोष देने की बजाए स्वयं अपने पापों के प्रति सचेत रहने को प्रेरित कर रहे हैं।

   इन थोड़े शब्दों के बड़े प्रभावी होने का कारण था प्रभु यीशु की अपने स्वर्गीय पिता पर सदा बने रहने वाली निर्भरता; उन्होंने अपने विषय में कहा, "...उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं" (यूहन्ना १२:५०)। काश हम सब भी प्रभु यीशु के समान सदा अपने परमेश्वर पिता पर निर्भर रहते और उसकी बुद्धिमता पर निर्भर हो कर ही हर बात का उत्तर देने वाले होते।

   यह बुद्धिमानी आरंभ होती है याकूब की पत्री में लिखे उपदेश के पालन के साथ: "...इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्‍पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो" (याकूब १:१९)। जिस धीमेपन की बात यहां करी जा रहा है वह अज्ञानता, भीतरी खोखलेपन, कायरता, लज्जा या दोषी होने के कारण होने वाली मूँह और बुद्धि की खामोशी नहीं है। यह वह खामोशी है जो परमेश्वर पर विचारमग्न रहने और उस पर ध्यान लगाए रखने से आई बुद्धिमानी द्वारा उत्पन्न होती है।

   हम से कई बार कहा जाता है कि बोलने से पहले ज़रा सा थम कर, विचार कर के, फिर बोलें। लेकिन मेरा मानना है कि उत्तर देने की प्रवृत्ति को इस स्तर से भी आगे ले जाकर, सदा परमेश्वर की सुनते रहें और उस पर निर्भर होकर उसके निर्देषों के अनुसार उत्तर देने को अपनी आदत बना लें। जब यह निर्भरता हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन जाएगी, तब हमारे सभी उत्तर भी बुद्धिमानी के उत्तर होंगे। - डेविड रोपर


परमेश्वर के लिए बोलने से पहले परमेश्वर की सुनने वाले बनें।

और मैं जानता हूं, कि उस की आज्ञा अनन्‍त जीवन है इसलिये मैं जो बोलता हूं, वह जैसा पिता ने मुझ से कहा है वैसा ही बोलता हूं। - यूहन्ना १२:५०

बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:१-११
Joh 8:1  परन्‍तु यीशु जैतून के पहाड़ पर गया।
Joh 8:2  और भोर को फिर मन्‍दिर में आया, और सब लोग उसके पास आए; और वह बैठकर उन्‍हें उपदेश देने लगा।
Joh 8:3   तब शास्त्री और फरीसी एक स्त्री को लाए, जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी, और उस को बीच में खड़ी करके यीशु से कहा।
Joh 8:4   हे गुरू, यह स्त्री व्यभिचार करते ही पकड़ी गई है।
Joh 8:5  व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्‍त्रियों को पत्थरवाह करें: सो तू इस स्त्री के विषय में क्‍या कहता है?
Joh 8:6  उन्‍होंने उस को परखने के लिये यह बात कही ताकि उस पर दोष लगाने के लिये कोई बात पाएं, परन्‍तु यीशु झुककर उंगली से भूमि पर लिखने लगा।
Joh 8:7  जब वे उस से पूछते रहे, तो उस ने सीधे होकर उन से कहा, कि तुम में जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे।
Joh 8:8   और फिर झुककर भूमि पर उंगली से लिखने लगा।
Joh 8:9  परन्‍तु वे यह सुनकर बड़ों से लेकर छोटों तक एक एक करके निकल गए, और यीशु अकेला रह गया, और स्त्री वहीं बीच में खड़ी रह गई।
Joh 8:10 यीशु ने सीधे होकर उस से कहा, हे नारी, वे कहां गए? क्‍या किसी ने तुझ पर दंड की आज्ञा न दी।
Joh 8:11  उस ने कहा, हे प्रभु, किसी ने नहीं: यीशु ने कहा, मैं भी तुझ पर दंड की आज्ञा नहीं देता; जा, और फिर पाप न करना।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन १२३-१२५ 
  • १ कुरिन्थियों १०:१-१८

सोमवार, 23 जुलाई 2012

भरोसा

   सामान खरीदने के लिए एक दुकान में घूमते समय मैंने एक आदमी को देखा जिसने सुर्ख लाल रंगी टी-शर्ट पहनी थी जिसपर लिखा था: "भरोसा - वह भावना जो परिस्थिति की सही पहचान होने से पहले तक ही हमारे भीतर रहती है।"

   इस मनोरंजक वाक्य पर मैं मन ही मन हंसा, किंतु मुझे यह एहसास भी हुआ कि उस टी-शर्ट पर एक बुद्धिमता पूर्ण और गंभीर चेतावनी भी लिखी थी, जो हम सब के लिए थी। हमारे लिए, जो अपनी ही सामर्थ और योग्यता पर भरोसा कर के सब कुछ करना चाहते हैं और परमेश्वर को नज़रंदाज़ करते हैं, उसपर अपना भरोसा नहीं रखते। यदि हम यह सोचते हैं कि जीवन के हर कार्य को हम अपनी सामर्थ से करने पाएंगे, तो यह विश्वास झूठा है जो किसी न किसी दिन हमारी ही हानि का कारण ठहरेगा और हम अपनी ही असफलताओं के बोझ तले दबते चले जाएंगे।

   प्रेरित पौलुस ने इस बात के लिए कुरिन्थुस के विश्वासियों को इस्त्राएलियों के जीवन में आए अपनी ही योग्यता और सामर्थ के उदाहरण द्वारा चिताया। पौलुस ने उन्हें स्मरण दिलाया कि कैसे इस्त्राएलियों ने अपने पक्ष में हो रही हर बात के कारण अपनी नज़रें परमेश्वर से हटा कर अपने आप को दंभ और फिर पाप में फंसा लिया, जो उनके पतन का कारण बन गया। पौलुस ने चिताया कि वे इस बात से शिक्षा लें और अपना निष्कर्ष दिया: "इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े" (१ कुरिन्थियों १०:१२)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन ११८:८, जो संपूर्ण बाइबल के मध्य का पद भी है, में लिखा है "यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है।" आज आपका भरोसा कहां और किसपर है? - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु में भरोसा ही सही भरोसा है।


इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे कि कहीं गिर न पड़े। - १ कुरिन्थियों १०:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों १०:१-१२
1Co 10:1  हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बापदादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए।
1Co 10:2  और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपतिस्मा लिया।
1Co 10:3  और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया।
1Co 10:4  और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्‍योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था।
1Co 10:5  परन्‍तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए।
1Co 10:6  ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरीं, कि जैसे उन्‍होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें।
1Co 10:7  और न तुम मूरत पूजने वाले बनों, जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे।
1Co 10:8  और न हम व्यभिचार करें, जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये।
1Co 10:9  और न हम प्रभु को परखें, जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए।
1Co 10:10  और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए।
1Co 10:11 परन्‍तु ये सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।
1Co 10:12  इसलिये जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे, कि कहीं गिर न पड़े।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३३-३४ 
  • प्रेरितों २४

रविवार, 22 जुलाई 2012

अवकाशप्राप्त?

   संसार के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर माउन्ट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले एडमण्ड हेलेरी और तेन्ज़िंग नौर्गे थे जिन्होंने १९५३ में यह किया। उस समय हिलेरी की उम्र ३३ वर्ष की थी। इस कारनामे ने उन्हें ख्याति और दौलत तो दी ही, साथ ही यह एहसास भी दिया कि उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य भी पूरा कर लिया है।


   इसके बाद के शेष ५५ वर्ष के जीवन में हिलेरी ने क्या किया? क्या उसने जीवन के कार्यों से अवकाश लेकर अपनी उपलब्धी की ख्याति पर ही बैठे रहना अपने लिए उचित समझा? जी नहीं, कदापि नहीं।

   चाहे अब हिलेरी के लिए चढ़ने को कोई और पर्वत शिखर ना बचा हो, लेकिन इस बात ने उसे शिथिल नहीं कर दिया। वह अपने जीवन भर अन्य कई महत्वपुर्ण कार्य करते रहे, जिन में से एक था माउन्ट एवरेस्ट के निकट रहने वाले नेपाली शेर्पाओं के जीवन स्तर को सुधारना और उनकी उन्न्ति के लिए कार्य करना - २००८ में अपनी मृत्यु तक वे इस कार्य में लगे रहे।

   क्या आप जान्ते हैं कि परमेश्वर ने अपने मन्दिर में सेवकाई करने वाले लेवियों के लिए अवकाश प्राप्त करने की आयु ५० वर्ष ठहराई थी (गिनती ८:२४-१५)। लेकिन मन्दिर की सेवकाई से अवकाश का अर्थ हर एक कार्य से अवकाश नहीं था। परमेश्वर ने साथ ही यह भी ठहराया कि "...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." (गिनती ८:२६)। यह हमें दिखाता है कि अपनी आयु भर दूसरों की सहायता करते रहना, कार्यों में हाथ बंटाना, हमारे लिए परमेश्वर की इच्छा है।

   बहुत से लोगों को लगता है कि अवकाशप्राप्त करने के बाद सार्थक रीति से समय बिताने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है। लेकिन जैसा एडमण्ड हिलेरी और लेवियों ने किया, अवकाश प्राप्त करने के बाद हम अपने जीवन का पुनःआंकलन कर सकते हैं और किसी ना किसी रूप में दूसरों की सहायता में अपने समय को लगा सकते हैं। - सी. पी. हीया


जब हम अपने आप को दूसरों के लिए व्यय करने लगते हैं तो जीवन में एक नया अर्थ आ जाता है।


"...वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें..." - गिनती ८:२६

बाइबल पाठ: गिनती ८:२३-२६
Num 8:23  फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
Num 8:24  जो लेवियों को करना है वह यह है, कि पच्चीस वर्ष की अवस्था से लेकर उस से अधिक आयु में वे मिलापवाले तम्बू सम्बन्धी काम करने के लिये भीतर उपस्थित हुआ करें;
Num 8:25  और जब पचास वर्ष के हों तो फिर उस सेवा के लिये न आएं और न काम करें;
Num 8:26  परन्तु वे अपने भाई बन्धुओं के साथ मिलापवाले तम्बू के पास रक्षा का काम किया करें, और किसी प्रकार की सेवकाई न करें। लेवियों को जो जो काम सौंपे जाएं उनके विषय तू उन से ऐसा ही करना।

एक साल में बाइबल: 

  • भजन ३१-३२ 
  • प्रेरितों २३:१६-३५


शनिवार, 21 जुलाई 2012

योग्य

   जब मेरे बच्चे छोटे थे, तो मुझे लगता था कि वे मेरी उपलब्धियों से, चाहे वे कितनी भी थोड़ी या छोटी क्यों न हों, अवश्य ही प्रभावित होंगे - वे मेरे द्वारा लिखी पुस्तकें पढ़ेंगे और मेरे प्रवचन देने जाने के कार्यक्रमों को मान देंगे। फिर मुझे ज्ञात हुआ कि उन्होंने कभी भी मेरे द्वारा लिखी कोई पुस्तक नहीं पढ़ी और ना ही उन्हें मेरे प्रवचन के कार्यक्रमों में कोई रुचि थी। आखिरकर जब मेरे सबसे बड़े बेटे ने मेरी एक पुस्तक पढ़ी भी, तो उसने साथ ही पढ़ने के कारण को भी मुझे बता दिया - कि मैं लोगों को यह कहना बन्द करूँ कि मेरे बच्चों ने मेरी पुस्तकें नहीं पढ़ीं हैं!

   छोटे बच्चों के लिए अपने बड़ों की उपलब्धियों का कोई विशेष महत्व नहीं होता, क्योंकि वे उनकी समझ और संसार से बाहर कि बातें हैं। उनसे मिलने और उन्हें प्रभावित करने के लिए उनके स्तर पर आना उनके समान उनके संसार में रहना, उनके साथ समय बिताना आवश्यक है; जैसे उनके साथ लूडो या सांप-सीढ़ी खेलना, या मैदान में गेंद के साथ कुछ खेलना इत्यादि। जब हम अपने आप को उनके स्तर पर लाते हैं तब ही वे हमारे साथ सामंजस्य बनाने पाते हैं, हमारे साथ संबंध प्रगाढ़ करने पाते हैं, अपनी बात हमें बताने और समझाने के लिए खुलने पाते हैं। संसार में हमारा स्तर, ज्ञान, प्रतिभा और सामर्थ उन्हें प्रभावित नहीं करता; हमारा उनके समान हो कर उनकी बातों को समझना ही उन्हें प्रभावित करता है, उन्हें भाता है, और हमारे और उनके बीच की दूरी को पाटने पाता है।

   यही परमेश्वर ने हमारे साथ और हमारे लिए किया; परमेश्वरत्व के सारी महिमा और सामर्थ छोड़कर वह एक साधारण मनुष्य बनकर स्वर्ग से इस पृथ्वी पर एक साधारण मनुष्य के समान रहने आ गया। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रभु यीशु के चेले यूहन्ना प्रेरित ने लिखा, "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (यूहन्ना १:१४)। हमारे स्तर पर आने के द्वारा उसने अपने और हमारे बीच की सारी दूरी हमेशा के लिए पाट दी और मनुष्य के संसार से स्वर्ग तक जाने का मार्ग तैयार कर के दे दिया।

   जब हम उसके द्वारा करी गई इस बात की गंभीरता और गहराई का, स्वर्ग के वैभव, महिमा और सामर्थ को छोड़कर एक साधारण मनुष्य के समान जीवन जीने में किए गए त्याग का, और हमारे पापों के लिए अपने आप को बलिदान करने के द्वारा चुकाई गई उस कीमत का अंदाज़ा लगाने पाते हैं जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए चुकाई, तब ही हम समझने पाते हैं कि क्यों केवल वह ही हमारी आरधना और उपासना के योग्य है। - जो स्टोवैल


प्रभु यीशु ने अनन्त और असीम प्रमेश्वर तथा नाश्वान एवं सीमित मनुष्य के बीच की दूरी पाट दी।

और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा। - यूहन्ना १:१४

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
Php 2:4  हर एक अपनी ही हित की नहीं, बरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे।
Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Php 2:8   और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है।
Php 2:10  कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं, वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।


एक साल में बाइबल: 

  • भजन २९-३० 
  • प्रेरितों २३:१-१५

शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

अनुग्रह, दया और शांति

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पौलुस द्वारा लिखी पत्रियों में उसके आरंभिक अभिन्दन में दो शब्द - अनुग्रह और शांति सदैव पाए जाते हैं। तिमुथियुस और तीतुस को लिखी पत्रियों में पौलुस ने उनके साथ ही एक और शब्द का प्रयोग किया, दया: "प्रिय पुत्र तीमुथियुस के नाम। परमेश्वर पिता और हमारे प्रभु मसीह यीशु की ओर से तुझे अनुग्रह और दया और शान्‍ति मिलती रहे।" (२ तिमुथियुस १:२)। आइए, पौलुस द्वारा प्रयुक्त इन तीनों शब्दों के तात्पर्य को परमेश्वर के वचन के संदर्भ से ही समझते हैं:

   अनुग्रह: पवित्र परमेश्वर द्वारा हम पापी मनुष्यों को दिया जाना वाली वह दान है जिसके हम सर्वथा अयोग्य हैं। प्रेरितों १७:२५ में लिखा है कि, "...क्‍योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और श्वास और सब कुछ देता है"। परमेश्वर से मिलने वाली अनेकानेक भेटों में हमारी अगली श्वास भी एक है और प्रत्येक परिस्थिति में, चाहे वह कितनी ही विकट क्यों ना हो, उसे सहन करने की सामर्थ भी उससे हमें मिलती रहती है।

   दया: पवित्र परमेश्वर का वह गुण है जिसके अन्तर्गत वह हमें वह सब नहीं देता जो हमारे लिए उचित है, हम जिसके योग्य हैं। विलापगीत ३:२२-२३ में लिखा है, "हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान है।" चाहे हम उसके मार्गों और उससे विमुख भी हों तो भी वह हमें समय और सहायता देता रहता है कि हम पश्चाताप में उसकी ओर मुड़ सकें और उसके साथ अपने संबंधों को ठीक कर सकें।

   शांति: पवित्र परमेश्वर की वह भेंट है जो वह अपने लोगों को देता है। प्रभु यीशु ने कहा, "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे" (यूहन्ना १४:२७)। बुरी से बुरी परिस्थिति और दिनों में प्रभु यीशु के विश्वासियों के मन शांत और स्थिर रह सकते हैं क्योंकि उनका प्रभु उनकी हर परिस्थिति और बात को नियंत्रित करता है और उसे अपने वश में रखता है।

   हम मसीही विश्वासियों को यह प्रोत्साहन है कि उसे समर्पित जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यक परमेश्वर का अनुग्रह, दया और शांति हमारे जीवन भर हमारे साथ बनी रहेंगी। - एल्बर्ट ली


परमेश्वर का अनुग्रह अपरिमित है, उसकी दया अक्षय है और उसकी शांति अवर्णनीय है।


हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे! - भजन १०३:१

बाइबल पाठ: भजन १०३
Psa 103:1  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है, वह उसके पवित्र नाम को धन्य कहे!
Psa 103:2  हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना।
Psa 103:3  वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है,
Psa 103:4  वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है,
Psa 103:5  वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।
Psa 103:6  यहोवा सब पिसे हुओं के लिये धर्म और न्याय के काम करता है।
Psa 103:7  उस ने मूसा को अपनी गति, और इस्राएलियों पर अपने काम प्रगट किए।
Psa 103:8  यहोवा दयालु और अनुग्रहकरी, विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है।
Psa 103:9  वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।
Psa 103:10  उस ने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हम को बदला दिया है।
Psa 103:11  जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है।
Psa 103:12  उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उस ने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है।
Psa 103:13  जैसे पिता अपने बालकों पर दया करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर दया करता है।
Psa 103:14  क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है, और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है।
Psa 103:15  मनुष्य की आयु घास के समान होती है, वह मैदान के फूल की नाईं फूलता है,
Psa 103:16  जो पवन लगते ही ठहर नहीं सकता, और न वह अपने स्थान में फिर मिलता है।
Psa 103:17  परन्तु यहोवा की करूणा उसके डरवैयों पर युग युग, और उसका धर्म उनके नाती-पोतों पर भी प्रगट होता रहता है,
Psa 103:18  अर्थात् उन पर जो उसकी वाचा का पालन करते और उसके उपदेशों को स्मरण करके उन पर चलते हैं।
Psa 103:19  यहोवा ने तो अपना सिंहासन स्वर्ग में स्थिर किया है, और उसका राज्य पूरी सृष्टि पर है।
Psa 103:20  हे यहोवा के दूतों, तुम जो बड़े वीर हो, और उसके वचन के मानने से उसको पूरा करते हो उसको धन्य कहो!
Psa 103:21  हे यहोवा की सारी सेनाओं, हे उसके टहलुओं, तुम जो उसकी इच्छा पूरी करते हो, उसको धन्य कहो!
Psa 103:22  हे यहोवा की सारी सृष्टि, उसके राज्य के सब स्थानों में उसको धन्य कहो। हे मेरे मन, तू यहोवा को धन्य कह!

एक साल में बाइबल: 

  • भजन २६-२८ 
  • प्रेरितों २२