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मंगलवार, 9 अक्टूबर 2012

निशाना


   यदि हम सावधान ना रहे तो हम भी उस व्यक्ति के समान हो जाएंगे जो अपने आप को बड़ा तीरंदाज़ मानता था क्योंकि उसका निशाना हमेशा सही लगता था। परन्तु उसकी सफलता का राज़ एक धोखा था; वह पहले तीर चलाता था, फिर जहां तीर जाकर लगता था उसे मध्य रखकर उसके चारों ओर निशाने के गोले बना देता था।

   अपनी कल्पना के अनुसार जीना और अपनी इच्छानुसार कार्य करना और फिर यह सोचना कि हमने जो किया वह सही किया बहुत सरल है। ऐसा करके जीवन के लक्ष्यों से दूर होते हुए भी हम अपने आप को ठीक लक्ष्य पर मानते रहते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में नीतिवचन १४:१२ में लिखा है: "ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है।"

   हमें बदला लेना, धन बटोरना, सुख-विलास के पीछे भागना, गाली देने और कोसने वालों को पलट कर गाली देना और कोसना उचित लग सकता है, परन्तु परमेश्वर के मार्ग हमारे मार्गों से भिन्न हैं। परमेश्वर ने जो लक्ष्य हमारे लिए बना रखे हैं वे हैं दुख देने वालों को क्षमा करना, ज़रूरतमन्दों की खुले दिल से सहायता करना, अपने आप को नहीं वरन परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए जीवन जीना और ताड़ना देने वालों की ओर दूसरा गाल फेर देना। हमें भजनकार के समान प्रार्थना करनी चाहिए कि "हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं" (भजन ८६:११) और परमेश्वर द्वारा दिए तथा दिखाए हुए मार्ग पर चलना तथा बने रहना चाहिए।

   इस सही निशाने को साधने के लिए हम सबको सहायता की आवश्यकता होती है। इसी उद्देश्य से परमेश्वर ने हमें अपना वचन बाइबल दिया है, जिसमें उसके सभी निशाने दिए हुए हैं। जब हम अपने जीवन के निशाने को उसके निशानों के अनुसार साधते हैं तब हम सदा ही सही निशाने पर होते हैं। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के मार्ग हमारे जीवनों के लिए निशाने हैं।

यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं। - भजन ८६:११

बाइबल पाठ: भजन ८६
Psa 86:1  हे यहोवा कान लगाकर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूं। 
Psa 86:2  मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूं; तू मेरा परमेश्वर है, इसलिये अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर। 
Psa 86:3  हे प्रभु मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार पुकारता रहता हूं। 
Psa 86:4  अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूं। 
Psa 86:5  क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करने वाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभों के लिये तू अति करूणामय है। 
Psa 86:6  हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन। 
Psa 86:7  संकट के दिन मैं तुझ को पुकारूंगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा।
Psa 86:8  हे प्रभु देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और ना किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं। 
Psa 86:9  हे प्रभु जितनी जातियों को तू ने बनाया है, सब आकर तेरे साम्हने दणडवत् करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी। 
Psa 86:10  क्योंकि तू महान् और आश्चर्यकर्म करने वाला है, केवल तू ही परमेश्वर है। 
Psa 86:11  हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं। 
Psa 86:12  हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा। 
Psa 86:13  क्योंकि तेरी करूणा मेरे ऊपर बड़ी है; और तू ने मुझ को अधोलोक की तह में जाने से बचा लिया है।
Psa 86:14  हे परमेश्वर अभिमानी लोग तो मेरे विरूद्ध उठे हैं, और बलात्कारियों का समाज मेरे प्राण का खोजी हुआ है, और वे तेरा कुछ विचार नहीं रखते। 
Psa 86:15  परन्तु प्रभु दयालु और अनुग्रहकारी ईश्वर है, तू विलम्ब से कोप करने वाला और अति करूणामय है। 
Psa 86:16  मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; अपने दास को तू शक्ति दे, और अपनी दासी के पुत्र का उद्धार कर।
Psa 86:17  मुझे भलाई का कोई लक्षण दिखा, जिसे देखकर मेरे बैरी निराश हों, क्योंकि हे यहोवा तू ने आप मेरी सहायता की और मुझे शान्ति दी है।

एक साल में बाइबल: 
यशायाह ३२-३३ 
कुलुस्सियों १

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

स्वर्ग


   वसन्त उत्सव होने वाला था और हमारे चर्च के युवा उसकी तैयारी में लगे हुए थे। उत्सव का विषय था मर्सीमी द्वारा गाया हुआ गीत I Can Only Imagine (मैं केवल कल्पना कर सकता हूँ) और हमारे चर्च के युवाओं ने उस्व गीत के आधार पर स्वर्ग की अपनी कल्पना को दिखाने का सोचा। उन्होंने उस उत्सव के हॉल में भिन्न प्रकार की रौशनियों, स्टायरोफोम तथा अन्य वस्तुओं के प्रयोग से स्वर्ग को दिखाने का प्रयास किया।

   हमारी बेटी मेलिस्सा भी इस प्रयास में सम्मिलित थी। जब मैं हॉल के अन्दर देखने गया कि उन युवक-युवतियों के प्रयास कैसे चल रहे हैं तब मेलिस्सा छत की ऊँची कड़ियों से सितारे लटकाने में लगी हुई थी। उत्सव की रात को हमने मेलिस्सा के साथियों द्वारा उत्सव का प्रसंग गीत भी सुना और हम सब अपने मनों में कल्पना कर रहे थे यह दूर का स्थान स्वर्ग कैसा होगा। हम में से किसी को इस बात का ज़रा भी आभास तक नहीं था कि ६ सप्ताह बाद ही मेलिस्सा इस पृथ्वी को छोड़ उस स्वर्ग देश में सदा के लिए चली जाएगी; उत्सव के एक छोटे से अन्तराल में ही जो सबके लिए काल्पनिक था वह उसके लिए वास्तविक हो जाएगा।

   प्रभु यीशु ने हमें स्वर्ग के बारे में बताया जिससे हम वहां के विषय में चिंतित ना हों। प्रभु ने कहा, "तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं" (युहन्ना १४:१-२)।

   स्वर्ग तैयार मन वालों के लिए तैयार किया हुआ स्थान है। एक ऐसा स्थान जो हम मनुष्यों की कल्पना से कहीं अधिक सुन्दर, भव्य और गौरवपूर्ण है। यह वह स्थान है जहां हमारे दिवंगत मसीही विश्वासी प्रीय जन परमेश्वर के साथ हैं और एक दिन हम भी होंगे; और वहीं उसके तथा उनके साथ आनन्दित रहेंगे।

   स्वर्ग की कल्पना और प्रतीक्षा कीजिए और उसकी आशा में आनन्दित रहिए क्योंकि वहां परमेश्वर "उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य २१:४)। - डेव ब्रैनन


प्रभु यीशु वहां हमारे लिए स्थान तैयार कर रहा है, और यहां हमें उस स्थान के लिए तैयार कर रहा है।

फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्‍द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा, और उन का परमेश्वर होगा। और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं। - प्रकाशितवाक्य २१:३-४

बाइबल पाठ: युहन्ना १४:१-६
Joh 14:1  तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। 
Joh 14:2  मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्‍योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। 
Joh 14:3  और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो। 
Joh 14:4  और जहां मैं जाता हूं तुम वहां का मार्ग जानते हो। 
Joh 14:5  थोमा ने उस से कहा, हे प्रभु, हम नहीं जानते कि तू कहां जाता है तो मार्ग कैसे जानें? 
Joh 14:6  यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्‍चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३०-३१ 
  • फिलिप्पियों ४

रविवार, 7 अक्टूबर 2012

सहभागिता


   बहुत से चर्चों में अक्तूबर महीने का पहला इतवार विश्व प्रभु भोज इतवार के रूप में मनाया जाता है। यह वह दिन होता है जब इन चर्च के सदस्य संसार भर में स्थित अन्य चर्चों के सदस्यों की सहभागिता के एहसास के साथ प्रभु भोज में सम्मिलित होते हैं। यह पर्व मेरे लिए एक बहुत अर्थपूर्ण समय बन गया है।

   एक बार कुछ ऐसा हुआ कि मैं इस इतवार वाले दिन हवाई अड्डे पर एक लंबी उड़ान की प्रतीक्षा में बैठा था, और चर्च में प्रभु भोज में सम्मिलित हो पाना मेरे लिए संभव नहीं था। अकेले बैठे हुए मैं परमेश्वर के वचन बाइबल से सुसमाचारों में लिखित प्रभु यीशु के चेलों के साथ मनाए गए उस अन्तिम भोज, उसके पकड़वाए जाने और क्रूस पर चढ़ाए जाने के विवरण पढ़ने लगा। फिर मैंने प्रेरित पौलुस द्वारा कुरिन्थुस के विश्वासियों को लिखी अपनी पहली पत्री में प्रभु भोज के महत्व को समझाने वाले उस खंड को भी पढ़ा जिसे चर्चों में प्रभु भोज के समय अकसर पढ़ा जाता है - १ कुरिन्थियों ११:२३-३१; और इन बातों पर मनन करने लगा। वहां हवाई अड्डे पर बैठे हुए ही कुछ सामन्यतः उपलब्ध पदार्थों को चर्च में प्रभु भोज के लिए प्रयुक्त रोटी और रस के रूप में प्रयोग करके मैंने प्रभु के बलिदान और मृत्यु का स्मरण किया, और अन्य ऐसे अनेक मसीही विश्वासियों के साथ एक गहरी सहभागिता अनुभव करी जो वर्जित होने के कारण प्रभु यीशु के नाम में एकत्रित नहीं हो पाते या किसी मजबूरी से अन्य विश्वासियों के साथ एकत्रित हो पाने में असमर्थ हैं।

   आज आप कहीं भी क्यों ना हों, आपकी परिस्थितियां कैसी भी क्यों ना हों, प्रभु यीशु के क्रूस पर दिए गए बलिदान के स्मरण द्वारा आप सामर्थ पाएं और आनन्दित हों, "क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो" (१ कुरिन्थियों ११:२६)। - डेविड मैक्कैसलैंड


मसीही सहभागिता से आनन्द और सामर्थ मिलती है।

क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। - १ कुरिन्थियों ११:२६

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ११:२३-३१
1Co 11:23 क्‍योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी, कि प्रभु यीशु ने जिस रात पकड़वाया गया रोटी ली। 
1Co 11:24  और धन्यवाद करके उसे तोड़ी, और कहा, कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1Co 11:25  इसी रीति से उस ने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा, यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1Co 11:26 क्‍योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। 
1Co 11:27  इसलि्ये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा। 
1Co 11:28  इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए। 
1Co 11:29 क्‍योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है। 
1Co 11:30  इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए। 
1Co 11:31 यदि हम अपने आप को जांचते, तो दण्‍ड न पाते।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २८-२९ 
  • फिलिप्पियों ३

शनिवार, 6 अक्टूबर 2012

यात्रा


   अपनी पुस्तक The First Man में लेखक जेम्स हैन्सन ने चन्द्रमा पर उतरने वाले प्रथम मनुष्य नील आर्मस्ट्रौंग की इस चन्द्रमा यात्रा का विवरण लिखा है। लेखक बताता है कि इस यात्रा के अन्त में प्रत्येक अन्तरिक्ष यात्री को अपनी यात्रा के बारे में एक विवरण भरकर देना था। इस विवरण में उनकी यात्रा के आरंभ स्थान टैक्सस स्थित ह्युस्टन से फ्लोरिडा स्थित केप कैनावरल जाना, फिर अंत्रिक्ष यान द्वारा चन्द्रमा तक, और वहां से वापसी करके प्रशांत महासागर में उतरना; फिर हवाए द्वीप समूह ले जाया जाना और अन्त में लौट कर फिर टैक्सस स्थित ह्युस्टन वापस पहुँचने का सारा ब्यौरा लिखा गया था। यह विवरण उस एतिहासिक यात्रा और उससे संबंधित गन्तव्य स्थानों की कैसी अद्भुत सूची है!

   मानव इतिहास में एक और यात्रा का विवरण दर्ज है; ऐसी यात्रा जो अन्य सभी यात्राओं से बिलकुल भिन्न और जिसका उद्देश्य अद्भुत है। यह यात्रा है जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की यात्रा, जो स्वर्ग से आरंभ हुई, जिसका पहला गन्तव्य स्थान इस्त्राएल के बेतलेहम की एक गौशाला में स्थित चरनी और यात्रा का माध्यम कुँवारी कन्या से जन्म था; फिर वहां से, दुश्मनों से बचने के लिए, मिस्त्र देश को प्लायन हुआ। फिर मिस्त्र से लौटकर इस्त्राएल के छोटे से कस्बे नाज़रथ में बढ़ई बनकर रहना, लगभग ३० वर्ष की आयु में परमेश्वरीय सेवाकाई का आरंभ और इसके लिए इस्त्राएल के इलाकों में परमेश्वर के राज्य और उद्धार के सुसमाचार का प्रचार और लोगों को चंगा करते हुए पैदल घूमना। लगभग साढ़े तीन साल की सेवकाई के बाद झूठे इलज़ाम में फंसाया जाना, कलवरी के क्रूस पर बलिदान होना, तीन दिन कब्र में दफन रहकर तीसरे दिन मृतकों से जी उठना, ४० दिन तक लोगों और चेलों के समक्ष रहना और उनके देखते हुए वापस स्वर्ग पर उठा लिया जाना और पिता परमेश्वर के दाहिने हाथ जा बैठना। इस यात्रा का उद्देश्य: समस्त मानव जाति को पापों से क्षमा और उद्धार का मार्ग देना।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों को लिखी पौलुस प्रेरित की पत्री में समस्त संसार को उद्धार का मार्ग प्रदान करने वाली इस यात्रा से संबंधित बातें लिखी मिलती हैं। एक बाइबल टीकाकार ने इस खंड को आराधना और स्तुति का गीत कहा है जो उस दुख उठाने वाले आज्ञाकारी सेवक की प्रशंसा में लिखा गया जिसने अपनी स्वर्ग की महिमा छोड़ी और इस संसार में आ गया कि समस्त मानव जाति के लिए दुख उठाए और उन्हें पापों से मुक्ति का मार्ग दे। परमेश्वर द्वारा निर्धारित इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह क्रूस की अपमानित तथा अति पीड़ादायक मृत्यु सहने तक आज्ञाकारी रहा। इस कारण परमेश्वर ने भी उसे सर्वोच्च कर दिया।

   हमारे उद्धारकर्ता की इस अद्भुत यात्रा और इस यात्रा के विवरण से हमारे मन उसके प्रति श्रद्धा, आदर और भक्ति के साथ समर्पण, आराधना और धन्यवाद से भर जाने चाहिएं। - डेनिस फिशर


परमेश्वर ने अन्तता से मानव इतिहास की सीमाओं में प्रवेश किया जिस से कि मनुष्यों को उन सीमाओं से निकल कर उसके साथ अन्तता में स्थान मिल सके।

जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। - फिलिप्पियों २:५

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। 
Php 2:4  हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा। 
Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Php 2:8   और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है। 
Php 2:10 कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २६-२७ 
  • फिलिप्पियों २

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

सहायक


   हाल के एक रेडियो प्रोग्राम में प्रस्तुतकर्ता एक विशेषज्ञ से किसी विषम परिस्थिति को संभालने के बारे में चर्चा कर रहा था। उस विशेषज्ञ की सलाह थी कि ऐसी परिस्थितियों का सामना करने के लिए आवश्यक्ता होती है कि अच्छे मित्रों को बना कर रखें जो संकट में साथ खड़े हों, सहायता करें और बात को संभालने तथा परिस्थिति से उभारने में सक्षम हों।

   यह एक बुद्धिमानी की सलाह है, क्योंकि हर प्रकार के संकट और परिस्थितियों का सामना करने के लिए यह बोध होना अनिवार्य है कि हम अपनी क्षमता से सब कुछ नहीं कर सकते, हमें सहायक की आवश्यक्ता होती ही है। कुछ चुनौतियां बहुत बड़ी होती हैं; कुछ पहाड़ बहुत ऊँचे होते हैं; कई बार हमारी अपनी सामर्थ और योग्यता कम पड़ जाती है; और तब हमें कोई ऐसा सहायक चाहिए होता है जो हमारे साथ मिलकर परिस्थिति से जूझ सके और पार लगवा सके। इसीलिए हम मसीही विश्वासियों के लिए यह बहुत तसल्ली की बात है कि हमारे साथ एक ऐसा ही सहायक सदा बना रहता है।

   राजा दाऊद ने इस साहायक को जाना तथा अनुभव किया था; इसीलिए वह भजन १८:६ में लिखता है: "अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।" हमारे संकट में परमेश्वर से बढ़कर भला और सामर्थी सहायक और कोई हो नहीं सकता। वह ही है जो हमें जीवन के संकटों और परिस्थितियों में से सुरक्षित निकाल कर ले जा सकता है। उसने हमें अपने अटल वायदे से आश्वासन दिया है: "...उस ने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

   जब संकट और विषम परिस्थितियां आएं तो हमें अपने आप को अकेला और असहाय समझने की आवश्यक्ता नहीं है; हमारे पास हर बात और परिस्थिति के लिए बिलकुल उपयुक्त सहायता सदैव विद्यमान है। हम अपने प्रभु परमेशवर पर निर्भर रह सकते हैं क्योंकि वह ही हमारा सबसे बड़ा, सबसे विश्वासयोग्य, सदैव उपलब्ध और सबसे सामर्थी सहायक है।

   क्या आपने प्रभु यीशु को अपने जीवन का सहायक बना लिया है? - बिल क्राउडर


यहां नीचे हमारी सबसे उत्तम आशा है वहां ऊपर से मिलने वाली सहायता।

अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी। - भजन १८:६

भजन १८:१-६; १६-२४
Psa 18:1  हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं। 
Psa 18:2  यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का गढ़ है। 
Psa 18:3  मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।
Psa 18:4  मृत्यु की रस्सियों से मैं चारो ओर से घिर गया हूं, और अधर्म की बाढ़ ने मुझ को भयभीत कर दिया; 
Psa 18:5  पाताल की रस्सियां मेरे चारो ओर थीं, और मृत्यु के फन्दे मुझ पर आए थे। 
Psa 18:6  अपने संकट में मैं ने यहोवा परमेश्वर को पुकारा; मैं ने अपने परमेश्वर को दोहाई दी। और उस ने अपने मन्दिर में से मेरी बातें सुनी। और मेरी दोहाई उसके पास पहुंचकर उसके कानों में पड़ी।
Psa 18:16  उस ने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया। 
Psa 18:17  उस ने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुड़ाया; क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे। 
Psa 18:18  मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पड़े। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था। 
Psa 18:19  और उस ने मुझे निकाल कर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उस ने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था। 
Psa 18:20  यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उस ने मुझे बदला दिया। 
Psa 18:21  क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ। 
Psa 18:22  क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा। 
Psa 18:23  और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा। 
Psa 18:24  यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह २३-२५ 
  • फिलिप्पियों १

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012

व्यस्त या उपयोगी?


   हमसे संपर्क बढ़ाने वाले कभी कभी पूछते हैं "क्या आप व्यस्त हैं?" प्रश्न तो सामान्य है और उसमें कोई हानि की बात भी प्रतीत नहीं होती, किंतु मेरे मन में इस प्रश्न के कारण कुछ और बातें उठती हैं। मुझे लगता है कि इस प्रश्न के उत्तर में यदि मैं पूछने वाले को तुरन्त ही ऐसे कार्यों की एक लंबी सूची नहीं दे पाता जो मुझे अभी करने हैं तो मैं यह स्वीकार कर रहा हूँ कि मैं कुछ विशेष उपयोगी नहीं हूँ, मेरा कोई खास मूल्य नहीं है।

   किंतु क्या परमेश्वर भी हमें इससे ही आंकता है कि हम कितने व्यस्त हैं और हमने क्या कुछ करने पाए हैं? क्या वह हमें इस बात पर पुरुस्कार देता है कि हमने अपना और अपने परिवार का ध्यान रखे बिना, थक कर चूर होते हुए भी कार्य करना ज़ारी रखा है? क्या व्यक्ति के मूल्यांकन के उसके मापदण्ड भी संसार के समान ही हैं?

   अपने बचपन में, परमेश्वर के वचन बाइबल के पदों से जो आरंभिक पद मैं ने सीखे थे उनमें से एक प्रभु यीशु मसीह द्वारा कही गई बात थी मत्ती ११:२८: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।" बचपन में मेरे लिए इस पद का कोई विशेष अर्थ नहीं था क्योंकि मैं थकान और व्यस्तता नहीं जानती थी। लेकिन अब जब मैं व्यसक हूँ तो संसार तथा साथ के अन्य लोगों से कहीं पीछे ना रह जाऊँ, इसलिए उन के समान कार्य करने और वैसे ही व्यस्त रहने की इच्छा बार बार मुझ पर हावी होना चाहती है।

   लेकिन प्रभु यीशु के अनुयायियों को ऐसी मनसा के साथ जीने की आवश्यक्ता नहीं है। यह नहीं कि उन्हें मेहनत नहीं करनी है और बैठे-बिठाये ही उन्हें सब कुछ मिलता रहेगा; परन्तु उन्हें इस बात को ध्यान करते हुए कार्य करना है कि उनके प्रभु ने उन्हें ना केवल पाप के दासत्व से मुक्ति दी है वरन इस धारणा से भी कि उसकी दृष्टि में उनका मूल्य इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वे अपने आप तथा अपने परिवार को कितना नज़रंदाज़ करते हैं और अपने आप को कितना थकाते तथा निढ़ाल करते हैं।

   परमेश्वर के नाम से बहुत सा कार्य करने के द्वारा हम अपनी दृष्टि में मूल्यवान हो सकते हैं, लेकिन परमेश्वर हमें तब मूल्यवान मानता है जब हम उसे, हम में होकर वह कार्य करने देते हैं जो वह हम में चाहता है - कि हम उसके पुत्र, हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के स्वरूप में ढलें (रोमियों ८:२८-३०)।

   परमेश्वर को हमारी सामर्थ और योग्यताओं की नहीं हमारी आवश्यक्ता है। जो उसके हाथों में पूर्णतः समर्पित हैं उन्हें वह अपनी सामर्थ और अपनी योग्यताओं से भरकर अपने लिए उपयोगी बना लेता है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारा मूल्य इस से नहीं कि हम परमेश्वर के नाम में क्या क्या करते हैं, वरन इस से है कि उसने हम में क्या और हमारे लिए क्या कुछ किया है।

क्‍योंकि जिन्‍हें उस ने पहिले से जान लिया है उन्‍हें पहिले से ठहराया भी है कि उसके पुत्र के स्‍वरूप में हों ताकि वह बहुत भाइयों में पहिलौठा ठहरे। फिर जिन्‍हें उन से पहिले से ठहराया, उन्‍हें बुलाया भी, और जिन्‍हें बुलाया, उन्‍हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्‍हें धर्मी ठहराया, उन्‍हें महिमा भी दी है। - रोमियों ८:२९-३०

बाइबल पाठ: मत्ती ११:२५-३०
Mat 11:25  उसी समय यीशु ने कहा, हे पिता, स्‍वर्ग और पृथ्वी के प्रभु; मैं तेरा धन्यवाद करता हूं, कि तू ने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपा दखा, और बालकों पर प्रगट किया है। 
Mat 11:26  हां, हे पिता, क्‍योंकि तुझे यही अच्‍छा लगा। 
Mat 11:27   मेरे पिता ने मुझे सब कुछ सौंपा है, और कोई पुत्र को नहीं जानता, केवल पिता; और कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे। 
Mat 11:28   हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। 
Mat 11:29  मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो, और मुझ से सीखो; क्‍योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। 
Mat 11:30  क्‍योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।

एक साल में बाइबल: 

  • यशायाह २०-२२ 
  • इफिसियों ६

बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

उपयोगी


   क्या आपको वे समय याद हैं जब फोन का कार्य बातें करने के लिए ही होता था? "स्मार्ट फोन" के अविष्कार के बाद सब कुछ बदल गया; जो पहले किसी दूसरे के साथ बात करने का साधन था वह अब निज उपयोग की बातों और तकनीकी का भण्डार बन गया है। अब फोन पर प्रयोग हो सकने वाली तकनीकों से आप समाचार पढ़ सकते हैं, खेल खेल सकते हैं, यात्रा का आयोजन कर सकते हैं, लेने के लिए घर ढूंढ सकते हैं और अन्य अनगिनित कार्य कर सकते हैं। फोन केवल बात करने के लिए उपयोगी नहीं रहा, वह जीवन की अन्य कई आवश्यक्ताओं के लिए उपयोगी हो गया है।

   यह विलक्षण है, किंतु परमेश्वर के वचन बाइबल के उपयोग के सामने इसकी उपयोगिता कुछ भी नहीं; बाइबल की यह उपयोगिता सदियों से बनी हुई है और आज भी कारगर है। बाइबल में परमेश्वर द्वारा लिखित निर्देष हैं जो हमें उसके सत्य मार्ग को अपने जीवन में लागू करना और उससे सफल तथा आशीषित होना सिखाते हैं। उदाहरणस्वरूप फिलिप्पियों २ में लिखी बातों को देखिए जो हमें एकता (२:२), नम्रता (२:३), कुड़कुड़ाना नहीं (२:१४), ज्योति के समान होना (२:१५) सिखाती हैं - वे गुण जिनके आभाव में आज व्यक्तियों और समाज में आपसी तनाव और वैमनस्य है, जिससे सामाजिक अस्थिरता है। या, गलतियों ५ में दी गई निज जीवन की बातों पर विचार कीजिए: परमेश्वर का अनुसरण करें (५:१), प्रेम में चलें (५:२), पवित्रता का जीवन जीएं (५:३), ज़ुबान को नियंत्रित रखें (५:४) - ऐसी बातें जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को संवारने और धन्य तथा अनुसरणीय बनाने के लिए उपयोगी हैं। नीतिवचन की पुस्तक तो ऐसी ही उपयोगी बातों का संकलन ही है।

   फोन की उपयोगिता बढ़ाने वाली बातों के समान, कोई बाइबल की इन बातों को इंटरनैट के माध्यम से आपको पहुँचाए इसकी आवश्यक्ता नहीं है। आप स्वयं ही बाइबल खोलकर इन बातों को देख और पढ़ सकते हैं और परमेश्वर के इन आशीषि देने वाले निर्देशों को अपने जीवनों में लागू कर सकते हैं। क्या मसीही विश्वास के जीवन के संबंध में कोई प्रश्न आपके मन में उठता है? बाइबल में आपको उत्तर मिल जाएगा।

   परमेश्वर का यह अद्भुत वचन प्रत्येक के जीवन के लिए उपयोगी है - इसीलिए तो परमेश्वर ने इसे दिया है और सबके लिए उपलब्ध कराया है। - डेव ब्रैनन


ज्ञान और समझ के खज़ाने आपके लिए बाइबल में मौजूद हैं - पढ़िए और अपनाइए!

अपना हृदय शिक्षा की ओर, और अपने कान ज्ञान की बातों की ओर लगाना। - नीतिवचन २३:१२

बाइबल पाठ: इफिसियों ५:१-१५
Eph 5:1   इसलिये प्रिय, बालकों की नाईं परमेश्वर के सदृश बनो। 
Eph 5:2  और प्रेम में चलो, जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया, और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया। 
Eph 5:3   और जैसा पवित्र लागों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। 
Eph 5:4  और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्‍योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाएं। 
Eph 5:5  क्‍योंकि तुम यह जानते हो, कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूरत पूजने वाले के बराबर है, मसीह और परमेश्वर के राज्य में मीरास नहीं। 
Eph 5:6  कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्‍योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है। 
Eph 5:7   इसलिये तुम उन के सहभागी न हो। 
Eph 5:8  क्‍योंकि तुम तो पहले अन्‍धकार थे परन्‍तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्‍तान की नाईं चलो। 
Eph 5:9  (क्‍योंकि ज्योंति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)। 
Eph 5:10  और यह परखो, कि प्रभु को क्‍या भाता है? 
Eph 5:11  और अन्‍धकार के निष्‍फल कामों में सहभागी न हो, वरन उन पर उलाहना दो। 
Eph 5:12  क्‍योंकि उन के गुप्‍त कामों की चर्चा भी लाज की बात है। 
Eph 5:13  पर जितने कामों पर उलाहना दिया जाता है वे सब ज्योति से प्रगट होते हैं, क्‍योंकि जो सब कुछ को प्रगट करता है, वह ज्योति है। 
Eph 5:14   इस कारण वह कहता है, हे सोने वाले जाग और मुर्दों में से जी उठ, तो मसीह की ज्योति तुझ पर चमकेगी।
Eph 5:15   इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १७-१९ 
  • इफिसियों ५:१७-३३